सूरज की तपिश ने कर दी चमड़ी मोटी
Gorakhpur News - हीट वेव के कारण रेगिस्तान में होने वाली बीमारी की चपेट में आए लोग
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गोरखपुर, नीरज मिश्र। पिछले साल के हीट वेव का दुष्प्रभाव मरीजों की सेहत पर अब तक है। सूरज की प्रचंड तपिश ने मरीजों की चमड़ी मोटी कर दी। त्वचा का रंग भी काला पड़ गया। ये मरीज हाइड्रोओ वैक्सीनफॉर्म और फोटो एलर्जिक डर्माटोज रोग से जूझ रहे हैं। इनका इलाज पिछले साल से ही एम्स के चर्म रोग विभाग में चल रहा है। ऐसे केस आमतौर पर रेगिस्तानी इलाको में आते हैं। पूर्वांचल में इस बीमारी की वजह पिछले साल 39 दिन तक चली हीट वेव है।
पिछले साल गर्मी में बड़ी संख्या में ऐसे मरीज एम्स की ओपीडी में इलाज के लिए आए थे। चर्मरोग विभाग की ओपीडी में हर दिन ऐसे मरीजों की संख्या करीब 20 फीसदी थी। बीमारी से जूझने वालों में युवक और बच्चों के साथ महिलाएं भी शामिल रहीं। छह से आठ माह तक इलाज के बावजूद करीब तीन सौ मरीज अभी तक ठीक नहीं हुए। इनमें कई मरीजों की फोटोथेरेपी और एक्जाइमर लेजर थेरेपी करनी पड़ रही है। इनकी त्वचा इतनी काली और मोटी हो गई है कि वह सामान्य रंग में अब तक नहीं आ पाई है।
एम्स के चर्म रोग विभागाध्यक्ष डॉ. सुनील गुप्ता ने बताया कि पिछले साल हीट वेव 30 दिनों से ज्यादा रही। इसकी वजह से मरीजों की त्वचा काली होने के साथ काफी मोटी हो गई। आमतौर पर हाइड्रोओ वैक्सीनफार्म बीमारी रेगिस्तानी इलाके के लोगों में देखने को मिलती थी। पूर्वांचल में इस बीमारी का मिलना चिंताजनक है। क्योंकि, यहां के लोगों की इम्युनिटी रेगिस्तानी इलाके के लोगों के मुकाबले कमजोर होती है। यही कारण है कि इनके इलाज में लंबा वक्त लग रहा है।
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यह है चमड़ी मोटी होने का कारण
डॉ. सुनील गुप्ता ने बताया कि शरीर की त्वचा की बाहरी परत में मेलेनिन कोशिका सबसे महत्वपूर्ण है। यही कोशिका त्वचा को सूरज की रोशनी से बचाकर रंग भरने का काम करती है। लेकिन, जब सूरज की रोशनी का असर शरीर पर ज्यादा पड़ने लगता है तो मेलेनिन कोशिका त्वचा को काला बनाना शुरू कर देती है। जैसे-जैसे त्वचा काली होगी, वैसे-वैसे चमड़ी भी मोटी होती जाएगी।
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शरीर के इन हिस्सों पर असर ज्यादा
डॉ. सुनील गुप्ता ने बताया कि हाइड्रोआ वैक्सीनफार्म दुर्लभ त्वचा रोग है। यह बीमारी सूर्य की रोशनी में ज्यादा संपर्क में आने की वजह से होती है। सूर्य के संपर्क में शरीर के जो-जो अंग आते हैं, वह प्रभावित हो जाते हैं। यह बीमारी सबसे ज्यादा नाक, गाल, कान, हाथ और बाहों पर होता है। इसी तरह फोटो एलर्जिक डर्माटोज सूरज के संपर्क में आने के बाद त्वचा पर होने वाले घाव हैं।
ऐसे करें बचाव
डॉ. सुनील गुप्ता के मुताबिक इस बार भी भीषण तपिश के आसार हैं। अबकी 40 डिग्री से ज्यादा तापमान वाले दिनों की संख्या बढ़ भी सकती है। ऐसे में सावधानी जरूरी है। धूप में निकलें तो शरीर को पूरा ढकने वाले कपड़े पहनें। भरपेट पानी पीकर ही बाहर निकलें। त्वचा लाल और जलन हो तो तुरंत चिकित्सक से परामर्श लें।
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