Hindi NewsUttar-pradesh NewsDeoria NewsDeclining Demand for Clay Pots in Deoria Challenges Faced by Kumhar Community

बोले देवरिया : मिट्टी का प्रबंध करे सरकार, बिजली में मिले छूट

Deoria News - Deoria News: चंद मिनट में अपने हाथों से मिट्टी को खूबसूरत आकार देने वाला कुंभकार समाज अपने भविष्य को आकार नहीं दे पा रहा है। वे कहते हैं कि अब न मिट्ट

Newswrap हिन्दुस्तान, देवरियाWed, 19 Feb 2025 06:25 PM
share Share
Follow Us on
बोले देवरिया : मिट्टी का प्रबंध करे सरकार, बिजली में मिले छूट

Deoria News: शहर में नहीं मिलती मिट्टी: समय के साथ मिट्टी के बर्तनों की मांग लगातार घट रही है लेकिन जितनी मांग है भी उसे पूरा करने के लिए मिट्टी नहीं मिल रही है। शहरी क्षेत्र में बर्तन आदि बनाने लायक मिट्टी नहीं मिलती। गांव-देहात से मिट्टी लाने पर कुंभकारों को कभी-कभी पुलिस कर्मियों के कोप का शिकार होना पड़ता है। 50 वर्ष से मिट्टी के बर्तन बनाने वाले बरहज तहसील क्षेत्र के ग्राम भरहा बाबू निवासी रामनक्षत्र प्रजापति कहते हैं कि आज उनके पास दीया और मटकी बनाने के अलावा कोई काम नहीं है। इसके भी खरीदार ज्यादा नहीं हैं। पहले मिट्टी मुफ्त मिलती थी अब वह भी खरीदनी पड़ती है। इससे सामान की लागत बढ़ जाती है। ऐसे में हमारा सामान अगर बिक भी जाये तो पर्याप्त मुनाफा नहीं है।

उनका कहना है कि परिवार में कई पीढ़ियों से यह काम हो रहा है। पहले घरों में दर्जनों तरह के मिट्टी के बर्तन उपयोग होते थे लेकिन अब सिर्फ दीपावली या अन्य पूजा-पाठ में केवल कलश और दीपों का प्रयोग होता है। इससे हमारे पास काम ही नहीं बचा।

सरकारी योजना का लाभ नहीं: सुबोध प्रजापति का कहना है कि सरकार और जनप्रतिनिधियों ने समाज के लोगों को उनके हाल पर छोड़ दिया है। सरकार ने जो योजनाएं हमारे लिए शुरू की हैं उसका लाभ भी हमें नहीं मिलता। कहने के लिए हमें दस लाख ऋण मिल सकता है लेकिन उसके लिए प्रक्रिया इतनी लंबी है कि उसे पूरा ही नहीं कर पाते।

इलेक्ट्रानिक चाक की कमी: बनारसी प्रजापति का कहना है कि इलेक्ट्रॉनिक चाक की कमी से कुंभकार समाज की मुश्किलें कम नहीं हो रही हैं। जिनके पास इलेक्ट्रानिक चाक है वह महंगी बिजली से बेहाल है। सरकार को कुंभकारों को बचाने के लिए बिजली बिल पर सब्सिडी देनी चाहिए।

मिले आयुष्मान कार्ड

हरेंद्र प्रसाद का कहना है कि महंगाई बढ़ने से इलाज का खर्च भी काफी बढ़ गया है। सरकार कंुभकरों को भी आयुष्मान योजना में शामिल करे जिससे परिवार के लोगों का अच्छे अस्पतालों में बेहतर इलाज हो सके।

