बोले एटा: मेहता पार्क में मॉर्निंग वॉक की ख्वाहिशें ‘दफन
Etah News - एटा का मेहता पार्क पिछले 20 सालों से उपेक्षा का शिकार है। पार्क में सीवरेज पंपिंग स्टेशन बनने के बाद से यह बदहाल हो गया है। अब यहाँ न तो फुव्वारे हैं, न फूलों की क्यारियां, और न ही बच्चों के खेलने के...
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एटा। शहर का मेहता पार्क पिछले 20 साल से उपेक्षा का शिकार है। पार्क की 25% जमीन पर सीवरेज पंपिंग स्टेशन बन गया। बची हुई जगह पर अब न तो फुव्वारे हैं, न फूलों की क्यारियां और न ही घास और पेड़, इतना ही नहीं लोगों के बैठने और बच्चों के खेलने के लिए किसी तरह की कोई सुविधा नहीं है। बीस साल पहले पार्क में यह सब कुछ हुआ करता था। सुबह-शाम लोग व्यायाम और टहलने के लिए आते थे। पार्क खेलते हुए बच्चों से भरा रहता था। पार्क में लगे फव्वारे लोगों को आकर्षित करते थे। जिम्मेदारों की लापरवाही के कारण पार्क बदहाली की ओर बढ़ता चला गया। जिसका नतीजा आज पार्क की बदहाली है। मेहता पार्क ही एक ऐसा स्थान था जहां पर दोपहर के समय मजदूर आदि बैठकर आराम कर लेते थे। लेवर के लिए यहां पर ही सभी मजदूर खड़े होते है। पार्क की दीवार पर भी पूरी तरह से दुकानदारों ने कब्जा कर लिया है। अगर दीवार खाली होते इस पर अच्छी पेंटिंग होने से शहर सुंदर बन सकता है।
शहीद पार्क में भी बदहाली का अलाम:एटा शहर के मुख्य पार्कों में सुमार शहीद पार्क अव्यवस्थाओं और बदहाली का शिकार बना हुआ है। पार्क में बच्चों के मनोरंजन के लिए लगाए गए अधिकांश झूले एवं डस्टबिन टूटे पड़े हैं, पार्क में लगी घास तो मानों जैसे गायब ही हो गई है। पेड़ पौधों भी सूखने के साथ मुरझा चुके है। पार्क में असामाजिक तत्वों का जमावड़ा बना हुआ है। उसकी वजह से लोग रात को पार्क में जाने से कतरा रहे है। शहर का शहीद पार्क, शहीदे आजम भगत सिंह के नाम से जाना जाता है। इसकी वजह है कि पार्क में संगमरमर पत्थर की बेहद आलीशान शहीदे आजम की प्रतिमा लगी हुई है। देश की आजादी से पहले इस पार्क को विक्टोरिया पार्क के नाम से जाना जाता था। शहर के इस ऐतिहासिक पार्क को संरक्षित करने पर नगर पालिका का ध्यान नहीं है। पार्क में बनाया गया फव्वारा आज तक निर्माणाधीन पड़ा है। उसके साथ ही बैठने के लिए बेंचे आदि ना के बराबर लगी हुई है। पार्क में लगी शहीदे आजम की प्रतिमा का बदहाल पड़ी हुई है। प्रतिमा का पालिका ने अब तक सौंदर्यीकरण नहीं कराया है। इसके साथ ही प्रतिमा को शीशे आदि से कबर भी नहीं कराया है। यह प्रतिमा इतनी ऊंची रखी हुई है कि इस पर माल्यार्पण करने के लिए रास्ता तक नहीं बनाया गया है। जब कोई कोई कार्यक्रम होता है लोगों को सीढ़ियों की व्यवस्था करनी होती है।
लोगों के मन की बात
मेहता पार्क एटा शहर का सबसे पुराना पार्क है, लेकिन 20 साल से अनदेखी के चलते पार्क पूरी तरह से बदहाल हो चुका है। नगर पालिका को इस पार्क की ओर ध्यान देना चाहिए, पार्क का जीर्णोद्धार कराने के साथ ही पार्क में ओपन जिम और बच्चों के खेलने के लिए उपकरण लगवाए जाने चाहिए। फव्वारे और फूलों की क्यारियां लगवाकर इसे बेहतर बनाया जाना चाहिए।
-जीतू दिवाकर, व्यापारी।
्रपार्क का नाम बदलकर भगवान महावीर स्वामी पार्क कर दिया गया। लेकिन पार्क की बदहाल स्थिति की ओर कोई ध्यान नहीं दिया गया। शहर की एक बड़ी आबादी सैकड़ों बार पार्क के जीर्णोद्धार की मांग कर चुकी है। उसके बाद भी पार्क की ओर कोई ध्यान नहीं दिया गया। पार्क नशेड़ियों का अड्डा बन चुका है।
-माधवेंद्र स्वर्णकार, व्यापारी, एटा।
मेहता पार्क आजादी से पहले का पार्क है, उसके बाद भी पार्क को संरक्षित करने की बजाय उसे बर्बाद किया जा रहा है। सबसे पहले पार्क में सीवरेज पंपिंग स्टेशन बनाया गया, जिससे पार्क का बड़ा हिस्सा बर्बाद हो गया। पार्क में पेड़-पौधे, फूल- फव्वारे नहीं बचे, बैठने के लिए बेंच आदि नहीं हैं। लोग पार्क के निर्माण का इंतजार कर रहे हैं, ताकि पार्क का सुंदरीकरण हो सके।
