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बोले बस्ती : जरूरत के समय नहरों में नहीं छोड़ा जाता पानी

Basti News - बस्ती जनपद में किसान सरयू नहर की स्थिति से निराश हैं। नहरें अक्सर सूखी रहती हैं जब किसानों को पानी की सबसे अधिक आवश्यकता होती है। बाढ़ के समय नहर ओवरफ्लो होकर फसलों को बर्बाद कर देती हैं। किसान शिकायत...

Newswrap हिन्दुस्तान, बस्तीSat, 26 April 2025 02:49 AM
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बोले बस्ती : जरूरत के समय नहरों में नहीं छोड़ा जाता पानी

Basti News : बस्ती जनपद में नहरें उपेक्षा के कारण किसानों के लिए वरदान के बजाय हर सीजन में अभिशाप बन जाती हैं। जिले में सरयू नहर की शाखा, उप शाखा, माइनर नहरों का जाल बिछा है लेकिन किसानों के लिए बेमतलब साबित हो रही हैं। समय से नहरों में पानी नहीं छोड़ा जाता है और जब कभी छोड़ा भी जाता है तो नहरें ओवरफ्लो कर जाती हैं जिसके कारण किसानों की फसलें बर्बाद हो जाती हैं। जिस समय किसानों को पानी की सबसे अधिक जरूरत होती है उस समय नहरों में धूल उड़ती है। जिले की नहरों में आखिरी छोर तक कभी पानी नहीं पहुंचा है। आपके अपने अखबार ‘हिन्दुस्तान से बातचीत में किसानों ने अपनी परेशानियां साझा कीं।

जिले में लगभग तीन दशक पूर्व शुरू हुई सरयू नहर किसानों के लिए वरदान की बजाए अभिशाप बन गई है। सिंचाई के लिए जब पानी की जरूरत रहती है तो नहरें सूखी रहती हैं। विभाग की ओर से जब नहर में पानी छोड़ा जाता है तो जगह-जगह ओवरफ्लो हो जाने के कारण गाढ़ी कमाई व हाड़तोड़ मेहनत से तैयार हुई किसानों की फसल बर्बाद हो जाती है। तहसील स्तर से लेकर शासन तक किसानों ने आवाज पहुंचाने का प्रयास किया, लेकिन उनकी बातें हर बार अनसुनी कर दी गईं। अब किसानों की ओर से इस बर्बादी को लेकर आवाज ही नहीं उठाई जाती है। आखिर जब कोई सुनने वाला ही न हो तो अन्नदाता क्या करें। कप्तानगंज क्षेत्र के किसान रामनरायन, रामअधार यादव और शिवमोहन पांडेय का कहना है कि बस्ती मंडल को लेकर तराई वाले क्षेत्र की चर्चा होती है। यहां धान और गेहूं के साथ गन्ने की अच्छी फसल होती है। नहरें बनते वक्त किसानों को यह आशा जगी थी कि सिंचाई की समस्या नहीं रहेगी। सिंचाई का साधन होने से फसलें अच्छी होंगी। लेकिन अधिकारियों की लापरवाही से किसानों की उम्मीदों पर पानी फिर रहा है। बेहतर भविष्य के लिए किसानों को अभी न जाने कितने वर्ष और इंतजार करना पड़ेगा।

सरकार ने सिंचाई के लिए गांवों में नहरों का जाल तो बिछा दिया पर इनमें जरूरत के वक्त पानी नहीं रहता है। क्षेत्र में सरयू नहर की शाखा, उपशाखा, माइनर नहरों का जाल बिछा है, जो किसानों के लिए बेमतलब साबित हो रहा है। छावनी क्षेत्र के किसान रामस्वरूप और रमेश सिंह का कहना है कि भीषण गर्मी में नहर में पानी की जरूरत है। लेकिन नहरें सूखी होने से काफी दिक्कतें झेलनी पड़ती हैं। उन्होंने बताया कि जब पानी की जरूरत रहती है तब नहर में पानी ही नहीं रहता है। बिना जरूरत के नहर में पानी छोड़ दिया जाता है। किसानों के लिए नहर बेमतलब साबित हो रही है। इलाके में शाखा, उपशाखा, माइनर नहरों का जाल बिछा दिया गया है, जो किसानों के बेमतलब साबित हो रही है। नहर कमजोर होने से इससे जुड़े लगभग सैकड़ों किसान प्रभावित होते हैं। हर फसली सीजन में नहर में कटान का दंश झेलने को मजबूर होते हैं। विभागीय पर्यवेक्षण नहीं होता है। केवल टेंडर निकालकर ठेकेदारों को कार्य कराने की जिम्मेदारी सौंप दी जाती है। जमीनी हकीकत में नहर के माइनरों की हालत काफी खस्ताहाल है।

