सड़क सुरक्षा नियम पालन का ली शपथ
Chandauli News - नौगढ़ में माता अमरा भगवती धाम में आयोजित नव दिवसीय श्री राम कथा के सातवें दिन कथावाचक कौशलेंद्र दास शांडिल्य ने भरत मिलन की कथा सुनाई। भरत ने अपने पिता राजा दशरथ का अंतिम संस्कार किया और राम को मनाने...

नौगढ़, हिन्दुस्तान संवाद। माता अमरा भगवती धाम परिसर में आयोजित नव दिवसीय श्री राम कथा के सातवें दिन बुधवार को कथावाचक कौशलेंद्र दास शांडिल्य ने भरत मिलन की कथा सुनाया। बताया कि रामचंद्र को वनवास चले जाने से बहुत काफी मर्माहत राजा दशरथ की सांसें थम गई। भरत ने ननिहाल से आकर अपने पिता राजा दशरथ का अंतिम संस्कार करके गुरु वशिष्ट राजा जनक और तीनों माताओं को साथ लेकर के प्रभु श्री राम चन्द्र को मनाने के लिए वन को प्रस्थान किया। रास्ते में निषाद राज से जानकारी पाकर सचित्रकूट में भारद्वाज ऋषि के आश्रम में पहुंचे। भरत को देखकर लक्ष्मण के मन में अनेकों विचार आ गया। प्रभु श्री राम चन्द्र ने काफी हर्षोहर्षित होकर के अपने छोटे भाई को गले लगाया। जिसे देख कर आकाश से देवता भी पुष्प वर्षा करने लगे। माता सीता ने अपनी माताओं का चरण बंदन कर अपने पिता श्री से मिली। फिर गुरु वशिष्ट से आशीर्वाद प्राप्त किया।पिता की मृत्यु हो जाने की खबर पाकर वनवास में निकले प्रभु श्री राम चन्द्र माता सीता व लक्ष्मण के करूण क्रंदन से हर आंखें नम हो गई। काफी मान मनौव्वल के बाद भी प्रभु श्री राम चन्द्र को अयोध्या नहीं लौटने की बात पर भरत भी साथ रहने पर अडिग हो गये। प्रभु राम ने भरत को काफी समझाते हुए कहा कि पिता को वैकुंठ चले जाने पर प्रजा की रक्षा करने के लिए हमारी चरण पादुकाओं को ले जाकर अयोध्या की राजगद्दी पर स्थापित कर के राजकाज का समुचित निर्वहन किया जाय। भरत ने चरण पादुका को अपने सर पर रख कर अयोध्या लेकर आए। इस अवसर पर काफी संख्या में क्षेत्रीय और दूरदराज के श्रद्धालु मौजूद रहे।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।