बोले कानपुर : ब्लड बैंकों से वीआईपी कल्चर खत्म हो
Kanpur News - रक्तदाता महादानी होते हैं, जो जरूरतमंदों को नया जीवन देने में मदद करते हैं। शहर में कई संस्थाएं रक्तदान के लिए सक्रिय हैं, लेकिन भ्रांतियां रक्तदान में बाधा बन रही हैं। रक्तदाता और संस्थाएं सरकारी...
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रक्तदाता कलियुग के महादानी हैं वे जरूरतमंद को खून देकर नया जीवन दे रहे हैं। समय के साथ शहर में रक्तदान करने वालों की संख्या भी बढ़ रही है। आज शहर में एक दर्जन से अधिक संस्थाएं रक्तदान को लेकर कार्य कर रही हैं। हालांकि, लोगों के मन में व्याप्त भ्रांतियां रक्तदान में बाधक बन रही हैं, इसलिए जरूरत पड़ने पर लोगों को खून के लिए भटकना पड़ता है। आपके अपने अखबार ‘हिन्दुस्तान से महादानियों ने इससे जुड़ी समस्याओं को साझा किया। शहर में खून की जरूरतों को पूरा करने के लिए 10 ब्लड बैंक हैं। दो दर्जन से अधिक समितियां हैं, जो रक्तदान शिविर का आयोजन करती रहतीं हैं। हालांकि, इनमें 4-6 समितियां ही नियमित सक्रिय रहती हैं। रक्तदान के सरकारी शिविरों की बात करें तो आयोजन यदा-कदा ही होते हैं। ब्लड डोनर मनोज गुप्ता कहते हैं कि रक्तदान करने के बाद खुशी मिलती है, लेकिन सरकारी सहयोग न के बराबर होने से संस्थाओं को परेशानी होती है। रक्तदाता कुलदीप कहते हैं कि ब्लड बैंकों में खून की कमी की वजह वीआईपी कल्चर है। रक्तदान किए बगैर लोग ब्लड बैंक से खून ले लेते हैं। अगर रक्तदान नहीं किया जाएगा तो खून की कमी कैसे दूर होगी। इसके लिए समाज को जागरूक होने की जरूरत है। रक्तदान महादान है, सभी सक्षम व्यक्तियों को इस अभियान में शामिल होना चाहिए। आपका खून जरूरतमंद की जान बचा सकता है। रक्तदान कर आप एक परिवार की खुशियों को भी बढ़ाते हैं।
रक्तदाताओं का बने नेशनल कार्ड : रक्तदान कराने वाली समितियों के सदस्यों का कहना है कि रक्तदाताओं का सम्मान राष्ट्रीय स्तर पर होना चाहिए, क्योंकि अक्सर रक्तदाताओं को ही जरूरत पड़ने पर खून नहीं मिल पाता। यदि ब्लड डोनर्स का नेशनल कार्ड बन जाए तो देशभर में ब्लड के लिए सहूलियत मिल सकेगी। कार्ड में रक्तदान करने और खून लेने की सभी सूचनाएं फीड हों। इस प्रकार की व्यवस्था से रक्तदान करने वालों की संख्या में इजाफा होगा।
शिविर में महिला रक्तदाता निकलतीं है एनिमिक : शहरी क्षेत्र में रक्तदान करने में पुरुषों के साथ महिलाएं भी आगे रहती हैं। औसतन 10 में 4 महिलाएं रक्तदान नहीं कर पाती हैं क्योंकि इन महिलाओं में खून की कमी उजागर होती है। लिहाजा, उन्हें खून देने से मना कर दिया जाता है। रक्तदान करने के उत्साह से महिलाओं को यह पता चल जाता है कि वह स्वस्थ हैं।
रक्तदान कर पा गए जीवन : रक्तदाता शिविर का आयोजन करने वालों ने बताया कि रक्तदान करने वालों के खून की जांच की जाती है। यदि किसी रक्तदाता को कोई बीमारी होने का पता चलता है, तो उसे सूचित किया जाता है। कई रक्तदाताओं को रक्तदान के बहाने नया जीवन मिल गया। क्योंकि उन्हें समय रहते जानलेवा बीमारी का पता चल गया। इलाज कराकर वह स्वस्थ जीवन जी रहे हैं।
ब्लड बैंक खून ट्रांसफर के नियम का दुरुपयोग : रक्तदानियों ने बताया कि ब्लड बैंक में खून एक्सपायर हो जाते हैं। कोरोना काल में सरकार ने खून के ट्रांसफर का नियम बना दिया था। इस नियम का दुरुपयोग किया जा रहा है। इस नियम में बदलाव किए जाने की आवश्यकता है। कई बार देखने में आता है कि बड़ी संख्या में रक्तदान हुआ पर ब्लड बैंक में बैग की संख्या कम हो जाती है।
ब्लड बैंकों के लिए बने पोर्टल : ब्लड बैंकों में किस ग्रुप का कितने यूनिट ब्लड आया। कितने यूनिट ब्लड गया। इसकी सही जानकारी ऑनलाइन होनी चाहिए। इसके लिए ब्लड बैंक का पोर्टल होना चाहिए, जिसमें सभी प्रकार की सूचनाएं ऑटोमेटिक अपडेट होतीं रहें। इससे खून की दलाली करने वालों पर रोक लग सकेगी।
