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बोले फिरोजाबाद: पुरानी पेंशन की टेंशन के बीच बढ़ा काम का बोझ

Firozabad News - सरकारी कर्मचारियों को लंबे समय से पुरानी पेंशन की मांग को लेकर संघर्ष करना पड़ रहा है। कार्य का बोझ बढ़ता जा रहा है, जबकि कर्मचारियों की संख्या कम होती जा रही है। आउटसोर्सिंग कर्मचारियों को भी वेतन की...

Newswrap हिन्दुस्तान, फिरोजाबादFri, 14 Feb 2025 04:09 PM
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बोले फिरोजाबाद: पुरानी पेंशन की टेंशन के बीच बढ़ा काम का बोझ

सरकारी दफ्तर में कुर्सियों पर बैठने वाले बाबू-कर्मचारियों को लेकर हरेक के जेहन में और दफ्तरों में मिलने वाले अन्य चेहरों के पीछे भी दर्द छिपा हुआ है। चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को सालों से वर्दी नहीं मिल रही है तो कई पर एक साथ कई कामों का बोझ। साल-दर-साल कर्मचारी कम होते जा रहे हैं तो बचे-खुचे कर्मचारियों पर बढ़ रहा है काम का बोझ, जिसका तनाव कई बार दफ्तर में पहुंचने वाले फरियादियों के जेहन में इनकी जुदा तस्वीर बना देता है। रकारी कर्मचारी हैं लेकिन खुद के हक के लिए सालों से संघर्ष कर रहे हैं। दफ्तर में जनता की फरियाद सुन उन्हें योजना का लाभ दिलाने वाले इन कर्मचारियों की खुद की फरियाद सालों से अनसुनी है। पुरानी पेंशन के लिए इनका संघर्ष जारी है तो तर्क भी गलत नहीं, लेकिन इसके बाद भी लखनऊ-दिल्ली तक बड़े-बड़े आंदोलन के बाद यह अपने अधिकार से दूर हैं। सिर्फ यह इकलौती समस्या नहीं है, दफ्तरों में काम का दबाव बढ़ता जा रहा है तो साल-दर-साल सेवानिवृत्ति के साथ कर्मचारी कम हो रहे हैं। इस स्थिति में कई कर्मचारी तनाव के चलते बीमारियों की भी चपेट में आ जाते हैं।

हिन्दुस्तान के बोले फिरोजाबाद में विकास भवन पर कर्मचारियों के बीच संवाद में हर जुबां पर पुरानी पेंशन के संघर्ष की ही बात दिखाई दी तो इसके साथ कई अन्य समस्याएं भी। चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों ने जब वर्दी न मिलने की बात कही तो कई नए कर्मचारी तो चौंक गए। उनका कहना था कि कौन सी वर्दी। इस पर पता चला कि कई साल से वर्दी ही नहीं मिली तो उन्हें कैसे जानकारी मिलती। कर्मचारियों का कहना था कि लगातार काम का दबाव बढ़ता जा रहा है। हर साल दफ्तर से कर्मचारी एवं लिपिक सेवानिवृत्त हो जाते हैं, लेकिन उनके स्थान पर नई भर्ती नहीं होती है। इस स्थिति में उनके पटल के काम का बोझ भी बढ़ता जा रहा है। इस तरफ किसी का ध्यान नहीं जा रहा है। कर्मचारियों ने कहा कि मशीन की तरह काम लिया जा रहा है।

रिक्त पदों को जल्द से जल्द भरा जाए:कर्मचारियों का कहना था कि कई पद रिक्त पड़े हुए हैं। कर्मचारी सेवानिवृत्त हो गए हैं तो कहीं पर नियुक्ति ही नहीं हो रही है। आश्रम पद्धति स्कूल में बाबुओं के पद रिक्त पड़े हुए हैं। इससे उनका काम भी अन्य कर्मचारियों को करना पड़ता है। इस स्थिति में कर्मचारियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। हर विभाग में स्टाफ की कमी है लेकिन काम का बोझ हर विभाग पर बढ़ रहा है। आखिर कर्मचारी भी एक क्षमता के तहत ही कार्य कर सकते हैं। इसके चलते कई बार कई पत्रावली लंबित रह जाती हैं तो लंबित कार्य को करने के लिए दबाव बनाया जाता है।

आउटसोर्सिंग कर्मचारियों से पूरा काम मेहनताना आधा भी नहीं मिल रहा

इधर आउट सोर्सिंग कर्मचारियों को लेकर भी सरकारी कर्मचारी गंभीर दिखाई दिए। हर विभाग में आउटसोर्सिंग पर कर्मचारी हैं। इन कर्मचारियों के द्वारा बाबुओं के बराबर ही काम किया जाता है तो कुछ दफ्तर में तो अधिकांश कार्य इनके द्वारा ही संभाला जा रहा है, लेकिन इसके बाद भी इनकी पगार मात्र 14 से 18 हजार रुपये है। इस स्थिति में यह कर्मचारी भी परेशान हैं। कर्मचारियों का कहना था कि इनसे काम पूरा लिया जाता है, लेकिन उसके एवज में मेहनताना आधा भी नहीं मिल पा रहा है।

