बोले गोरखपुर: 45 किमी में चार टोल प्लाजा से टूट रही कमर
Gorakhpur News - गोरखपुर में ट्रक ऑपरेटरों की स्थिति बिगड़ गई है। उच्च टोल टैक्स, ईएमआई का बोझ और आरटीओ के टैक्स में वृद्धि के कारण युवा कारोबारियों को भी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। ट्रक मालिकों का कहना है कि...
Gorakhpur News -टोल टैक्स, ईएमआई का बोझ, आरटीओ के टैक्स में बेतहाशा बढ़ोतरी के साथ गलाकाट प्रतियोगिता के बीच ट्रक ऑपरेटरों की स्थिति अब पहले जैसी नहीं रह गई है। धंधे के बड़े खिलाड़ियों को छोड़ दें तो ट्रेड की चकाचौंध देखकर आने वाले युवा कारोबारियों की स्थिति मझधार में फंसी नाव जैसी अच्छी है। सरकार की सख्ती के साथ आरटीओ और ट्रैफिक विभाग की मनमानी से ट्रक संचालक बुरी तरह प्रभावित हैं। गोरखपुर में करीब 10 हजार ट्रक आरटीओ में पंजीकृत हैं। इनमें से बमुश्किल 30 फीसदी भी सड़कों पर सक्रियता से दौड़ते दिखते हैं। तमाम ट्रक ईएमआई नहीं चुकता करने से गैराज में खड़े हैं तो कई आरटीओ की मोटी फीस के चलते खड़े हैं। गोरखपुर। जिले में ट्रक ऑपरेटरों की सर्वाधिक मुश्किल मानक विपरीत टोल टैक्स से है। वाराणसी से सोनौली जाने में बमुश्किल 45 किलोमीटर के अंदर चार टोल प्लाजा पर ट्रक ऑपरेटरों को 1675 रुपये टोल टैक्स चुकाना पड़ रहा है। गोरखपुर-वाराणसी फोरलेन शुरू होने के साथ ही बेलीपार (भिटहा) में टोल प्लाजा शुरू हो गया है। ट्रक मालिक राम नारायण यादव और विष्णु प्रताप कहते हैं कि वाराणसी से सोनौली जाना है तो पहला टोल बेलीपार (भिटहा), दूसरा तेनुआ, तीसरा शेरपुर चमराह और चौथा टोल नयन्सर में देना होता है। ऐसे में बेलीपार से नयन्सर के बीच बमुश्किल 45 किलोमीटर दूरी पर 1675 रुपये टोल देना पड़ता है।
नो-एट्री के चलते ट्रक चालकों के पास मंजिल तक पहुंचने का दूसरा विकल्प भी नहीं है। ट्रक ऑपरेटर रवीन्द्र प्रताप सिंह का कहना है कि केन्द्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी कई बार बयान दे चुके हैं कि दो टोल प्लाजा के बीच की दूरी 60 किलोमीटर से कम नहीं होनी चाहिए। अब विभाग के लोग ही बता दें कि यदि किसी ट्रक को वाराणसी से सोनौली जाना है तो 45 किलोमीटर के दायरे में चार बार टोल टैक्स देने से वह कैसे बचे? रवीन्द्र कहते हैं कि विभाग दलील देता है कि सभी टोल अलग-अलग राष्ट्रीय राजमार्ग या बाईपास पर हैं। लेकिन विभाग को बताना चाहिए कि चार टोल को पार किये बिना भी क्या सोनौली की दूरी तय हो सकती है? ट्रक ऑपरेटर उमेश सिंह और शिव जायसवाल का कहना है कि ट्रैफिक पुलिस के साथ ही सिविल पुलिस के द्वारा जगह-जगह उत्पीड़न किया जाता है। ट्रक यदि नो पार्किंग में है तो मौके पर चालान कर गाड़ी को छोड़ा जाना चाहिए। लेकिन गिट्टी-बालू लदे ट्रकों को यार्ड में लेकर जाना उचित नहीं है। ट्रक ऑपरेटर अजीत सिंह का कहना है कि शहर के विभिन्न रूटों पर नो-एंट्री में मनमानी होती है। पहले से तय नो-एट्री के समय का अनुपालन मौके पर नहीं होने से ट्रक ऑपरेटरों को हर महीने लाखों रुपये का नुकसान झेलना पड़ता है।
स्क्रैप नीति पर अमल नहीं
कबाड़ हो चुके ट्रकों के निस्तारण के लिए सरकार की तरफ से तमाम नियम बनाए जा रहे हैं, लेकिन गोरखपुर में इस पर अमल को लेकर कोई इंतजाम नहीं दिखता है। ट्रक ऑपरेटर स्वीकारते हैं कि कई कबाड़ हो चुके ट्रक पर हजारों रुपये का टैक्स बकाया है। सरकार की स्पष्ट नीति होती तो ट्रक स्क्रैप में बिक जाता और ऑपरेटर को स्क्रैप नीति के तहत नए ट्रक की खरीद में छूट भी मिलती। इसके साथ ही सैकड़ों ट्रक और कमर्शियल वाहन थाना परिसर में कबाड़ हो रहे हैं। कागजी दुश्वारियों के चलते उम्र पूरी कर चुके ट्रकों का सही समय से निस्तारण नहीं हो पाता है।
