बोले देवरिया : एरियर-पेंशन के लिए दौड़ाना बंद करे विभाग
Deoria News - Deoria news : समाज को शिक्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले माध्यमिक शिक्षक कई समस्याओं से जूझ रहे हैं। एक तरफ जहां नई शिक्षा नीति की विसंगति
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देवरिया। माध्यमिक शिक्षा विभाग के तहत जिले में 122 शासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालय संचालित हैं, वहीं 22 राजकीय माध्यमिक विद्यालय चल रहे हैं। इन विद्यालयों 1960 शिक्षक कार्यरत हैं। इसके अलावा 410 वित्तविहीन माध्यमिक विद्यालय हैं। राजकीय और शासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में पढ़ाने वाले शिक्षकों को वेतन तो पर्याप्त मिलता है, पर सेवाओं से जुड़े अनेक मसले उन्हें परेशान कर रहे हैं। कुछ समस्याएं तो जैसे स्थायी हो गई हैं। न्यू पेंशन स्कीम का प्रान खाता शिक्षकों के लिए सबसे अधिक सिरदर्द बन गया है। इस खाते के लिए शिक्षकों के वेतन से हर महीने रकम काट ली जाती है, पर इस रकम को प्रान खाते में उसी महीने स्थानांतरित नहीं किया जाता है। धन जमा करने की प्रक्रिया 18 महीने विलंब से चल रही है।
माध्यमिक शिक्षक संघ पांडेय गुट के प्रदेश मंत्री दिग्विजय सिंह एनपीएस के धन की सुरक्षा को लेकर भी चिंतित हैं। उनका कहना है कि एनपीएस की कटौती का धन निजी बैंक में रखा गया है। एसबीआई समेत अनेक राष्ट्रीयकृत बैंक को उपेक्षित कर निजी बैंक को प्राथमिकता दी गई है। हमारे जीवन भर की पूंजी को निजी बैंक को सौंप देना उचित नहीं है। एरियर भुगतान को लेकर भी समस्याएं आती हैं। माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रदेश उपाध्यक्ष अवधेश सिंह कहते हैं कि एरियर पाने के लिए शिक्षकों को एड़ी-चोटी का जोर लगाना पड़ता है। डीआईओएस कार्यालय में शिक्षकों की बात सुनी नहीं जाती है। शिक्षक नवीन शर्मा कहते हैं कि जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय में सिटीजन चार्टर के तहत समस्याओं का समयबद्ध निस्तारण नहीं होता है। जीपीएफ लोन की फाइल पास कराने में छह महीने लग जाते हैं। इसके चलते समय पर धन नहीं मिल पाता है और शिक्षकों को उधार लेकर काम चलाना पड़ता है।
माध्यमिक शिक्षक संघ पांडेय गुट के जिलाध्यक्ष बैकुंठनाथ कुशवाहा कहते हैं कि डीआईओएस कार्यालय में समय से शिक्षकों की समस्याओं का हल होना चाहिए। प्रोन्नति, एरियर, प्रोन्नति वेतनमान से लेकर हर एक कार्य के लिए शिक्षकों को कार्यालय का चक्कर लगाना पड़ता है। विद्यालय से पढ़ाकर आने के बाद डीआईओएस कार्यालय पर घंटों बैठना उनकी नियति बन गई है। शिक्षकों को अपार आईडी बनाने के काम में लगा दिया गया है। इसमें बीईओ के स्तर से सहयोग नहीं मिल रहा है। शिक्षक पूरी ईमानदारी से यूपी बोर्ड की परीक्षा कराते हैं, पर उन्हें पारिश्रमिक समय से नहीं मिलता है। वर्ष 2025 की परीक्षा शुरू हो गई पर पिछले वर्ष का पारिश्रमिक अभी तक नहीं मिला है। शिक्षक नेता अभिषेक पांडेय का कहना है कि खाते में धन है, पर भुगतान नहीं हो पा रहा है। इससे शिक्षक परेशान हैं।
शिकायतें
1.डीआईओएस कार्यालय में सिटीजन चार्टर का पालन नहीं होता। पत्रावलियां लंबित हैं।
2. शिक्षकों को गैर शैक्षणिक कार्यों में लगाया जाता है। इससे पठन-पाठन प्रभावित होता है।
3. नई पेंशन स्कीम के तहत प्रान खाते में रुपये जमा करने में विभाग 18 माह लगा दे रहा है।
4. नई शिक्षा नीति की विसंगतियां समस्या उत्पन्न कर रही हैं। टाइम टेबल एलॉट करने में समस्या हो रही है।
5. मानव संपदा पोर्टल पर शिक्षकों का विवरण सही तरीके से नहीं भरा जा रहा है। फाइल देने के बावजूद गलतियां हो रही हैं।
सुझाव
1.विभाग के शीर्ष पद पर आईएएस नहीं, शिक्षा कैडर का अधिकारी तैनात होना चाहिए।
2. नए पाठ्यक्रम के अनुसार समय-समय पर शिक्षकों को प्रशिक्षित किया जाना चाहिए।
