बोले देवरिया : बिक्री पर छूट, विभागों पर बकाया रकम दे सरकार तो सुधरें हालात
Deoria News - Deoria News : राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के जीवनकाल से ही देशभर में स्थापित गांधी आश्रम स्वदेशी को जन-जन तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते आ रहे
देवरिया। करीब 70 साल पूर्व जिले में स्थापित गांधी आश्रम वर्तमान में कई समस्याओं से घिरा है। हालत यह है कि यहां के कर्मचारियों को इतना वेतन नहीं मिल पा रहा है कि उनकी गृहस्थी ठीक से चल सके। बजट के अभाव में रिटायर हो चुके कर्मियों के देयकों का भुगतान नहीं हो पा रहा है।
स्थापना के दौरान गांधी आश्रम में करीब 250 कर्मचारी थे। अब महज 50 कर्मचारी और 50 कतिन और बुनकर हैं। बाकी धीरे-धीरे सेवानिवृत हो गए। यहां तैनात कर्मचारी योगेंद्र प्रसाद त्रिपाठी और पंचदेव तिवारी बताते है कि गांधी आश्रम से जुड़े कर्मचारी शहर से लेकर कस्बों तक श्री गांधी आश्रम नाम से दुकानें चलाते हैं। कतिन और बुनकर सलेमपुर, फाजिलनगर और अन्य स्थानों के उत्पादन केंद्रों पर कपड़े और विविध सामग्री तैयार करते हैं। कर्मचारियों को जीवन निर्वाह लायक वेतन नहीं मिल रहा है। जो कुछ आय होती है, उससे किसी तरह गुजर बसर हो पाता है।
कमलाकर पाण्डेय का कहना है कि समाज में बेहद प्रतिष्ठा प्राप्त हम लोग वास्तविक रूप में दुर्दशा के शिकार हैं। सेवानिवृत्त हो चुके सौ से अधिक कर्मचारियों के देयकों का भुगतान नहीं हो सका है। संस्था अपनी आय में से किसी तरह कर्मचारियों का वेतन दे पाती है। यह भी जरूरत भर का नहीं हो पाता।
महेश यादव अपनी पीड़ा बयां करते हुए कहते हैं कि कर्मचारी अपनी समस्या सरकार से कहते आ रहे हैं। पर सरकार सुनती नहीं है। समाज में कहने की हिम्मत नहीं जुटा पाते हैं। कर्मचारी अगर बीमार पड़ जाएं तो संस्था की ओर से कोई चिकित्सा प्रतिपूर्ति देने की व्यवस्था नहीं है। ऐसे में सरकारी चिकित्सा संस्थानों के रहमोकरम पर उपचार कराना विवशता है। सरकार भी इनकी ओर से आंखे मूंद ली है।
बैंक ने ले लिए अतिरिक्त दो करोड़
क्षेत्रीय श्री गांधी आश्रम के लेखाकार योगेंद्र प्रसाद त्रिपाठी का कहना है कि गांधी आश्रम ने पंजाब नेशनल बैंक की स्टेशन रोड शाखा से समय समय पर ऋण लिया है। बैंक ने इस रकम पर ब्याज 14 प्रतिशत की दर से वसूल लिया। नियमानुसार ब्याज 12 प्रतिशत की दर से लिया जाना था। मंत्री मनोज कुमार का कहना है कि यह क्रम 1992-93 से चला आ रहा है। इस मद में जोड़ने पर अतिरिक्त वसूली गई रकम करीब दो करोड़ रुपये बैठती है। बैंक से पत्राचार करने पर कोई सुनवाई नहीं हो रही है। इतनी बड़ी रकम मिल जाए तो श्री गांधी आश्रम का और विकास किया जा सकता है।
छूट की व्यवस्था में बदलाव से बढ़ी समस्या
