बोले गोरखपुर: कैफेटेरिया और ट्वॉय ट्रेन का संचालन शुरू हो तो मिले राहत
Gorakhpur News - गोरखपुर के चिड़ियाघर में हर दिन 1500 से 2000 दर्शक आते हैं, लेकिन सुविधाओं की कमी से लोग परेशान हैं। ई-रिक्शा, गोल्फ कार्ट और कैफेटेरिया बंद होने से दर्शकों को दिक्कत होती है। इसके अलावा, बड़े जानवरों...
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Gorakhpur news: शहीद अशफाक उल्ला खां प्राणि उद्यान (चिड़ियाघर) में रोजाना डेढ़ से दो हजार दर्शक पहुंचते हैं। चिड़ियाघर में जानवरों की संख्या तो ठीकठाक है लेकिन दर्शकों को पर्याप्त सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं। चिड़ियाघर के बाहर बंद पड़ा कैफेटेरिया, ट्वॉय ट्रेन का न चलना, गोल्फ कार्ट का बंद होना दर्शकों को सबसे अधिक तकलीफ दे रहा है। सर्दियों में तो दर्शक किसी तरह बच्चों को गोद में उठाकर चिड़ियाघर घुमा देते हैं लेकिन गर्मी के मौसम में उनकी हालत पस्त हो जाती है। आपके अपने अखबार ‘हिन्दुस्तान ने चिड़ियाघर में आने वाले दर्शकों से बात की तो उन्होंने खूबियों और खामियों पर खुलकर चर्चा की। गोरखपुर। गोरखपुर में चिड़ियाघर का होना यहां के लिए किसी स्वर्णिम उपलब्धि से कम नहीं है। खासकर स्कूली बच्चों के लिए तो यह मनोरंजन के किसी बड़े साधन से कम नहीं है। सोमवार को छोड़कर सप्ताह के बाकी दिनों में यहां बड़ी संख्या में स्कूली छात्र भ्रमण करने के लिए आते हैं। इनमें गोरखपुर के आसपास के जिलों के छात्रों की संख्या ज्यादा रहती है। यहां मौजूद जानवरों की विभिन्न प्रजातियां बच्चों का भरपूर मनोरंजन करती हैं। इन सब खूबियों के बीच दर्शकों को जो चीज सबसे अधिक परेशान करती है, वह चिड़ियाघर प्रशासन की ओर से बनाया गया कड़ा नियम है।
बच्चों को घुमाने लेकर आए महराजगंज के शुभम कुमार ने बताया कि चिड़ियाघर में सब कुछ तो ठीक है, लेकिन बच्चों के लिए ई-रिक्शा या अन्य कोई ऐसी सुविधा देनी चाहिए ,जिससे बच्चे ठीक से हर बाड़े तक घूम सके। बच्चे को गोद में लेकर पूरा चिड़ियाघर घूमना किसी भी अभिभावक के बस की बात नहीं है।
दो साल से लखनऊ से नहीं आ पाया जेब्रा: चिड़ियाघर में जानवरों की संख्या बढ़ाने के लिए दो साल पहले छह जेब्रा इजरायल से मंगाए गए थे। इन जेब्रा को लाने के लिए एक करोड़ रुपये खर्च किए गए थे। सभी छह जेब्रा आए और लखनऊ चिड़ियाघर में उन्हें रखा गया है। इस बीच तय हुआ कि दो जेब्रा गोरखपुर चिड़ियाघर को भेजे जाएंगे। लेकिन, दो साल का समय बीत गया अब तक जेब्रा का दीदार दर्शक नहीं कर सके। जेब्रा का यह बाड़ा दो सालों से खाली है। जबकि, इस दौरान छह जेब्रा में से दो की मौत हो चुकी है। बाकी बचे चार जेब्रा को चिड़ियाघर प्रशासन लखनऊ से लेकर आ नहीं पा रहा है। दर्शक प्रीति सिंह ने बताया कि चिड़ियाघर में सुविधाएं न बढ़ने से निराशा होती है।
पॉलिसी ऐसी है कि कोई दुकान लेने को ही तैयार नहीं
चिड़ियाघर की पॉलिसी ऐसी है कोई भी खाने-पीने के सामान दर्शक अंदर लेकर नहीं जा सकते हैं। इसे लेकर चिड़ियाघर के ठीक बाहर कई दुकान खोले गए थे। इन दुकानों के खुलने का उद्देश्य यह था कि इससे चिड़ियाघर को आय होगी साथ ही आने वाले दर्शक खाने-पीने के सामान खरीद कर खा सकेंगे। लेकिन, चिड़ियाघर की पॉलिसी और उस पर दुकान का महंगा किराया होने से कोई उसे लेने में रुचि नहीं दिखा रहा है। ऐसे में दर्शकों को अंदर एक कैंटीन में जाकर जरूरत के सामान महंगे दामों में खरीदने पड़ रहे हैं। उस पर भी चिड़ियाघर प्रबंधन की माने तो मार्च में उस कैंटीन का भी समय पूरा हो रहा है। बताया जा रहा है कि अब संचालक ने उसे भी चलाने से हाथ खड़े कर दिए हैं। क्योंकि, उसका किराया इतना महंगा है कि उसे कोई दूसरा लेने को तैयार नहीं है।
