हजारों टन अनाज सड़ने से बचाइए
Kannauj News - कन्नौज की मंडी में अनाज भंडारण की गंभीर समस्या है। बारिश में सैकड़ों टन अनाज भीग जाता है और व्यापारी मूलभूत सुविधाओं के अभाव में परेशान हैं। मंडी में शौचालय, पानी और भंडारण की व्यवस्था नहीं है, जिससे...
कन्नौज। इत्र व्यवसाय के लिए देश और दुनिया में चर्चित कन्नौज का कृषि के क्षेत्र में भी बड़ा नाम है। करोड़ों का राजस्व देने वाली जिले की मंडी समितियों में मूलभूत सुविधाओं का अभाव है। जिले में आलू के साथ धान और मक्का की खेती का बड़ा रकबा होने के बावजूद मंडी समिति के थोक गल्ला व्यापारी समस्याओं से जूझ रहे हैं। कन्नौज मंडी में सबसे बड़ी समस्या अनाज के भंडारण की है। बारिश में सैकड़ों टन अनाज भीग कर सड़ जाता है। व्यापारी तमाम समस्याओं के बीच व्यापार करने को मजबूर हैं। कन्नौज मंडी जिले की सबसे बड़ी अनाज मंडी है, पर यहां सुविधाओं के नाम पर कुछ भी नहीं है। अनाज बेचने के लिए आने वाले किसानों के लिए न ही पीने के पानी की व्यवस्था है और न ही उनके ठहरने की। सबसे बड़ी समस्या अनाज भंडारण की है। कन्नौज मंडी समिति में महज तीन टीन शेड बने हुए हैं। जिसके चलते बारिश में भीग कर हर साल सैकड़ों टन अनाज सड़ जाता है। ऐसे में आपके अपने अखबार ‘हिन्दुस्तान से समस्याएं साझा करते हुए व्यापारी और किसानों का दर्द छलक उठा। व्यापारियों ने एकसुर में कहा कि हजारों टन अनाज सड़ने से बचाया जाए।
मंडी में करीब 250 व्यापारी रजिस्टर्ड हैं। इन व्यापारियों के पास किसान अपनी उपज बेचने मंडी पहुंचते हैं। मंडी क्षेत्र में करीब दो हजार के आसपास पल्लेदार भी काम करते हैं। मंडी में सुविधाओं की कमी किसानों और आढ़तियों के लिए परेशानी का सबब बनी हुई है। आलू व्यापारी हबीब कहते हैं कि मंडी में अपनी उपज को सुरक्षित रखने के लिए उन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ता है। मंडी में शौचालय न होने से आने वाले व्यापारियों को इधर-उधर भटकना पड़ता है। पानी की भी कोई व्यवस्था नहीं है। यहां पांच हैंडपंप लगे हैं इनमें से तीन खराब हैं। बचे दो हैंडपंप का पानी भी पीने लायक नहीं है। मंडी परिसर में सालों पुरानी पानी टंकी को कोई पूछने वाला नहीं है। सालों से इसकी सफाई तक नहीं हुई है। व्यापारी धमेंद्र दुबे कहते हैं कि मंडी समिति में गल्ला का थोक कारोबार अव्यवस्थाओं के बीच सिसक रहा है। पूरा टैक्स देने के बाद भी शासन-प्रशासन सुविधाएं देने से मुंह मोड़ रहा है। हरसाल हजारों टन अनाज बारिश की भेंट चढ़ जाता है। मंडी स्थापित तो कर दी गई लेकिन टीनशेड सहित दुकानों के अभाव में कारोबारियों को दिक्कतें कम नहीं हो रहीं। मंडी में प्रतिदिन एक से दो सैकड़ा किसान गल्ला बिक्री के लिए आते हैं। सुविधाओं के अभाव में कुछ कारोबारी तो मंडी से व्यापार कर रहे हैं। मंडी में सबसे बड़ी समस्या अगर कोई है तो वह जलनिकासी की है। इसकी प्रमुख वजह है मंडी के बाहर बना नाला है। नाले पर