डीआईओएस के खिलाफ जांच कर 5 अप्रैल को सदन को रिपोर्ट देगा शासन
Lucknow News - लखनऊ, प्रमुख संवाददाता। माध्यमिक शिक्षा निदेशक एवं रायबरेली के डीआईओएस मंगलवार को फिर से विधान

लखनऊ, प्रमुख संवाददाता माध्यमिक शिक्षा निदेशक एवं रायबरेली के डीआईओएस मंगलवार को फिर से विधान परिषद के सभापति के समक्ष पेश हुए। बीते 25 फरवरी को समुचित जवाब नहीं मिलने पर सभापति ने मंगलवार चार मार्च का दिन फिर से मुकर्रर किया था। दोनों अफसर नियत समय चार बजे सभापति के कक्ष में उपस्थित हुए।
दोनों अधिकारियों का पक्ष सुनने के बाद सभापति ने शासन से आए विशेष सचिव कृष्ण कुमार गुप्ता को निर्देश दिया कि वे डीआईओएस द्वारा वसी नकवी नेशनल इंटर कालेज के कार्यकारी प्रधानाध्यापक प्रदीप कुमार का 21 माह का वेतन रोके जाने की जांच कर उसकी रिपोर्ट से 5 अप्रैल को सदन को अवगत कराएं। साथ ही सभापति ने निर्देश दिया कि सदन को गलत सूचना दिए जाने एवं सूचनाएं देने में विलम्ब किए जाने की जानकारी का उल्लेख करते हुए उनकी ओर से शासन को पत्र भेजा जाए। साथ ही वेतन के भुगतान में जो दिक्कतें आ रही हैं, उसे शासन को दूर करने के निर्देश दिए भी गए।
सभापति कुंवर मानवेन्द्र सिह ने माध्यमिक शिक्षा निदेशक एवं रायबरेली के डीआईओएस को चार मार्च को दोपहर चार बजे माध्यमिक शिक्षा विभाग के सचिव अथवा विशेष सचिव के साथ सभापति के कक्ष में उपस्थित होने को कहा था। रायबरेली के वसी नकवी नेशनल इंटर कालेज में 30 सितम्बर 1992 को प्रवक्ता (संस्कृत) के पद पर नियुक्त प्रदीप कुमार को 21 मई 2022 को निलम्बित कर दिया गया था। रायबरेली के जिला विद्यालय निरीक्षक (डीआओएस) द्वारा निलम्बन का पहले अनुमोदन कर दिया गया और फिर बाद में अनुमोदन को वापस ले लिया गया।
इस दौरान 21 माह से प्रदीप कुमार को वेतन का भुगतान तक नहीं किया जा रहा है। 6 फरवरी 2024 को सदन में जब इस मामले को उठाया गया तब माध्यमिक शिक्षा राज्यमंत्री द्वारा यह कहा गया कि फर्जी शैक्षिक प्रमाण पत्रों के आधार पर कुटरचित तरीके से नौकरी प्राप्त की गई थी। प्रदीप कुमार को वेतन की कौन कहे उनसे रिकवरी करने के निर्देश जारी करने वाले हैं। दो सालों में सदन में चार बार उठ चुके इस प्रकरण को 25 फरवरी को शिक्षक दल के ध्रुव कुमार त्रिपाठी ने एक बार फिर से उठाया था।
उन्होंने कहा था कि यह न सिर्फ सदन में असत्य एवं त्रुटिपूर्ण सूचना दिए जाने के कारण नियम का उल्लंघन है, बल्कि सदन की प्रक्रिया एवं कार्य संचालन नियमावली के नियम 39 (क) के तहत औचित्य का प्रश्न भी बनता है। श्री त्रिपाठी ने कहा कि गौर करने वाली बात यह है कि अब तक न तो किसी बोर्ड ने और न ही किसी विश्वविद्यालय ने उनके शैक्षिक प्रमाण पत्रों की जांच की गई है और न ही प्रदीप कुमार को अपने शैक्षिक प्रमाण पत्रों की सत्यता के लिए विभागीय अथवा उत्तरदायी अधिकारियों की ओर से कोई नोटिस ही दी गई है।
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