प्रशासन ने अंसल को 2.09 अरब जमा कराने को भेजी थी नोटिस, फिर साध ली चुप्पी
Lucknow News - अंसल एपीआई बिल्डर की सुशांत गोल्फ सिटी में कई स्तर पर लापरवाही के कारण सरकारी जमीनों की बिक्री हुई। अधिकारियों की मिलीभगत से बिल्डर ने बिना मुआवजे के सरकारी जमीनें बेचीं। अब जांच में अधिकारियों की...

अंसल एपीआई बिल्डर की हाईटेक टाउनशिप सुशांत गोल्फ सिटी में कई स्तर पर लापरवाही हुई हैं। कहीं न कहीं अफसरों ने बिल्डर की मदद की। जिसकी वजह से वह इतने बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी करने में कामयाब हुआ। उसने सरकारी जमीनें बेच डाली। उसका पैसा तक नहीं चुकाया। अब जांच शुरू हुई है तो पर्त दर पर्त अफसरों की लापरवाही उजागर होने लगी है। बिल्डर ने अपनी सुशांत गोल्फ सिटी में बड़े पैमाने पर सरकारी जमीनें बेची हैं। बिल्डर को इन जमीनों का मुआवजा जिला प्रशासन के पास जमा करना था। जिला प्रशासन को सरकारी ग्राम समाज की जमीन का पुर्नअधिग्रहण कर हाईटेक टाउनशिप के लिए देना था। बिना प्रशासन के पास पैसा जमा हुए बिल्डर इस जमीन पर कब्जा नहीं कर सकता था। न बेच सकता था। लेकिन अधिकारियों की मिली भगत से बिल्डर ने सारी जमीनें बेच डाली। जिला प्रशासन के तत्कालीन अधिकारी आंखें बंद किए रहे। बिल्डर एक के बाद एक ग्राम समाज की जमीन बेचकर उसका बैनामा दूसरे लोगों के नाम करा रहा था। लेकिन अधिकारियों ने कोई ध्यान नहीं दिया। निबंधन के जिम्मेदार प्रशासन के अधिकारी चाहते तो ग्राम समाज की जमीनों की रजिस्ट्री और बिक्री रुकवा सकते थे। लेकिन तत्कालीन अधिकारी इसमें संलिप्त थे। इसी वजह से उन्होंने सरकारी जमीनों की बिक्री नहीं रुकवाई। अंसल बिल्डर को ग्राम समाज की सरकारी जमीनों को बेचने की छूट दे डाली।
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2023 में मुआवजा वसूलने का प्लान तैयार हुआ था
अब जांच में पता चला है कि वर्ष 2023 में ही बिल्डर से पूरी जमीन का मुआवजा वसूलने का प्लान तैयार हुआ था। मामले में तत्कालीन एडीएम भूमि अधिग्रहण का एक पत्र जांच में सामने आया है। जिसमें उन्होंने एलडीए को एक पत्र लिखा था। नोटिस दी थी। उसमें बिल्डर की ओर से उन सरकारी भूमि के पैसे जमा करने को कहा गया था जो उसकी हाईटेक टाउनशिप में आ रही थी। पत्र से खुलासा हुआ है कि 10 जुलाई 2023 तक ब्याज सहित बिल्डर की ओर से बेची गई सरकारी जमीन की गणना कराई गई थी। इसमें बिल्डर को 209 करोड़ 47 लाख 23 हजार 576 जिला प्रशासन को देना था। अपर जिलाधिकारी ने 2 अगस्त 2023 को यह पत्र लखनऊ विकास प्राधिकरण को भेजा था। एलडीए से कहा था कि वह रकम जिला प्रशासन को उपलब्ध कराए। एलडीए ने इसको लेकर बिल्डर को कई बार नोटिस भी दी। पत्र भेजा। लेकिन उसने पैसा नहीं जमा किया। अब इसके लिए दोनों विभाग एक दूसरे को जिम्मेदार ठहराने पर लगे हैं। लेकिन असल जिम्मेदारी जिला प्रशासन के तत्कालीन अधिकारियों की थी। क्योंकि उन्होंने बिल्डर को जमीन पर प्लाटिंग करने की छूट दे रखी थी। उसे जमीन बेचने की छूट दे रखी थी। खुद यहीं के अधिकारियों की शह पर बिल्डर सरकारी जमीन का बैनामा अपने व अपने ग्राहकों के नाम करा रहा था। एलडीए की ओर से कराई जा रही फॉरेंसिक ऑडिट में सारी चीज सामने आएंगी। हालांकि लखनऊ विकास प्राधिकरण ने फॉरेंसिक ऑडिट के लिए विधिक राय मांगी है। क्योंकि एनसीएलटी में मामला होने की वजह से कोई दिक्कत न आए इसी वजह से विधिक राय ली जा रही है।
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अहमामऊ, देवामऊ तथा हसनपुर खेवली की भूमि का अभिनिर्णय ही नहीं घोषित हुआ
अपर जिला अधिकारी के पत्र से खुलासा हुआ है कि हाईटेक टाउनशिप योजना के विकास हेतु ग्राम अहमामऊ की भी 2.6162 हेक्टर, देवामऊ की 0.5334 तथा हसनपुर खेवली की 7. 0117 हेक्टेयर भूमि ली जानी थी। लेकिन इसका अभिनिर्णय ही नहीं घोषित हुआ। अपर जिलाधिकारी ने लिखा है कि भूमि अर्जन पुनर्वासन और पुर्नव्यवस्थापन में उचित प्रतिकार और पारदर्शिता का अधिकार अधिनियम 2013 की धारा 26 के तहत बाजार मूल्य के निर्धारण हेतु की गई व्यवस्था के अनुसार अर्जन निकाय को धनराशि उपलब्ध कराई जानी थी। जो नहीं उपलब्ध कराई गई। जिसकी वजह से इन जमीनों का अभिनिर्णय भी नहीं घोषित किया गया।
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