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बोले देवरिया : समान वेतन और सुविधा के साथ पदोन्नति का भी दिया जाए लाभ

Deoria News - Deoria News : जिले के अशासकीय माध्यमिक विद्यालयों में कार्यरत कर्मचारी राजकीय शिक्षणेतर कर्मचारियों की तरह काम तो पूरा करते हैं, पर सुविधाएं पूरी नहीं

Newswrap हिन्दुस्तान, देवरियाSun, 9 March 2025 06:34 PM
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बोले देवरिया : समान वेतन और सुविधा के साथ पदोन्नति का भी दिया जाए लाभ

देवरिया। देवरिया जिले में कुल 122 अशासकीय माध्यमिक विद्यालय हैं जिसमें 1066 शिक्षणेतर कर्मचारी कार्यरत हैं। इसमें 870 कर्मचारी वेतन भोगी हैं और 196 कर्मचारी ऑउटसोर्सिंग के जरिए नियुक्त किए गए हैं। यह कर्मचारी लिपिक संवर्ग और चतुर्थ श्रेणी के तहत तैनात किए गए हैं। ये अशासकीय विद्यालयों की रीढ़ हैं। लिपिक संवर्ग को लिपिकीय कार्य के साथ-साथ एकाउंटेंट की भी जिम्मेदारी निभानी पड़ती है। विद्यालय के समस्त अभिलेखीय कार्य इनके जिम्मे हैं। परीक्षा व्यवस्था में सहयोग से लेकर, शुल्क का हिसाब-किताब, विद्यालय के बैंक संबंधी कार्य भी लिपिक संवर्ग को करने पड़ते हैं। वहीं चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को मुख्यत: परिचारक की भूमिका में रहना पड़ता है। इनमें कुछ काबिल कर्मचारियों से कम्प्यूटर और अन्य पढ़ने-लिखने वाले काम लिए जाते हैं। इन कर्मचारियों को अपनी सेवा के बदले दोहरापन, प्रोन्नति और अन्य समस्याओं को झेलना पड़ता है।

शिक्षणेतर कर्मचारी अरुण कुमार सिंह का कहना है कि राजकीय कर्मचारियों के सापेक्ष हमें कम सुविधाएं मिलती हैं। हम भी 30 दिन और 12 महीने काम करते हैं। पर हमें ईएल नगदीकरण की सुविधा नहीं मिलती हैं। हमारे पास अवकाश लेने या ईएल लैप्स होने देने ही विकल्प हैं जबकि राजकीय कर्मचारियों को सेवा काल में 300 ईएल के नगदीकरण की सुविधा है।

कर्मचारी नेता वेदप्रकाश द्विवेदी का कहना है कि राजकीय कर्मचारियों को चिकित्सा प्रतिपूर्ति की कैशलेस सुविधा मिलती है। हम बीमार पड़ते हैं तो अस्पताल वाले कहते हैं कि आप सरकारी कर्मचारी हैं तो आपको कैशलेस सुविधा मिली होगी। उस समय हम लाचार हो जाते हैं। वेतन के स्तर पर भी कर्मचारियों को विसंगति झेलनी पड़ती है।

आलोक कुमार राय का कहना है कि हमें महीने के चार-पांच से लेकर 10-15 तारीख तक वेतन को इंतजार करना पड़ता है। वहीं राजकीय कर्मचारियों को महीने की पहली तारीख को वेतन मिल जाता है। वेतन विलंब से मिलने पर कई बार लोन की किश्त में पेनाल्टी भरना पड़ता है।

एनपीएस में कटौती के बाद भी धनराशि का अंतरण नहीं

अशासकीय शिक्षणेतर कर्मचारी शिक्षकों और अन्य कर्मचारियों की तरह एनपीएस में देरी पर भी नाराज हैं। एनपीएस में कटौती के बाद भी प्रान खाते में समय पर धनराशि अंतरण नहीं होना इनके लिए सबसे बड़ा कष्टदायक है। कर्मचारी नेता विनोद सिंह एनपीएस को शेयर बाजार पर आधारित होने के चलते नुकसान की बात कहते हैं। कहते कि पिछले सप्ताह मेरे एनपीएस खाते में 11.86 लाख रुपये दिखा रहा था। कल मैंने चेक किया तो बाजार के चलते वह कम होकर 11.69 लाख रुपये दिखा रहा था। इससे हमारा काफी नुकसान हो रहा है। सभी कर्मचारियों ने एनपीएस कटौती की राशि को समय से खाते में अंतरण करने की मांग की। वहीं सामूहिक जीवन बीमा को पुन: शुरू करने की बात भी कर्मचारियों ने रखी। अशासकीय विद्यालयों में कार्यरत आउटसोर्स कर्मचारी जयसिंह ने कहा कि कंपनी मानदेय में से हर महीने 500 रुपये काट लेती है। पर यह ईपीएफ खाते में दिखता नहीं है। उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षणेत्तर संघ के जिला उपमंत्री सिद्धेश्वर पाठक ने कहा कि राज्य कर्मचारियों की भांति हम कर्मचारियों को भी पदोन्नति के समय 22(बी)का लाभ दिया जाए।

