बेटी की हत्या में फर्जी ढंग से जेल भेजे गए पिता-पुत्र को एक-एक लाख क्षतिपूर्ति देने की संस्तुति
Maharajganj News - उत्तर प्रदेश मानवाधिकार आयोग ने घुघली क्षेत्र में गायब किशोरी की हत्या के मामले में उसके पिता और भाई को एक-एक लाख रुपये की क्षतिपूर्ति देने की संस्तुति की है। आयोग ने डॉक्टर की लापरवाही के लिए विभागीय...

महराजगंज, हिन्दुस्तान टीम। उत्तर प्रदेश मानवाधिकार आयोग ने प्रदेश सरकार से घुघली क्षेत्र में गायब किशोरी को मृत दिखाकर उसकी हत्या में जेल भेजे गए पिता-पुत्र को एक-एक लाख की क्षतिपूर्ति देने की संस्तुति की है। आयोग ने यह भी कहा है कि क्षतिपूर्ति की धनराशि शासन आरोपित पुलिस अधिकारियों व कर्मचारियों से वसूली करने के लिए स्वतंत्र है। इसके अलावा आयोग ने अज्ञात किशोरी के शव का पोस्टमार्टम करने वाले गांगी बाजार पीएचसी के चिकित्साधिकारी के खिलाफ भी विभागीय कार्रवाई की संस्तुति की है। कहा कि शव के पोस्टमार्टम के दौरान डीएनए परीक्षण के लिए सैम्पल सुरक्षित नहीं किया गया।
यह डॉक्टर की लापरवाही है। घुघली थाना क्षेत्र से 21 जून 2023 को एक 13 वर्षीय किशोरी गायब हो गई थी। इस मामले में घुघली पुलिस ने गांव के ही आरोपितों के खिलाफ किशोरी के पिता की तहरीर पर बहला-फुसला कर भगाने का केस दर्ज की थी। विवेचना के दौरान ही निचलौल थाना क्षेत्र के ग्रामसभा खोन्हौली के पास नहर में अज्ञात लड़की का शव मिला। उस शव की पहचान घुघली क्षेत्र से गायब किशोरी के रूप में करते हुए पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। विवेचनात्मक कार्रवाई के दौरान विवेचक ने गवाहों व मृतका की मां के बयान के आधार पर हत्या में पिता व भाई का नाम प्रकाश में लाया। प्रकरण में हत्या का अपराध पाए जाने पर केस की विवेचना थानाध्यक्ष घुघली नीरज राय ने शुरू की। किशोरी की हत्या के आरोप में उसके पिता व भाई को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। शव को छिपाने के लिए प्रयुक्त बाइक व सफेद बोरा भी पुलिस बरामद की। पिता पुत्र हत्या के मामले में दो व चार माह जेल में रहे। दिसंबर 2024 में वह किशोरी जिंदा वापस घर लौट आई, जिसकी हत्या के आरोप में पिता-पुत्र जेल भेजे गए थे। एसपी की आख्या पर न्यायालय सेशन न्यायाधीश ने 10 जनवरी 2025 को किशोरी की हत्या में पिता-पुत्र को दोषमुक्त कर दिया। एसपी ने विवेचना में लापरवाही पर घुघली थाना के तत्कालीन थानाध्यक्ष नीरज राय व एसआई भगवान बक्श सिंह के खिलाफ दंडात्मक आदेश के तहत परिनिंदा प्रविष्टि प्रदान किया। इसके अलावा किशोरी के गायब होने के मामले में गांव के आरोपितों के खिलाफ गंभीर धाराओं में केस दर्ज किया गया। पीड़ित के अधिवक्ता सोमनाथ चौरसिया ने कहा प्रकरण में पीड़ित परिवार ने उत्तर प्रदेश मानवाधिकार आयोग में शिकायत की थी। सुनवाई के बाद आयोग ने आवेदक पिता-पुत्र को एक-एक लाख रुपया क्षतिपूर्ति देने की संस्तुति की है। आयोग ने एडीजी से पांच बिन्दुओं पर मांगी थी आख्या मृत किशोरी के जिंदा वापस लौटने के मामले में पिता-पुत्र ने उत्तर प्रदेश मानवाधिकार आयोग में शिकायत की। इस पर सुनवाई के बाद आयोग ने एडीजी गोरखपुर जोन से पांच बिन्दुओं पर आख्या मांगी। आयोग ने सुनवाई के बाद अपने आदेश में कहा कि पंचनामा रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से अंकित था कि मृतका के शव की पहचान के लिए डीएनए परीक्षण करा लिया जाए, लेकिन पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टर आदिदेव चिकित्साधिकारी गांगी बाजार प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र पनियरा ने डीएनए परीक्षण के लिए सैम्पल सुरक्षित नहीं किया। आयोग इसे लापरवाही मानते हुए डॉक्टर के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की संस्तुति की। आयोग ने शासन से आवेदक पिता-पुत्र को एक-एक लाख रुपया क्षतिपूर्ति प्रदान करने के लिए संस्तुति की। कहा कि क्षतिपूर्ति की धनराशि आरोपित पुलिस अधिकारियों व कर्मचारियों से वसूली के लिए स्वतंत्र है। इसी मामले में आयोग ने शासन को अपने स्तर से प्रथम पर्यवेक्षण अधिकारी तत्कालीन सीओ सदर अजय सिंह चौहान के विरुद्ध आवश्यक कार्रवाई सुनिश्चित करने को कहा है।
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