नवजात शिशुओं की खरीद-फरोख्त का भंडाफोड़, डॉक्टर समेत छह गिरफ्तार
Lucknow News - मड़ियांव पुलिस और डीसीपी उत्तरी की क्राइम टीम ने नवजात शिशुओं की खरीद-फरोख्त करने वाले गिरोह का भंडाफोड़ किया है। गिरोह ने अस्पतालों से ऐसे बच्चों को लिया जो रखने में असमर्थ थे और उन्हें पांच लाख में...
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नवजात शिशुओं की खरीद-फरोख्त करने वाले गिरोह का भंडाफोड़ कर मड़ियांव पुलिस और डीसीपी उत्तरी की क्राइम टीम ने एक अस्पताल के डॉक्टर समेत छह लोगों को गिरफ्तार कर लिया है। इनमें तीन महिलाएं भी हैं। गिरोह ने मड़ियांव से लेकर सीतापुर और कई अन्य जनपदों के अस्पतालों में अपना नेटवर्क फैला रखा था। यह गिरोह अस्पतालों में जन्मे ऐसे लोगों से बच्चे ले लेते थे जो किसी कारण से नहीं रखना चाहते थे। फिर गिरोह पांच लाख रुपये में लड़का और तीन लाख में लड़की बेचता था। गिरोह की निशानदेही पर दो विकासनगर में रहने वाले एक दंपति के पास से एक बच्ची भी बरामद की गई है। यह बच्ची गिरोह ने दो महीने पहले तीन लाख रुपये में बेची गई थी। अपर पुलिस उपायुक्त उत्तरी जितेंद्र कुमार दुबे के मुताबिक गिरफ्तार आरोपितों में विनोद सिंह निवासी पारा, मूल निवासी रामगढ़ के गौरा पुरवा करनैलगंज (गोंडा), भिठौली स्थित सुपर एलाएंस नर्सिंग होम का डॉक्टर एवं मैनेजर डॉ. अल्ताफ निवासी आरजूनगर मड़ियांव, सीतापुर हरगांव के शीतलापुरवा का रहने वाला नीरज गौतम, विकासनगर न्यू आनंद नगर कुर्सी रोड की रहने वाली अस्पताल सहायिका कुसुम देवी, अटरिया छावनी गलैहरा की अस्पताल की सहायिका संतोष कुमारी और महिंगवा सरावा की श्रीमती शर्मा हैं।
वायरल वीडियो से गिरोह तक पहुंची पुलिस
एसीपी अलीगंज ब्रज नारायण सिंह के मुताबिक कुछ दिन पहले एक वीडियो सोशल मीडिया पर प्रसारित हुआ था। इसमें संतोष कुमारी और नीरज गौतम के द्वारा बच्चों की तस्करी करने का जिक्र था। उसी आधार पर नीरज और संतोष को पकड़ा गया। पूछताछ में पता चला कि सीतापुर हरगांव के एक नर्सिंग होम में दो माह पहले एक बच्ची का जन्म हुआ था। उसकी मां कुछ मजबूरी के कारण बच्ची को रखना नहीं चाहती थी। उधर, गिरोह में शामिल कुसुम देवी ने विकानगर में रहने वाले एक दंपति को तलाशा था। शादी के नौ साल बाद भी उन्हें कोई संतान नहीं हुई थी। तीन लाख रुपये में सौदा तय हुआ। नीरज बच्चा लेकर सीतापुर से आया और दंपति को दे दिया। प्राथमिक जांच में एक ही बच्चा बरामद हुआ है। पूछताछ में गिरोह के कई अन्य सदस्यों के बारे में जानकारी मिली है। उनकी तलाश की जा रही है। अगर अन्य बच्चों की बिक्री भी बात सामने आती है तो उसके आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।
अस्पतालों और नर्सिंग होम में फैला रखा था नेटवर्क
इंस्पेक्टर शिवानंद मिश्रा ने बताया कि गिरोह का सरगना विनोद सिंह है। इसकी बीके सिंह के नाम से कंसल्टेंसी है। उसके माध्यम से वह अस्पतालों में आया और अन्य स्टाफ की सप्लाई करता है। सप्लाई स्टाफ के माध्यम से ही अस्पतालों में नेटवर्क फैला रखा है। ये लोग अस्पतालों में रहने वाले स्टाफ की मदद से दो तरह के लोगों की तलाश करते थे। एक वे जो बच्चा नहीं रखना चाहते थे। दूसरे वे जो जरूरतमंद होते थे। इन लोगों से संपर्क करके एक से बच्चा लेते और दूसरे को बेचते थे।
वजन और रंग के हिसाब से बढ़ाते थे बच्चे का रेट
गिरोह के लोग बच्चे के वजन और रंग के हिसाब से रेट तय करते थे। गोरे और ढाई से तीन किलो वजन के बच्चों का मूल्य पांच अथवा तीन लाख से ज्यादा में भी तय करते थे। गिरोह के लोग रुपये नकद लेते थे। इसके बाद आपस में बांट लेते थे।
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