बोले बुलंदशहर: राज्य कर्मचारियों को चाहिए सुविधाएं और सम्मान
Bulandsehar News - बुलंदशहर में राज्य कर्मचारियों ने अपनी मूलभूत सुविधाओं की अनदेखी पर प्रशासन से शिकायत की है। उनकी मांगों में बीमा राशि बढ़ाना, अस्पतालों में अलग काउंटर की व्यवस्था, चिकित्सा बिलों में कटौती का समाधान,...
जनपद में कार्यरत राज्य कर्मचारी विभिन्न विभागों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। कर्मचारियों की शिकायत है कि उनकी मूलभूत सुविधाएं की अनदेखी की जा रही है। बीमा योजना की राशि में बढ़ोतरी, पटल परिवर्तन में पारदर्शिता जरूरी, अस्पतालों में अलग काउंटर आदि सुविधाओं की दरकार है। जिले में लगभग 9 से 10 हजार राज्य कर्मचारी विभिन्न विभागों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। इन कर्मचारियों की संख्या भले ही बड़ी हो, लेकिन इनके समक्ष समस्याओं की फेहरिस्त भी कम नहीं है। कर्मचारियों की शिकायत है कि उनकी मूलभूत सुविधाएं, सम्मान और अधिकारों की अनदेखी की जा रही है। ऐसे में उन्होंने प्रशासन से कुछ अहम मांगे रखी हैं, जिन्हें समय रहते पूरा किया जाना आवश्यक है।
जनपद में कुल 32 विभागों में यह राज्य कर्मचारी कार्यरत हैं। शिक्षा, स्वास्थ्य, सिंचाई, राजस्व, लोक निर्माण, आपूर्ति, कृषि, पशुपालन, नगर विकास, परिवहन, विद्युत, समाज कल्याण सहित अनेक विभागों में यह कर्मचारी प्रशासनिक रीढ़ की हड्डी की तरह कार्य कर रहे हैं। वह न केवल विभागीय कार्यों का संचालन करते हैं, बल्कि चुनाव, मेला, आपदा प्रबंधन और अन्य अतिरिक्त जिम्मेदारियां भी निभाते हैं। राज्य कर्मचारी शासन-प्रशासन के वह स्तंभ हैं जिनके कंधों पर योजनाओं और नीतियों के क्रियान्वयन की जिम्मेदारी होती है। ऐसे में उनका सम्मान, सुविधा और सुरक्षा सुनिश्चित करना शासन की जिम्मेदारी है। जनपद बुलंदशहर के राज्य कर्मचारियों की मांगें न केवल जायज़ हैं, बल्कि उनके कार्य की गुणवत्ता और मनोबल को सीधे प्रभावित करती हैं। प्रशासन को चाहिए कि इन मांगों पर शीघ्र और सकारात्मक निर्णय लेकर कर्मचारियों को राहत प्रदान करे। राज्य कर्मचारियों का कहना है कि जब तक उनकी समस्याओं का समाधान नहीं किया जाएगा, तब तक कार्य में अपेक्षित प्रभाव नहीं आ सकता। वह जनहित में कार्य कर रहे हैं और यदि उन्हें आवश्यक सुविधाएं, सम्मान और सुरक्षा मिलेगी तो वे और भी मनोयोग से काम कर सकेंगे। -------- चिकित्सा सुविधा में भेदभाव और कटौती से नाराजगी राज्य कर्मचारियों की प्रमुख शिकायतों में चिकित्सा प्रतिपूर्ति बिलों में की जा रही कटौती प्रमुख है। कर्मचारियों का कहना है कि वह इलाज के लिए प्राइवेट या सरकारी अस्पतालों में मोटी रकम खर्च करते हैं, लेकिन जब बिल जमा किया जाता है तो विभागों द्वारा कटौती कर दी जाती है, जिससे उन्हें आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है। उनका आग्रह है कि चिकित्सा प्रतिपूर्ति की प्रक्रिया पारदर्शी बनाई जाए और बिलों में अनुचित