सरकारी खरीद में बिचौलिए हावी

माटी की कला में माहिर कुंभकारों का कहना है कि जैम पोर्टल के जरिए खरीद से हमें बहुत आर्थिक फायदा नहीं हैं। उत्पादों को सिर्फ बाजार मिला है, उनकी चर्चा दूर-दूर तक होती है। उन्होंने बताया कि पोर्टल पर आर्डर के बाद कोई बिचौलिया हमसे संपर्क करता है। हमसे दीयों की 30 से 60 रुपये सैकड़ा के रेट पर सप्लाई की बात तय होती है, जबकि बाजार में वही उत्पाद 80 से 100 रुपये सैकड़ा की दर से बिकते हैं। एक परई हम दो या तीन रुपये में देते हैं, जबकि बाजार में उसका दाम 5-6 रुपये लगता है। दरों में भारी अंतर हर सामान में है। बिचौलियों द्वारा तय किए दाम पर उत्पाद देना कुंभकारों की मजबूरी है। फसल की तरह सरकार को मिट्टी के उत्पादों को भी खरीदने का इंतजाम करना चाहिए।

प्लास्टिक के सामान भी डाल रहे असर

आज के समय में कंुभकारी कला पर प्लास्टिक के सामान सबसे ज्यादा असर डाल रहे हैं। कुंभकारों का कहना है कि पहले लोग मिट्टी के गमले काफी खरीदते थे, लेकिन अब उसी कीमत में प्लास्टिक के गमले बिकने लगे हैं। प्लास्टिक के गमले रखरखाव में आसान होते हैं, इसलिए लोग इसे ज्यादा खरीदते रहे हैं। इसके अलावा अन्य कई उत्पाद पहले मिट्टी के खरीदे जाते थे, लेकिन अब ऐसा नहीं हो रहा है।

इलेक्ट्रानिक चाक मिले तो आसान हो काम

कुंभकारी कला को भी हाईटेक करने की जरूरत है। कुम्हारी कला को और अधिक सटीक और तेज बनाने के लिए इलेक्ट्रानिक चाक की आवश्यकता है। इलेक्ट्रानिक चाक का अभाव इनकी उत्पादकता को प्रभावित करता है। समय और ऊर्जा की अधिक बर्बादी होती है। कुंभकारों का कहना है कि सरकारी विभाग की तरफ से चाक तो दिए जाते हैं, लेकिन यह कब और कैसे मिलता है, इसकी उन्हें जानकारी नहीं दी जाती।

सिर्फ दाना-पानी चल रहा

प्रजापति महासभा के नेता रामबिलास प्रजापति कहते हैं कि कुम्हारी कला से अब सिर्फ घर का दाना-पानी चल सकता है। बच्चों को बेहतर शिक्षा, शादी-विवाह समेत अन्य खर्चों के लिए तरसना पड़ता है। पिछले दो-तीन साल से मिट्टी, पुआल, गोहरी भी काफी महंगी हो गई हैं। इनका उपयोग आंवा जलाने में होता है। उस भट्ठी में दीया समेत सभी उत्पाद पकते और निखरते हैं। हमारी कई पुश्त इस परम्परागत पेशे से जुड़ी हैं। मजबूरी है कि अब दूसरा पेशा नहीं अपना सकते हैं। सरकार भी कुम्भकार समाज की परेशानियों की तरफ ध्यान नहीं दे रही है।

हुनरमंद हाथों ने शिक्षा की चाक से गढ़ दी पीढ़ियों की तकदीर

बरहज, हिन्दुस्तान संवाददाता। कुंभकार समाज में कुछ ऐसे भी लोग हैं जिन्होंने पुश्तैनी काम के साथ ही शिक्षा की डोर पकड़ परिवार की जीवन शैली ही बदल दी। उन्होंने संसाधनों की कमी को बाधा न मानते हुए अपनी लगन और मेहनत से जीवन में मुकाम हासिल किया।

