बोले फर्रुखाबाद:जब-जब हम इलाज को आते, रेफर कर दिए जाते
Farrukhabad-kannauj News - लोहिया अस्पताल में डॉक्टरों की कमी की बात तो होती है, लेकिन जो डॉक्टर हैं, वे अपनी जिम्मेदारी सही से नहीं निभा रहे हैं। तीमारदारों का कहना है कि उन्हें डॉक्टरों से उचित इलाज नहीं मिल रहा है और कई बार...
लोहिया अस्पताल में बार-बार एक ही राग अलापा जाता है कि डॉक्टरों की कमी है मगर जो डॉक्टर हैं भी वह क्या अपनी जिम्मेदारी का सही से निर्वहन कर रहे हैं? यह प्रश्न तीमारदारों और मरीजों के बीच बना है। तीमारदार कहते हैं, इस अत्याधुनिक अस्पताल में ऐसा नहीं है कि अल्ट्रासाउंड और सीटी स्कैन से लेकर अन्य संसाधन न हों मगर संसाधनों पर मरीजों का हक भी नहीं प्रतीत होता है। कुछ डॉक्टर मरीजों को अपने प्राइवेट अस्पतालों में ही टरका भेज देते हैं। ऐसे में गरीब मरीजों और उनके तीमारदारों को जिस दुष्कर स्थिति का सामना करना पड़ता है इससे वह अक्सर आक्रोशित हो जाते हैं। आपके अपने अखबार ‘हिन्दुस्तान से चर्चा के दौरान तीमारदार शाकिर अली कहते हैं कि बड़े भरोसे के साथ अस्पताल पहुंचते हैं लेकिन यहां पर तो कुछ डॉक्टरों का इलाज करने के बजाय अपने निजी अस्पताल में भेजने पर जोर रहता है। छोटी मोटी बीमारियों का इलाज आसानी से नहीं मिल पाता है।
रामबख्श कहते हैं कि अस्पताल में यदि कोई मरीज दुर्घटना का शिकार होने के बाद जाता है तो उसे स्ट्रेचर खींचने वाले वार्ड ब्वाय तक नहीं मिलते हैं और खुद ही स्ट्रेचर खींचना पड़ता है। जगदीश कहने लगे कि क्या क्या समस्याएं बताई जाएं, यहां तो कोई देखने वाला भी नहीं है। तत्कालीन डीएम एनकेएस चौहान ने यहां पर पहले जो व्यवस्था कराई थी वह अब इंतजाम नहीं रहे हैं। पूरी स्वास्थ्य सेवाएं ही डगमगा गई हैं। सावित्री देवी कहती हैं कि सबसे अधिक दिक्कत जांच को लेकर होती है। जांच रिपोर्ट समय पर नहीं मिलती है। एक्सरा और खून की जांच कराने में भी मरीजों को काफी कठिनाई का सामना करना पड़ता है। विशाल कहते हैं कि लोहिया अस्पताल में संसाधन तो बहुत अच्छे दिए गए हैं मगर उसका उपयोग नहीं हो पाता है। इसमें लापरवाही होती है। हालातों को सुधारने के लिए कोई ध्यान नहीं दिया जाता है। संविदा कर्मी तो अपनी जिम्मेदारी से विमुख रहते हैं। शांतिदेवी कहने लगीं कि हालात बहुत खराब हैं। तीमारदारों की कोई सुनने वाला नहीं है। पर्चा काउंटर और डॉक्टरों के कक्ष के बाहर इतनी अधिक भीड़ होती है कि मरीजों को दिखाना भी मुश्किल हो जाता है। अक्सर जब तक डॉक्टरों को दिखाने की नौबत आती है तब तक डॉक्टर भी उठ जाते हैं। रामबेटी का भी दर्द है कि यहां की स्वास्थ्य सेवाएं बेहतर करने के लिए जिम्मेदार अफसरों को ध्यान देना चाहिए क्योंकि मरीज और तीमारदार बड़ी आस के साथ अस्पताल में इलाज कराने को आते हैं। तीमारदारों के लिए इंतजाम नहीं हैं।
सुझाव-
1. अस्पताल में मरीजों के लिए पर्याप्त दवाओं का स्टाक होना चाहिए।
2. अस्पताल में घूमने वाले दलालों को चिह्नित कर कठोर कार्रवाई की जानी चाहिए।
3. ट्रेंड स्टाफ को ही अस्पताल में स्वास्थ्य सेवाओं में लगाया जाए और विशेषज्ञ जो डॉक्टर नहीं हैं उनकी तैनाती हो।
शिकायत-
1. अस्पताल में पर्याप्त दवाओं का स्टाक न होने से अक्सर दिक्कत होती है।
2. दलाल मरीजों को झांसे में लेकर रुपये ऐंठ लेते हैं।
3. गर्मी बढ़ने के कारण साथ ही बीमारियों का प्रकोप बढ़ने से सही इलाज नहीं मिल पा रहा है। प्रत्येक वार्ड में पानी की समस्या न होने से दिक्कतें हैं।
बोले लोग-
अस्पताल में दलालों पर पूरी तरह से अंकुश लगना चाहिए। प्राइवेट अस्पतालों से दलाल मंड़राते रहते हैं।
-धीरज
अस्पताल में पैरामेडिकल स्टाफ ज्यादा ध्यान नहीं देता है। इससे इलाज को लेकर समस्या आती है।
-रोशनलाल
अस्पताल को रेफर सेंटर न बनाया जाए। यहां जो मरीज गंभीर हालत में आते हैं, रेफर कर दिया जाता है।
-अमरपाल
अस्पताल में कई दिक्कतें हैं। इसका समाधान होना चाहिए। कई बार डॉक्टरों की कमी का मुद्दा उठा चुके हैं। -शिवराम
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