कटौती न की जाए। ------- अस्पतालों में अलग काउंटर की सुविधा राज्य कर्मचारियों को इलाज के दौरान लंबी कतारों में खड़ा होना पड़ता है। उनकी मांग है कि सरकारी अस्पतालों में उनके लिए एक अलग काउंटर की व्यवस्था की जाए, जिससे उन्हें त्वरित और सम्मानजनक चिकित्सा सुविधा मिल सके। ------ चुनाव ड्यूटी करने वाले कर्मचारियों का हो सम्मान राज्य कर्मचारी चुनाव के दौरान कठिन परिस्थितियों में ड्यूटी करते हैं। कर्मचारियों का कहना है कि उन्हें लंबे समय तक घर-परिवार से दूर रहना पड़ता है और अक्सर जोखिम भी उठाना पड़ता है। ऐसे में चुनाव ड्यूटी के बाद उनका सम्मान होना चाहिए, जिससे उनका मनोबल बढ़े। ------ बीमा योजना की राशि में बढ़ोतरी की मांग पंडित दीन दयाल उपाध्याय राज्य कर्मचारी कैशलेस चिकित्सा योजना के अंतर्गत फिलहाल कर्मचारियों को अधिकतम 5 लाख रुपये तक का लाभ मिलता है। कर्मचारियों का कहना है कि महंगाई और इलाज की बढ़ती लागत को देखते हुए यह राशि अपर्याप्त है। ऐसे में बीमा राशि को बढ़ाकर 10 लाख रुपये किए जाने की मांग उठाई गई है, ताकि गंभीर बीमारियों की स्थिति में भी उन्हें उचित सहायता मिल सके। ------ जर्जर भवनों का पुनर्निर्माण आवश्यक कई विभागों की कार्यालय इमारतें जर्जर अवस्था में पहुंच चुकी हैं, जहां काम करना खतरे से खाली नहीं है। कर्मचारियों का कहना है कि बारिश में छत टपकती है, दीवारों में दरारें हैं और शौचालय की भी समुचित व्यवस्था नहीं है। ऐसे में मांग की गई है कि इन भवनों का पुनर्निर्माण कराया जाए ताकि कर्मचारियों को सुरक्षित और बेहतर कार्य वातावरण मिल सके। ----- मेला ड्यूटी भत्ता की मांग इलाहाबाद की तर्ज पर बुलंदशहर में भी कर्मचारियों को मेला ड्यूटी के लिए भत्ता दिए जाने की मांग की जा रही है। मेला आयोजन के दौरान कर्मचारियों को अतिरिक्त कार्य करना पड़ता है और अतिरिक्त समय देना होता है। इसलिए उन्हें इसके बदले में विशेष भत्ता मिलना चाहिए। ----- पटल परिवर्तन में पारदर्शिता जरूरी राज्य कर्मचारी यह भी मांग कर रहे हैं कि विभागों में पटल परिवर्तन की व्यवस्था को सख्ती से लागू किया जाए। कुछ विभागों में वर्षों से एक ही कर्मचारी एक ही पटल पर कार्य कर रहा है, जिससे गड़बड़ियों की आशंका बढ़ जाती है। उनका कहना है कि हर तीन साल में पटल परिवर्तन की प्रक्रिया पारदर्शी तरीके से की जानी चाहिए। ----- सीआर समय पर नहीं आने पर आती है रुकावट सीआर(गोपनीय आख्या) समय से भेजने पर भी जोर- कई बार कर्मचारियों की पदोन्नति, स्थानांतरण या अन्य कार्यों में गोपनीय आख्या (सीआर) समय पर न भेजे जाने से रुकावट आती है। कर्मचारियों ने मांग की है कि प्रत्येक वर्ष 1 अप्रैल तक सभी कर्मचारियों की सीआर उच्च अधिकारियों को भेज दी जाए, जिससे उनकी सेवा संबंधित कार्यों में विलंब न हो। ---- सुझाव- 1- चिकित्सा व प्रतिपूर्ति के बिलों में कटौती ना की जाए 2- पंडित दीन दयाल उपाध्याय बीमा योजना की राशि 5 लाख से बढ़ाकर दस लाख की जाए 3- पटल