-मोनू वर्मा, व्यापारी एटा।
लोगों ने पार्क को वाहन पार्किंग बना दिया है। पार्क में दिन-रात नशेड़ियों का जमावड़ा लगा रहता है। लोग कूड़ा फेंकने के साथ ही शौच के लिए भी वहां जा रहे हैं। प्रतिमाएं और बारहद्वारी जर्जर हो चुके हैं। बैठने के लिए बेंच तक नहीं हैं। नगर पालिका को इन सभी बिंदुओं पर काम करना चाहिए। शहर के लोगों को बेहतर पार्क की जरूरत है।
-राहुल वर्मा, व्यापारी एटा।
मेहता पार्क से लगे इलाकों के लोग पिछले 20 वर्षों से बदहाल हो चुके पार्क की सूरत बदलने की मांग करते आ रहे हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं की जा रही है, गर्मी के दिनों में स्थानीय बुजुर्गो, बच्चों के अलावा सभी उम्र वर्ग के लोगों को पार्क की बेहद जरुत होती है। पार्क बदहाल होने से लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
-अंकित जैन
शहर में कुछ ही चुनिंदा पार्क है, नगर पालिका उनका भी सही से रख रखाव नहीं कर पा रही है। वर्षों बाद भी पार्कों की हालात बेहद खराब बनी हुई है, बैठने के बेंचे, रात को रौशनी के लाइटें, कूड़ा डालने के डस्टबिन तक नहीं है। इतना ही पार्क में घास और पेड पौधे भी नहीं बचे है। महापुरुषों की प्रतिमाएं अव्यवस्थाओं का शिकार बनी हुई है।
-अमित चौहान
शहर का मेहता पार्क सबसे बड़ी आबादी के बीच है, इस पार्क की लोगों को बेहद जरुरत है, उसके बाद भी इस पार्क की दयनीय स्थिति बनाकर रख दी है। पार्क के फव्वारे, हरियाली पूरी तरह खत्म हो चुकी है, जबकि आजादी की याद दिलानी वाली बारद्वारी जर्जर हालात में बनी हुई है, बच्चों के खेलने एवं बुजुर्गों के टहलने के लिए बाजार क्षेत्र में कोई जगह नहीं बची है।
-गोपाल वाष्र्णेय
शहर का मेहता पार्क आजादी से भी पहले का पार्क है, इस पार्क से शहर के लोगों की अनेकों भावनाएं भी जुडी हुई है, आज के समय में हरियाली और प्राकृतिक वातावरण की बेहद जरुरत बनी हुई है, उसके बाद भी पार्क का जीर्णोद्धार कराने के प्रति बेहद लापरवाही बरती जा रही है, नगर पालिका सहित प्रशासन का भी इस ओर ध्यान नहीं है।
-अमित जैन
मेहता पार्क में हरियाली और पार्क जैसी कोई चीज नहीं बची है, आज यह पार्क नशेडियों का अड्डा बना हुआ है, पार्क में लोग टॉयलेट करते है, जबकि पार्क का नाम मेहता पार्क से भगवान महावीर स्वामी पार्क कर दिया गया है। नगर पालिका भगवान का होना होने के बाद भी पार्क के प्रति बेहद लापवाही बरत रही है। जल्द की इसका जीर्णोद्धार होना जरुरी है।
-अमन जैन
शहर में केवल तीन ही बड़े पार्क हैं, सभी पार्को की स्थिति खराब है, सबसे अधिक हालात मेहता पार्क के खराब बने हुई है, जिसकी वजह से बाजार क्षेत्र के लोगों को पिछले 20 वर्ष से पार्क संबंधी सुविधा से वंचित होना पड़ रहा है। लोग इस बात का विरोध करते हुए मांग कर रहे है कि पार्क की हालात सुधारी जाए, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है।
-निखिल गुप्ता
शहर के लोगों को प्राकृतिक वातारण का सुख नहीं मिल पा रहा है, शहीद पार्क, सुनहरी नगर पार्क सहित मेहता पार्क की सबसे अधिक दुर्दशा बनी हुई है, इसके बारे में नगर पालिका सहित जिला प्रशासन भी गंभीर नहीं है, पिछले साल पार्क सौंदर्यीकरण का कार्य शुरू हुआ, वह आज तक पूरा नहीं हो सका है, बेहद मंद गति से कार्य को किया जा रहा है।
-मनीष जैन
नगर पालिका को शहर के हर बड़े इलाके में एक पार्क की स्थापना करनी चाहिए। जिससे लोग पर्यावरण से जुड़ सकें। इसके साथ ही सभी पुराने पार्कों का सुंदरीकरण भी बेहद जरूरी है। लोगों की मांग है कि पार्कों को मॉडल बनाया जाए। जिससे वहां टहलने के लिए ट्रैक और जिम की व्यवस्था हो। शहर के लोग पार्कों की सुविधा से वंचित हैं।
-यश चौहान, व्यापारी
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