बोले बुलंदशहर : टैक्स अधिवक्ता अव्यवस्थाओं से तंग
Bulandsehar News - व्यापारियों को टैक्स भरने में मदद करने वाले टैक्स अधिवक्ताओं को कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। राज्य कर कार्यालय में बैठने की व्यवस्था ना होने और सर्वर की खराबी के कारण उन्हें घंटों खड़ा रहना...
व्यापारियों के व्यापार में आने वाली असुविधाओं से बचने के लिए टैक्स अधिवक्ता महत्वपूर्ण कड़ी है। टैक्स अधिवक्ता इन दिनों विभिन्न परेशानियों से जूझ रहे हैं। उनकी सबसे बड़ी समस्या राज्य कर कार्यालय में बार रूम की व्यवस्था नहीं होना है। टैक्स अधिवक्ताओं का कहना है कि राज्य कर कार्यालय में उनके बैठने के लिए कोई प्रबंध नहीं है। ऐसे में जब वह कार्यालय में रिर्टन आदि भरने के लिए जाते हैं, तो घंटों तक उन्हें खड़ा होना पड़ता है। जिस वजह से उन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ता है। जिले में टैक्स बार एसोसिएशन से जुड़े करीब 85 अधिवक्ता हैं। यह अधिवक्ता जिले में रजिस्टर्ड करीब दो हजार से अधिक व्यापारियों के हिसाब-किताब का लेखा-जोखा रखते हैं। व्यापारियों को किस प्रकार से रिर्टन भरनी है और उन्हें किस प्रकार टैक्स सरकार को देना है, इन सब बातों के बारे में टैक्स अधिवक्ता जानते हैं। टैक्स बार एसोसिएशन के अधिवक्ताओं का कहना है कि जिस प्रकार हम लोग व्यापारियों की सहूलियत और सरकार को समय से टैक्स देने का काम करते हैं, उस हिसाब से उन्हें सुविधाओं का कोई लाभ नहीं मिलता। जिस ऑनलाइन पोर्टल पर वह लोग काम करते हैं, वह अक्सर उप रहता है। जिस वजह से व्यापारियों की रिर्टन जमा होने में मुश्किल आती है। इस व्यवस्था को सुचारू बनाए रखने के लिए कई बार उच्चाधिकारियों से गुहार लगाई गई, लेकिन उसके बाद भी कोई फायदा नहीं हुआ। ऐसे में व्यापारियों को काफी नुकसान झेलना पड़ता है।
टैक्स बार के अधिवक्ताओं का कहना है कि सर्वर के क्रैश होने की वजह से व्यापारियों पर विभाग पैनल्टी लगा देता है। इसमें व्यापारी का कोई दोष नहीं होता, लेकिन विभाग अपनी गलती ना बताकर इसका दोष व्यापारियों पर मंढ देता है। इस व्यवस्था में सुधार होने विभाग के साथ-साथ व्यापारियों को काफी राहत मिलेगी। व्यापारियों काफी हद तक टैक्स अधिवक्ताओं पर निर्भर रहता है और जब उन्हें पैनल्टी से संबंधित नोटिस मिलता है तो वह अधिवक्ताओं को इसकी जानकारी देते हैं। जिसके बाद काफी परेशानी खड़ी हो जाती है। इस व्यवस्था में सुधार अधिकारियों को करना है।