रेयर ग्रुप वाला खून नहीं मिलता : रक्तदाताओं ने बताया कि ए पॉजिटिव, एबी पॉजिटिव, ए निगेटिव, बी निगेटिव, ओ निगेटिव और एबी निगेटिव रेयर ग्रुप के खून हैं। रक्तदाता शिविरों के जरिए रेयर ग्रुप के खून इकट्ठा करके ब्लड बैंकों को देते हैं, लेकिन जब ब्लड बैंक से शिविर संचालित करने वाली संस्था या रक्तदाता रेयर ग्रुप के खून की मांग करते हैं, तो उन्हें खून उपलब्ध न होने का हवाला दिया जाता है, जबकि शिविरों से भरपूर मात्रा में रक्त एकत्र होता है। इस व्यवस्था में सुधार की जरूरत है।
सुझाव
1.रक्तदाताओं को सरकारी कार्यक्रमों में सम्मान मिलना चाहिए। इससे रक्तदान को लेकर लोगों में उत्साह बढ़ेगा
2.ब्लड बैंक से ब्लड बिक्री का नियम बनाया जाना चाहिए। रक्तदान की अनिवार्यता भी रहनी चाहिए।
3.रक्तदाताओं को देशभर में रक्त उपलब्ध होने की सुविधा मुहैया कराई जानी चाहिए। इसके लिए विशेष कार्ड देना चाहिए।
4.रक्तदान कराने वाली समितियों को शिविर लगाने के लिए सरकारी तौर पर आर्थिक मदद का प्रावधान किया जाना चाहिए।
5.रेग्युलर ब्लड डोनेट करने वालों का एक क्लब बनना चाहिए, इस क्लब का सदस्य बनने के लिए लोगों में उत्साह बढ़ेगा।
समस्याएं
1.रक्तदान को लेकर जागरूकता कार्यक्रम सरकारी स्तर पर आयोजित नहीं किए जाते हैं, जिससे लोगों में जागरूकता का अभाव है।
2.निजी ब्लड बैंक वाले कुछ अस्पतालों में दूसरे ब्लड बैंक का खून नहीं चढ़ाया जाता है, इससे मरीजों और तीमारदारों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
3.रेयर ग्रुप के खून ब्लड बैंक में जमा करने के बावजूद रक्तदाता समितियों को ही नहीं मिल पाते हैं, इससे रक्तदाता परेशान होते हैं।
4.सिफारिश पर बिना रक्तदान के खून ब्लड बैंक से दे दिया जाता है। इस व्यवस्था को खत्म किया जाना चाहिए।
5.अस्पतालों के बाहर खून दिलाने वाले दलाल सक्रिय रहते हैं। तीमारदारों को चपत लगाते हैं। इन पर कार्रवाई की जानी चाहिए।
बोले रक्तदाता
पांच बार रक्तदान कर चुकी हूं। हर बार पति संग रक्तदान करती हूं। मुझे रक्तदान करने से खुशी होती है। अलीशा गुप्ता
पहली बार रक्तदान किया तो मन में डर था पर रक्तदान करने के बाद भ्रम दूर हो गया। अंतरात्मा बहुत खुश है। उदित
12 बार रक्तदान कर चुका हूं। दूसरों को भी रक्तदान करने के लिए प्रोत्साहित करता रहता हूं। डॉ. रवि गुप्ता
मैं अपने जन्मदिन पर रक्तदान करता हूं। 12 बार रक्तदान कर चुका हूं। रक्तदान पुण्य का काम है। आदर्श सचान
14वीं बार रक्तदान कर चुका हूं। जब जरूरतमंद को खून की जरूरत होती तो रक्तदान करता हूं। आयुष श्रीवास्तव
13 बार रक्तदान कर चुका हूं। मेरे परिजन भी रक्तदान करते रहते हैं। रक्तदान से खुशी मिलती है। आयुष सिंह
मैं और मेरे परिवार के अन्य सदस्य रक्तदान करते हैं। परिवार से ही मुझे रक्तदान की सीख मिली। नेहा गुप्ता
ब्लड देने जाती रहती हूं। कई बार रक्तदान कर चुकी हूं। मुझे रक्तदान करने से प्रसन्नता मिलती है। कावेरी
साल में दो बार स्वेच्छा से रक्तदान करती हूं। मुझे रक्तदान करने से कमजोरी महसूस नहीं हुई। रक्षा गुप्ता
पति के साथ में रक्तदान करने जाती हूं। रक्तदान करने से मुझे मेरा स्वास्थ्य अच्छा महसूस होता है। बीना
बोले जिम्मेदार
रक्तदान को लेकर सरकार और स्वास्थ्य विभाग सजग है। हमारा प्रयास लोगों को रक्तदान के प्रति जागरूक करना भी है। इसके लिए लगातार कार्य किया जा रहा है। अगर किसी को रक्तदान को लेकर कोई सुझाव या शिकायत है तो वह सीधे मुझसे मिल सकता है। सभी का सहयोग बेहद जरूरी है।
डॉ हरिदत्त नेमी, सीएमओ
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