मुकम्मल स्वास्थ्य सेवाएं देने के बाद भी सुविधाओं का टोटा
Mau News - मऊ में संविदा स्वास्थ्यकर्मियों की जिम्मेदारी 75 प्रतिशत स्वास्थ्य सेवाओं की होती है। कोविड काल में उन्होंने जान जोखिम में डालकर लोगों की सेवा की, लेकिन अब भी उन्हें सुविधाओं और सुरक्षा की कमी का...
मऊ। स्वास्थ्य सेवा में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के संविदा स्वास्थ्यकर्मियों की अहम जिम्मेदारी होती है। मरीजों के उपचार की 75 प्रतिशत जिम्मेदारी संविदा स्वास्थ्यकर्मियों के कंधों पर होती है। कोविड काल में अधिकतर संविदा स्वास्थ्यकर्मियों ने जान हथेली पर रखकर लोगों की जान बचाई थी। वर्तमान समय में मुकम्मल स्वास्थ्य सेवा देने के बाद भी संविदाकर्मी सुविधा और सुरक्षा की समस्या से जूझ रहे हैं। कर्मियों को मेहनत के सापेक्ष मानेदय नहीं मिलता है। साथ ही कार्यस्थल के आसपास के गंदगी और जलजमाव आदि दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। वहीं, कर्मियों को रहने के लिए आवास की भी कोई सुविधा नहीं मिलती है। समस्याओं को लेकर कर्मियों ने कई बार जनप्रतिनिधियों और उच्चाधिकारियों को अवगत कराया, बावजूद उनकी समस्याओं का कोई भी निदान नहीं निकल पाया है।
जिले में स्वास्थ्य सेवा में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत 700 से अधिक संविदा स्वास्थ्य कर्मियों की अलग-अलग स्वास्थ्य केन्द्रों पर तैनाती है। संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों के कंधों पर सबसे अधिक स्वास्थ्य सेवाओं की जिम्मेदारी रहती है। बावजूद उन्हें उनकी सेवाओं के अनुसार सुविधाएं नहीं प्रदान की जाती है। संगठन के अध्यक्ष डॉ. शैलजाकांत पाण्डेय, महामंत्री आशुतोष राय, डॉ. नीतू शर्मा, डॉ. अंजनी कुमार त्रिपाठी ने बताया कि बेहतर स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराने में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत संविदा स्वास्थ्य अधिकारी और कर्मचारी पूरी तनमयता के साथ अपनी ड्यूटी का निर्वहन करते हैं। बावजूद उनकी सेवा के सापेक्ष सुविधाएं नहीं प्रदान की जाती है। राकेश कुमार, रतन लाल, डॉ. राजेन्द्र नाथ, शैलेन्द्र कुमार, राजीव कुमार, डॉ. अजय सिंह, सारुल कुमार यादव, राम मनोहर, गुड्डी, रेनू मौर्या, सोनम, रेखा यादव, डॉ. अशफाक अहमद अंसारी, डॉ. लारी ने बताया कोविड काल के दौरान राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के संविदा स्वास्थ्य कर्मियों ने जान हथेली पर रखकर लोगों की जान बचाई थी, लेकिन सुविधाओं के नाम पर उन्हें कुछ भी विशेष प्रदान नहीं किया जाता है। संविदा स्वास्थ्यकर्मियों को मेहनत के सापेक्ष बहुत कम मानदेय प्रदान किया जाता है। चाइल्ड केयर लीव, चिकित्सा प्रतिपूर्ति की भी सुविधा नहीं है। स्वास्थ्य सुविधाओं में गुणवत्तापूर्ण सुधार के लिए आउटसोर्स कर्मियों का समायोजन किया जाना चाहिए। साथ ही वेतन विसंगतियों को दूर करते हुए समान वेतन लागू किया जाना चाहिए। मकान किराया भत्ता प्रदान किया जाना चाहिए। मूलभूत समस्याओं को लेकर संविदा स्वास्थ्यकर्मियों ने कई बार जनप्रतिनिधियों और उच्चाधिकारियों को अवगत कराया, बावजूद उनकी समस्याओं का कोई भी निदान नहीं निकला।
जर्जर भवन में संचालित होता है टीकाकरण केन्द्र
जिला महिला अस्पताल के बगल स्थित टीकाकरण केन्द्र का भवन काफी जर्जर हो चुका है, फिर भी जर्जर भवन में ही जान हथेली पर रखकर स्वास्थ्यकर्मी टीकाकरण करने के लिए विवश हैं। इसके कारण स्वास्थ्यकर्मियों को हमेशा जानमाल का खतरा बना रहता है।
ऑक्सीजन प्लांट के पीछे जलजमाव और गंदगी से दिक्कत