टैक्स बार एसोसिएशन के अधिवक्ताओं ने बताया कि जिस प्रकार जिला एवं सत्र न्यायालय में काम करने वाले अधिवक्ताओं के लिए चैंबर बनते हैं, उसकी प्रकार टैक्स बार एसोसिएशन वालों के भी बनने चाहिए। क्योंकि टैक्स बार एसोसिएशन का कोई बार रूम नहीं है। ऐसे में अधिवक्ताओं को सबसे ज्यादा परेशानियों का सामना करना पड़ता है। वह जब व्यापारियों के लिए किसी काम से राज्य कर कार्यालय में जाते हैं तो वहां पर घंटों-घंटों तक उन्हें खड़ा रहना पड़ता है। वहां पर अधिवक्ताओं के लिए बैठने की कोई व्यवस्था नहीं है। इस व्यवस्था में सुधार हो जाएगा तो काफी राहत प्राप्त हो जाएगी। क्योंकि जब नियत तारीख आती है तो काफी संख्या में टैक्स बार एसोसिएशन के पदाधिकारी या फिर उनके पास कार्य करने लोग रिर्टन भरने के लिए जाते हैं और सर्वर ठीक प्रकार से नहीं चल पाने की वजह से कार्यालय पर कभी-कभी तो पूरा दिन ही खराब हो जाता है। टैक्स अधिवक्ता अभिषेक गोयल ने कहा कि जिस प्रकार दीवानी और फौजदारी की वकालत करने वाले अधिवक्ताओं के लिए बार रूम होता है। उसी प्रकार टैक्स बार एसोसिएशन से जुड़े अधिवक्ताओं का भी बाररूम होना चाहिए। इस बार रूम में ही पुस्तकालयों का संग्रह होना चाहिए। ताकि टैक्स बार से जुड़े अधिवक्ता को किसी प्रकार की कोई परेशानी हैं तो वह बार रूम में बने पुस्तकालय में पहुंचकर अपने केस को मजबूत पैरवी के लिए काम कर सकें।
जीएसटी वैट के अंदर लानी चाहिए ब्याज माफी योजना
टैक्स बार एसोसिएशन के अध्यक्ष दीपक गोयल ने बताया कि राज्य कर विभाग के उच्चाधिकारियों को व्यापारियों को राहत देने के लिए जीएसटी और वैट के भीतर ब्याजमाफी योजना को लाना चाहिए। इस योजना से जहां व्यापारियों को सहूलियत होगी, वहीं विभाग के पास भी बकाया जमा होने का अच्छा साधन मिलेगा। इसलिए विभाग के अधिकारियों को इस योजना को लाने की कोशिश करनी चाहिए। प्रदेश सरकार के कई विभाग अपने ग्राहकों के लिए ब्याजमाफी की योजना लाते हैं। इसमें ऊर्जा निगम, नगर निकाय जैसे बड़े विभाग शामिल हैं।
मैनुअल तरीके से पहुंचने चाहिए कागजात
टैक्स बार एसोसिएशन के सचिव राहुल अग्रवाल ने बताया कि जिले में काफी बड़ा तबका व्यापारी है। व्यापारी अपने काम में इतना व्यस्त रहता है कि उसे ना तो सोशल मीडिया देखने की फुर्सत होती है और ना ही अपनी ई-मेल चैक करने की। ऐसे में जब से पूरा सिस्टम ऑनलाइन हुआ है, तब से व्यापारियों को काफी परेशानी होने लगी है। क्योंकि अब विभाग नोटिस से लेकर कोई अन्य जानकारी ई-मेल पर भेज देता है। यदि विभाग मैनुअल तरीक की व्यवस्था को लागू कर देगा तो व्यापारियों को काफी आसानी होगी। इस बारे में विभाग के अधिकारियों को विचार करना चाहिए और व्यापारियों को सहूलियत देने के लिए कदम उठाने चाहिए।
सुझाव
1. यदि राज्यकर कार्यालय में अधिवक्ताओं के लिए बैठने के कम से कम कुर्सियों की व्यवस्था हो।
2. कार्यालय में बार रूम के साथ-साथ उसमें पुस्तकालय भी बनाना चाहिए।
3. रिर्टन जमा करने वाले सर्वर को ठीक करने के लिए काम करना चाहिए।
4. जीएसटी में जो दिक्कत व्यापारियों को आती हैं, उन्हें उनके साथ बैठक कर निपटाना चाहिए।
