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बोले बुलंदशहर : बेटियों को मिलें सुविधाएं, तो छू लें आसमां

Bulandsehar News - हर क्षेत्र में बेटियां बेहतर काम कर रही हैं, लेकिन कॉलेज के आसपास असुरक्षा और शौचालयों की कमी प्रमुख समस्याएं हैं। छात्राओं ने पिंक टॉयलेट, महिला पुलिस की तैनाती और ट्रैफिक व्यवस्था में सुधार की मांग...

Newswrap हिन्दुस्तान, बुलंदशहरThu, 20 Feb 2025 06:41 PM
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बोले बुलंदशहर : बेटियों को मिलें सुविधाएं, तो छू लें आसमां

हर क्षेत्र में बेटियां बेहतर काम कर अपना नाम रोशन कर रही हैं। सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक और सांस्कृतिक जगत में बेटियों का अहम योगदान बना हुआ है। छात्राएं पुलिस और सेना में भी दक्षता के साथ अपनी मौजूदी को साबित कर रही हैं। आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में भी इनका अहम योगदान हैं। जिले में 65 प्राइवेट डिग्री कॉलेज और 11 एडेड महाविद्यालय हैं, जिनमें करीब डेढ़ लाख छात्राएं शिक्षा ग्रहण कर रही हैं। इन सभी महाविद्यालय में पढ़ने वाली बेटियों को कॉलेज आते-जाते वक्त कई प्रकार की परेशानियों से हर दिन रूबरू होना पड़ता है। बेटियों का कहना है कि असुरक्षा उनके लिए सबसे बड़ी समस्या है। इसके अलावा कॉलेज के आसपास और बाजार में पिंक टॉयलेट का न होना भी बड़ी समस्या है।

बेटियों और महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए मिशन शक्ति अभियान पर भी करोड़ों रुपये खर्च किए जा रहे हैं। इसके अलावा थानों में भी एंटी रोमियो स्कवायड बनाया गया है। जिसके माध्यम से स्कूल, कॉलेज के आसपास महिला पुलिस टीम द्वारा समय-समय पर अभियान चलाते हुए शोहदों को पकड़ने का काम किया जाता है। शहर के रेलवे स्टेशन रोड स्थित गौरी शंकर कन्या महाविद्यालय, डीएवी महाविद्यालय में शहर और देहात क्षेत्र की छात्राएं शिक्षा ग्रहण करने के लिए आती हैं। छात्राओं ने कहा कि स्थानीय स्तर पर काफी समस्याएं हैं।

शहर में चौराहों पर पिंक शौचालय नहीं हैं, जिससे छात्राओं और महिलाओं को परेशानी होती है। इसके अलावा शहर की ट्रैफिक व्यवस्था भी ध्वस्त है। जिसके कारण छात्राएं जाम में फंस जाती है और उनकी क्लास छूट जाती है। छात्राओं ने बताया कि स्कूल की छुट्टी के समय बाहर जाम लग जाता है। कोई भी पुलिसकर्मी यहां नजर नहीं आता। बेटियों को बचाने और पढ़ाने के साथ आगे बढ़ाने के लिए कागजी कवायद जारी है। छात्राओं ने कहा कि पुलिस-प्रशासन द्वारा इन समस्याओं का समाधान कराया जाना जरूरी है।

उन्होंने बताया कि शहर में हर चौराहे पर या स्कूलों के आसपास पिंक टॉयलेट का निर्माण कराया जाए। सुरक्षा की दृष्टि से स्कूल-कॉलेजों के आसपास महिला पुलिस कर्मियों की तैनाती होनी चाहिए। इसके अलावा सभी शैक्षणिक संस्थानों के बाहर और आसपास नशे के उत्पादों की बिक्री पर रोक लगाई जाए। जिससे युवाओं का भविष्य खराब न हो। छात्राओं ने बताया कि स्कूल-कॉलेजों के आसपास गंदगी और जलभराव की समस्याओं का निस्तारण होना चाहिए। छात्राओं की सुरक्षा एक बड़े मुद्दे के रूप में सामने आया। उनकी मांग है कि सरकारी स्तर पर सुविधाओं का विस्तार होना चाहिए। वहीं शैक्षणिक संस्थानों के बाहर महिला पुलिस कर्मियों की तैनाती होनी चाहिए। जिससे छात्राओं की राह आसान हो सके।

