मैं क्विट कर रहा हूं...आईआईटी कानपुर में पीएचडी छात्र ने की आत्महत्या, डिप्रेशन में था अंकित
आईआईटी कानपुर में सुसाइड करने का सिलसिला थम नहीं रहा है। सोमवार को पीएचडी छात्र ने फंदे से लटकर जान दे दी। मौके से एक सुसाइड नोट भी बरामद हुआ। जिसमें उसने लिखा था वह क्विट कर रहा है। साथ ही इस घटना के लिए किसी को भी जिम्मेदार नहीं ठहराया।
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आईआईटी कानपुर में एक बार फिर एक छात्र ने फंदे से लटकर आत्महत्या कर ली है। सोमवार को पीएचडी छात्र का शव कमरे में लटका मिला। मौके से एक सुसाइड नोट भी बरामद हुआ। जिसमें उसने लिखा था वह क्विट कर रहा है। साथ ही इस घटना के लिए किसी को भी जिम्मेदार नहीं ठहराया। उधर, सूचना मिलने पर पुलिस मौके पर पहुंची और शव को कब्जमें लेकर पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया।
नोएडा के जागृति अपार्टमेंट सेक्टर 71 के रहने वाले रामसूरत यादव के बेटे अंकित यादव भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान में केमिस्ट्री से पीएचडी कर रहा था। अंकित ने यूजीसी फोलोशिप के तहत जुलाई 2024 में दाखिला लिया था। वह हॉस्टल के रूम नंबर एच 103 में रहते था। सोमवार शाम को हॉस्टल के कमरे से अंकित बाहर नहीं निकला। साथियों के फोन मिलाने पर मोबाइल भी नहीं उठा। खिड़की से कमरे के भीतर झांक कर देखा तो अंकित पंखे में नायलॉन की रस्सी के सहारे झूलता मिला। आईआईटी प्रशासन को सूचना देने के बाद छात्रों ने दरवाजे को तोड़कर अंकित को फंदे से उतारा। उसे कैंपस में बने हॉस्पिटल में लेकर पहुंचाया, जहां डॉक्टरों से मृत घोषित कर दिया।
कमरे से सुसाइड नोट मिला
आईआईटी में छात्र-छात्राओं का सुसाइड करने का सिलसिला थम नहीं रहा है। रिसर्च कर रहा अंकित यादव स्कॉलर छात्र था। उसने जेआरएफ के तहत आईआईटी के केमिस्ट्री विभाग में पीएचडी में दाखिला लिया था। कमरे से मिले सुसाइड नोट में अंकित ने लिखा कि मैं क्विट कर रहा हूं। यह मेरा अपना निर्णय है। इसमें और कोई शामिल नहीं है। हालांकि पुलिस को परिजनों और साथियों से बातचीत के बाद भी सुसाइड का स्पष्ट कारण नहीं मिल सका। पुलिस की प्राथमिक जांच में छात्र के डिप्रेशन में होने की बात पता चली।। हालांकि आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है। पूछताछ में साथियों ने बताया कि अंकित दो-तीन दिनों से गुमसुम सा रह रहा था। वह अपने साथियों से भी ज्यादा बात नहीं कर रहा था।
आईआईटी दिल्ली से एमएससी करने के बाद अंकित को यूजीसी की पांच साल की फेलोशिप भी मिली थी। दो साल के लिए 37 हजार रुपये मासिक और शेष तीन साल के लिए 41 हजार रुपये मिलते। जनवरी में ही पीएचडी का पहला सेमेस्टर शुरू हुआ था।
पहले भी कई विद्यार्थी कर चुके हैं सुसाइड
3 मई 2006 छात्र शैलेश कुमार शर्मा ने दी थी जान।
25 अप्रैल 2007 छात्र जे भारद्वाज ने की आत्महत्या।
12 अप्रैल 2008 छात्र प्रशांत कुमार कुरील ने की आत्महत्या।
30 मई 2008 छात्र टोया चटर्जी ने जान दी।
3 जनवरी 2009 एमटेक छात्र जी सुमन ने आत्महत्या की।
19 अप्रैल 2018 फिरोजाबाद की पीएचडी छात्र भीम सिंह ने जान दी।
7 सितंबर 2022 वाराणसी के पीएचडी छात्र प्रशांत ने आत्महत्या की।
19 दिसंबर 2023 शोध सहायक स्टाफ डॉ. पल्लवी चिलका ने आत्महत्या की।
10 जनवरी 2024 एमटेक छात्र विकास मीणा ने आत्महत्या की।
18 जनवरी 2024 प्रियंका जायसवाल ने, 10 को पीएचडी छात्रा ने दी जान