भाड़ा नहीं बढ़ने से दिक्कत
ट्रक ऑपरेटर स्थानीय थोक कारोबारियों की मनमानी से भी परेशान हैं। ट्रक मालिकों का कहना है कि नकहा रेलवे स्टेशन से विभिन्न स्थानों पर खाद, सीमेंट या अन्य वस्तुओं को पहुंचाने की दर 28 दिसम्बर, 2020 में तय हुई थी। तब डीजल का दाम 65 रुपये प्रति लीटर था, जो 88 रुपये प्रति लीटर पहुंच चुका है। डीजल, टोल टैक्स से लेकर मजदूरी तक में बढ़ोतरी के बाद भी थोक कारोबारियों द्वारा भाड़े में इजाफा नहीं किया जा रहा है। चुनिंदा कारोबारियों के पास ज्यादातर काम होने से इनकी तानाशाही चलती है। ट्रक ऑपरेटरों ने भाड़ा बढ़ाने की मांग की है।
मौरंग-बालू की मंडी की मांग कर दी गई दरकिनार
गोरखपुर में सड़क, ओवरब्रिज, फ्लाईओवर, मकान से लेकर विकास प्राधिकरणों के काम के चलते जिले में रोज करीब 500 गिट्टी, मौरंग, सीमेंट और सरिया लदे ट्रक आते हैं। ऐसे में इनकी मांग रही है कि मोतीराम अड्डा, पीपीगंज, मेडिकल रोड के साथ ही सहजनवां में बिल्डिंग मटेरियल उतारने और इसकी बिक्री के लिए चार मंडी विकसित की जाए, लेकिन कोई काम नहीं हुआ। ट्रक ऑपरेटर दिलीप पाल बताते हैं कि वर्ष 2020 में प्रशासन की तरफ से तुर्रा बाजार के पास ट्रकों से बिल्डिंग मटेरियल अनलोड करने के लिए 16 एकड़ जमीन चिन्हित हुई थी।
मौरंग-बालू की मंडी की मांग कर दी गई दरकिनार
गोरखपुर में सड़क, ओवरब्रिज, फ्लाईओवर, मकान से लेकर विकास प्राधिकरणों के काम के चलते जिले में रोज करीब 500 गिट्टी, मौरंग, सीमेंट और सरिया लदे ट्रक आते हैं। ऐसे में इनकी मांग रही है कि मोतीराम अड्डा, पीपीगंज, मेडिकल रोड के साथ ही सहजनवां में बिल्डिंग मटेरियल उतारने और इसकी बिक्री के लिए चार मंडी विकसित की जाए, लेकिन कोई काम नहीं हुआ। ट्रक ऑपरेटर दिलीप पाल बताते हैं कि वर्ष 2020 में प्रशासन की तरफ से तुर्रा बाजार के पास ट्रकों से बिल्डिंग मटेरियल अनलोड करने के लिए 16 एकड़ जमीन चिन्हित हुई थी।
शिकायतें
बेलीपार होते हुए सोनौली रूट पर जाने पर बमुश्किल 45 किलोमीटर की दूरी पर 4 टोलप्लाजा पर 1675 रुपये पथकर देना होता है।
शहर में रोज 500 से अधिक ट्रक मौरंग, गिट्टी, सीमेंट और सरिया लेकर आते हैं। पार्किंग की सुविधा नहीं होने से अनलोड करने में समस्या होती है।
कालेसर से सहजनवा के बीच आरटीओ दफ्तर के पास फोरलेन का कट बंद करने से 8 किमी अतिरिक्त चक्कर लगाना पड़ रहा है।
ट्रैफिक और पुलिस नो पार्किंग के नाम पर कार्रवाई में ट्रकों को लेकर पुलिस लाइन के यार्ड में चली जाती हैं।
लगभग सभी ट्रक बैंकों और वित्तीय संस्थानों से फाइनेंस होते हैं। एक-दो ईएमआई में भी देरी पर फाइनेंस कंपनी की तरफ से उत्पीड़न होता है।
सुझाव
केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी का कहना है कि दो टोल प्लाजा के बीच 60 किमी की दूरी होनी चाहिए। इसी हिसाब से टोल टैक्स की वसूली होनी चाहिए।
मोतीराम अड्डा, पीपीगंज, मेडिकल रोड के साथ ही सहजनवां में बिल्डिंग मटेरियल उतारने और बिक्री के लिए चार मंडी विकसित की जाएं।
कालेसर-सहजनवां के बीच दानापानी रेस्टोरेंट के पास बंद कट को ट्रैफिक के मानकों के आधार पर खोला जाना चाहिए।
