बोले फिरोजाबाद: समस्याओं से जूझ रहे चूड़ियों को बेजोड़ बनाने वाले जुड़ाई श्रमिक
Firozabad News - फिरोजाबाद। सुहागनगरी में जो श्रमिक महिलाओं को सुहाग के प्रतीक चिन्ह चूड़ी को बेहतर आकार दे रहे हैं। वह स्वयं विभिन्न तरह की समस्याओं का सामना कर रहे हैं।
सुहागनगरी में जो श्रमिक महिलाओं को सुहाग के प्रतीक चिन्ह चूड़ी को बेहतर आकार दे रहे हैं। वह स्वयं विभिन्न तरह की समस्याओं का सामना कर रहे हैं। सुहाग नगरी के चूड़ी उद्योग का महत्वपूर्ण हिस्सा बने इन चूड़ी जुड़ाई श्रमिकों को सरकारी मदद की दरकार है। लेकिन इस दिशा में अभी तक कोई सार्थक पहल नहीं हो सकी है। जिसके चलते इन श्रमिकों की जिंदगी जटिल होती जा रही है। सरकारी स्तर पर की जा रही चूड़ी जुड़ाई श्रमिकों की अनदेखी का खामियाजा इनके परिवार को भी भुगतना पड़ रहा है। इन श्रमिकों को समुचित पारिश्रमिक नहीं मिल पा रहा। जिसकी वजह से यह अपने परिवार का भरण पोषण भी ठीक से नहीं कर पा रहे। वहीं बच्चों को बेहतर शिक्षा दिला पाना इनके लिए बहुत दूर की बात है।
कांचनगरी में करीब 125 कारखाने संचालित हो रहे हैं। इनमें हर रोज लाखों चूड़ी तोड़ा का उत्पादन होता है। इन चूड़ियों को श्रमिक अपने-अपने घरों पर ले जाते हैं। जहां पर चूड़ी जुड़ाई का कार्य किया जाता है। इस कार्य में श्रमिकों के अलावा उनके परिवार की महिलाएं और बच्चे भी सहयोग करते हैं। चूड़ी जुड़ाई के कार्य में करीब डेढ़ लाख श्रमिक लगे हुए हैं। जो विभिन्न समस्याओं से जूझ रहे हैं। लेकिन इनकी समस्याओं का कोई स्थाई समाधान नहीं हो सका है।
श्रमिकों को मिल रहा काफी कम मेहनताना, नहीं हो रही सुनवाई:चूड़ी जुड़ाई कार्य में लगे श्रमिकों को काफी कम पारिश्रमिक मिल रहा है। श्रमिक नेताओं का कहना है कि फिरोजाबाद के चूड़ी उद्योग में चूड़ी जुड़ाई प्रक्रिया में नियोजित श्रमिकों की मजदूरी बढ़ाने के लिए वर्ष 2019 में तत्कालीन जिला के अधिकारी सेल्वा कुमारी जे ने प्रशासनिक अधिकारियों एवं श्रम विभाग की संयुक्त टीम गठित कर 100 चूड़ी तोड़ा को 8 घंटे में तैयार करने में लगने वाले श्रमिकों की वास्तविक संख्या के आंकलन के लिए सर्वे कराया था। जिसमें चूड़ी जुड़ाई प्रक्रिया के विभिन्न कार्यों में 20 श्रमिक नियोजित होना पाया गया था। तत्कालीन डीएम सेल्वा कुमारी की रिपोर्ट पर उत्तर प्रदेश शासन द्वारा सन 2021 को चूड़ी जुड़ाई श्रमिकों की मजदूरी बढ़ाने के संबंध में शासनादेश जारी किया था। शासनादेश के अनुसार प्रति 100 तोड़ा चूड़ी जुड़ाई के लिए 3150 रुपये मजदूरी निर्धारण की गई थी। इसके बाद इन श्रमिकों की मजदूरी में कोई वृद्धि नहीं की गई। श्रमिक नेताओं का कहना है कि यह मजदूरी प्रति 100 तोड़ा पर 3150 के स्थान पर 6949 रुपये होनी चाहिए, जो कि नहीं मिल पा रही है।
काम में आने वाली समस्याओं को रखते हुए श्रमिक
श्रमिकों को चूड़ी जुड़ाई कार्य के लिए मिट्टी का तेल नहीं मिल रहा। इससे दिक्कतें आ रही हैं। आएदिन श्रमिक हादसे का शिकार हो जाते हैं। कम से कम प्रशासन को इस ओर ध्यान रखना चाहिए।
-अनुज कुमार
चूड़ी जुड़ाई श्रमिकों का न्यूनतम वेतन बहुत कम है। इसको पूरा दिया जाना चाहिए। कम वेतन मिलने से परिवारों को चलाना दूभर हो जाता है। हमें काम करने के बाद भी दूसरों के आगे हाथ फैलाने पड़ते हैं।
-हाकिम सिंह
कांचनगरी में हर रोज लाखों चूड़ी तोड़ा का उत्पादन होता है। इन चूड़ियों को श्रमिक अपने-अपने घरों पर ले जाते हैं। जहां पर चूड़ी जुड़ाई का कार्य किया जाता है। ये काम कारखानों में भी हो सकता है।
