बोले गोरखपुर: महिलाओं के उद्यम को चाहिए प्रोत्साहन
Gorakhpur News - गोरखपुर में महिलाएं अपने स्टार्टअप के माध्यम से चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों का सामना कर रही हैं। वर्तिका केसरवानी और रूपल गुप्ता जैसे उद्यमी पारिवारिक जिम्मेदारियों और वित्तीय सहायता की कमी के बावजूद...

Gorakhpur news: सपने देखने वाले बहुत मिलेंगे, लेकिन उन्हें साकार करने वाले वही होते हैं, जो हार नहीं मानते। घर से लेकर बाजार तक और परिवार से लेकर वित्तीय संस्थान तक, हर कदम पर महिलाओं को पुरुषों के मुकाबले कमतर आंकने की कोशिश होती है। इसके बावजूद हिम्मत, मेहनत और लगन है तो आप किसी भी चुनौती को पार कर सकती हैं। बुलंद इरादे मुश्किल हालात में भी रास्ते बना लेते हैं। गोरक्ष नगरी में महिलाओं के शुरू किए गए स्टार्टअप कुछ ऐसा ही संदेश दे रहे हैं...। गोरखपुर। दो बच्चों की मां वर्तिका केसरवानी ने चिकनकारी, ब्लॉक प्रिंट को विभिन्न भारतीय शिल्पों के साथ मिला कर नई पीढ़ी को आकर्षित करने के लिए अपने स्टार्टअप ‘अनडायड ब्रांड की जुलाई 2021 में शुरुआत की। लेकिन पारंपरिक कला को पुनर्जीवित करते हुए किफायती मूल्य पर उत्पाद उपलब्ध कराने का उनका यह सफर आसान नहीं था। वर्तिका कहती हैं कि, महिलाओं के स्टार्टअप के समक्ष कई चुनौतियों होती हैं। उन्हें पारिवारिक जिम्मेदारियों और व्यवसाय के बीच संतुलन बनाए रखना मुश्किल हो सकता है। समाजों में महिलाओं के उद्यमिता की ओर बढ़ने को पारंपरिक रूप से प्रोत्साहित नहीं मिलता। हालांकि वर्तिका व्यावसायिक परिवार से आती हैं, ऐसे में उन्हें व्यक्तिगत रूप से इन अनुभवों से नहीं गुजरना पड़ा लेकिन कहती हैं कि आगे बढ़ने के लिए धैर्य रखना होगा, यकीन मानिए सफलता मिलेगी।
‘बैगवती बाई रुपल स्टार्टअप से उद्यमिता की राह पर बढ़ रहीं रूपल गुप्ता भी वर्तिका की बातों से सहमति जताती हैं। वह कहती हैं कि महिलाओं के स्टार्टअप को निवेशकों और बैंकों से वित्तीय सहायता प्राप्त करने में कठिनाई पेश आती है। निवेशक और बैंक भी महिलाओं के नेतृत्व वाले स्टार्टअप में निवेश करने से हिचकिचाते हैं। फिलहाल रूपल ने खुद के 20 हजार रुपये से ‘डिजाइनर वीगन लेदर बैग की बिक्री शुरू की। उत्तर प्रदेश में लगने वाली प्रदर्शनियों और अपने घर में बनाए स्टोर से वह कारोबार कर रही हैं। रूपल कहती हैं कि महिला उद्यमियों को कई बार यह साबित करना पड़ता है कि वे पुरुषों की तरह व्यवसाय को कुशलता से चला सकती हैं। रुपल बदलते दौर के फैशन के लिहाज से स्वयं को अपडेट रखने के लिए इंटरनेट के जरिए रिसर्च करती हैं। थोक में डिजाइनर विनेग बैग की खरीद के लिए यात्रा भी करती हैं। बाजार में हर्बल सौंदर्य प्रसाधन की बढ़ी मांग से प्रेरित होकर गुलशार शालिनी प्रशिक्षण लेकर अब खुद 30 से ज्यादा हर्बल उत्पाद बना रही हैं। कई महिलाओं और पुरुषों को उन्होंने रोजगार भी दे रहा है। वह कहती हैं कि 7 साल के इस सफर में काफी कुछ सीखने को मिला। कच्चे माल के लिए आज भी बाहर जाना पड़ता है। अपने पोर्टल, वाट्सएप ग्रुप और विभिन्न स्थानों पर लगने वाली प्रदर्शनी के स्टॉल से उत्पाद की बिक्री हो जाती है। वह कहती हैं कि बिजनेस कैसा भी हो, धैर्य के साथ असफलताओं से निरंतर सीखने की जरूरत है।
शिकायतें
महिलाओं के स्टार्टअप शुरू करने में सबसे बड़ी समस्या पूंजी व वित्तीय सहायता की कमी।
पारिवारिक, सामाजिक दबाव और निजी जीवन का संतुलन बना पाना भी समस्या है।
नेटवर्किंग और बाजार तक सीमित पहुंच।
लैंगिक भेदभाव, प्रशिक्षकों और मेंटर्स की कमी।
टेक्नोलॉजी और डिजिटल ज्ञान की कमी।
सरकारी योजनाओं जानकारी का अभाव, आत्मविश्वास की कमी।
सुझाव
स्टार्टअप शुरू करने के लिए महिलाएं सरकारी योजनाओं और अनुदानों का लाभ उठाएं।
परिवार के साथ संवाद करें, सामाजिक दबाव से मुक्ति मिलेगी।
महिला उद्यमिता नेटवर्क से जुड़ें और मेंटर्स की सहायता लें।
डिजिटल स्किल्स और टेक्नोलॉजी का ज्ञान बढ़ाएं।
सोशल मीडिया और डिजिटल मार्केटिंग का उपयोग करें।