5. योजनाओं का समय-समय पर प्रचार-प्रसार होना चाहिए।
शिकायतें
1. राज्यकर कार्यालय में टैक्स बार एसोसिएशन के अधिवक्ताओं के लिए जगह होनी चाहिए।
2. कम से कम एक आकर्षक बार रूम बनाकर टैक्स अधिवक्ताओं को सहूलियत देनी चाहिए।
3. सर्वर के आए दिन ठप रहने की व्यवस्था में सुधार करना चाहिए।
4. जीएसटी में आ रही दिक्कतों को दूर करने की कोशिश होनी चाहिए।
5. व्यापारियों के हित में चलाई जाने वाली योजनाओं का होना चाहिए प्रचार-प्रसार।
टैक्स बार अधिवक्ताओं के मन की बात
इनकम टैक्स में फेसलैस अस्सीमेंट खत्म होने से व्यापारी वर्ग को बड़ी राहत मिल सकती है। इसके लिए सरकार को ऐसा प्रावधान करना चाहिए। क्योंकि व्यापारी सरकार को टैक्स देने का काम करता है।
-दीपक गोयल, अध्यक्ष, टैक्स बार एसोसिएशन
टैक्स बार के अधिवक्ताओं को यह सुविधा भी मिलनी चाहिए कि कौन सा अधिकारी कौन सा केस देख रहा है। अधिवक्ताओं को इस बात की कोई जानकारी नहीं मिल पाती है।
-राहुल अग्रवाल, सचिव, टैक्स बार एसोसिएशन
जीएसटी में फर्जी पंजीयन रोकने के लिए अधिवक्ताओं से प्रमाणिकता का अधिकार मिलना चाहिए। ऐसा होने से टैक्स बार एसोसिएशन के अधिवक्ताओं को सहूलियत होगी।
-अभिषेक गोयल
जीएसटी में आ रही दिक्कतों को दूर कर व्यापारियों को राहत देने का काम किया जाना चाहिए। क्योंकि जब व्यापारी किसी प्रकार की कोई जानकारी करता हैं तो विभाग के अधिकारी आनाकानी करने लगते हैं।
-मोहित गर्ग
जिस प्रकार वैट में पंजीयन लेने से पूर्व अधिवक्ता का प्रमाणिकता पत्र लेना अनिवार्य होता है, उसी प्रकार जीएसटी में होना चाहिए।
-विशाल भटनागर
जिस पोर्टल पर टैक्स बार के अधिवक्ता काम करते हैं, वह पोर्टल आधे से ज्यादा समय तक क्रैश रहता है। यह व्यवस्था ठीक होने से राहत मिल सकती है।
-सुभाष शिशौदिया
ऑनलाइन के बजाय व्यापारियों आफलाइन तरीके से व्यापारियों के पास कागजात पहुंचने की व्यवस्था विभाग के अधिकारियों को करनी चाहिए। इससे राहत मिलेगी।
-सचिन बंसल
जीएसटी कार्यालय में बैठने की कोई व्यवस्था नहीं है। अधिवक्ताओं को खड़े रहना पड़ता है। इस व्यवस्था में विभाग के अधिकारियों को सुधार करने की बहुत ही आवश्यकता है।
-भोपाल सिंह
अधिकारियों को व्यापारियों से जुड़ी पत्रावलियों को ठीक प्रकार से जांचना चाहिए। ताकि उन्हें नुकसान ना उठाना पड़े।
-अरू तायल
विभाग के अधिकारियों को व्यापारियों के हितों में चलाई जाने वाली योजनाओं का प्रचार-प्रसार करना चाहिए।
-अब्दुल वाहिद
कोट---
टैक्स बार एसोसिएशन के अधिवक्ताओं की जो भी समस्याएं हैं, उन्हें जल्द से जल्द ठीक कराया जाएगा। इसके लिए शासन स्तर पर वार्ता कर राज्य कर कार्यालय में उनके बैठने की व्यवस्था कराई जाएगी।
-प्रदीप चौधरी, सदर विधायक।
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