परिवर्तन की व्यवस्था का कड़ाई एवं पारदर्शिता से पालन किया जाए 4- जर्जर इमारतों का पुर्ननिर्माण कराया जाए -- शिकायत- 1- चिकित्सा व प्रतिपूर्ति के बिलों में कटौती की समस्या 2- पटर परिवर्तन की व्यवस्था का कड़ाई से पालन ना होने की समस्या 3- जर्जर भवनों की समस्या 4- सीआर को समय से प्रेषित नहीं किए जाने की समस्या --- इनका दर्द जानिए संगठन की ओर से प्रशासनिक अधिकारियों के लिए न्यूनतम ग्रेड पे 5400 रुपये और कनिष्ठ सहायक के लिए 2400 रुपये करने की मांग की जा रही है। -के.पी सिंह, राज्य कर्मचारी शासन को कर्मचारियों की बात को गंभीरता से सुनना चाहिए। एक साझा मंच बनाना चाहिए। जहां संवाद के माध्यम से समाधान निकल सके। -अनुराग सारस्वत, राज्य कर्मचारी राज्य कर्मचारियों के आश्रितों को अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति दिए जाने की प्रक्रिया अत्यधिक जटिल और लंबी है। कई परिवारों को वर्षों तक इंतजार करना पड़ता है, जिससे वे आर्थिक संकट में फंस जाते हैं। -धर्म सिंह ,राज्य कर्मचारी राज्य कर्मचारी अपनी सेवाओं के दौरान विभिन्न जिलों और स्थानों की यात्रा करते हैं। इसके लिए वह बार-बार टोल टैक्स का भुगतान करते हैं, जो उनके वेतन पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ बनता है। -सुशील कुमार, राज्य कर्मचारी राज्य कर्मचारियों के आश्रितों को अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति दिए जाने की प्रक्रिया अत्यधिक जटिल और लंबी है। कई परिवारों को वर्षों तक इंतजार करना पड़ता है। -मुकेश कुमार, राज्य कर्मचारी सेवा निवृत्ति की आयु 60 से बढ़ाकर 62 वर्ष की जानी चाहिए। अनुभवी कर्मचारियों की सेवाएं राज्य के प्रशासनिक ढांचे के लिए उपयोगी होती हैं। -नरेश चन्द्र ,राज्य कर्मचारी कोरोना काल में रोके गए 18 महीनों के महंगाई भत्ते का भुगतान भी अब तक नहीं हुआ है। भुगतान की मांग लंबे समय से की जा रही है। रोके गए भत्ते का भुगतान किया जाए। -संजीव कुमार, राज्य कर्मचारी आउटसोर्सिंग से नियुक्ति व्यवस्था पर रोक की मांग की जा रही है। इससे न केवल स्थायी कर्मचारियों के अधिकारों का हनन हो रहा है, बल्कि प्रशासनिक व्यवस्था में भी अस्थिरता पैदा हो रही है। -अनमोल शर्मा,राज्य कर्मचारी विभिन्न विभागों में बड़ी संख्या में पद रिक्त हैं। विशेष रूप से सिंचाई विभाग में समूह 'ग' और 'घ' के पद समाप्त कर दिए गए हैं, जिससे कार्यभार बढ़ गया है। -राजू सिंह,राज्य कर्मचारी किसी भी नीतिगत निर्णय या आयोग की प्रक्रिया में सीधे तौर पर प्रभावित पक्ष को सुना जाना चाहिए। ताकि कर्मचारियों की वास्तविक आवश्यकताओं और चुनौतियों को आयोग भली-भांति समझ सके। -देवेन्द्र कुमार, राज्य कर्मचारी --- कोट कर्मचारियों की समस्याओं का त्वरित निस्तारण कराया जाएगा। इस संबंध में प्रशासन के अधिकारियों को दिशा-निर्देश दिए गए हैं। -प्रदीप चौधरी, विधायक सदर -----
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