बोले फिरोजाबाद: जिस पर किया ‘विश्वास उसी ने किया ‘घात
Firozabad News - न्यू अंबेडकर नगर के निवासियों ने जिन पर विश्वास किया, उन्होंने उन्हें धोखा दिया। पिछले नौ वर्षों में विकास नहीं हुआ है, जिससे लोग मूलभूत समस्याओं से जूझ रहे हैं। बारिश में जलभराव के कारण कई घर दरकने...
हम लोगों ने जिस पर विश्वास किया, उसी ने हमारे साथ विश्वासघात किया। बड़े अरमानों से हमने मकान बनाने के सपने देखे। जिस स्थान पर मकान के लिए सौदा हुआ उसके मालिकों द्वारा विश्वास दिलाया गया था कि जल्द ही यहां नगर निगम द्वारा सभी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। मामला लगभग नौ वर्ष पूर्व का है। इसी विश्वास के आधार पर सभी क्षेत्रीय निवासियों ने गड्ढों में मकान बनाने के लिए सौदा तय किया था। लंबा समय बीत जाने के बाद भी यहां विकास की एक भी किरण नहीं दिख रही है। यह पीड़ा वार्ड संख्या 29 बघेल कॉलोनी के मोहल्ला न्यू आंबेडकरनगर के उन सैंकड़ों लोगों की है जो क्षेत्र में मूलभूत समस्याओं से बुरी तरह जूझ रहे हैं। समूचे न्यू आंबेडकरनगर में इस समय लगभग 300 से अधिक के घरों का निर्माण हो चुका है। वर्तमान में हालात यह है कि क्षेत्रीय निवासियों ने अपने आवागमन के लिए खुद ही रास्तों का निर्माण कर लिया है। इतना ही नहीं नगर निगम द्वारा सड़क और नालियां न बनाए जाने से लोग परेशान हैं। घरों के सामने गड्ढे खोद लिए हैं। उनमें गंदे पानी को इकट्ठा करते हैं और फिर बाल्टियों से बाहर फेंक कर आते हैं।
सबसे अधिक दयनीय हालत बारिश के मौसम में हो जाती है जब निचला इलाका होने के कारण इसमें कई कई दिनों सड़कें पानी में डूबी रहती हैं। सबसे अधिक बुरी हालत उन छोटे-छोटे बच्चों की होती है जो सड़कों पर पानी भरा रहने के कारण कई-कई दिनों तक स्कूलों का मुंह नहीं देख पाते। क्षेत्र में अधिकांश गरीब एवं चूड़ी श्रमिक निवास करते हैं। पानी की निकासी न होने के कारण वह अपनी रोजी-रोटी से भी हाथ धो बैठे हैं। कभी-कभी बरसात का पानी घरों में भी घुस जाता है जिसके कारण घर के सदस्य रातभर घरों से पानी बाहर निकलने में लगे रहते हैं।
जलभराव से दरकने लगे कई मकान:बिना बरसात के जगह-जगह पानी भरने के कारण क्षेत्र के कई ऐसे मकान हैं जो दरकने लगे हैं। कई मकानों की दीवारों में दरार पैदा हो गई है जिसके कारण कभी भी कोई गंभीर हादसा हो सकता है। लोगों का कहना है कि मेहनत करके उनके द्वारा मकानों को बनाया गया है। अगर यही अनदेखी की हालत रही तो मकानों के गिरने के बाद उनके पास न तो आशियाना बचेगा और हादसे में अगर किसी के फंसने की स्थिति बनी तो जान बचाने के लाले पड़ जाएंगे। इसलिए कम से कम क्षेत्र में विकास की किरण दिखाने का काम नगर निगम को करना चाहिए।
लोगों का दर्द
विकास से पूरी तरह अछूते न्यू अंबेडकर नगर में सबसे ज्यादा प्रभावित हम चूड़ी मजदूर हैं। सड़कें न होने के कारण हमारे चूड़ी से लगे ठेल अक्सर पलटते रहते हैं। इससे हमारा काफी नुकसान हो जाता है।
-पूरन सिंह
हमारे साथ ऐसे लोगों ने विश्वासघात किया जिन पर हम अटूट विश्वास करते थे और उन्हीं के कहने पर नगर निगम की सीमा में हमने मकान बनाने के लिए लाखों रुपया खर्च किया। अब कोई आगे नहीं आ रहा।
-रवि
हम चूड़ी मजदूरों अपनी खून को पसीने की मेहनत से जमीन एवं मकान खरीदा। सुविधा न होने से काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। बारिश के दिनों में बच्चे स्कूल तक जाने से वंचित रह जाते हैं।
-नेत्रपाल
अपनी समस्याओं को लेकर हमने कई बार निगम के चक्कर काटे इसके बाद भी नतीजा शून्य निकला। कोई हमारी जलभराव और विकास संबंधी समस्याओं को हल कराने के लिए ध्यान नहीं दे रहा है।
-विनय
बारिश में ऐसा लगता है कि न्यू अंबेडकरनगर के निवासी किसी मोहल्ले में नहीं बल्कि टापू पर रह रहे हैं। महिलाएं जो घरों में चूड़ी की जुड़ाई और झलाई का काम करती हैं वे काम नहीं कर पातीं काफी समस्याएं हैं।
-मनवीर
लाखों रुपया खर्च करने के बाद हमने जीवन में नहीं सोचा था कि हम अपनी ही गंदगी को अपने हाथों से उठाएंगे। यहां नगर निगम द्वारा यहां सफाई कर्मचारियों को नहीं लगाया गया है। हमें खुद करना पड़ता है।
-किरनदेवी
जलभराव के चलते मोहल्ले के कई मकान भी प्रभावित हो रहे हैं, मकान की दीवारों में दरार आ गई है तथा लोग घरों के अंदर भी बुरी तरह भयभीत हैं। कभी भी कोई हादसा हो जाए तो कौन जिम्मेदार होगा।
-शालू
बारिश के दिनों में यहां की सड़कें पानी में डूब जाती हैं। तथा खाली प्लॉट तालाब में तब्दील हो जाते हैं। ऐसे में संक्रामक बीमारियां फैल जाती हैं मजदूर भी जलभराव में घरों की समस्याएं हल करने में लगे रहते हैं।
-सुनीता
स्मार्ट सिटी का दावा करने वाले अधिकारी कभी इस क्षेत्र में आकर देखें कितने स्मार्ट हैं हम। जो मार्ग दोबारा बनाए जा रहे हैं उससे बेहतर होता कि हमारे जैसे इलाकों में विकास करा दिया जाता।
-गुड़िया
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