शुगर के मरीज नहीं करा रहे आंखों की जांच, फट रही धमनियां
Gorakhpur News - 38 से 39 फीसदी मरीजों की नजरें हुई कमजोर, तब पहुंचे इलाज के लिए 44 फीसदी मरीजों को पता ही नहीं कि आंखों की नियमित जांच जरूरी मधुमेह के ऐसे मरीजों

गोरखपुर, कार्यालय संवाददाता। शुगर के मरीजों की लापरवाही उनकी आंखों को भी नुकसान पहुंचा रही है। ऐसे मरीजों को डायबिटिक रेटिनोपैथी का खतरा है। यह आंखों में मौजूद ब्लड वेसेल्स को नुकसान पहुंचा रहे हैं। इससे आंख की रेटिना में मौजूद खून की धमनियां फट जा रही है। एम्स के नेत्र रोग विभाग की स्क्रीनिंग में यह जानकारी सामने आई है। इस पर एम्स ने एडवायजरी जारी की है कि शुगर के मरीज साल में कम से कम में तीन बार आंखों की जांच जरूर कराएं।
शुगर के मरीजों को डायबिटिक रेटिनोपैथी ज्यादा नुकसान पहुंचा रही है। इसे लेकर संस्थान ने अध्ययन के लिए 272 मरीजों का डाटा इकट्ठा किया। स्क्रीनिंग के दौरान चौंकाने वाली जानकारी मिली। आंखों का इलाज कराने पहुंचे शुगर के 44 फीसदी मरीजों को यह पता ही नहीं था कि साल में कम से कम दो बार आंखों की नियमित जांच जरूर करानी चाहिए। इसके अलावा करीब 40 फीसदी मरीज ऐसे जिले, जिनकी नजरें काफी कमजोर हो गई थी। हैरानी की बात यह कि 11 फीसदी मरीजों ने आंखों की कभी कोई जांच ही नहीं कराई थी, नजर बिल्कुल धुंधली होने पर यह एम्स पहुंचे थे। छह फीसदी मरीज ऐसे मिले, जिनकी आंखों की रेटिना पर शुगर का असर ज्यादा हुआ और ऑपरेशन कराने की नौबत आ गई।
मरीजों को नहीं दे रहे आंखों की जांच की सलाह
एम्स की नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. अलका ने बताया कि शुगर के मरीज (उसकी उम्र कम हो या अधिक) को नियमित तौर पर आंखों की जांच हर हाल में करानी चाहिए। विशेषज्ञ डॉक्टर अगर मरीजों को आंखों की जांच की सलाह देते तो डायबिटिक रेटिनोपैथी जैसी गंभीर बीमारी को समय से रोका जा सकता है। एम्स में आने वाले 40 प्रतिशत ज्यादा मरीज बता भी रहे हैं कि उनके प्राथमिक चिकित्सक ने आंखों की जांच की सलाह नहीं दी।
शुगर नियंत्रित कर हो सकता है इलाज
डॉ. अलका ने बताया कि आंखों के सामने अंधेरा छाना, फ्लोटर्स, रंगों के समझने में भेद न कर पाना, धुंधलापन दृष्टिहीनता में शामिल हैं। अगर इस तरह के लक्षण मरीजों में मिल रहे हैं तो स्थिति गंभीर है। ऐसे मरीजों का इलाज शुगर नियंत्रण के बाद ही संभव है। कई बार ऐसे मरीजों की सर्जरी भी करनी पड़ रही है।
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