बोले फिरोजाबाद: सबको मंजिल तक पहुंचाने वालों की समस्याओं का कब होगा अंत
Firozabad News - शिकोहाबाद डिपो में संविदा चालक और परिचालकों को कम वेतन, बुनियादी सुविधाओं की कमी और अनियमित भुगतान का सामना करना पड़ रहा है। सर्दियों में कम सवारियों के कारण उनकी समस्याएं और बढ़ जाती हैं। इसके अलावा,...
रोडवेज बस का दिन रात संचालन करने के बाद भी कर्मचारियों को मेहनत का रुपया हाथ नहीं लगता। अगर कम आमदनी और अगर डीजल का सही औसत नहीं आया तो भी रुपया काट लिया जाता है। हद तो तब होती है जब राजस्व का रुपया भी वर्कशाप में कम आमदनी होने पर राजस्व पूरा होने तक जमा नहीं किया जाता। सर्दियों के मौसम में सबसे अधिक परेशानी चालक, परिचालक को उठानी पड़ती है। क्योंकि सर्द मौसम में भी सवारियां बहुत कम मिलती हैं और उस समय भी राजस्व की कमी के बीच रुपया जमा करने में आनाकानी की जाती है। यह शोषण की मार सिर्फ संविदा कर्मचारियों को ही भुगतनी पड़ रही है।
शिकोहाबाद डिपो में संविदा पद के 118 चालक एवं 92 परिचालक हैं। जबकि नियमित चालकों की संख्या कुल 42 एवं परिचालक की संख्या 42 हैं। डिपो में 85 फीसदी संविदा चालक-परिचालक हैं। संविदा कर्मियों के सहारे ही शिकोहाबाद डिपो की सभी 83 बसों का विभिन्न मार्गों पर संचालन लोकल व लम्बे रूटों पर हो रहा है। यह सभी चालक परिचालक हर दिन 10 से 15 हजार यात्रियों को उनकी मंजिलों तक पहुंचाने का काम करते हैं। इतना सब कुछ करने के बाद भी संविदा चालक परिचालकों को मूलभूत सुविधाओं से भी वंचित होना पड़ रहा है।
अगर चालक परिचालक एक माह में 5 हजार किमी बस नहीं चला पाते, तो उनको बोनस के नाम पर कोई सुविधा नहीं दी जाती है। यात्रा के दौरान अगर बस में कोई भी तकनीकी खराबी आ जाती है तो संविदा चालक- परिचालक की परेशानियां बढ़ जाती है। गाड़ी चलाकर ब्रेकडाउन हो जाती है तो चालक परिचालकों को उतनी ही दूरी का कुल 1.89 रुपये प्रति किमी के हिसाब से वेतन भुगतान किया जाता है। रूट के दौरान बस में अगर कोई टूट फूट हो तो उसे भी चालकों को अपने वेतन में से उसकी क्षतिपूर्ति करनी पड़ती है। सवारियां ले जाते समय अगर मार्ग पर जाम आदि लगा हो तो ऐसे में डीजल का औसत कम हो जाता है।
एवरेज न आने पर चालक के वेतन से कटौती कर ली जाती है। यातायात नियम में जरा सी लापरवाही पर भारी भरकम जुर्माना लगाया जाता है। इसकी भरपाई चालकों को वेतन से करानी पड़ रही है। डग्गेमार वाहन चौराहा से आसानी से सवारी भर सकता है लेकिन रोडवेज के परिचालक ने अगर सवारियां भरीं तो पुलिस उनका चालान काट देती है। जिसकी भरपाई भी चालकों के वेतन में कटौती कर की जाती है। अधिक दूरी पर बसों को चलाने के लिए एक ही चालक को भेजा जाता है। जिससे काम के बोझ व थकान के कारण चूक होने की संभावना बनी रहती हैं। साथ ही दूरी की यात्रा चालकों को थका देती है। अगर किसी तरह से रोडवेज अधिकारी लंबे रूट की बसों पर दो चालकों को भेज भी देते हैं तो ऐसे में केवल एक ही चालक का भुगतान किया जाता है। सर्दी के दिनों में लंबे रूट की बसों का संचालन करने वाले चालक, परिचालकों को गर्म वर्दी या फिर जैकेट आदि भी परिवहन निगम के द्वारा नहीं दी जाती है। वर्कशॉप से बस को मार्ग पर ले जाने से पहले चालकों को स्वयं बसों की सफाई और धुलाई करनी पड़ती है। संविदा चालक परिचालकों के ईएसआई कार्ड नहीं बनाए गए है। इससे उनको एवं उन पर आश्रित परिजनों को स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां होने पर सरकारी चिकित्सा सुविधाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है। वर्कशॉप से बस निकालकर मार्ग पर ले जाने के बाद सवारियों की कमी होने के कारण राजस्व कम आने पर परिचालकों को वेतन नहीं दिया जाता है। वर्कशॉप में कैशियर कर्मचारी ड्यूटी के अनुसार राजस्व न लाने पर कैश जमा नहीं करते है। ड्यूटी पूरी न होने तक चालक-परिचालकों को जबरन बार-बार ड्यूटी पर भेजा जाता है। इतना ही नहीं संविदा चालक परिचालकों को सीएल अवकाश नहीं दिए जाते हैं। जबकि शासनादेश के अनुसार निर्धारित ड्यूटी एवं किमी पूरे करने पर सीएल अवकाश का प्रावधान है। संविदा चालक परिचालकों के परिजनों को रोडवेज बसों में निशुल्क यात्रा का अधिकार भी नहीं दिया गया है।
संविदा और आउटसोर्सिंग से कर्मचारियों की भर्ती
रोडवेज बसों के संचालन के लिए सरकार संविदा, आउटसोर्स से भर्ती कर रही है। रोडवेज बस का संचालन कराने के लिए सबसे पहले नियमित पदों पर चालक परिचालकों की भर्ती करता था। उसके बाद संविदा पर भर्ती शुरू कर दी गई, लेकिन अब संविदा भी खत्म करने के साथ आउटसोर्स से चालक परिचालकों की भर्ती की जा रही है। रोडवेज में नियमित नौकरियां पूरी तरह से खत्म होने के कगार पर पहुंच चुकी हैं।
राजस्व कम आया तो मिलती निलंबन की धमकी
शिकोहाबाद डिपो के नियमित चालक परिचालकों की मानें तो कम राजस्व आने पर डिपो के उच्चाधिकारी कई प्रकार की धमकी देते हैं। इसके साथ ही विभिन्न आरोप लगाकर चार्जशीट देकर परेशान करते हैं। कई बार बिना कारण के निलंबित तक कर देते हैं। इस प्रकार चालक परिचालकों को शोषण किया जाता है। जबकि लक्ष्य से अधिक राजस्व लाने पर नियमित कर्मचारियों को बोनस आदि की कोई सुविधा नहीं दी जाती है।
कर्मचारियों को अवकाश देने के साथ परिजनों के लिए बसों में निशुल्क यात्रा का प्रावधान किया जाना चाहिए। ईएसआई कार्ड बनाकर स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ मिलना चाहिए।
-अनिल कुमार, इलेट्रीशियन
डिपो में वर्षों से कार्य करने वाले कर्मचारियों को नियमित करना चाहिए। अधिक किमी बस चलाने पर अलग से बोनस मिलना चाहिए। स्वास्थ्य योजनाओं का लाभ मिलना चाहिए।
-प्रवेंद्र, मैकेनिक
कर्मियों को दुर्घटना बीमा के नाम पर भी कोई सुविधा नहीं मिलती है। प्रोत्साहन धनराशि भी नहीं मिलती है। ऐसे में सभी कर्मियों का बीमा लाभ दिया जाए।
-इमरान, मिस्त्री
संविदा चालक परिचालकों एवं उनके परिजनों को स्वास्थ्य संबंधी सरकारी कोई भी सुविधा नहीं मिलती है। संविदा चालक परिचालकों के वेतन से ईएसआई के नाम पर भी कटौती होती है।
-प्रवीन यादव, चालक
कर्मचारियों को मौलिक अधिकार भी नहीं मिलते हैं। काम को कम संसाधनों में पूरा काम करना पड़ता है। जिससे कर्मचारियों को भी काफी दिक्कतें होती है। सरकार को समस्याओं पर ध्यान देना चाहिए।
-महेंद्र सिंह, मिस्त्री
चालकों को समय पर वर्दी चाहिए। वर्कशॉप में विश्राम करने के लिए बेहतर सुविधा मिलनी चाहिए। शौचालयों की सफाई एवं मरम्मत समय से होनी चाहिए। वेतन कटौती बंद होनी चाहिए।
-जुल्फिकार, चालक
रूट के दौरान बस में थोड़ी सी भी टूट फूट हो जाने पर चालक के वेतन से भरपाई के लिए कटौती कर ली जाती है। मामूली वेतन में कटौती हो जाने से हाथ में कुछ भी नहीं बचता है। कटौती बंद होनी चाहिए।
राजीव वर्मा, चालक
चालकों को कोई सुविधा नहीं है। मान सम्मान भी नहीं मिलता है। कोई भी चालक परिचालक को गालियां देकर चला जाता है। कर्मियों को उनको मौलिक अधिकारों से वंचित रखा जा रहा है।
-राजेश कुमार, चालक
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