3. व्यावसायिक शिक्षकों का मानदेय सातवें पे कमीशन के अनुसार अपग्रेड होना चाहिए।
4. जीपीएफ लोन की पत्रावली पास कराने में छह महीने तक का समय लग जाता है। इस प्रक्रिया को सरल बनाया जाना चाहिए।
5. शिक्षकों के अंतरजनपदीय स्थानांतरण की प्रक्रिया जटिल है। इसको सुगम बनाने की जरूरत है।
शिक्षकों का दर्द
शिक्षकों को जीपीएफ, एरियर, पेंशन पास कराना हो तो गुहार लगानी पड़ती है। लोन की फाइल छ: माह तक एक से दूसरे दफ्तर घूमती रहती है।
अवधेश सिंह,प्रदेश उपाध्यक्ष, मशिसं शर्मा गुट
माध्यमिक शिक्षकों की सेवा सुरक्षा की धारा 12, 18 व 21 को सरकार ने हटा दिया है। सरकार इन धाराओं को पुन: लागू करे।
विजय सिंह,जिला उपाध्यक्ष,माशिसं शर्मा गुट
शिक्षकों को अपार आईडी जैसे कार्यों में झोंक दिया गया है। इन गैर शैक्षणिक कार्यों से विद्यालयों में पठन पाठन पर काफी असर पड़ रहा है।
नीरजा सिंह, जिला उपाध्यक्ष, माशिसं शर्मा गुट
2006 से 2015 तक 30 जून को सेवानिवृत्त हुए शिक्षकों को वेतन वृद्धि का लाभ नहीं मिल पाया है। इसका जल्द निस्तारण होना चाहिए।
अभिषेक पांडेय,कोषाध्यक्ष, माशिसं शर्मा गुट
शिक्षा की सबसे बड़ी समस्या व्यावसायीकरण और इसमें हो रहे निरंतर प्रयोग हैं। इससे शिक्षक व छात्र-छात्राएं दोनों परेशान हैं।
दिग्विजय सिंह, प्रदेश मंत्री, माशिसं पांडेय गुट
बोर्ड परीक्षा का केंद्र व्यय अब तक नहीं मिला है। केंद्र व्यवस्थापक अपनी जेब से खर्च कर भुगतान पाने को परेशान हैं।
बैकुंठ नाथ कुशवाहा, जिलाध्यक्ष ,माशिसं पांडेय गुट
व्यावसायिक शिक्षकों को सातवें पे कमीशन के अनुसार रिवाइज मानदेय दिया जाए। यह नियम में है पर लागू नहीं किया गया है।
राजेंद्र प्रसाद जायसवाल,जिलाध्यक्ष व्यावसायिक शिक्षक संघ
दिवंगत 150 शिक्षकों की ग्रेच्युटी नहीं मिली है। इसकी पत्रावली लंबित है। इससे मृतक आश्रितों का परिवार आर्थिक कठिनाई झेल रहा है।
गोरखनाथ गुप्त, शिक्षक
नई शिक्षा नीति लागू कर दी गई है। इसके अनुसार शिक्षकों को प्रशिक्षित नहीं किया गया है। इससे शिक्षक व छात्र-छात्राएं दोनो परेशान हैं।
डॉ.विनय तिवारी,मंत्री,माशिसं पांडेय गुट
जीपीएफ ऋण के लिए फाइल जेडी तक जाती है। 10 लाख तक के जीपीएफ लोन पास करने का अधिकार डीआईओएस को दिया जाए।
गोपाल प्रसाद,जिला कोषाध्यक्ष, पांडेय गुट
अशासकीय माध्यमिक विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों को राजकीय विद्यालय के शिक्षकों की तरह कैशलेस चिकित्सा सुविधा दी जानी चाहिए।
रामप्रताप यादव, शिक्षक
विद्यालयों से बिजली का कामर्शियल बिल लिया जाता है। छात्रों से बिजली शुल्क पुराने दर पर लिया जा रहा है। इसका बोझ स्कूलों पर पड़ रहा है।
सुरेश प्रसाद प्रजापति, शिक्षक
अंतर्जनपदीय स्थानान्तरण का नियम जटिल है। इस प्रक्रिया के चलते शिक्षक परेशान होते हैं। इसका नियम सुगम होना चाहिए।
देवानंद आर्य, शिक्षक
पुराने विद्यालयों के जीर्णोद्धार के लिए सरकार विद्यालयों से 25% राशि का अंशदान मांग रही है। विद्यालय कहां से इतनी धनराशि की व्यवस्था करें।
राकेश शाही, शिक्षक
सामूहिक जीवन बीमा की सुविधा बंद हो गई है। इससे शिक्षक भविष्य की सुरक्षा से वंचित हो गए हैं। सरकार इसको पुन: लागू करे।
सत्येंद्र मिश्रा, शिक्षक
कार्यालय में पत्रावलियों का समय से निस्तारण होना चाहिए। कई बार पत्रावलियां महीने भी या इससे अधिक समय तक लंबित रह जाती हैं।
अयामतुल्लाह अंसारी, शिक्षक
बोले जिम्मेदार
शिक्षकों की समस्याओं का समयबद्ध निस्तारण किया जाता है। जीपीएफ के पुराने मामले लगभग निपटा दिए गए हैं। परीक्षा पारिश्रमिक के लिए बोर्ड से धन की मांग की जाएगी। विनियमितिकरण के एरियर का भुगतान प्रक्रियाधीन है। अशासकीय सहायता प्राप्त विद्यालयों में सभी अधिकार प्रबंधक के अधीन है। इसमें विलंब की शिकायत मिलने पर संबंधित प्रबंध समिति को नोटिस जारी किया जाता है। -शिवनारायण सिंह, डीआईओएस
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