पहले अशोक सिद्धार्थ को निकाला अब आकाश आनंद को चेताया, मायावती के नए रुख से क्या संकेत?
- पहले अशोक सिद्धार्थ को पार्टी से निकाला जाना और अब बसपा का उत्तराधिकारी बनने के लिए योग्यता बताते हुए भतीजे आकाश आनंद को एक तरह से चेताना, अपने आप में बहुत कुछ इशारा कर रहा है। अब यह साफ हो गया है कि अंदरखाने में सब कुछ ठीक नहीं है।
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बसपा में पिछले कुछ दिनों में घटे घटनाक्रम पर गौर करें तो यह पूरी तरह से साफ हो गया है कि अंदरखाने में सब कुछ ठीक नहीं है। पहले अशोक सिद्धार्थ को पार्टी से निकाला जाना और अब बसपा का उत्तराधिकारी बनने के लिए योग्यता बताते हुए भतीजे आकाश आनंद को एक तरह से चेताना, अपने आप में बहुत कुछ इशारा कर रहा है। राजनीति के जानकार इसे बसपा में पारिवारिक वर्चस्व की लड़ाई के संकेत में रूप में देख रहे हैं।
मायावती द्वारा पहले ससुर अशोक सिद्धार्थ और फिर दबी जुबान में उनके दामाद आकाश आनंद की योग्यता पर सवाल उठने से साफ है कि घर में सब ठीक नहीं है। एक चर्चा यह भी है कि क्या बसपा में नई पीढ़ी अधिक मजबूत तो नहीं होने लगी थी? क्या मायावती के आदेशों की अनदेखी होनी लगी थी? अगर ऐसा है तो बसपा में बहुत जल्द बड़ा बदलाव देखने को मिले को आश्चर्य नहीं होगा।
बसपा सुप्रीमो मायावती ने अपने ·भतीजे आकाश आनंद को पार्टी का राष्ट्रीय कोआर्डिनेट बनाने के साथ ही अपना उत्तराधिकारी भी घोषित कर रखा है। मायावती आकाश आनंद को पूरी तरह से राजनीति में सक्रिय करने में जुटी हुई थीं। आकाश को महाराष्ट्र, राजस्थान, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, पंजाब और हरियाणा विधानसभा चुनाव में लगाया गया। उनकी मदद के लिए उनके ससुर और मायावती के विश्वासपात्रों में एक रहे अशोक सिद्धार्थ को लगाया गया। आकाश आनंद को लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश का स्टार प्रचारक बनाते हुए मैदान में उतारा गया, तो यह माने जाने लगा कि मायावती अब पूरी तरह से आकाश को कमान सौंपने के मूड में दिखाई दे रही हैं।
आकाश लोकसभा चुनाव में लगातार आक्रामक भाषण दे रहे थे। वह भाजपा की सरकार को कटखड़े में खड़ा कर रहे थे। सीतापुर में सभा के बाद उन पर एफआईआर होते ही उनके कार्यक्रम को रद्द कर दिया गया और कुछ दिनों बाद ही मायावती ने उन्हें अपरिपक्व बताते हुए हटा दिया। मायावती ने कुछ महीनों बाद फिर जिम्मेदारी दे दी और हरियाणा और दिल्ली विधानसभा चुनाव की पूरी जिम्मेदारी दी। सूत्रों की मानें तो इन दोनों चुनावों में टिकट वितरण में मानमानी की बात आई है। कहा जा रहा है कि इसी के चलते अनुमान के अनुरूप परिणाम नहीं आया। इसके लिए भी काफी हद तक अशोक सिद्धार्थ और आकाश आनंद को जिम्मेदार माना जा रहा है।
ईशान बड़ा फैक्टर
मायावती द्वारा जिस तरह से आकाश आनंद को आगे बढ़ाया गया था, उसी तरह ईशान आनंद को आगे बढ़ाया जा रहा है। कहा तो यह भी जा रहा है कि मायावती को शायद आकाश आनंद पर वह भरोसा नहीं रहा। इसीलिए वह विकल्प के रूप में ईशान को आगे बढ़ा रही हैं। इसीलिए ससुर और दामाद पर नकेल डाली जा रही है, जिससे यह संदेश दिया जा सके कि बसपा की कमान मायावती के पास ही रहेगी और जैसा वह चाहेंगी वैसा ही करना पड़ेगा। पार्टी में जो भी मनमानी करेगा वह बाहर जाएगा या नेपथ्य में डाल दिया जाएगा।