बोले फर्रुखाबाद:हर घाट में कहते यहां से जाओ.. कहां ले जाएं नाव
Farrukhabad-kannauj News - गंगा मां के नाविक समाज को सरकारी योजनाओं की जानकारी नहीं है। बच्चों की शिक्षा की कमी और नाव खड़ी करने की जगह न मिलने से वे परेशान हैं। पर्वों पर भीड़ आने पर ही कुछ कमाई होती है, अन्यथा रोजी-रोटी का...
गंगा मां के आंचल में पीढ़ी दर पीढ़ी श्रद्धालुओं की सेवा करते आ रहे नाविक समाज को अभी तक यह पता नहीं है कि सरकार उनके लिए क्या योजनाएं चला रही है? जहां एक ओर उनके बच्चे शिक्षा की लौ से वंचित हैं तो वहीं नाव खड़ी करने के लिए अभी तक उनका स्थान तक तय नहीं है। आपके अपने अखबार ‘हिन्दुस्तान से नाविकों ने पीड़ा बयां की। शहाबुद्दीन, शफीक और शमशाद ने कहा कि घाट पर नाव खड़ी करने के इंतजाम नहीं हैं। इसके लिए प्रशासन को कुछ सोचना चाहिए। प्रमुख पर्वों पर पुलिस और गंगापुत्र उन्हें घाट से नाव हटाने को कहते हैं। नाविक मोहम्मद हाशिम कहने लगे कि पीढ़ी दर पीढ़ी नाव चलाने का काम उनके परिवार में चल रहा है मगर आज तक जिम्मेदारों ने यह नहीं बताया कि सरकार उनके लिए कौन-कौन सी योजनाएं चला रही है। न बच्चों को शिक्षा मिल पा रही है और न ही गंगा में नाव खड़ी करने का स्थान तय है। उनकी जो उपेक्षा हो रही है, वह बयां नहीं की जा सकती। वह सरकारी उपेक्षा से भी व्यथित हैं। कहते हैं कि नाव चलाने के बाद भी उन्हें मछुआ समाज की तरह लाभान्वित नहीं किया जाता है। मोहम्मद जायद, अरशद और मोहम्मद अफजल कहने लगे कि स्नान पर्वों के अलावा अन्य दिनों में उनके सामने रोजी-रोटी का संकट रहता है। इतना अवश्य है कि जब माघ महीना शुरू होता है तब जरूर ठीक-ठाक कमाई हो जाती है। जीशान, नादिर, असद, पिंटू कहने लगे कि सामान्य दिनों में श्रद्धालुओं का आगमन कम होता है। इसका असर उनके परिवारों पर पड़ रहा है। ऐसे में कई परिवारों के युवा नाव संचालन छोड़कर दूसरे काम में निकल पड़े हैं। पांचालघाट पर ही नाव का संचालन करने वाले मोहित, समुद्दीन, अम्मार, जयवीर, वीरेंद्र, पिंकू का कहना है कि पांचालघाट के विभिन्न घाटों पर नाव खड़ी होने के लिए प्वाइंट तय होने चाहिए। अक्सर हम लोगों को घाटों के आस-पास सवारियों के चक्कर में अपमानित होना पड़ता है। सल्लू, अब्दुल खुर्शीद, राज मोहम्मद भी अपनी समस्याओं से व्यथित हैं। कहते हैं कि निषादराज योजना के तहत नाव के लिए जो सब्सिडी दी जाती है वह सब्सिडी उन लोगों को भी दी जाए जिससे कि उन्हें नाव खरीदने में किसी प्रकार की कोई दिक्कत न होने पाए। निषाद समाज के नाविक कहते हैं कि निषादराज नाव सब्सिडी योजना क्या है इसके बारे में तो उन्हें पता तक नहीं है। कहां पर इसके लिए आवेदन दिए जाते हैं यह भी कोई भी बताने तक नहीं आया है। नाविकों का दर्द यह भी है कि गंगा के तट के आसपास उन लोगों के घर होने की वजह से अब कई लोगों ने तो गंगा जल बेचने के अलावा स्थानीय स्तर के काम डाल दिए हैं। बाढ़ में धंधा रहता है चौपट: धियरपुरा, सोता बहादुरपुर गांव के नाविक कहते हैं कि उनके लिए बाढ़ का समय सबसे दुर्भाग्यशाली होता है। क्योंकि उस समय गंगा की धारा मे कोई इधर से उधर भी नहीं होता है। स्नान पर्वों पर भी श्रद्धालु खतरे को देखते हुए नाव पर बैठने से हिचकते हैं। ऐसे में उनका धंधा बाढ़ के समय चौपट हो जाता है। काम-धंधा चौपट होने से उनके परिवार के सामने दिक्कतें खड़ी हो जाती हैं। नाविकों की मानें तो उन्हें भी मछुआ समाज की तरह सुविधाएं मिलनी चाहिए जिससे कि उनका सही तरह से पालन पोषण हो सके। गांव में जागरूकता कैंप लगाने की जरूरत है जिससे कि नाविकों के परिवार के लोग शिक्षा की मुख्य धारा से जुड़ सकें। क्योंकि यहां पर तमाम लोगों के बच्चे शिक्षा की मुख्य धारा से भी दूर हैं। बहरहाल, पांचालघाट का गंगातट काफी प्राचीन है। यहां पर मेला श्री रामनगरिया के अलावा स्नान पर्वों पर हजारों श्रद्धालुओं की भीड़ रहती है। श्रद्धालुओं के आगमन का सोता बहादुरपुर, धियरपुरा, भगुआ नगला आदि के नाविकों को बेहद इंतजार रहता है। क्योंकि इन्हीं श्रद्धालुओं से उनके परिवार का पेट पलता है।
बोले नाविक-
नाव को खड़ी करने के लिए इंतजाम होने चाहिए जिससे कि हमें इधर उधर लोगों की झिड़की न सहनी पड़े।
-सद्दाम
गांव में जागरूकता कैंप नहीं लगाए जा रहे। ध्यान देने की जरूरत है जिससे लोग लाभान्वित हो सकें। -छुन्नू खां
बच्चों को शैक्षिक रूप से मजबूत करने के लिए गंभीरता से प्रयास होने चाहिए। शिक्षा कमजोर है।
-जयवीर
ज्यादातर परिवार पढ़े लिखे नहीं हैं। इससे समस्याएं खड़ी होती हैं। शिक्षा पर ध्यान दिया जाना चाहिए।
-इमरान
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।