एम्स ने लेप्रोस्कोपिक तकनीक से की इनगुइनल हार्निया की सर्जरी
Gorakhpur News - गोरखपुर, कार्यालय संवाददाता। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के जनरल सर्जरी विभाग ने इनगुइनल
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गोरखपुर, कार्यालय संवाददाता। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के जनरल सर्जरी विभाग ने इनगुइनल हर्निया (वंक्षण हर्निया) से पीड़ित दो मरीजों का लेप्रोस्कोपिक (ट्रांसएब्डॉमिनल प्रीपेरिटोनियल) तकनीक से सफल ऑपरेशन किया है। दोनों मरीज कई महीनों से सूजन और दर्द की वजह से परेशान थे। इनमें एक मरीज की उम्र 58 और दूसरे की 62 वर्ष है।
सर्जरी विभाग के एसोसिएट प्रो. डॉ. धर्मेंद्र कुमार पीपल ने बताया कि मरीजों की जांच के बाद लेप्रोस्कोपिक सर्जरी का निर्णय लिया गया। क्योंकि, पारंपरिक ओपन सर्जरी में बड़ा चीरा लगाना पड़ता, जो ज्यादा दर्द देता और उसकी रिकवरी में समय लगता। इसके अलावा छह महीने से एक साल तक भारी काम से बचने की सलाह दी जाती है, लेकिन लेप्रोस्कोपिक तकनीक से केवल तीन छोटे छेद (0.5 से 1 सेमी) किए जाते हैं, जिससे दर्द कम होता है। बिस्तर पर लंबे समय तक आराम की जरूरत नहीं पड़ती। ऑपरेशन करने वाली टीम में सीनियर रेजिडेंट डॉ. रवि प्रकाश, डॉ. आदित्य, डॉ. राजेश कन्नन, डॉ. तनुश्री, एनेस्थीसिया टीम के डॉ. विक्रम वर्धन, डॉ. सीमा यादव, डॉ. विजेता बाजपेयी, डॉ. भूपेंद्र सिंह के साथ पर्यवेक्षक की भूमिका में सर्जरी विभागाध्यक्ष डॉ. गौरव गुप्ता शामिल रहे। संस्थान की कार्यकारी निदेशक सेवानिवृत्त मेजर जनरल प्रो. डॉ. विभा दत्ता ने सफल सर्जरी के लिए पूरी टीम को बधाई दी है।
एम्स में एवी फिस्टुला सर्जरी शुरू
एम्स की जनरल सर्जरी विभाग लेप्रोस्कोपिक, जीआई, कैंसर, किडनी स्टोन और अन्य सर्जरी की शुरुआत कर चुका है। इसी क्रम में एम्स में एवी फिस्टुला सर्जरी की शुरुआत की गई है। डॉ. धर्मेंद्र पीपल को तीन साल का किडनी ट्रांसप्लांट प्रशिक्षण प्राप्त है और उन्होंने इस सर्जरी को शुरू किया है। यह सर्जरी गुर्दा फेल्योर (किडनी फेल्योर) मरीजों के लिए बेहद जरूरी होती है, क्योंकि डायलिसिस से पहले रक्त वाहिका (फिस्टुला) बनानी पड़ती है। अब तक एवी फिस्टुला सर्जरी केवल निजी अस्पतालों में होती थी, जो बहुत महंगी है। एम्स में कम खर्च पर यह सर्जरी शुरू की गई है।
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