श्री गांधी आश्रम के व्यवस्थापक प्रेमनारायण राय का कहना है कि हर साल दो अक्टूबर से 31 जनवरी तक खादी के कपड़ों पर 30 प्रतिशत की छूट दी जाती है। इस छूट की रकम श्री गांधी आश्रम सरकार से क्लेम करता था। पहले सरकार इसे लौटा देती थी। इसमें 20 प्रतिशत केंद्र और 10 प्रतिशत राज्य सरकार वहन करती थी। पर 2010 से इसमें सरकार ने परिवर्तन करते हुए बिक्री की जगह उत्पादन पर छूट देने की व्यवस्था लागू कर दी। इसे एमडीए कहा जाता है। अब श्री गांधी आश्रम में बाहर से खरीद कर बिक्री के लिए रखे गए कपड़े पर छूट की रकम सरकार नहीं दे रही। इससे श्री गांधी आश्रम को छूट का भार स्वयं वहन करना पड़ रहा है। इससे लाभांश पर असर पड़ने लगा है। इसके चलते कर्मचारियों की वेतन वृद्धि में कठिनाई होती है।
सिमटता गया काम
ब्रजेश कुमार का कहना है कि एक समय यहां लकड़ी के उन्नत कोटि के कार्य होते रहे हैं। अच्छी लकड़ी और सुंदर नक्काशी के चलते संस्था के उत्पादों की काफी मांग रही है। यहां सोफा, चारपाई की पाटी, पाया, खड़ाऊं, पीढ़ा, कुर्सी, मेज, चौकी, बेड आदि बनतेे थे। पर बढ़ई सेवानिवृत्त होते गए और लकड़ी का काम बंद हो गया।
सरकार कर्मचारियों के साथ सौतेला व्यवहार कर रही
क्षेत्रीय श्री गांधी आश्रम के मंत्री मनोज कुमार तिवारी कहते हैं कि गांधी आश्रम खादी को बढ़ावा देने के लिए निरंतर प्रयासरत है। जिले में 1955 से संस्था काम कर रही है। अभी 50 कर्मचारी और 50 कतिन कार्यरत हैं। इनको जीवन निर्वाह लायक वेतन संस्था नहीं दे पाती है। सरकार ने अलग से खादी ग्रामोद्योग बोर्ड बना दिया। खादी कमीशन बना दिया। इनमें सरकारी कर्मचारी बिठा दिए। हमें भी सरकार अपना कर्मचारी मानकर वेतन भत्ते और सुविधायें प्रदान करे।
शिकायतें
1. सरकार ने गांधी आश्रम के उत्पादों की बिक्री पर 30 प्रतिशत की छूट का अनुदान देना बंद कर दिया है।
2. गांधी आश्रम के वर्षों पहले सेवानिवृत्त हुए कर्मचारियों को उनके देय का भुगतान करने के लिए धन नहीं है।
3. मानक के अनुसार कर्मचारियों को न्यूनतम वेतन नहीं मिलता है।
4. सरकार और उनके विभागों के साथ ही पंजाब नेशनल बैंक पर करीब साढ़ेे चार करोड़ से अधिक का बकाया है।
5. संस्था की मानीटरिंग करने वाले कर्मचारी लाखों में वेतन पा रहे हैं, वहीं कर्मचारी मामूली वेतन पा रहे हैं।
सुझाव
1. सरकार गांधी आश्रम के विभिन्न उत्पादों पर एमडीए की जगह बिक्री पर छूट की सुविधा बहाल करे।
2. संस्था द्वारा पूर्व में जमीन में इन्वेस्ट किए गए धन को जमीन बेचकर वापस पाने की अनुमति मिले।
3. नया चरखा, हथकरघा लगाने को सरकार संस्था को अनुदान दे।
4. श्री गांधी आश्रम के कर्मचारियों को राज्य सरकार द्वारा कर्मचारी का दर्जा दिया जाए।
5. गांधी आश्रम के संबंध में सोधिया आयोग की सिफारिशों को लागू किया जाए।
हमारी भी सुनिए
गांधी आश्रम को मिलने वाला 30 प्रतिशत छूट का अनुदान सरकार ने बंद कर दिया है। इसको संस्था अब स्वयं वहन कर रही है। इससे वित्तीय परेशानी बढ़ गई है।
प्रेमनारायण राय, व्यवस्थापक
संस्था का सरकार व कई विभागों पर 2.76 करोड़ रुपये बकाया है। पीएनबी ने दो करोड़ रुपये ब्याज में अधिक ले लिए हैं। ये रुपये मिल जाएं तो संस्था की दशा सुधर जाएगी।
