गोण्डा-सत्य अनुसंधान के दो मार्ग, परीक्षा और प्रतीक्षा
Gonda News - नवाबगंज के गोला बाजार में चल रही श्रीमद् भागवत कथा में कथाव्यास राधेश्याम शास्त्री ने कहा कि सत्य के अनुसंधान के दो मार्ग हैं: परीक्षा और प्रतीक्षा। विज्ञान परीक्षा का मार्ग है जबकि धर्म प्रतीक्षा का।...

नवाबगंज, संवाददाता। कस्बे के गोला बाजार में चल रहे श्रीमद् भागवत कथा में मंगलवार के रात कथाव्यास राधेश्याम शास्त्री ने कहा कि सत्य के अनुसंधान के दो मार्ग हैं, पहला परीक्षा करके दूसरा प्रतीक्षा करके। कहा कि विज्ञान परीक्षा का मार्ग है। धर्म और आध्यात्म प्रतीक्षा का मार्ग है। कथा को विस्तार देते हुए शास्त्री ने कहा की पूर्व के सभी शास्त्र, पुराण, धर्मग्रन्थ, नमस्कार से शुरू होते हैं। वह नमस्कार केवल औपचारिक नहीं है। वह केवल एक परंपरा और रीति नहीं है। अपितु वह संकेत है कि यह मार्ग समर्पण का है और जो विनम्र है, केवल वे ही उपलब्ध हो सकेंगे और जो आक्रमक है, अहंकार से भरे है, जो सत्य को भी छीन-झपटकर पाना चाहते है, जो सत्य के भी मालिक होने की आकांक्षा रखते है, जो परमात्मा के द्वार पर एक सैनिक की भांति पहुंचे हैं, विजय करने, वे हार जायेंगे।
वे छुद्र को भले छीन-झपट लें, विराट उनका नहीं हो सकेगा। वे व्यर्थ को भला लूटकर घर ले आयें, लेकिन जो सार्थक है, वह उनकी लूट का हिस्सा न बनेगा। इसलिए विज्ञान सार्थक के साथ व्यर्थ को भी खोज लेता है, बाद में सार्थक छूट जाता है। मिट्टी, पत्थर, पदार्थ के संबंध में जानकारी मिल जाती है लेकिन आत्मा और परमात्मा की जानकारी छूट जाती है। इसलिए जो परमात्मा को खोजने चलते है, उनके जीवन का ढंग दो शब्दों में समाया हुआ है प्रार्थना और प्रतीक्षा। प्रार्थना से शास्त्र शुरू होती है और प्रतीक्षा पर पूरा होती है। कथा का विश्राम आरती और प्रसाद वितरण के साथ हुआ।
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