स्वयं में आत्मविश्वास बनाए रखें और छोटी शुरुआत से सीखें।
हमारी भी सुनिये
पुरुष प्रधान बिजनेस माहौल में महिलाओं को खुद को साबित करने के लिए अधिक संघर्ष करना पड़ता है। सेवा भारती महिला स्वावलंबन संस्था से जुड़कर में माइक्रेम बैग बनाना सीख है। स्टॉल लगाने का अवसर भी मिलता है।
- गायत्री मणि त्रिपाठी, सूरजकुंड
हर गलती और असफलता आपको मजबूत बनाती है। सफल लोग वही होते हैं, जो असफलताओं से सीख कर आगे बढ़ते हैं। आज के दौर में टेक्नोलॉजी, डिजिटल मार्केटिंग, फाइनेंस और बिजनेस स्किल्स सीखना बहुत जरूरी है।
-गुलशार शालिनी, हर्बल कॉस्मेटिक
चुनौतियों के बीच कुछ कर गुजरने का जज्बा ही वो ताकत है, जो किसी भी इंसान को असंभव को संभव बनाने की शक्ति देती है। महिला उद्यमिता के क्षेत्र में यह सफर ज्यादा कठिन है,जब लोग आप पर भरोसा न करें।
-रुपल गुप्ता, निदेशक बैगवती बाई रूपल
महिलाओं को स्टार्टअप शुरू करने में सबसे बड़ी चुनौती फंड की होती है। माता-पिता लड़कों की तुलना में लड़कियों के बिजनेस आइडिया पर कम विश्वास दिखाते हैं। बेटी की जिद के कारण शादी के 20 साल बाद मैंने बुटीक शुरू किया।
- रूपा जालान, हरिओम नगर
कई बार परिवार और समाज यह मानते हैं कि महिलाएं सिर्फ टाइम पास के लिए बिजनेस कर रही हैं। समाज की यह सोच महिलाओं के स्टार्टअप को गंभीरता से नहीं लेने की मानसिकता को दर्शाती है।
- सुधा मोदी, समाजसेवी
बिजनेस के लिए यात्रा करना आवश्यक होता है, लेकिन महिलाओं को यात्रा के दौरान सुरक्षा की चिंता बनी रहती है। परिवार भी देर रात ट्रैवलिंग या बाहरी शहरों में अकेले जाने की अनुमति देने में संकोच करता है।
-विजय चतुर्वेदी, बेतियाहाता
शादी, बच्चे और घरेलू जिम्मेदारियों के कारण महिलाओं को बिजनेस और पारिवारिक जीवन में संतुलन बनाना कठिन होता है। मैंने कई ऐसी महिलाओं को उनके घर की दहलीज से बाहर निकालने में मदद की है।
-वंदना दास, समाजसेवी
बिजनेस नेटवर्किंग में पुरुषों का वर्चस्व होने से महिलाओं के लिए जगह बनाना चुनौतीपूर्ण है। पुरुष अक्सर महिलाओं को अपने नेटवर्क में शामिल करने से कतराते हैं, जिससे वे महत्वपूर्ण बिजनेस इवेंट्स से वंचित रहती हैं।
-रूपाली अग्रवाल टुडेजा, मोहद्दीपुर
बिजनेस जगत में महिलाओं को पुरुषों की तुलना में कम अवसर मिलते हैं। सफल महिला उद्यमियों और प्रशिक्षकों की कमी के कारण वे सही मार्गदर्शन नहीं मिल पाता। अपनी काबिलियत साबित करने के लिए उन्हें दोगुनी मेहनत करनी पड़ती है।
-सुप्रिया श्रीवास्तव, रुस्तमपुर
टेक्नोलॉजी और डिजिटल मार्केटिंग में महिलाओं को पुरुषों की तुलना में कम एक्सपोजर मिलता है। व्यापार में दक्षता की कमी होने से वे अपने उत्पादों को सही प्लेटफॉर्म तक नहीं पहुंचा पातीं। मैं स्वनिर्मित मसाले को दुकानों पर बेचती हूं।
-काजल दौलतानी, बशारतपुर
सरकारी योजनाओं की जानकारी का अभाव महिला उद्यमियों के विकास में बड़ी बाधा है। महिलाओं के लिए उपलब्ध विशेष लोन और अनुदान योजनाओं तक उनकी पहुंच सीमित रहती है, जिससे वे अपने व्यवसाय का विस्तार नहीं कर पातीं।
-पिंकी, तारामंडल
महिलाओं पर शादी और परिवार संभालने का दबाव अधिक होता है। शादी और बच्चों की जिम्मेदारियों के कारण वे अपने स्टार्टअप को उतना समय नहीं दे पातीं। करियर और परिवार में संतुलन बनाना उनके लिए सबसे बड़ी चुनौती बन जाता है।
- अंजू गुप्ता, लाल डिग्गी
बोले जिम्मेदार
महिलाओं को उद्यम से जोड़ने और स्टार्टअप के लिए प्रेरित करने के लिए स्टैंड अप इंडिया योजना, महिला उद्यम निधि योजना, मुद्रा लोन योजना, स्वनिधि योजना सरीखे कार्यक्रम संचालित हैं। उद्यम से जुड़ी महिलाओं को खादी एवं ग्रामोद्योग, जिला उद्योग कार्यालय में संपंर्क कर अपनी समस्याओं का समाधान तलाश करना चाहिए। जहां उन्हें सरकार की योजनाओं की जानकारी के साथ अपने स्वयं के उद्यम में मिलने वाली सुविधाओं की जानकारी उपलब्ध हो जाएगी।
-संजय कुमार मीना, मुख्य विकास अधिकारी
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