योगेंद्र प्रसाद त्रिपाठी, लेखाकार
श्री गांधी आश्रम में कर्मचारियों को नि:शुल्क चिकित्सा सुविधा मिलनी चाहिए। स्वायत्तशासी संस्था होने के चलते सरकार हमें वेतन भत्ते नहीं देती है। इससे हमारा नुकसान हो रहा है।
कौशल कुमार मिश्र
संस्था की सीमित आय है। इसी से सभी दुकानों और कार्यालय का खर्च और कर्मचारियों का वेतन मिलता है। यह जीवन निर्वाह के लिए पर्याप्त नहीं है। सरकार मदद के लिए आगे आए।
पंचदेव तिवारी
2010 से पूर्व सेवानिवृत्त कर्मचारियों का देयक अभी तक नहीं मिल सका है। संस्था ने पहले जो कमाया उसे जमीन में लगा दिया। अब बेच नहीं पाने से स्थिति काफी खराब है।
कमलाकर पांडेय।
श्री गांधी आश्रम जमीन पर खादी के लिए काम करती है। खादी ग्रामोद्योग, बोर्ड की मानीटरिंग करता है। उन्हें सभी सुविधाएं मिलती हैं और हमें कोई सुविधा नहीं मिलती है।
शशिभूषण तिवारी
खादी को लेकर सरकार नित नए प्रयोग कर रही है। पर वास्तविक रूप से काम करने वाले गांधी आश्रमों पर सरकार का ध्यान नहीं है। हम किस हाल में हैं कोई नहीं पूछता है।
महेश यादव
गांधी आश्रम में कुटीर उद्योगों से कई उत्पाद खरीद कर बेचे जाते हैं। इन पर छूट नहीं मिलती है। सरकार पहले की तरह का अनुदान बहाल करे तो हमारी स्थिति में कुछ सुधार हो।
बृजेश कुमार तिवारी
तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने सोधिया आयोग बनाया था। पर बाद में आई सरकारों ने इस आयोग की रिपोर्ट को लागू नहीं किया। इसकी सिफारिशें व्यर्थ हो गईं।
शिवानंद तिवारी
खादी के काम की मानीटरिंग करने वाले बोर्ड के कर्मचारी-अधिकारी लाखों रुपये वेतन पा रहे हैं। पर धरातल पर खादी का काम करने वाले कर्मी 10-15 हजार रुपये में सिमट जा रहे हैं।
मारकंडेय लाल श्रीवास्तव
सरकार गांधी आश्रम के बुनकरों की तरह कतिनों के लिए शेड बनवाये। उन्हें सरकारी सुविधाएं प्रदान करे। इनके लिए कच्चे माल की व्यवस्था करे। गांधी आश्रम को भी अनुदान दे।
सच्चिदानंद मिश्र
सरकार कतिनों को नया चरखा और हथकरघा दे। पहले की तरह घर-घर चरखा कातने की परंपरा पर जोर देने की आवश्यकता है। कर्मचारियों को राज्यकर्मी का दर्जा मिले।
गिरिजाशंकर यादव
बोले जिम्मेदार
गांधी आश्रम एक स्वायत्त संस्था है। वह अपने संसाधन से कर्मचारियों को वेतन आदि देती है। खादी ग्रामोद्योग विभाग की भूमिका सुविधा प्रदाता की है। उनके कर्मचारियों की जो भी समस्याए हैं, वे लिखित रूप से हमें उपलब्ध कराएं। हम शासन तक उनकी बात पहुंचाएंगे। अनुदान की बकाया रकम के लिए वे लिखित रूप में पत्राचार करें। इसका परीक्षण कर निस्तारण किया जाएगा। अनुदान की व्यवस्था केंद्र सरकार के खादी आयोग की तरफ से की जाती है। उसकी गाइड लाइन के अनुसार राज्य सरकार अपना अंशदान देती है।
वीरेंद्र प्रसाद, जिला खादी ग्रामोद्योग अधिकारी
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