बोले फर्रुखाबाद:अनसुनी फरियाद बनकर रह गए हम कर्मचारी
Farrukhabad-kannauj News - सरकारी और आउटसोर्सिंग कर्मियों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। कर्मचारी अपने विभागाध्यक्षों से समाधान के लिए प्रार्थनापत्र देते हैं, लेकिन सुनवाई में देरी होती है। विभिन्न विभागों में...
सरकारी, आउटसोर्स और संविदा कर्मियों के सामने ढेर सारी समस्याएं हैं। हालात ये हैं कि जब कर्मचारी समस्या से संबंधित प्रार्थनापत्र अपने विभागाध्यक्ष को देते हैं तो उस पर जल्दी सुनवाई नहीं होती। कर्मचारियों के सामने भी जो विभागीय स्तर की दिक्कतें हैं उसके समाधान के लिए विभागाध्यक्ष गंभीर नहीं हैं। आपके अपने अखबार ‘हिन्दुस्तान ने जब सरकारी और आउटसोर्सिंग व संविदा कर्मियों से बातचीत की तो उनका दर्द जुबां पर आ गया। राज्य कर्मचारी महासंघ के महामंत्री प्रमोद दीक्षित कहने लगे कि कौन-कौन विभाग की बात करें लगभग सभी विभागों में एक जैसी स्थिति है। जब तक जोर नहीं लगाया जाता है तब तक कर्मचारियों की विभागीय स्तर की समस्याएं भी नहीं निपट पाती हैं। नलकूप विभाग की समस्या को उठाते हुए कहने लगे कि बगैर नोटिस के एक कर्मी को सस्पेंड कर दिया गया। जैसे-तैसे बहाल तो कर दिया गया मगर उसका भुगतान तक नहीं किया गया। इसके साथ ही विभिन्न विभागों में कर्मचारियों की कमी की जानकारी देते हुए कहते हैं कि संविदा कर्मचारियों पर भी काम का बोझ बढ़ रहा है। इसका हल निकालने की जरूरत है। कई महिला स्वास्थ्य कर्मियों के वर्ष 2024 के लंबित वेतन का भी मामला उठाया। कर्मचारी नेता विजय शंकर तिवारी भी कहने लगे कि विभिन्न विभागों में कर्मचारियों की संख्या लगातार कम हो रही है। काम के दबाव के चलते दिक्कतें बढ़ती ही जा रही हैं। पीडब्लूडी नियमित वर्कचार्ज कर्मचारी संघ के अध्यक्ष रईस अहमद, जिला मंत्री अशोक कुमार के अलावा शिवकुमार भी अपने विभाग की समस्याओं पर कहते हैं कि कुछ कर्मचारियों से जो रिकवरी कराई जा रही है वह उचित नहीं है। भुगतान से पहले यह क्यों नहीं देखा गया? इसके साथ ही आउटसोर्सिंग कर्मचारी शिवम कठेरिया, संजीव कुमार, आशुतोष कहते हैं कि वेतन इतना कम है कि आजीविका चलाना मुश्किल है। रेनू मिश्रा भी समान कार्य समान वेतन की मांग करने लगती हैं। आउटसोर्सिंग कर्मियों की पीड़ा है कि काम के घंटे भी उनके अधिक हैं जबकि मानदेय उतना ही है। इन परिस्थितियों में जो दिक्कतें होती हैं वह खुद समझी जा सकती हैं। वहीं नलकूप विभाग के स्वास्थ्य कर्मियों ने अपनी पीड़ा उठाते हुए कहा कि वह तकनीकी स्तर के कर्मचारी तक नहीं हैं। अभिषेक बाजपेयी ने भी कर्मचारियों का दर्द उठाया। पंचायती राज विभाग की बात करें तो करीब 250 सफाई कर्मियों को पदोन्नति वेतनमान दिए जाने में भी लापरवाही बरती जा रही है। इसको लेकर कई बार आवाज उठाई गई है। इसी तरह की समस्याएं अन्य विभागों की हैं।
दो जून रोटी की गरज में दिन भर जूझते रहते हैं आउट सोर्सिंग कर्मी: संविदाकर्मियों के अलावा आउटसोर्सिंग पर तैनात कर्मचारियों का हाल बेहाल है। दो जून की रोटी की गरज में दिन भर काम में जूझते रहते हैं। उनमें असंतोष और दुख दर्द इस कदर है कि वह भावुक भी हो जाते हैं। बातचीत के दौरान कहने लगते हैं कि काम तो उन लोगों से भरपूर लिया जाता है पर जिस लिहाज से मानदेय मिलना चाहिए वह नहीं मिल पाता है। कहने लगे कि कर्मचारियों के लिए आठवें वेतन को कमेटी गठित की जा रही है तो उन लोगों के वेतन को बनाने के लिए किसी को चिंता नहीं है। एक-एक कर्मचारी से दो-दो व्यक्तियों का काम लिया जा रहा है। कई बार तो आठ घंटे से अधिक काम करना पड़ता है। छुट्टियों में भी कार्यालय बुला लिया जाता है। ऐसी स्थिति में परेशानी बढ़ती जा रही है।
बोल कर्मचारी-
कर्मचारियों के वेतन संबंधी मामलों के निस्तारण में तेजी लानी चाहिए। जो प्रकरण लंबित हों उसका समय से निस्तारण हो।
-जाहिद
चिकित्सीय क्लेम के अलावा अन्य भुगतान यदि समय से हों तो कर्मचारियों को राहत मिले। भुगतान समय से न होने पर परेशानी होती है।
-सर्वेश कुमार
कर्मचारियों से संबंधित जो प्रार्थना पत्र हों उनको विभागाध्यक्ष प्राथमिकता से लें और उसका निस्तारण समय से करें। ताकि राहत रहे।
-सनी
कर्मचारियों की समस्या के निस्तारण के लिए प्रत्येक विभाग में एक कर्मचारी को लगाया जाए। अभी भटकना पड़ता है।
-राजेश कुमार
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