कागजों से बाहर नहीं निकल सकी बाल रेल सेवा
जब चिड़ियाघर की शुरुआत हुई तो चिड़ियाघर प्रशासन ने बाल रेल सेवा (ट्वॉय ट्रेन) शुरू करने का फैसला लिया था। इसके लिए मुख्य गेट के सामने घुसते ही दो बाल रेल सेवा स्टेशन बनाए गए हैं। इसे कागजों में तो बना दिया गया लेकिन आज तक ट्रेन ट्वाय चल नहीं सका। ऐसे स्थिति में बच्चे पैदल अपने अभिभावकों के साथ घूमने के दौरान बीच-बीच में वह थक हार कर बैठ जाते हैं। उस पर केवल एक ही गोल्फ कार्ट चल रहा है, जो 20-20 रुपये लेकर दर्शकों को
घूमता है, लेकिन वह केवल वीआईपी दर्शकों के लिए ही उपलब्ध है। कुशीनगर से आए रणजीत कुमार ने बताया कि पूरे परिवार के साथ आया था। चिड़ियाघर बड़ा है। बच्चे छोटे हैं, ऐसी स्थिति में बच्चों को गोद में लेकर चलना मुश्किल था।
नहीं दिखते बड़े जानवर, छोटे जानवरों की संख्या ज्यादा
दर्शक प्रिया कुमारी ने बताया कि शहर में रहने के कारण हर माह चिड़ियाघर में आना होता है, लेकिन, जल्दी बाघ, शेर और बड़े जानवर नहीं दिखते हैं। चिड़ियाघर प्रशासन को चाहिए कि वह बड़े जानवरों को ऐसे बाड़े में रखें, जहां से दर्शक उनका दीदार अच्छे से कर सके, जबकि, छोटे जानवरों में हिरण, मगरमच्छ, बारहसिंहा जैसे जानवरों को देखने कोई नहीं आता है। वहीं चिड़ियों की प्रजातियां भी बेहद कम है। विदेशी पक्षियों में सन कन्योर के अलावा इक्का-दुक्का जलीय पक्षियों की संख्या है, जिसे लोग सामान्य तौर पर कम देखना पसंद करते हैं। विदेशी पक्षियों के साथ बड़े और खूबसूरत पक्षियों की संख्या बढ़ाने की जरूरत है। इससे दर्शकों की संख्या भी बढ़ेगी।
चिड़ियाघर में प्रदेश का पहला हाथी बाड़ा और रेस्क्यू सेंटर
प्रदेश का पहला चिड़ियाघर है, जहां हाथी बाड़ा बनाया गया है। साथ ही हाथियों के लिए रेस्क्यू सेंटर भी है। इस बाड़े में हाथी गंगा प्रसाद को रखा गया है। वहीं इसी बाड़े के ठीक बगल में एक और बाड़ा तैयार हो रहा है। इसमें एक और हथिनी को लाने की तैयारी चल रही है। चिड़ियाघर प्रशासन का प्रयास है कि एक और हथिनी आने से प्रजनन के भी चांस है। अगर ऐसा होता है प्रदेश का पहला सेंटर होगा, जहां पर हाथियों का प्रजनन के साथ उनका रेस्क्यू भी किया जा सकेगा।
शिकायतें
बाल रेल सेवा न होने से बच्चे ठीक से नहीं घूम पा रहे हैं, अभिभावक भी होते हैं परेशान।
पानी की सुविधा न होने से दर्शकों को परेशानी होती है। जगह-जगह आरओ प्लांट नहीं लगाए गए हैं।
शेर, बाघ का दीदार दर्शक जल्दी नहीं कर पाते हैं। इससे बच्चों को निराशा होती है।
एक ही कैंटीन होने की वजह से दिक्कतें ज्यादा हैं। दर्शकों से मनमाना दाम वसूला जाता है।
सेवन-डी थियेटर में एक ही फिल्म बार-बार दिखाई जाती है, इसकी संख्या बढ़ाई जाए।
सुझाव
जानवरों के बारे में बताने के लिए एक गाइड होना चाहिए, जिससे पूरी जानकारी मिल सके।
चिड़ियाघर के अंदर पानी की सुविधा पर विचार होना चाहिए। बड़े जानवरों की संख्या बढ़ाने की जरूरत है।
छोटे जानवरों की संख्या ज्यादा है, जिसे कम ही लोग देखना चाहते हैं।
