देश को चाणक्य जैसे गुरु की जरूरत:कुलपति
Lucknow News - कालीचरण में भारतीय ज्ञान परंपरा: विविध आयाम पर एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन, प्रोफेसर पांडेय ने कहा- ऐसे गुरुओं से ही होगा शिक्षा, संस्कृति

कालीचरण पीजी कॉलेज में शुक्रवार को भारतीय ज्ञान परंपरा: विविध आयाम पर एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन हुआ। इसमें भारतीय शिक्षा व्यवस्था पर चिन्तन किया गया। वाह्य आक्रांताओं मुगलों, अंग्रेजों विशेषकर मैकाले ने जिस ज्ञान परम्परा को नष्ट किया उसे पुनःस्थापित करने वाले पहलुओं पर विचार हुआ। मुख्य अतिथि एकेटीयू कुलपति प्रोफेसर जेपी पांडेय ने कहा कि भारतीय ज्ञान परम्परा गुरु केंद्रित रही, लेकिन किन्ही कारणों से बीच में इस परम्परा से हम भटक गए। आज भी देश को चाणक्य जैसे गुरुओं की आवश्यकता है। जो देश को नैराश्य के वातावरण से निकाल कर शिक्षा, संस्कृति और मानवता का विकास कर सकें। जिससे एक ऐसे धर्म आधारित समाज का निर्माण हो, जिसमें राजधर्म, राष्ट्रधर्म, गुरु धर्म, पिता का धर्म आदि का पालन करने वाले नागरिकों की संकल्पना साकार की जा सके।
मुख्य वक्ता कुरूक्षेत्र विवि के पूर्व डीन प्रो. आरपी मिश्र ने कहा कि भारतीय शिक्षा प्रकृति के साथ समन्वय पर आधारित थी और संवेदना के विकास पर अधिक जोर दिया जाता था। लेकिन वर्तमान शिक्षा प्रणाली में विद्यार्थी संवेदनहीन बनाए जा रहे हैं। प्राचार्य प्रो. चन्द्र मोहन उपाध्याय ने कहा कि शोध की प्रक्रिया से गुजरते हुए हमें स्वयं को विश्वपटल पर स्थापित करना होगा। तभी हम वास्तविक विकास कर पाएंगे। प्रबंधक इं. वीके मिश्र ने कहा कि भारत खगोल, वास्तु, ज्योतिष, गणित आदि क्षेत्रों में विश्व का मार्गदर्शक रहा है। हमें अपनी गौरवशाली परम्परा से जुड़कर एक ऐसे राष्ट्र का निर्माण करना है। जो पुनः विश्व का नेतृत्व कर सके। सीएसएन पीजी कॉलेज हरदोई के प्राचार्य प्रो. कौशलेन्द्र सिंह, कालीचरण इंटर के प्राचार्य अनिल मिश्रा, प्रो. वीएन मिश्रा, डॉ. अल्का द्विवेदी, प्रो. कल्याणी द्विवेदी, डॉ. मनीषा सिंह समेत कई कॉलेजों के शिक्षक उपस्थित रहे।
भारत का चिंतन वसुधैव कुटुम्बकम्: प्रो. सतीश चंद्र
समापन सत्र में मुख्य अतिथि पूर्व मंत्री प्रो. सतीश चंद्र द्विवेदी ने यूरोपीय देशों की पेटेंट वाली मानसिकता पर कहा कि भारत का चिंतन वसुधैव कुटुम्बकम् का है। हमारा ज्ञान सभी के लिए जड़ से जग को जोड़ने वाला है। विशिष्ट अतिथि प्रबन्ध समिति के सदस्य अमित टंडन ने कहा कि इस तरह के आयोजन युवा पीढ़ी का मार्गदर्शन करते हैं।
देश को आगे ले जाने के लिए नैतिक अर्थशास्त्र को केंद्र में रखें
पैनल डिस्कशन में नवयुग महाविद्यालय की प्राचार्या प्रो. मंजुला उपाध्याय ने कहा कि भारतीय शिक्षा मूल्यों पर आधारित थी। हमें अपने देश को आगे ले जाने के लिए नैतिक अर्थशास्त्र को केंद्र में रखकर विचार करना होगा। लुआक्टा के अध्यक्ष प्रो. मनोज कुमार पांडेय ने कहा कि हमें भारतीय ज्ञान परम्परा के उस पहलू को जानना होगा, जिसमें लघु और कुटीर उद्योग अर्थव्यवस्था का आधार होते थे। इस दौरान अवध गर्ल्स की प्राचार्या प्रो. बीना राय, कृष्णा देवी कॉलेज की प्राचार्या प्रो. सारिका दुबे, एपी सेन की प्राचार्या प्रो. रचना श्रीवास्तव, प्रो. अनिल कुमार सिंह ने भी अपने विचार रखे। पैनल डिस्कशन सत्र का संचालन राजनीतिशास्त्र विभाग के सहायक आचार्य डीसीडीआर पांडेय ने किया।
15 राज्यों से 190 शोध पत्र प्रस्तुत हुए
संगोष्ठी में तीन तकनीकी सत्रों का भी संचालन हुआ। संगोष्ठी के सह-संयोजक डॉ. मुकेश कुमार मिश्र ने रिपोर्ट प्रस्तुत की। बताया कि संगोष्ठी में देश के 15 राज्यों से लगभग 340 प्रतिभागियों ने ऑनलाइन या ऑफलाइन सहभागिता की और 190 शोधपत्रों का वाचन किया गया। श्याम सुन्दर दास सभागार में तकनीकी सत्र का संचालन प्राचीन भारतीय इतिहास की अध्यक्षता प्रो. अर्चना मिश्रा ने की। आईसीटी कॉमर्स विभाग में तकनीकी सत्र का संचालन समाजशास्त्र विभाग की अध्यक्षता प्रो. मीना कुमारी ने की। इन सत्रों में शोधार्थियों ने अपने शोधपत्रों का वाचन किया और श्रोताओं की जिज्ञासाओं को उचित समाधान प्रस्तुत किया।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।