ई बस की मिले सुविधा तो कर्मचारियों के साथ वादकारियों को भी मिले राहत

कर्मचारियों का कहना था कि दफ्तर आने के लिए टूंडला, जसराना, शिकोहाबाद एवं फिरोजाबाद से कर्मचारी मुख्यालय पर आते हैं। सिविल लाइन्स में दीवानी पर भी बड़ी संख्या में अधिवक्ता एवं वादकारी भी आते हैं, लेकिन यहां तक आने के लिए कोई बेहतर परिवहन व्यवस्था नहीं है। कर्मचारियों काकहना है कि लंबे वक्त से ई बस की मांग उठा रहे हैं ताकि कर्मचारियों के साथ वादकारियों को भी यहां तक बेहतर परिवहन की सुविधा मिल सके, लेकिन अभी तक इस दिशा में सकारात्मक प्रयास नहीं हो सके हैं। कर्मचारियों ने मुख्यालय तक ई बस के संचालन की मांग की है।

राज्य कर्मचारियों का दर्द

सरकार पुरानी पेंशन के मुद्दे पर कर्मचारियों की मांग नहीं मान रही है। पुरानी पेंशन के लिए कर्मचारी लंबे वक्त से संघर्ष कर रहे हैं तथा कर्मचारियों का आंदोलन पुरानी पेशन मिलने तक जारी रहेगा। जनप्रतिधिनियों को छोटे से कार्यकाल के लिए भी पुरानी पेंशन मिल सकती है तो आखिर सालों काम करने वाले कर्मचारी को क्यों नहीं।

-राणा प्रताप, कृषि, विभाग

वेतन विसंगतियां हावी हैं, जिन्हें दूर करने की तरफ ध्यान नहीं दिया जा रहा है। अन्य विभाग में तकनीकी सहायक पद पर 4200 ग्रेड पे दिया जा रहा है तो वहीं कृषि विभाग में मात्र 244 ग्रेड पे दिया जा रहा है। कई बार इसके लिए संपर्क किया है, लेकिन कहीं से भी कोई स्पष्ट जानकारी नहीं मिल पा रही है।

-देशराज सिंह, कृषि विभाग

बाबूओं के वेतन में कई तरह की असमानताएं हैं। अलग-अलग ग्रेड पे है, इसको एक समान किया जाना चाहि। हर विभाग में कर्मचारियों की कमी भी प्रमुख समस्या बनी हुई है। सेवानिवृत्त के बाद पद खाली हो जाते हैं। इसके बाद सेवानिवृत्त होने वाले कर्मचारियों के पटल का कार्य भी अन्य बाबुओं पर ही आ जाता है, जिससे काम का लोड भी बढ़ रहा है।

-ऋषिकांत, समाज कल्याण

पुरानी पेंशन की तरफ सरकार ध्यान नहीं दे रही है। कर्मचारी सालों काम करते हैं तथा इसके बाद जब सेवानिवृत्त होते हैं तो सिर्फ पुरानी पेंशन ही उनके बुढ़ापे का सहारा होती है, लेकिन सरकार ने पुरानी पेंशन का ही सहारा छीन लिया है। कम से कम कर्मचारियों को पुरानी पेंशन तो मिलनी चाहिए।

-रमेश चंद्र, युवा कल्याण

मानदेय में बढ़ोतरी की जानी चाहिए। सरकार काम तो काफी लेती है, लेकिन शिक्षामित्रों को कम मानदेय मिलता है। कई बार मानदेय बढ़ाने की मांग भी की गई है। शिक्षामित्र भी शिक्षकों के बराबर ही शिक्षण कार्य करते हैं। सरकार को इस तरफ ध्यान दें।

-रहीश पाल सिंह, शिक्षा विभाग

कर्मचारियों की पुरानी पेंशन को लेकर लड़ाई तो जारी है, लेकिन इसके अलावा सबसे बड़ी समस्या है कि कार्यालयों में स्टाफ की कमी हो रही है। लिपिकों एवं कर्मचारियों की संख्या घट रही है। इस स्थिति में जो भी कर्मचारी कार्यालय में हैं, उन पर भी लोड बढ़ता जा रहा है।

-इंसाफ अली, पंचायती राज विभाग

चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को शीतकालीन एवं ग्रीष्मकालीन वर्दी नहीं मिल रही है। भविष्य निधि खाते में जमा धनराशि की स्लिप देनी चाहिए तथा तीन वर्ष से सेवारत कर्मचारियों को स्थाई किया जाना चाहिए। चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के लिए जो आवास मिले हैं, उनकी मरम्मत का कार्य भी काफी वक्त से नहीं हुआ है, जो वक्त-वक्त पर कराना चाहिए।

-वेद प्रकाश अवस्थी, स्वास्थ्य विभाग

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