ट्रक मालिक द्वारा आरटीओ को मानकों की अवहेलना होने पर चालान की कार्रवाई हो। यार्ड के बजाए गाड़ियों का चालान मौके पर होना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट और आरबीआई के मानकों के आधार पर ईएमआई लैप्स होने पर कोई कार्रवाई होनी चाहिए।
हमारी भी सुनें
टोल टैक्स वसूली को लेकर गोरखपुर और आसपास के ट्रक संचालक प्रभावित हैं। एनएचएआई के अधिकारियों के संज्ञान में होने के बाद भी कोई पहल नहीं हो रही है।
-रवीन्द्र प्रताप सिंह
गीडा के आरटीओ दफ्तर में टैक्स आदि का काम कराने में काफी दिक्कत होती है। दानापानी रेस्टोरेंट के पास कट बंद करने से गाड़ी को सहजनवा से आगे मोड़ना पड़ता है।
-अमित श्रीवास्तव
अलग-अलग रूट पर नो-एंट्री की टाइमिंग तो तय है लेकिन उसका अनुपालन नहीं हो रहा है जिससे ट्रक को घंटों खड़ा रखना पड़ता है। इससे काफी नुकसान होता है।
-अजय शर्मा
ट्रक संचालित करने में टोल टैक्स और महंगे डीजल के साथ आरटीओ के टैक्स की बढ़ोतरी मुसीबत बनी हुई है। लाखों रुपये लेकर ट्रक खरीदने वाले दोराहे पर फंसे हुए हैं।
-विनोद सिंह
सरकार को सर्वाधिक टैक्स देने वाले ट्रक संचालक हैं। इससे ही सर्वाधिक रोजगार का सृजन हो रहा है। इसके बाद भी लॉजिस्टिक को लेकर संजीदगी नहीं दिख रही है।
-कंजन तिवारी
एक ट्रेलर का हर तिमाही 13,300 रुपये आरटीओ में टैक्स जमा होता है। इतना टैक्स भरने के बाद भी हमेशा कार्रवाई का भय बना रहता है। सरकार हमारी सुनवाई नहीं कर रही।
-दिलीप पाल
नई गाड़ी पर 28 % तक जीएसटी जमा हो रहा है। जबकि ट्रक का संचालन निवेश ही है। इससे रोजगार का सृजन हो रहा है। ऐसे में जीएसटी की दर कम होनी चाहिए।
-संदीप सिंह
ट्रक का बीमा काफी अधिक बढ़ गया है। जबकि क्लेम में काफी दिक्कत होती है। सरकार को नई गाड़ी पर जीएसटी के साथ बीमा दर में कटौती करनी चाहिए। तभी ट्रक आपरेटर बचेंगे।
-उदय सिंह
बेलीपार से तेनुआ, शेरपुर चमराह होते हुए नयन्सर जाते समय टोलटैक्स के नाम पर मनमर्जी चल रही है। प्रतियोगिता के चलते भाड़ा भी नहीं बढ़ रहा है।
-अजीत सिंह सोनू
ट्रक संचालक को बीमा का लाभ नहीं मिल रहा। एक सदस्य ने ट्रक बनवाने पर 4 लाख खर्च किया, जबकि बीमा कंपनी से सिर्फ 1.70 लाख का भुगतान मिला।
-विनोद दूबे
ट्रक संचालकों का बीमा क्लेम मुश्किल से मिल रहा है। वर्तमान में 100 से अधिक संचालकों का विभिन्न कंपनियों में बीमा क्लेम लटका हुआ है। क्लेम नहीं मिलने से काफी दिक्कत होती है।
-वीरेन्द्र यादव
किस्त चुकता नहीं होने पर फाइनेंस कंपनियां अपनी पूंजी निकालने के लिए ट्रकों को औने-पौने दाम पर बेच दे रही हैं। ट्रक मालिक की सुनवाई नहीं हो रही।
-अशोक यादव
बोले जिम्मेदार
भिटहा, गोरखपुर-वाराणसी मार्ग पर है तो नयन्सर, गोरखपुर-सोनौली मार्ग पर है। वहीं शेरपुर चमराह और तेनुआ टोल प्लाजा बाईपास पर है। विशेष अनुमति लेकर इन टोल प्लाजा को स्थापित किया गया है। सभी टोल मानक के मुताबिक ही हैं। सभी टोल प्लाजा पर ट्रक संचालकों के लिए सुविधाएं हैं। कहीं शिकायत मिलती है तो उसे ठीक कराया जाएगा।
-ललित प्रताप पाल, परियोजना निदेशक, एनएचएआई
सभी ट्रक यार्ड में नहीं लेकर जाते हैं। उन्हें ही ले जाते हैं, जिनके पास कागजात नहीं होते हैं। ऐसे में कार्रवाई करना मजबूरी है। कालेसर-सहजनवा के बीच आरटीओ दफ्तर की तरफ मुड़ने वाले कट को बंद किया गया है। वहां कई बड़ी दुर्घटनाएं हो चुकी हैं। ऐसे में जान-माल की सुरक्षा के लिए सभी प्रशासनिक अफसरों की सहमति से इसे बंद किया गया है।
-संजय कुमार, एसपी ट्रैफिक
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