कई जगह लोगों ने अस्थायी रूप से अतिक्रमण कर रखा है। इससे उसकी नियमित सफाई नहीं हो पाती है। नतीजतन नाला चोक होने से पानी भरने की नौबत बनती है। व्यापारी रामू कठेरिया कहते हैं कि मंडी के चारों तरफ आढ़तें हैं। कई जगहों पर गोदाम भी बने हुए हैं। जब भी बारिश का समय आता है तो व्यापारियों को चिंता सताने लगती है। जिससे आने जाने में तो समस्या होती ही है साथ ही यहां अनाज से भरी बोरियां भीग जाती हैं जिससे आढ़तियों का नुकसान होता है। इस समस्या से निजात दिलाने को कई बार मांग उठाई गई पर नतीजा सिफर ही रहा है ।
महिला पल्लेदारों के लिए नहीं कोई व्यवस्था
शिवम व्यापारी ने बताया कि सरकार को करोड़ों रुपये का राजस्व देने वाली मंडी परिसर में मूलभूत सुविधाओं का अभाव है। न तो यहां पीने के पानी की व्यवस्था है और न ही ठहरने की। और तो और यहां पर शौचालय की भी उचित व्यवस्था नहीं है। ऐसे में यहां के पल्लेदारों के साथ ही आढ़तियों और बाहर से आने वाले किसानों को समस्याओं का सामना करना पड़ता है। मंडी समिति में कहने को तो शौचालय बनाया गया है लेकिन साफ-सफाई का अभाव व देखरेख न होने के कारण उपयोग लायक नहीं हैं। सबसे अधिक महिला पल्लेदारों के सामने समस्याएं आती हैं। व्यापारियों के अनुसार, समिति कर्मचारी एकत्र कूड़े को परिसर में ही जला रहे हैं। नालियां जाम होने से जलभराव भी बड़ी समस्या है। दुकानों के अंदर तक पानी घुसने से नुकसान होता है। ऐसे में व्यापार को बढ़ावा कैसे मिल सकता है, इसका सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है। उधर छिबरामऊ की कृषि मंडी में कई वर्ष पहले तीन आधुनिक शौचालयों का निर्माण कराया गया था। लाखों की लागत से बने इन शौचालयों का अभी तक इनका लोकार्पण तक नहीं हो पाया और वह बिल्डिंग निष्प्रोज्य हो गईं। खतरे को देखते हुए उसमें ताले डाल दिए गए। ऐसे में मंडी आने वाले लोगों को अब शौच आदि के लिए इधर-उधर भटकना पड़ता है। प्रभारी मंडी सचिव श्रवण कुमार परमार ने बताया कि उच्चाधिकारियों को अवगत करा दिया गया है।
टूटी सड़कें नहीं हुई सही वाहनों से उड़ रही धूल
मंडी परिसर में भंडारण क्षमता बढ़ाने पर कोई ठोस काम नहीं किया जा रहा है। ऐसे में आढ़ती अपने माल को सुरक्षित करने के लिए खासे चिंतित रहते हैं। आढ़तियों की संख्या के अनुसार दुकानें भी पर्याप्त नहीं है, जो हैं भी वह जर्जर हो गई हैं। टीन शेड के नीचे आढ़ती अपना कारोबार करते हैं। पर्याप्त सुविधाएं न मिलने से गल्ला के थोक कारोबार को आगे बढ़ाने में दिक्कतें हो रही है। मंडी में सड़क व शौचालय की व्यवस्था बेहद खराब है। टूटी सड़कें होने के कारण वाहन आने पर चारों ओर धूल उड़ती है। मंडी में सुरक्षा को लेकर इंतजाम न के बराबर हैं। सुरक्षा के नाम पर सिर्फ होमगार्ड ही तैनात रहते हैं। वहीं मंडी के बाहर बनी दस दुकानों में से सिर्फ दो-तीन ही संचालित होती हैं। कई लोगों ने दुकानें अपने नाम नीलाम करा ली और रुपया भी जमा करा दिया है।