-विकास राठौर
चूड़ी जुड़ाई श्रमिक असंगठित क्षेत्र में आते हैं फिर भी सामाजिक सुरक्षा का लाभ नहीं मिल पा रहा है। इससे कई बार तो श्रमिकों पर हमले हो जाते हैं। श्रमिक अपनी सुरक्षा को लेकर भी परेशान रहता है।
-महावीर सिंह
श्रमिकों को उनकी मजदूरी का भुगतान नगद में किया जाता है। जिसका कोई साक्ष्य श्रमिक के पास नहीं होता। हम चाहते हैं कि जब इंडिया को डिजिटल किया जा रहा है तो हमको पिछड़ा क्यों बनाया जा रहा है। हमें बैंक से भुगतान हो।
-मुकेश बाबू
सुहागनगरी के श्रमिकों को निर्धारित दर से कई बार कम मजदूरी दे दी जाती है। इसका विरोध भी श्रमिक इस लिए नहीं कर पाते हैं कि उनके पास कोई मजदूरी का साक्ष्य नहीं होता। अगर खातों में रुपये आएंगे तो अपने हक की लड़ाई लड़ सकेंगे।
-मुन्ना लाल
छोटे-छोटे कमरों में चूड़ी जुड़ाई कार्य करने से टीबी, दमा सहित फेफड़ों की बीमारी हो जाती हैं। इसको लेकर परेशानी आती है और बीमारी से कई मौतें हो जाती हैं। इसलिए हमारी मांग है कि कम से कम कारखानों में ही जुड़ाई का काम हो जाए।
-नंदू
बीमारियों का शिकार होने पर इन श्रमिकों के स्वास्थ्य की जांच का इंतजाम नहीं है। श्रमिकों के लिए अलग से हॉस्पिटल का निर्माण होना चाहिए। श्रमिकों की समस्याओं को सुनने के लिए चिकित्सकों को दिशा निर्देश होना चाहिए ताकि वे कामों पर भी जा सकें।
-नीतेश कुमार
चूड़ी जुड़ाई श्रमिक चूड़ी उद्योग से सीधे जुड़े हैं लेकिन चूड़ी जोड़ने का कार्य घरों पर करते हैं। घरों पर कोई हादसा होता है तो परिवार भी उसकी चपेट में आ जाते हैं और बच्चे तक झुलसने के बाद अस्पताल में भेजने पड़ जाते हैं। -प्रेमचंद्र
कारखाना श्रमिक के रूप में हमारे पहचान कार्ड नहीं होने से कोई पहचान नहीं है। इसके लिए कई बार प्रशासन से कहा गया लेकिन पहचान कार्ड के लिए कोई पहल नहीं की जाती। जबकि शासन से इसको लेकर आदेश भी आने की बात है।
-राजेश कुमार
सुहागनगरी के श्रमिकों को आई कार्ड जारी किया जाना जरूरी है । जिससे उनकी पहचान का संकट दूर हो सकेगा। पहचान पत्र नहीं होने से हम सालों से काम करने के बाद भी एक सामान्य श्रमिक की तरह हैं और हम कब से काम कर रहे हैं ये तक रिकार्ड नहीं।
-संजीव कुमार
श्रमिकों की मजदूरी बढ़ाई जाए। श्रमिकों की मांग है कि उनका पारिश्रमिक प्रति सैकड़ा तोड़ा पर 6949 रुपए किया जाए। इस संबंध में नया शासनादेश जारी किए जाने की जरूरत है। इस ओर प्रशासन को ध्यान देना चाहिए।
-रिंकू
श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा का लाभ दिलाया जाए। कर्मचारी राज्य बीमा निगम एवं कर्मचारी भविष्य निधि संगठन की सुविधा का लाभ श्रमिकों को दिलाया जाए। इससे परिवारों को कम से कम उपचार की व्यवस्था हो जाएगी।
-संदीप कुमार
श्रमिकों को चूड़ी कारखाना सेवा योजक द्वारा मजदूरी का भुगतान डिजिटल माध्यम से कराया जाए। जिससे श्रमिकों को कम मजदूरी मिलने की समस्या का सामना न करना पड़ेगा और हम अपने हक की लड़ाई भी लड़ सकेंगे।
-शारदा देवी
चूड़ी जुड़ाई कार्य में लगे श्रमिकों के स्वास्थ्य की नियमित जांच का इंतजाम कराया जाए। शहर में श्रमिकों के लिए अलग से हॉस्पिटल खुलवाया जाए। जहां पर वहां अपना इलाज आसानी से करा सकेंगे।
-सरोज देवी
जुड़ाई कार्य में श्रमिकों के अलावा उनके परिवार की महिलाएं और बच्चे सहयोग करते हैं। इस काम में करीब डेढ़ लाख श्रमिक लगे हुए हैं। जो विभिन्न समस्याओं से जूझ रहे हैं। इनकी समस्याओं का कोई स्थाई समाधान नहीं हो सका है।
-शिवराम
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