मथुरा की अनोखी शादी, दिव्यांग युवती ने शालिग्राम के साथ लिए सात फेरे, साधु-संत बने बाराती
मथुरा में एक पिता ने अपनी बेटी की ब्याहुला उत्सव धूमधाम से संपन्न कराया। भक्तिभाव से भरे इस शादी समारोह उत्सव में शालिग्राम के साथ युवती ने सात फेरे लिए। बैंडबाजों पर भजनों की धुन और दावत में साधु-संतों की सेवा को देख हर कोई भाव विभोर हो गया।
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यूपी के मथुरा में एक अनोखी शादी का मामला सामने आया है। जहां एक पिता ने शुक्रवार को अपनी बिटिया का ब्याहुला उत्सव (विवाह समारोह) धूमधाम से संपन्न कराया। भक्तिभाव से भरे इस शादी समारोह उत्सव में शालिग्राम के साथ बिटिया के हाथ पीले ही नहीं किए बल्कि सनातन संस्कृति में होने वाली विवाह की समस्त रस्में विधि-विधान से संपन्न कराईं। बैंडबाजों पर भजनों की धुन और दावत में साधु-संतों की सेवा को देख हर कोई भाव विभोर हो गया।
जानकारी के अनुसार पिता की चिंता थी कि वह अपनी दिव्यांग बिटिया का कन्यादान कैसे करें। उनकी बिटिया 24 साल की है। उन्होंने साधु-संतों से अपनी इस चिंता को रखा। संतों की सलाह पर उन्होंने अपनी बिटिया का यह दिव्य ब्याहुला उत्सव शालिग्राम से करने का निर्णय लिया। इसमें शालिग्राम के एक सेवक ने उनका साथ दिया। शुक्रवार दोपहर 12 बजे गोकुल रेस्टोरेंट मार्ग स्थित एक कॉलोनी से बैंडबाजों की धुन पर धूमधाम से बारात निकली। इस बारात में दूल्हे के रूप में शालिग्राम थे। बैंडबाजों पर फिल्मी गीतों की जगह भजन-कीर्तन पर भक्त नृत्य करते हुए चल रहे थे। भक्तिभाव से भरी ये बारात कुछ ही देर में ट्यूलिप गार्डन पहुंची। यहां पर कन्या का परिवार बारात की अगवानी व द्वारचार की रस्म अदा करने के लिए मौजूद था।
ठाकुरजी के द्वाराचार के उपरांत दोपहर एक बजे पाणिग्रहण संस्कार शुरु हुआ। ब्याहुला गायक ने गायन प्रस्तुत किया तो हर कोई भाव विभोर हो गया। इसके उपरांत बरसाना, जटैरी, वृंदावन, गोवर्धन स्थानों से पहुंचे करीब 700 साधु-संतों ने प्रसाद ग्रहण किया। संत सेवा के पश्चात सायं सात बजे शालिग्राम व श्रीनाथजी के छप्पनभोग के दर्शन हुए। शाम को प्रीतिभोज का आयोजन भी हुआ। इसके बाद भजन गायिका साध्वी पूर्णिमा दीदी ने अपने भजनों से भक्तिरस की धारा बहायी। शालिग्राम के साथ बेटी की विदाई की रस्म होगी। बताया जा रहा है कि विदाई के बाद बेटी लड्डू गोपाल को अपने साथ लेकर घर आएगी।
अनुपम ब्याहुला का निमंत्रण पत्र भी छपा
इस दिव्य अनुपम ब्याहुला उत्सव के लिए निमंत्रण पत्र भी छपवाया गया था। निमंत्रण पत्र में लिखा है समस्त परिवार हमारी कन्या अपने प्रभु शालिग्राम को परिणय-सूत्र बंधन में सेविका स्वरूप में ग्रहण करेगी। इस मांगलिक बेला के शुभ अवसर पर श्रीगुरुजी के आर्शीवाद एवं ब्रजधाम के संतों की कृपा से मेरी बेटी सेविका भाव से श्रीहरि के चरणों का ध्यान रखते हुए शालिगराम भगवान को वरण करेगी।