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डंडे के सहारे सुरक्षा का रहता भार महीनों तक मानदेय का इंतजार

Kannauj News - कन्नौज में 281 पीआरडी जवानों को रोजगार के बावजूद पर्याप्त सुविधाएं नहीं मिल रही हैं। 395 रुपये का मानदेय, स्वास्थ्य सेवाओं की कमी और छुट्टी न मिलना उनकी मुख्य समस्याएं हैं। जवान अपनी ड्यूटी निभाने में...

Newswrap हिन्दुस्तान, कन्नौजMon, 17 Feb 2025 01:04 AM
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डंडे के सहारे सुरक्षा का रहता भार महीनों तक मानदेय का इंतजार

कन्नौज। पीआरडी यानी प्रांतीय रक्षक दल । कन्नौज में 281 पीआरडी जवान हैं। इनमें 18 महिलाएं भी हैं। मुख्यमंत्री के तीन सौ दिन के रोजगार की घोषणा के बावजूद इन पीआरडी जवानों को पर्याप्त रोजगार नहीं मिल पा रहा है। सेवा शर्तों में अनिश्चितता, स्वास्थ्य सेवाओं की कमी, वेतन और भत्ते की कमी, सरकारी आवास और अवकाश न मिलने का दर्द भी उन्हें है। इसके बावजूद वे सालों से सिर्फ इसी आस में अपनी ड्यूटी शिद्दत से निभा रहे हैं कि शायद उन्हें भी होमगार्ड जवान और पुलिस कर्मियों की तरह जल्द सारी सुविधाएं मिलने लगेंगीं। कई दुश्वारियों के बीच कन्नौज में पीआरडी जवान अपनी ड्यूटी निभा रहे हैं। इसके बाद भी उन्हें जो सुविधाएं मिलनी चाहिए वे नहीं मिल रही हैं। कार्यभार की अधिकता, स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी, आवास और भोजन की समस्या और वेतन और भत्ते की कमी जैसी कई समस्याओं के कारण पीआरडी परेशान हैं। उन्हें अपने काम और जीवन में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। पीआरडी जवानों से उनकी समस्याओं पर आपके अपने अखबार ‘हिन्दुस्तान ने चर्चा की तो उनका दर्द छलक पड़ा। पीआरडी के मानसिंह ने कहा डंडे के सहारे सुरक्षा का रहता भार, महीनों तक मानदेय का इंतजार रहता। बावजूद इसके वेतन, छुट्टी, थाने में ठहरने की जगह हर मामले में हमारे साथ सौतेला व्यवहार होता है। रात में ठहरने के लिए आवास तक नहीं मिलता है।

कन्नौज में मौजूदा समय में 281 पीआरडी जवान हैं। पीआरडी के अनुज कुमार ने बताया कि वे तन पर खाकी वर्दी पहने कभी यातायात तो कभी अफसरों की सुरक्षा ड्यूटी में तैनात रहते हैं। हमें अन्य कर्मियों के बराबर न मानदेय मिलता है और न ही कोई अन्य सुविधाएं। बावजूद इसके भविष्य में बेहतरी की आस लेकर अपनी ड्यूटी निभाने में पूरी शिद्दत के साथ जुटे रहते हैं। इसके बावजूद समय पर छुट्टी न मिलने और मानदेय कम होने के साथ अफसरों की अनदेखी सबसे अधिक टीस देती है। पीआरडी यानी प्रांतीय रक्षक दल खाकी वर्दी में तैनात रहने वाले होमगार्ड की तरह दिखने वाले इन जवानों को शहर से लेकर कस्बों और थानों में तैनात किया जाता है। थानों में पहरे के साथ ही मुल्जिमों को मेडिकल के लिए लाने ले जाने में भी इनका सहयोग लिया जाता है। इतना ही नहीं शहर की यातायात व्यवस्था को बनाए रखने में भी यह जवान लगातार अपनी भूमिका निभाते हैं। पीआरडी के छंगेलाल ने अपनी पीड़ा बयां करते हुए बताया कि एक दिन की ड्यूटी के बदले इन्हें 395 रुपये मानदेय के तौर पर मिलते हैं। जो इतनी महंगाई में नाकाफी हैं। किसी तरह से बस घर चला रहे हैं। कई बार लोगों से उधार लेना पड़ जाता है।

शिकायतें

1. पीआरडी जवानों को महंगाई के दौर में 395 रुपये का मानदेय मिलता है जो नाकाफी है ।

2. होमगार्ड के बराबर पीआरडी जवानों को ड्यूटी देनी पड़ती बावजूइ इसके मानदेय और सुविधाएं कम मिलती हैं।

3. पीआरडी जवानों को वर्दी और जूतों के साथ ही सर्दी के मौसम के अनुकूल कपड़े नहीं मिलते। अपने रुपये से खरीदने पड़ते हैं।

4. ड्यूटी के दौरान कई बार लोग पीआरडी जवानों के साथ अभद्रता और बदसलूकी करते हैं। लेकिन अधिकारी इस पर ध्यान नहीं देते हैं।

5. ड्यूटी के दौरान सुविधाएं न के बराबर हैं। हादसा होने पर कोई अफसर देखने तक नहीं पहुंचता है।

6. परिवार का कोई बीमार पड़ जाता है तो उनके इलाज कराने के लिए छुट्टी नहीं मिलती।

सुझाव

1. पीआरडी जवानों को मिलनी चाहिए होमगार्ड के बराबर सुविधाएं और मानदेय।

2. साल में कम से कम एक बार वर्दी और जूते के साथ जैकेट मिलनी चाहिए।

3. पीआरडी जवानों के साथ बदसलूकी करने वालों पर कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए। अधिकारियों को पीड़ा सुनकर समाधान करना चाहिए।

4. ड्यूटी के दौरान हादसा होने पर जवानों को आर्थिक सहायता मिले साथ ही अफसर अनदेखा करना बंद करें। जिससे परिवार को पालन पोषण ठीक से हो जाए।

5. आपात कालीन जरूरत के समय छुट्टी मिलने की व्यवस्था की जाए और मानदेय न काटा जाए ।

6.ड्यूटी के दौरान कहीं आराम करने के लिए कोई बैरक नहीं बना है। इसकी व्यवस्था करनी चाहिए।

बोले जवान

हम लोग होमगार्ड के बराबर ड्यूटी करते हैं। बावजूद इसके हम लोगों को न उनके बराबर सुविधाएं मिलती हैं और न ही मानदेय मिलता है। -छंगेलाल

सर्दी हो या गर्मी हम लोग बिना सुविधाओं के ही काम करते हैं। हमारे अफसर हमारा कभी हाल तक पूछने नहीं आते हैं। -बलराम

हमें आपात कालीन समय में भी छुट्टी नहीं मिलती है। इलाज कराने के लिए भी समय नहीं मिलता है। -अनुज कुमार

बोले जिम्मेदार

जिला युवा कल्याण अधिकारी संतोष कुमार चौधरी ने बताया कि पीआरडी जवानों की ड्यूटी जिला स्तर से नहीं बल्कि पोर्टल से लगाई जाती है। कोशिश रहती है कि इनका मानदेय 10 तारीख तक हर हाल में दे दिया जाए। जहां तक बात अनदेखी करने की है तो यह गलत है। बीते साल जिस जवान की मृत्यु हुई थी उस समय मैं बाहर था। बावजूद इसके अन्य अफसर पहुंचे थे। जहां तक बात जवानों की समस्याओं की है उनको निस्तारित करने का प्रयास किया जाएगा। -

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