जिला महिला अस्पताल के आक्सीजन प्लांट के पीछे साफ-सफाई नहीं होने के कारण गंदा पानी लगा रहता है। गंदे पानी के जलजमाव और गंदगी के कारण अस्पताल आने-जाने वाले मरीजों और तीमारदारों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। मरीजों और तीमारदारों को संक्रामक बीमारियों का भय सताए रहता है।
कर्मचारियों के बैठने का स्थान भी नियत नहीं
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन संविदा स्वास्थ्यकर्मियों का कहना है कि कर्मचारियों के निश्चित बैठने का कोई भी स्थान निर्धारित नहीं किया गया है। ड्यूटी का स्थान अचानक ही बदल दिया जाता है। इसके कारण काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
किराए के मकान में रहकर करते हैं ड़्यूटी
आवास की सुविधा उपलब्ध नहीं होने से अधिकतर संविदा स्वास्थ्य अधिकारी और कर्मचारी किराए के मकान में रहकर किसी तरह से ड्यूटी करते हैं। इसके कारण ड्यूटी करने में उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। विशेषतौर पर महिलाओं को सबसे ज्यादा परेशानी का सामना करना पड़ता है।
बोले स्वाथ्यकर्मी
मऊ। कोविड काल के दौरान संविदा स्वास्थ्यकर्मियों ने ही लोगों की सबसे अधिक सेवा किया था। इसलिए उनकी सेवाओं के अनुसार सुविधाएं में वृद्धि किया जाना आवश्यक है।
-वीरेन्द्र यादव।
मऊ। स्वास्थ्यकर्मियों की नौकरी काफी चुनौतीपूर्ण होती है। स्वास्थ्य कर्मियों को प्रतिदिन चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। इसलिए समान सेवा के साथ समान वेतन प्रदान किया जाना आवश्यक है।
-रेखा ।
मऊ। स्वास्थ्य कर्मियों की समस्याओं का निदान प्राथमिकता के तौर पर किया जाना चाहिए। समस्याओं का निदान होने के बाद ही स्वास्थ्य सेवाओं में अधिक से अधिक सुधार किया जा सकता है।
-सोनम मौर्या।
मऊ। स्वास्थ्यकर्मी अपनी जान की बाजी लगाकर लोगों की सेवा करते हैं, लेकिन फिर भी उन्हें उनकी सेवा के अनुरूप मानदेय नहीं प्रदान किया जाता है।
-संजीव तिवारी।
मऊ। सेवा में सुरक्षा बहुत ही आवश्यक है, इसलिए सरकार को स्वास्थ्यकर्मियों की सुविधाओं में वृद्धि करने की आवश्यकता है, जिससे उन्हें परेशानी का सामना न करना पड़े।
-अनिल गुप्ता।
मऊ। स्वास्थ्य अधिकारियों और कर्मियों को उनकी सेवा के लिए पेंशन समेत वेतन विसंगतियों को दूर किया जाना चाहिए। जिससे स्वास्थ्य सेवाओं में और अधिक निखार आ सके।
-डॉ. आफरीन।
शिकायतें
1-मेहनत के सापेक्ष कम मानदेय
2-नहीं मिलती चाइल्ड केयरलीव
3-आवास की नहीं मिलती सुविधा
4-नौकरी में सुरक्षा की नहीं है गारंटी
5-चिकित्सा प्रतिपूर्ति नहीं है सुविधा
सुझाव
1-स्वास्थ्य कर्मियों को मेहनत के अनुरुप मानदेय प्रदान किया जाना चाहिए।
2-बच्चों के पालन-पोषण के लिए चाइल्ड केयरलीव दिया जाना चाहिए।
3-स्वास्थ्य कर्मियों को आवास की सुविधा प्रदान की जानी चाहिए।
4-संविदा स्वास्थ्य कर्मियों को नौकरी में सुरक्षा की गारंटी प्रदान किया जाना चाहिए।
5-कर्मचारियों को चिकित्सा प्रतिपूर्ति की सुविधा प्रदान होना चाहिए।
स्वास्थ्य महकमा गंभीर
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के संविदा स्वास्थ्य अधिकारियों और कर्मचारियों की सुविधाओं को लेकर स्वास्थ्य महकमा गंभीर है। समय-समय पर कर्मियों की सुविधाओं में बढ़ोतरी की होती है। कर्मचारियों की आवास, कार्यस्थल पर साफ-सफाई समेत अन्य समस्याओं का समाधान जल्द ही कर दिया जाएगा। जर्जर टीकाकरण भवन की समस्या को लेकर विभाग के उच्चाधिकारियों को अवगत कराया जा चुका है।
डॉ. राहुल सिंह, मुख्य चिकित्साधिकारी, मऊ।
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