सरयू नहर की टेल तक नहीं है सरयू की धारा : भौसिया पंप कैनाल से किसानों को जलापूर्ति में सबसे बड़ी बाधा नदी के मुहाने पर प्रतिवर्ष जमा हो जाने वाली सिल्ट है। नदी की धारा बदल कर वर्तमान में पंप कैनाल से काफी दूर हो हुई है। करीब 12 वर्ष पूर्व पंप कैनाल से किसानों को जलापूर्ति के लिए योजना बनाकर सिल्ट की ड्रेजिंग कराकर नहर में पानी छोड़ा गया था लेकिन बाढ़ के बाद जमा हुए सिल्ट से नहर का जलप्रवाह फिर से रुक गया। इसके बाद से सरकार व विभाग ने इस योजना को ठंडे बस्ते में डाल दिया।

मंडल की नहरों की सफाई न होना है सबसे बड़ी समस्या

बस्ती मंडल में जो नहरों का जाल बिछाया गया है, उसमें मुख्य नहर से लेकर रजवाहे तक शामिल हैं। रजवाहों के माध्यम से खेतों तक पानी पहुंचाया जाता है। मुख्य रूप से धान व गेहूं की बुआई के समय नहरों में पानी छोड़ा जाता है। अधिकांश समय नहरें सूखी पड़ी रहती हैं। इस दौरान नहरों में झाड़झंखाड़ उग आते हैं। नहर में पानी चलने के दौरान काफी मात्रा में नहरों में बालू आ जाता है। अगले सीजन में पानी छोड़े जाने से पहले नहरों की सफाई जरूरी होती है। जानकारों का कहना है कि साफ-सफाई का काम कागजों में ही निपटा लिया जाता है। मुख्य जगहों पर जेसीबी लगाकर साफ-सफाई करा दी जाती है। जिस समय नहर में पानी छोड़ा जाता है, तब नहर में मौजूद यह झाड़ी-झंखाड़ रुकावट पैदा करती है। पानी फ्लो के साथ बहने के बजाए ओवरफ्लो होने लगता है जिससे उसके आस-पास के खेतों की फसल डूब जाती है।

हर्रैया क्षेत्र में फैली है 225 किमी लंबी नहर : हर्रैया तहसील में करीब 225 किलोमीटर लंबाई में सरयू नहर का जाल बिछाया गया है। किसानों को सुलभ सिंचाई का सपना दिखाया गया। इस पंप कैनाल से विक्रमजोत, परशुरामपुर, दुबौलिया ब्लॉक के 15000 हेक्टेयर भूमि को सिंचित करने के लिए खाका खींचा गया। वर्ष 1967 में इस पंप कैनाल की स्थापना, सहायक नहरों, रजवाहे की खुदाई की कार्ययोजना बनाई गई थी। सरयू नहर परियोजना के तहत सरयू नदी की सहायक टेढ़ी नदी की धारा के पास पंप कैनाल का निर्माण किया गया। क्षेत्र के किसानों को खेती से सिंचाई से बेहतर उत्पादन की आस जगी थी लेकिन किसानों को न तो रबी की फसल में न ही खरीफ की फसल के लिए समय से पानी मुहैया हो पाता है।

रुधौली में हर साल बर्बाद हो रही सैकड़ों बीघा फसल

रुधौली क्षेत्र में सरयू नहर में पानी आने के बाद ओवरफ्लो हो जाती है। इससे किसानों की धान और गेहूं की फसल खराब हो जाती है। हर साल इस क्षेत्र में सैकड़ों बीघा फसल बर्बाद हो जा रही है। किसानों का कहना है कि नहरों की मरम्मत नहीं होना भी एक बड़ी समस्या है। मरम्मत के अभाव में पानी आने पर नहरों में कटान शुरू हो जाती है। अगल-बगल के खेतों में पानी भर जाता है। भानपुर तहसील क्षेत्र के सरयु नहर सुगिया से शुरू होकर चैसार, टरौठी, छतरिया, भरौली, पिकौरा, रुधौली, रघुनाथपुर, बखरिया,टिकरी, बांसखोर कला से होकर सीधे संतकबीरनगर जिले को जाती है। नहर में पानी छोड़ने के दौरान ज्यादातर गांव में ओवरफ्लो होकर पानी खेतों में भर जाता है।