ऐसा ही एक परिवार है बरहज तहसील क्षेत्र के ग्राम खुदिया मिश्र निवासी हीरालाल प्रजापति का। चार भाइयों में हीरालाल प्रजापति सबसे बड़े हैं। इनके बाद विजय प्रजापति, अजय प्रजापति और संजय प्रजापति हैं। हीरालाल भाइयों में सबसे बड़े होने के चलते अपने पिता स्व. मरजाद प्रजापति के साथ चाक चलाकर बर्तन बनाते और उसे साप्ताहिक बाजार में ले जाकर बेचते थे। इनसब के बीच समय निकालकर अपनी पढ़ाई की और छोटे भाइयों को भी पढ़ाया। स्नातक की शिक्षा ग्रहण करने के बाद 1980 में पुलिस में सिपाही के पद पर भर्ती हुए। बाद में पदोन्नति हुई और वह दारोगा बन गए। नौकरी मिलने के बाद भाइयों को भी ग्रेजुएट कराया। नौकरी से छुट्टी मिलने के बाद घर आने पर बर्तन बनाने में पिता का हाथ बंटाते थे।

शादी के बाद बच्चे हुए तो उनको भी पढ़ाई के साथ पुश्तैनी कारोबार से जोड़े रखा। बच्चों को अच्छी शिक्षा दिलाई। आज उनके बेटे धीरेंद्र प्रजापति इंजीनियर, दीपक अवर अभियंता और वीरेंद्र प्रजापति सेंट्रल बैंक में ब्रांच मैनेजर हैं। हीरालाल का कहना है कि जीवन में शिक्षा का विशेष महत्व है। लेकिन अपनी जड़ों से कटने के बाद शिक्षा महत्वहीन हो जाती है।

बेटे को बनाया सब इंस्पेक्टर

ग्राम गड़ौना निवासी सुरेश प्रजापति ने भी चाक चलाकर अपने परिवार का भरण पोषण किया और बच्चों को पढ़ाया। मिट्टी के बर्तन से हुई कमाई से बेटे को शहर में भेजकर पढ़ाया। उनकी मेहनत रंग लाई बेटा विनोद प्रजापति का सीआरपीएफ में सब इंस्पेक्टर पद पर चयन हुआ है। ट्रेनिंग के बाद विनोद पुंछ जिले में तैनात हैं।

शिकायतें

1. पानी की समस्या और कोयले के दाम में बढ़ोतरी से धंधे पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है।

2. तीन-चार वर्षों से मिट्टी की समस्या गंभीर हो गई है। इससे उत्पाद बनाने में दिक्कतें आ रही हैं।

3. कुंभकारों के गांवों में मूलभूत सुविधाओं का अभाव है। उनकी सुनवाई नहीं है।

4. बिजली के मनमाने बिल से लगभग हर महीने समस्या आती है। गलत बिल जल्द सुधारे नहीं जाते।

5. कई गांवों में कुंभकार परिवारों के आयुष्मान कार्ड भी नहीं बने हैं। इससे गंभीर रोगों का इलाज महंगा पड़ रहा है।

सुझाव

1. प्रशासन सीधे कुंभकारों से मिट्टी के उत्पादों की खरीद करे न कि जेम पोर्टल से, इससे लाभ बढ़ेगा।

2. कुम्हारों के लिए ' मिट्टी का बैंक‘बने, ताकि उसकी उचित दाम पर उपलब्धता हो।

3. कुम्हारों के गांवों का क्लस्टर बनाकर वहां एक कॉमन फेसिलिटी सेंटर स्थापित हो।

4. कुंभकारों को बुनकरों की तरह फिक्स रेट या सब्सिडी पर बिजली दी जाए। उनकी शिल्पी के रूप में पहचान बने।

5. कुंभकारों के गांवों में समय-समय पर हेल्थ कैंप लगे। उसमें आयुष्मान कार्ड बनवाने की भी व्यवस्था रहे।

हमारी भी सुनिए

दिन में सौ से दो सौ रुपये कमा लेते हैं। सरकार को कुम्हारों के लिए विशेष योजना संचालित करनी चाहिए।

तेज नारायण

मिट्टी के बर्तन के लिए सामान जुटाने में दिक्कत होती है। पहले फ्री मिलने वाला मटेरियल अब खरीदते हैं।

