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23 साल बाद बैंक ने बताया एफडी फर्जी, ग्राहक ने की शिकायत

Gorakhpur News - गोरखपुर में एक ग्राहक ने 2001 में बैंक में 23 हजार रुपये की फिक्स डिपॉजिट कराई थी। जब वह बेटी की शादी के लिए पैसे निकालने गया, तो बैंक ने उसे बताया कि एफडी का पेपर फर्जी है। पीड़ित ने शिकायत दर्ज कराई...

Newswrap हिन्दुस्तान, गोरखपुरWed, 1 Jan 2025 01:27 AM
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23 साल बाद बैंक ने बताया एफडी फर्जी, ग्राहक ने की शिकायत

गोरखपुर, वरिष्ठ संवाददाता ग्राहकों के खाते से पैसा निकालने और मुर्दा लोगों के खाते से लोन फ्राड करने के बाद अब एफडी फ्राड का मामला सामने आने से सनसनी फैल गई है। शहर के एक बैंक में ग्राहक ने 2001 में 23 हजार रुपये की एफडी (फिक्स डिपॉजिट) कराई थी। बेटी की शादी में जब उधार लौटाने के लिए एफडी तोड़वाने बैंक पहुंचा तो बैंक ने उसे फर्जी बता दिया। पीड़ित ने अफसरों से इसकी शिकायत की है।

गुलरिहा थाना क्षेत्र अंतर्गत हरसेवकपुर न. 2 छोटी जमुनाहिया गांव के रहने वाले 40 वर्षीय जवाहिर सहानी और उनके 55 वर्षीय मामा राम सेवक ने एसबीआई के पादरी बाजार में 2001 में संयुक्त रूप से 23 हजार रुपये फिक्स डिपॉजिट किया था। पहली बार उन्होंने 84 महीने के लिए एफडी किया। जवाहिर ने बताया कि फरवरी 2008 में एफडी पूरा होने पर बैंक गए तो बैंक कमिर्यों ने कहा कि पैसा निकालकर क्या करेंगे, इसे आटो मोड में डाल दीजिए, हर साल रिन्यू होता रहेगा और जब जरूरत होगी, पैसा निकाल लीजिएगा।

दिसम्बर महीने जवाहर के बेटी की शादी थी। पैसे की जरूरत होने पर वह अपने मामा के साथ बैंक पहुंचे तो बैंककर्मियों ने बताया कि एफडी का पेपर फर्जी है। एफडी के पेपर पर एकाउंट नम्बर और डिटेल नहीं था। इतना सुनते ही दोनों के पैरों तले जमीन खिसक गई। जब दोनों बार-बार पैसा जमा होने की बात पर अड़े रहे, तो उन्हें किसी और दिन आने को कहकर बैंक से जाने को कहा दिया गया। पीड़ितों ने मंगलवार को स्टेट बैंक के क्षेत्रीय प्रबंधक कार्यालय पर लिखित शिकायत की।

बेटी की शादी का उधार लौटाने पर तोड़वाने गए थे एफडी

पीड़ित जवाहिर ने बताया कि 4 दिसंबर 2024 को उनकी बेटी की शादी थी। रिश्तेदारों से कर्ज लेकर शादी संपन्न कर दी। शादी से फुर्सत मिलने के बाद कर्ज चुकाने के लिए 19 दिसम्बर को फिक्स डिपॉजिट का पेपर लेकर बैंक पहुंचे। पैसे निकाले के लिए फॉर्म भर कर जब बैंक के काउंटर पर दिया तो पता चला कि इसमें कोई पैसा जमा नहीं है। जवाहिर अपने मामा रामसेवक और गांव के ही एक अन्य व्यक्ति के साथ 26 दिसंबर को दोबारा बैंक पहुंचे, जहां पूछताछ करने पर पता चला कि फिक्स डिपॉजिट के प्रपत्र पर कोई खाता नंबर नहीं लिखा गया है, जिसकी वजह से पैसे का पता नहीं चल रहा है। बताया गया कि अभी बैंक मैनेजर छुट्टी पर हैं, उनके आने पर ही पता चलेगा। 30 दिसम्बर को मैनेजर के छुट्टी से आने पर बैंक पहुंचे तो कागजात देखने के बाद ब्रांच मैनेजर ने फिक्स डिपॉजिट के प्रपत्र को फर्जी बताया और कहा कि इस पर कोई भी मुहर और खाता संख्या नहीं लिखा गया है।

ग्राहक का पैसा निकलाने और फर्जी लोन का आ चुका है केस

बेलघाट यूको बैंक में ग्राहक के खाते से बैंक कर्मियों द्वारा पैसा निकलाने और जंगल कौड़ियों में मुर्दों को लोन देने की जालसाजी की घटनाएं पहले सामने आ चुकी हैं। बेलघाट के मामले में 22 से ज्यादा लोगों ने शिकायत दर्ज कराई और पांच केस दर्ज कराया, जिसके बाद आरोपित कैशियर गिरफ्तार किया गया। वह ग्राहकों का पैसा निकाल लेता था। वहीं, जंगल कौड़ियों में भी बैंक कर्मियों की फर्जी लोन के मामले में गिरफ्तारी हो चुकी है। पेंशनधारी खाताधारक के नाम से फर्जी तरीके से लोन पर पैसा निकाला गया था।

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