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गर्ल्स कॉलेज के आसपास बनने चाहिए पिंक टॉयलेट

महाविद्यालयों की छात्राओं ने बताया कि स्कूल-कॉलेजों में सबसे अधिक समस्या शौचालयों की है। स्थानीय स्तर पर महिलाओं और छात्राओं के लिए शौचालय नहीं है। स्कूल-कॉलेजों के शौचालयों में भी अक्सर गंदगी जमा रहती है। जिस वजह से छात्राओं को परेशानी होती है। इसके अलावा शहर के बाजारों में भी शौचालयों का काफी आभाव है। शहर में स्कूल-कॉलेजों के पास पिंक टॉयलेट का निर्माण कराया जाना चाहिए। जिससे परेशानी कुछ कम होगी। वहीं, व्यस्त बाजारों में भी महिलाओं के लिए शौचालय की व्यवस्था हो। जिससे उन्हें शर्मिंदगी महसूस न करनी पड़े। उन्होंने कहा कि शहर में अधिकतर लोग खुले में गंदगी फैला रहे हैं। इन लोगों पर सख्त से सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। सुरक्षा को लेकर खास उपाय अपनाए जाने जरूरी हैं। अलग-अलग समय पर अभियान भी निरंतर चलाए जाने चाहिए।

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सुरक्षा है सबसे अहम कड़ी

छात्राओं ने कहा कि स्कूल, कॉलेज में पढ़ने वाली छात्राओं के लिए सुरक्षा सबसे अहम मुद्दा है। हालांकि शासन स्तर पर महिला और छात्राओं के लिए कड़े कानून बनाए गए हैं, लेकिन उसके बाद भी शोहदों की हरकत बंद नहीं होती। स्कूल-कॉलेज के आसपास पुलिस चौकी खुलनी चाहिए। ताकि स्कूलों में पढ़ाई और छुट्टी के वक्त शोहदें आसपास भी नहीं खड़े हों। ऐसा होने से स्कूली छात्राओं को काफी सुविधा प्रदान होगी। समय-समय पर एंटी रोमियो स्कवायड टीम को अभियान चलाकर शोहदों पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए।

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मिलना चाहिए समानता का अधिकार

छात्राओं ने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में बेटियों को समानता का अधिकार मिलना चाहिए। परिवार में उनके साथ शिक्षा को लेकर भेदभाव किया जाता है, जो गलत है। बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ को लेकर बड़ी-बड़ी बातें और दावे किए जाते हैं, लेकिन जब बात धरातल पर आती है तो सभी दावों की पोल खुल जाती है। आज की कई परिवारों में बेटियों को बोझ समझा जाता है। बेटों को पढ़ाने के लिए माता-पिता निजी स्कूलों में भेजते हैं, लेकिन ग्रामीण इलाकों में आज भी बेटियों को सरकारी स्कूल में पढ़ाया जाता है। मध्यमवर्गी परिवारों की ज्यादातर बेटियां आज भी पैदल ही स्कूल आती-जाती हैं। बेटियों को किसी भी मामले में बेटों से कम नहीं समझा जाना चाहिए।

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छात्राओं के मन की बात

गर्ल्स कॉलेज के पास अक्सर युवकों का जमघट लगा रहता है। कॉलेज के आसपास महिला पुलिस कर्मियों की तैनाती होनी चाहिए। ताकि छात्राएं उनसे शिकायत कर सकें।

-नूर अफसा

गरीब बेटियों को पढ़ने की आजादी मिलनी चाहिए। गरीबी की वजह से कई परिवार बेटियों को पढ़ाने की हिम्मत नहीं दिखा पाते। स्थानीय स्तर पर सुविधाओं में इजाफा होना चाहिए।

-गरिमा शर्मा

बेटियों को शिक्षित किए जाने की जरूरत है। बेटियां शिक्षित होंगी तो परिवार, समाज को सही दिशा देंगी।