अमावश प्रजापति

सरकार सामान बनाने को धन उपलब्ध कराती तो सहूलियत होती। रोजी-रोटी के लिए बाहर भी नहीं जाना पड़ता।

कमलावती देवी

दीपावली, राम नवमी के बाद सामानों की मांग नहीं होती। सरकार की तरफ से भी कोई पहल नहीं की जा रही है।

चन्द्रावती देवी

शादी-विवाह एवं गृह प्रवेश के लिए भी पहले से ऑर्डर बर्तन के लिए मिलते हैं। जिससे एक अच्छी कमाई हो जाती है।

राजू प्रजापति

कुम्भकारी से दाना-पानी किसी तरह से चल रहा है। मिट्टी का इंतजाम प्रशासन की तरफ से किया जाना चाहिए।

सुबोध प्रजापति

लागत और मेहनत के हिसाब से मिट्टी के सामान बनाने में मुनाफा नहीं मिलता। अब बिचौलिया काफी हावी हो गए हैं।

जितेंद्र कुमार

देव दीपावली जैसे मौकों पर दीयों की सरकारी खरीद सीधे कुम्हारों से होनी चाहिए। इससे आर्थिक लाभ होगा।

अरविंद प्रजापति

मेहनत के हिसाब से मुनाफा नहीं मिलता। लोग कुम्हारों की बजाय दुकानों से अधिक रेट पर सामान खरीद रहे हैं।

फोकन कुंभकार

पॉवरलूम बुनकरों की तरह हमारा भी बिजली बिल फिक्स हो। अभी घरेलू रेट पर बिल आता है। सरकार व्यवस्था बदले। बनारसी प्रजापति

दीपावली, देव दीपावली जैसे मौकों पर दीयों की सरकारी खरीद सीधे कुम्हारों से होनी चाहिए। इससे उन्हें लाभ होगा।

बलिराम प्रजापति

नई पीढ़ी इस पेशे में नहीं आना चाहती। बच्चे नौकरी या व्यवसाय करने के इच्छुक हैं। प्रयास हो कि नए लोग इससे जुड़ें।

छट्ठू प्रजापति

मिट्टी रखने को पर्याप्त जगह नहीं है। बरसात में नुकसान होता है। बढ़ते दामों ने भी कारोबार पर असर डाला है।

सुधरी देवी

प्लास्टिक ने मिट्टी के सामानों को समेट दिया है। मिट्टी का सामान बनाने वालों के सामने रोजी-रोटी का संकट है। हरिनारायण

पहले की तरह फ्री मिट्टी नहीं मिलती। एक तो कीमत बढ़ गई है, दूसरे अच्छी गुणवत्ता की मिट्टी भी नहीं मिल पा रही।

भीम प्रजापति

जेम पोर्टल का भी लाभ हम लोगों को नहीं मिल पा रहा है। आवेदन के बाद खरीदारी के समय बिचौलिए शोषण करते हैं।

हरेंद्र प्रसाद

बोले जिम्मेदार

कुम्हार के लिए कई योजनाएं हैं। निश्शुल्क इलेक्ट्रानिक चाक योजना में इस वर्ष 50 कुम्हारों को लाभ मिला है। शिल्पकारी प्रशिक्षण के लिए 30 कुम्हारों का चयन कर भेजा गया। 10 लाख तक का ऋण कुम्हार समाज के लोगों को दिया जाता है। 25 फीसदी सब्सिडी है। माइक्रो कॉमन फैसिलिटी सेंटर योजना के तहत समूह में काम करने वाले कुम्हारों को एक करोड़ तक की सुविधा उपलब्ध है।

वीरेंद्र प्रसाद, खादी ग्रामोद्योग अधिकारी

लेटेस्ट   Hindi News ,    बॉलीवुड न्यूज,   बिजनेस न्यूज,   टेक ,   ऑटो,   करियर , और   राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।

अगला लेखऐप पर पढ़ें