मुझसे दो लाख रुपए मांगे गए, ममता कुलकर्णी का दावा, महामंडलेश्वर से इस्तीफे के बाद हिमांगी सखी पर भी बरसीं
ममता कुलकर्णी ने किन्नर अखाड़े के महामंडलेश्वर पद से सोमवार को इस्तीफा दे दिया। उन्होंने उपाधि देते समय दो लाख रुपए मांगे जाने का दावा किया। किन्नर अखाड़े की जगदगुरु हिमांगी सखी पर भी ममता खूब बरसीं।
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अभिनेत्री से साध्वी और फिर किन्नर अखाड़े में शामिल होकर महामंडलेश्वर बनीं ममता कुलकर्णी ने सोमवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया। इस दौरान ममता ने दावा किया कि किन्नर अखाड़े की आचार्य लक्ष्मीनारायण त्रिपाठी ने उनसे दो लाख रुपए की मांग की गई थी। यह दो लाख रुपए उनकी तरफ से महामंडलेश्वर जय अंबा ने लक्ष्मीनारायण त्रिपाठी को दिए थे। ममता ने इस दौरा किन्नर जगदगुरु हिमांग सखी पर भी बरसीं। महाकुंभ में ममता त्रिपाठी को पिछले दिनों अचानक पिंड दान और वैदिक परंपराओं का निर्वहन कराने के बाद महामंडलेश्वर की उपाधि दी थी।
किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर बनने के बाद से ही ममता को लेकर विवाद गहरा गया था। शंकराचार्य तक के निशाने पर ममता आ गई थीं। यहां तक कि किन्नर अखाड़े में भी फूट पड़ गई थी। खुद को किन्नर अखाड़े का संस्थापक बताने वाले अजय दास ने आचार्य लक्ष्मीनारायण त्रिपाठी और ममता कुलकर्णी दोनों को अखाड़े से निष्कासित करने का ऐलान कर दिया था। इसके बाद किन्नर अखाड़े में नया विवाद भी पैदा हो गया था। लक्ष्मीनारायण ने अजय दास को पहले ही निकालने की बात कही थी।
अब सोमवार को ममता कुलकर्णी ने एक वीडियो जारी कर महामंडलेश्वर के पद से इस्तीफा देने की घोषणा की। ममता ने माना कि मेरे महामंडलेश्वर बनने के बाद से किन्नर अखाड़े में विवाद हो गया है। मेरे ऊपर कई आरोप लगाए जा रहे हैं। कहा कि मैं 25 साल से एक साध्वी थी और साध्वी ही रहूंगी। महामंडलेश्वर का जो सम्मान मुझे दिया गया वह मेरे 25 साल के तप को देखते हुए दिया गया है। हिमांगी सखी पर बरसते हुए कहा कि आज मेरे महामंडलेश्वर बनने से जिन लोगों को घोर आपत्ति है। इनमें वो हिमांगी-विमांगी हैं, मैं उनके बारे में कम बोलूं तो बेहतर रहेगा। इनको ब्रह्म विद्या या किसी चीज से कोई लेना देना नहीं है। इन लोगों को मालूम ही नहीं कि वह चीज क्या होती है।
ममता ने हिमांगी सखी की तरफ से करोड़ों रुपए लेकर महामंडलेश्वर बनाने के आरोपों का भी ममता ने जवाब दिया। कहा कि मुझसे दो लाख रुपए मांगे गए थे। जब पैसे मांगे गए उस समय उसी रूम में मेरे सामने तीन चार महामंडलेश्वर और जगदगुरु थे। मैंने कह दिया कि मेरे पास दो लाख रुपए नहीं हैं। तब वहां बैठीं महामंडलेश्वर जय अंबा ने मेरी तरफ से अपनी जेब से दो लाख रुपए निकाले और आचार्य लक्ष्मीनारायण त्रिपाठी को दिए थे। मैंने दो करोड़ दिए, मैंने चार करोड़ दिए, यह आरोप लगाए गए हैं। पैसे से न्यान नहीं होता है। यह घोर तपस्या और ध्यान से होता है। मैंने कुछ नहीं किया। मैंने चंडी की आराधना 25 साल तक की है। वही मुझे इशारा कर रही हैं कि अब इन सब चीजों से बाहर निकलना चाहिए।