-लौरिन वर्मा

शहर में महिलाओं के लिए पिंक टॉयलेट बनाने चाहिए। क्योंकि इससे छात्राओं को काफी सहूलियत मिलेगी। बाजारों में इस प्रकार के शौचालयों की व्यवस्था होनी चाहिए।

-रूहीना

ग्रामीण मार्गों पर रोडवेज बसों का काफी संकट रहता है। ऐसे में स्कूल, कॉलेज आने वाली छात्राओं को सबसे ज्यादा परेशानी होती है। इस व्यवस्था को ठीक होना चाहिए।

-सिमरन सिंह

उच्च शिक्षा के लिए संस्थानों की कमी है। सरकारी स्तर पर कोचिंग नहीं है। जहां निशुल्क पढ़ाई की व्यवस्था हो।

-नीलम

सबसे पहले हर चौराहों पर पिंक टॉयलेट बनाने चाहिए। खुले में गंदगी फैलाने वालों के लिए पुलिस को कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए।

-मुस्कान

बरसात के दिनों में अधिकांश सड़कों पर जलभराव हो जाता है। इससे स्कूली छात्राओं को सबसे ज्यादा परेशानी झेलनी पड़ती है।

-सपना

सुरक्षा के लिए मजबूत इंतजाम होने चाहिए। बेटियों को स्कूल जाते समय शोहदों का डर ना हो। बेटियां सुरक्षित माहौल में रहेंगी तभी तरक्की होगी।

-तान्या

सरकारी स्कूलों में भी निजी स्कूलों की भांति सुविधाएं मिलनी चाहिए। छात्राओं के लिए वाहनों की व्यवस्था होनी चाहिए। इससे छात्राओं को राहत मिलेगी।

-तनू

बेटियों के लिए सरकार की ओर से बेहतर व्यवस्था होनी चाहिए। अधिकांश सरकारी स्कूलों में अभी भी बेटियों को जमीन पर बैठाकर पढ़ाया जाता है।

-पल्लवी

कोई कुछ भी कहे लेकिन आज भी बेटियों को बेटों से कम माना जाता है। सामाजिक तौर पर भी बेटियों के साथ भेदभाव किया जाता है।

-सना

छात्राओं के लिए स्थानीय स्तर पर ऐसी लाइब्रेरी नहीं हैं, जहां किताबों का अच्छा संग्रह मौजूद हो। ऐसी व्यवस्था से छात्राओं को उच्च शिक्षा में आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलनी चाहिए।

-अफरा

शहर की ट्रैफिक व्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त रहती है। बाजारों में ई-रिक्शा अक्सर जाम का कारण बनते हैं। इन पर भी कार्रवाई होनी चाहिए।

-अंशिता राज

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सुझाव:

1.स्कूल के बाहर और छुट्टी के समय महिला पुलिसकर्मियों की तैनाती अनिवार्य की जाए।

2.छेड़छाड़ करने वालों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई हो।

3.सीसीटीवी के जरिए स्कूलों और आस-पास के क्षेत्रों में निगरानी की जाए।

4. प्रशासन और स्कूल मिलकर सामुदायिक जागरूकता का प्रयास करें।

5. सभी स्कूल-कॉलेजों में छात्राओं को सेल्फ डिफेंस की ट्रेनिंग दी जाए।

शिकायत:

1.शहर में छात्राओं के लिए शौचालय की कमी।

2.स्कूल-कॉलेजों के आसपास जलभराव और गंदगी।

3.छेड़छाड़ की घटनाएं स्कूल के बाहर शोहदों का जमावड़ा फब्तियां कसने की घटनाएं आम।

4. पुलिस की निष्क्रियता के चलते अराजक तत्वों पर कोई कार्रवाई नहीं होती।

5. छात्राओं में असुरक्षा का माहौल है। स्कूल आते-जाते समय छात्राओं को शोहदों का पीछा और धमकियां सहनी पड़ती हैं।

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वर्जन---

स्कूली छात्राओं की समस्याओं का समाधान कराया जाएगा। प्रयास रहेगा कि जहां-जहां पर गर्ल्स कॉलेज संचालित हो रहे हैं, वहां पर पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों से वार्ता कर महिला पुलिस कर्मियों की तैनाती कराई जाएगी।

-भोला सिंह, सांसद

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