ई-रिक्शा सहित गोल्फ कार्ट चलाएं, जिससे की दर्शकों को सहूलियत मिल सके।
चिड़ियाघर में खाने-पीने की व्यवस्था के लिए कैंटीन की संख्या बढ़ाई जाए।
हमारी भी सुनें
तितलीघर में तितलियों के लिए केवल कुछ पौधे लगा दिए गए हैं और उसका नाम तितलीघर रख दिया गया है। यह दर्शकों के साथ धोखा है।
- विवेक शुक्ला
चिड़ियाघर में पानी की व्यवस्था केवल एक जगह है। अगर आपके पास रुपये नहीं है तो चिड़ियाघर में पानी नहीं पी सकते हैं।
- प्रिया
चिड़ियाघर में कुछ बाड़े केवल बना दिए गए हैं, लेकिन इसमें एक भी जानवर नहीं है। जानवरों की संख्या बढ़े तो दर्शकों की संख्या भी बढ़ जाएगी।
- धनंजय मिश्रा
दर्शक इस उम्मीद से चिड़ियाघर आते हैं कि उन्हें बड़े जानवरों के दीदार होंगे, लेकिन यहां आने के बाद केवल छोटे जानवर ही दिखते हैं।
- सोहन चौहान
शेर, बाघ चिड़ियाघर में कभी-कभार दिखते हैं। उन्हें देखने की व्यवस्था ऐसी होनी चाहिए कि अच्छे से दर्शक देख सकें।
- गणेश कुमार
अंदर केवल एक कैंटीन संचालित है। बाहर से कुछ ला नहीं सकते हैं। कैंटीन संचालक मनमाना दाम वसूलते हैं। दो कैंटीन की व्यवस्था की जाए।
- ऋषि सोलंकी
चिड़ियाघर में सबसे अधिक संख्या बच्चों की रहती है। बच्चों के लिए कोई भी सुविधा नहीं है। इसकी वजह से बच्चे निराश हो जाते हैं।
- चंचल सिंह
जानवरों की संख्या बढ़ाई जाए। हिरण, बारहसिंगा जैसे जानवर ज्यादा हैं। जेब्रा सहित अन्य विदेशी जानवर आएं तो दर्शकों की संख्या बढ़ेगी।
- सोनी सिंह
एक गोल्फ कार्ट चलता है। वह भी केवल वीआईपी लोगों के लिए उपलब्ध है, जबकि, तीन गोल्फ कोर्ट कमरे में बंद करके रखे गए हैं।
- श्वेता सिंह
बाल रेल सेवा की शुरुआत अगर हो जाए तो बच्चों की संख्या और बढ़ जाएगी। बच्चे कुछ दूर चलने के बाद थक जाते हैं।
- अर्जुन
बड़े जानवरों के बाड़े काफी पीछे हैं। इसकी वजह से शेर और बाघ जल्दी नहीं दिखते हैं। इसके अलावा गाइड की भी सुविधा नहीं है।
- कविता
सेवन-डी थियेटर में फिल्मों की संख्या बढ़ाने की जरूरत है। वहीं, फिल्में बार-बार रिपीट कर चलाई जाती हैं। इसमें बदलाव की जरूरत है।
- योगेश
बोले जिम्मेदार
चिड़ियाघर में लगातार सुविधाएं बढ़ाई जा रही हैं। जानवरों की संख्या में दिनों दिन इजाफा हो रहा है। जल्द ही नए जानवर खाली बाड़ों में आ जाएंगे। इसकी तैयारी शुरू कर दी गई है। इसके अलावा प्रदेश का सबसे बड़ा मछलीघर भी चिड़ियाघर में बनाया जाएगा। इसकी अनुमति भी मिल गई है। इस मछलीघर में 10-10 फीट से बड़ी-बड़ी विदेशी मछलियां रहेंगी। जल्द ही बच्चों की सुविधा के लिए ट्वॉय ट्रेन चलाई जाएगी। इसकी भी तैयारी की जा रही है। गर्मी में निशुल्क प्याऊ की व्यवस्था चिड़ियाघर में की जाएगी।
- विकास यादव, निदेशक, चिड़ियाघर
चिड़ियाघर में सभी बाड़ों में वन्य जीवों की संख्या अच्छी है। वन्य जीव ऐसे होते हैं कि वे अपने मन मुताबिक आराम करते हैं। ऐसी दशा में उन्हें आगे-पीछे नहीं बुलाया जा सकता है। जब उनकी मर्जी होती है, तब वे आराम करते हैं और आगे आते हैं। दर्शकों की सुविधा के लिए जानवरों को समय-समय पर बाड़ों में छोड़ा जाता है। हर दिन बाघ, शेर और तेंदुए बाड़ों में मौजूद रहते हैं। तितलीघर में फूलों की संख्या जैसे-जैसे बढ़ेगी वैसे-वैसे तितलियों की संख्या भी बढ़नी शुरू हो जाएगी।
- डॉ. योगेश प्रताप सिंह, मुख्य पशु चिकित्साधिकारी, चिड़ियाघर
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