शिकायतें
1. शहर के निकट सरकारी गोदाम बनवाए जाएं, जिन्हें किराए पर व्यापारियों को उठाएं।
2. शौचालय आदि की व्यवस्थाओं को दुरुस्त किया जाए।
3. व्यापरियों का पैसा सुरक्षित रहे इसके लिए ठोस नियम बनाए जाने चाहिए ।
4. मंडी परिसर में टीन शेड की संख्या बढ़ाई जाए।
5. किसानों संग आढ़तियों के लिए कैंटीन की व्यवस्था हो।
6. किसानों को रात में ठहरने की व्यवस्था कराई जाए।
7. बिजली के तारों व पोलों को व्यवस्थित कराया जाए।
8. वाहनों के आवागमन की व्यवस्था कराई जाए।
9. लोकसभा व विधानसभा चुनाव की मतगणना के लिए अन्य कोई भवन बनवाया जाए।
10. मंडी समिति में अलाव आदि की व्यवस्था कराई जाए।
11. गार्ड के लिए शेड की व्यवस्था मजबूत होनी चाहिए।
सुझाव
1. परिसर में पर्याप्त भंडारण की व्यवस्था नहीं है।
2. परिसर में बने शौचालय जर्जर हालत में हैं इससे आढ़ती और किसान परेशान होते हैं।
3. आढ़तियों का पैसा फर्मों के पास फंसता है। फर्मो की निगरानी जरूरी है। फर्जी फर्मों पर कार्रवाई हो।
4. टीन शेड न होने से खुले में रहता धान।
5. सड़क पर गंदगी के बीच गल्ला पड़ा होना।
6. पीने के पानी की परिसर में व्यवस्था न होना।
7. मंडी समित परिसर में मूलभूत सुविधाओं की कमी
8. किसानों के ठहरने की उचित व्यवस्था नहीं है।
9. मंडी परिसर में धर्म कांटा का न होना।
10. छिबरामऊ मंडी में 7-8 साल पहले बनवाए गए शौचालयों का अभी तक लोकार्पण नहीं हो पाया
11.शौचालय में गंदगी से उसका यूजलेस होना।
बोले व्यापारी
मंडी में किसानों और व्यापारियों की बढ़़़ती संख्या को देखते हुए शासन को और दुकानें बनवानी चाहिए। अव्यवस्थाएं न फैले इसके लिए मंडी में चुनाव मतगणना बंद होनी चाहिए। -अमित कटियार, व्यापारी
सफाई व्यवस्था दुरुस्त करने के साथ ही यहां आने वाले किसानों और व्यापारियों की सुविधाओं का ध्यान रखना चाहिए। खासकर शौचालय आदि की व्यवस्था दुरुस्त होनी चाहिए। -नवल किशोर कटियार, किसान
मंडी परिसर में टीनशेड पर्याप्त नहीं हैं। ऐसे में बारिश में खुले में रखी अनाज की बोरियां भीग जाती हैं, जिससे आनज खराब हो जाता है। मंडी में अनाज के भंडारण की उचित व्यवस्था होनी चाहिए। -रामू कठेरिया, आढ़ती
मंडी परिसर में किसानों के लिए बने टीन शेडों पर आढ़तियों का कब्जा रहता है। ऐसे में किसान का माल खुले में पड़ा रहता है। मंडी की इन अव्यवस्थाओं को दूर करना चाहिए। - महेश चंद्र, किसान
मंडी परिसर में किसान और आढ़तियों के लिए ठहरने का उचित प्रबंध होना चाहिए। ताकि उन्हें भटकना न पड़े। इसके अलावा यहां सुरक्षा के भी पर्याप्त इंतजाम किए जाएं। जिससे किसी किसान का सामान चोरी न हो। -शिवम भदौरिया, किसान
बोले जिम्मेदार
सचिव मंडी समिति रघुराज सिंह ने बताया कि मंडी में टीनशेड और अन्य समस्याएं हैं उनका निस्तारण जल्द ही कर दिया जाएगा। किसानों एवं गल्ला आढ़तियों को सुविधा मुहैया कराने का प्रयास करेंगे।
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