होम्योपैथिक छात्रों ने कामकाज ठप कर की नारेबाजी, मरीज बिना इलाज लौटे
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- लंबे समय से होम्योपैथिक के एमडी छात्रों नहीं मिला स्टाइपेंड - छात्रों का आरोप मुख्यमंत्री आईजीआरएस पर भी अफसर दे रहे गलत सूचना
लखनऊ, संवाददाता।
राजकीय नेशनल होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के पीजी छात्रों ने सोमवार को कामकाज ठप कर प्रदर्शन किया। परिसर में नारेबाजी करते हुए विभाग के अफसरों की कार्यशैली पर सवाल उठाए। छात्र लंबे समय से स्टाइपेंड न मिलने से आक्रोशित हैं। कामकाज प्रभावित होने से पांच सौ से अधिक मरीजों को बिना इलाज के ही लौटना पड़ा। होम्योपैथिक के निदेशक का दावा है कि दो दिन में छात्रों को स्टाइपेंड मिल जाएगा।
होम्योपैथिक कॉलेज के अलग-अलग बैच के पीजी छात्रों को छह साल से स्टाइपेंड या वेतन नहीं मिला है। लंबे समय से यह पीजी छात्र मुख्यमंत्री आईजीआरएस पोर्टल, आयुष महानिदेशक, निदेशक समेत अन्य अफसरों से पत्राचार कर रहे हैं, लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है। छात्रों का आरोप है कि विभाग की ओर से शासन को भी गलत जानकारी दे दी गई। आक्रोशित छात्रों ने गोमती नगर हैनीमैन चौराहा स्थित राजकीय नेशनल होम्योपैथिक कॉलेज परिसर में सोमवार को सुबह से ही कामकाज ठप कर प्रदर्शन शुरू कर दिया। विभाग के अफसरों के खिलाफ नारेबाजी की। स्टाइपेंड हमारा अधिकार... आदि स्लोगन लिखे पोस्टर हाथ में लेकर प्रदर्शन किया। इस बीच ओपीडी में आने वाले मरीजों को इलाज नहीं मिल सका। मरीजों को बिना इलाज के ही लौटना पड़ा।
छात्रों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि बैच 2018 व 2019 के छात्र-छात्राओं का आठ माह का स्टाइपेंड बकाया है। ऐसे ही बैच 2021 का 10 माह, बैच 2022 का नौ और बैच 2023 का छह माह का स्टाइपेंड का भुगतान अभी तक नहीं हो सकता है। छात्र-छात्राओं को समय से स्टाइपेंड नहीं मिलने से पढ़ाई, शोध, जरूरी सामग्री की खरीद, आवास किराया आदि का भुगतान करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
शासन की ओर से दीपावली पर निर्देश भी जारी हुए थे कि जल्द ही कर्मचारियों का वेतन या स्टाइपेंड आदि का भुगतान कर दिया जाए। छात्र लंबे समय से आयुष महानिदेशक, होम्योपैथी निदेशक, कॉलेज के प्राचार्य से स्टाइपेंड बकाया होने की शिकायत कर चुके हैं। छात्रों ने कहा कि उन्हें बताया जाता है कि बजट नहीं है, जबकि वह लोग अस्पताल में रोजाना मरीजों को इलाज देने का काम भी करते हैं। शासन प्रशासन की ओर से लगाए जाने वाले स्वास्थ्य शिविरों में भी ड्यूटी करते हैं। इसके बाद भी उन लोगों का स्टाइपेंड वर्ष 2018 से बकाया है। पूरा बकाया स्टाइपेंड दिया जाए।
वर्जन
शासन स्तर से मामला लटका था। काफी क्वेरी थी। अब समय दूर हो गईं हैं। बजट मिल गया है। एक दो दिन में स्टाइपेंड छात्रों को मिल जाएगा।
डॉ. अरविंद वर्मा, निदेशक होम्योपैथिक
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