कैसे हो स्कूल का काम, कई स्कूलों में लिपिक ही नहीं

देवरिया, निज संवाददाता। अशासकीय माध्यमिक विद्यालयों में शिक्षक के साथ शिक्षणेतर कर्मचारियों की भी तैनाती होती है। शिक्षणेतर कर्मियों में लिपिक और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी आते हैं। विद्यालय के शुल्क का हिसाब रखने से लेकर कर्मचारियों के वेतन बिल बनाने तक के कार्य लिपिक के ही जिम्मे होता है। एक तरह से लेखाकार का कार्य भी यही करते हैं। विद्यालयों के पत्र व्यवहार का कार्य भी यही देखते हैं। बावजूद इसके जिले के कई विद्यालयों में लिपिकों के पद बड़ी संख्या में रिक्त हैं। आधा दर्जन ऐसे भी स्कूल हैं जहां एक भी लिपिक नहीं हैं।

जिले के अशासकीय विद्यालयों में लिपिक के 308 पद सृजित हैं। इसमें से 68 पद प्रधान लिपिक के और 240 पद सहायक लिपिक के सृजित हैं। प्रधान लिपिक के 44 पद भरे हैं जबकि 24 रिक्त हैं। सहायक लिपिक के 162 पद पर कर्मचारी कार्यरत हैं जबकि 78 पद रिक्त है। कर्मचारियों की कमी के चलते एक कर्मचारी को एक साथ कई दायित्वों का निर्वहन करना पड़ता है। अधिक कार्य के चलते कर्मचारी परेशान हैं। इनके इस काम में कई बार विद्यालय के शिक्षकों को सहयोग करना पड़ता है। कई विद्यालय ऐसे हैं जहां सहायक लिपिक और प्रधान लिपिक दोनों के पद रिक्त हैं। वहां लिपिकीय कार्य शिक्षक निपटाते हैं। श्री वंश गोपाल शाही उच्चतर माध्यमिक विद्यालय गड़ेर, जनता इंटर कॉलेज परासिया बरडीहा, ठाकुर प्रसाद गणतंत्र इंटर कॉलेज देसही देवरिया, ग्रामीण उच्चतर माध्यमिक विद्यालय पंडित के रामपुर, सरोजिनी कन्या इंटर कॉलेज बरहज में कोई लिपिक तैनात नही है।

प्रतिबंध से बढ़ी समस्या

अशासकीय माध्यमिक विद्यालयों में लिपिक पद पर नियुक्ति का अधिकार प्रबंध समिति को होता है। चतुर्थ श्रेणी पद पर प्रधानाचार्य नियुक्ति देते हैं। पर बीते वर्षों में प्रदेश सरकार ने इन दोनों पदों पर प्रबंध समिति के नियुक्ति के अधिकार पर रोक लगा दिया है। इसके चलते सेवानिवृत्त होते जा रहे कर्मचारियों के पद पर नई नियुक्ति नहीं हो पा रही है। इसका स्थायी समाधान निकालने की जगह सरकार ने फौरी तौर पर चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के पद पर ऑउटसोर्सिंग से तैनाती शुरू कर दिया है।

चतुर्थ श्रेणी के 216 पद हैं रिक्त

चतुर्थ श्रेणी के 1272 पद जिले के अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में सृजित हैं। इसमें से 860 पदों पर कर्मचारी कार्य कर रहे हैं। इसके अलावा 196 पदों पर ऑउटसोर्स के माध्यम से तैनाती की गई है। जबकि 216 पद पर न तो नियमित और न ही ऑउटसोर्स कर्मचारी तैनात हैं। इनका कहना है कि इन्हें जीने लायक न्यूनतम वेतन भी नहीं मिलता है।

शिकायत

1.अशासकीय कर्मचारियों के ईएल का नकदीकरण नहीं होता है।

2. मानव संपदा पोर्टल पर अभी तक 2025 का आकस्मिक अवकाश अपलोड नहीं हुआ है।

3. अशासकीय कर्मचारियों को समय से वेतन नहीं मिलता है। कभी पांच तो कभी 10 से 15 तारीख हो जाता है।

4. एनपीएस कटौती प्रान खाते में 12 से 15 महीना विलंब से भेजी जा रही है।

5. शिक्षणेतर कर्मियों की फाइलें काफी समय तक डीआईओएस कार्यालय में लटकी रहती हैं।

सुझाव

1. शिक्षणेतर कर्मियों को राजकीय कर्मचारियों की तरह ईएल नगदीकरण की मिले सुविधा।

2. अशासकीय विद्यालयों के कर्मचारियों को कैशलेस चिकित्सा प्रतिपूर्ति दी जाए।

3. डीआईओएस कार्यालय में सिटीजन चार्टर के हिसाब से काम हो।

4. राजकीय व अशासकीय की वेतन विसंगतियां दूर हो।

5. विद्यालयों के कर्मचारियों के लिए डीआईओएस कार्यालय में यूनिरनल और आरओ मशीन लगे।

हमारी भी सुनिए

राज्य कर्मचारियों की भांति माध्यमिक विद्यालयों में कार्यरत लिपिकों का लिपिकीय पुनर्गठन किया जाय एवं आउटसोर्सिंग कर्मचारियों का न्यूनतम वेतन 18 हजार किया जाय।

राजन कुमार पांडेय, जिलाध्यक्ष, उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षणेत्तर संघ

नवंबर 2023 से आउटसोर्सिंग शिक्षणेत्तर कर्मचारियों का मानेदय नहीं मिला है। डीआईओएस से वार्ता का कोई परिणाम नहीं निकला है। हमारी समस्याएं हल की जाएं।

विनोद कुमार सिंह, जिलाध्यक्ष, उत्तर प्रदेश कर्मचारी महासंघ।

अशासकीय कर्मचारियों को वेतन समय से नहीं मिलता है। कभी पांच तो कभी 10 से 15 तारीख हो जाता है। जिससेे हम लोगों को काफी दिक्कत होती है। राजकीय की तरह सरकार पहली को वेतन दे।

आशुतोष द्विवेदी

सरकार को पुरानी पेंशन व्यवस्था बहाल करनी चाहिए। यह हमारे बुढ़ापे की लाठी है। हमें न्यू पेंशन स्कीम और यूपीएस दोनों तरह की पेंशन नहीं चाहिए। हम इसे स्वीकार नहीं करते हैं।

आलोक राय

आउटसोर्सिंग कर्मचारियों को कम से कम 18 हजार न्यूनतम मानदेय मिले, जितना मिलता है उसमें परिवार चलाना कठिन है। साथ ही इन कर्मचारियों को नियमित करने की प्रक्रिया सरकार शुरू करे।

संजय कुमार राय

एनपीएस का एरियर 22 महीने का बकाया है। इसको दे दिया जाए। अर्ह कर्मचारियों को शिक्षक पद पर पदोन्नति देने के लिए सरकार नियम बनाए। तभी हमारा विकास होगा और हमारे साथ न्याय भी होगा।

शिवशंकर

अशासकीय कर्मचारियों की फाइलों को समय से निपटाया नहीं जाता है। जिससे हम लोगों को काफी परेशानी होती है। डीआईओएस कार्यालय में इन फाइलों का समय से निस्तारण होना चाहिए।

शैलेष कुमार सिंह

मानव संपदा पोर्टल पर 2025 का आकस्मिक अवकाश अभी तक अपलोड नहीं हुआ है। इससे हम लोग छुट्टी का आवेदन नहीं कर पा रहे हैं और न ही अवकाश मिल रहा है।

घनश्याम गौतम

अनेक माध्यमिक विद्यालयों में तृतीय श्रेणी के पद रिक्त हैं। इससे कामकाज प्रभावित हो रहा है। प्रदेश सरकार को इन रिक्त पदों को भरने की व्यवस्था करनी चाहिए ताकि इससे कार्य सुचारू रूप से चले।

अवधेश यादव

तीन सौ दिन के उपार्जित अवकाश में सरकार दोहरा रवैया अपना रही है। हमें भी राजकीय की तरह उपार्जित अवकाश का नकदीकरण दिया जाना चाहिए। सरकार को एक समान व्यवस्था करनी चाहिए।

वेद प्रकाश द्विवेदी

एनपीएस कटौती को वेतन के साथ ही खाते में भेजा जाना चाहिए। अभी कटौती की धनराशि प्रान खाते में 12 से 15 महीना विलंब से भेजी जा रही है। जिससे हम लोगों को दिक्कत होती है।

कृष्णमोहन

डीआईओएस कार्यालय में कॉलेज से आने वाले कर्मचारियों के लिए यूरिनल की व्यवस्था नहीं है। पीने के लिए आरओ वाटर की सुविधा नहीं मिल रही है। यहां पर इसकी व्यवस्था होनी चाहिए।

नीरज श्रीवास्तव

मेरा एरियर जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय में लंबित है। छ: महीने से चक्कर लगा रहा हूं, एरियर नहीं मिला है। मेरी तरह ही कई अन्य कर्मचारी भी दौड़ लगा रहे हैं। इसके लिए उचित इंतजाम हो।

गब्बर सिंह

अशासकीय शिक्षणेत्तर कर्मचारियों और राजकीय कर्मचारियों के वेतन में विसंगति है। इसको दूर करने की लगातार मांग की जा रही है पर प्रदेश सरकार सुन नहीं रही है।

प्रदीप कुमार

बोले जिम्मेदार

शिक्षणेतर कर्मियों के एनपीएस का बैकलॉग क्लियर किया जा रहा है। बहुत हद तक इसमें सफलता मिल चुकी है। कार्यालय में कर्मचारियों फाइलों को समय सीमा के भीतर निस्तारित किया जा रहा है। जिन फाइलों में कुछ कमी होती है उन्हें वापस भेज कर ठीक करने के लिए कहा जाता है। शिक्षक पद पर पदोन्नति आदि प्रकरण भी शासन के अधीन होते हैं।

शिवनारायण सिंह, जिला विद्यालय निरीक्षक, देवरिया

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