बाढ़ के समय ही चलती है भौसिया पंप कैनाल

बस्ती। विक्रमजोत ब्लॉक के भौसिया गांव में स्थापित चौधरी चरण सिंह पंप कैनाल से किसानों को सरयू नदी में बाढ़ आने पर ही सिंचाई के लिए पानी मिल पाता है। ऐसे में किसानों को सिंचाई का सुलभ सपना दिखाकर बनाई गई सरयू नहर फायदे के बजाए नुकसान पहुंचा रही है। जिस समय बारिश का पानी खेतों में लगा रहता है, उसी समय नहर में भी पानी आता है। अधिकांश समय यह नहर सूखी ही रहती है। किसानों को खर्चीले निजी संसाधनों से सिंचाई करनी पड़ती है इससे खेती की लागत बढ़ जाती है। सरयू नदी की सहायक टेढ़ी नदी से नहर में पंपिंग कर पानी की आपूर्ति की जाती है। बरसात के इतर सीजन में नहर के पंपिंग टेल तक पानी आ ही नहीं पाता। नहर के टेल तक पानी लाने के लिए करीब 12 वर्ष पूर्व ड्रेजिंग करके नहर में पानी लाया गया था, लेकिन प्रति वर्ष सरयू नदी में आने वाली बाढ़ के बाद सिल्ट से नहर की टेल तक रेत जमा हो जाती है। नहर में पानी छोड़े जाने के बाद कई स्थानों पर प्रतिवर्ष नहर कट जाती है। सैकड़ों हेक्टेयर फसल जलमग्न हो जाती है।

सरयू का जलस्तर बढ़ने पर ही नहर में छोड़ा जाता है पानी

सरयू नदी का जलस्तर बढ़ने पर ही भौसिया पंप कैनाल में पानी छोड़ा जाता है। सरयू का जलस्तर बढ़ने पर टेढ़ी नदी का जलस्तर बढ़ता है। जिससे नहर के पंपिंग टेल तल पानी आ पाता है। प्रति वर्ष 30 जून के आसपास नहर में पानी छोड़े जाने का समय निर्धारित है। भीषण गर्मी में किसानों को धान का बेहन, गन्ने की फसल की सिंचाई के लिए पानी की जरूरत का यह समय होता है। टेल में पानी नहीं होने पर नहर को चालू नहीं किया जा सकता है। बरसात के बाद नदी में बाढ़ आने पर ही पानी की उपलब्धता हो पाती है, उस समय खेतों में भी पानी लगा रहता है।

शिकायतें

-नहर की सफाई नहीं कराई जाती है, जिससे पानी ओवरफ्लो होकर खेतों में भर जाता है। फसल को भारी नुकसान होता है।

-नहरों किनारे बंधें में चूहे बिल बना लेते हैं। बिल से पानी का रिसाव होने के बाद नहर टूट जाती है।

-नहर कटने के बाद फसल डूब जाती है जिससे किसानों को भारी नुकसान होता है।

-नहरों में पानी छोड़े जाने को लेकर विभाग पूरी तरह मनमानी करता है।

-कई जगह बनाए गए रजवाहों की लेवलिंग ठीक से नहीं हुई जिससे कई गांव में टेल तक पानी नहीं पहुंच रहा है।

सुझाव

- नहर में पानी छोड़े जाने से पहले नहर की सफाई हेड से टेल तक करा ली जाए।

- गर्मियों के समय में नहरों के बंधे की मरम्मत अभियान चलाकर कराई जानी चाहिए।

- नहर कटने की सूचना पर राजस्व विभाग की टीम गांव में भेजी जानी चाहिए। किसानों को पानी से हुए नुकसान का मुआवजा मिलना चाहिए।

- किसानों की मांग के अनुसार नहर में पानी छोड़े जाने की व्यवस्था होनी चाहिए।

- जहां पर भी टेल तक पानी नहीं पहुंच रहा है, वहां जांच कराकर समस्या का समाधान हो।

हमारी भी सुनें

किसानों को जब नहर के पानी की आवश्यकता रहती है तो नहर में पानी नहीं रहता हैं। जब बरसात शुरू होती है तो बिना नहर की साफ सफाई कराए ही उसमें पानी छोड़ दिया जाता हैं।

परशुराम चौधरी

जनप्रतिनिधि किसानों की सिर्फ बात करते हैं, इनकी समस्याओं के निदान के लिए कोई काम नहीं करता है। मेरी छह बीघे खेती हर साल नहर के पानी से बर्बाद हो जाती है।

शिवदास चौधरी

मुख्य मार्ग से 100-50 मीटर नहर की साफ-सफाई कराकर विभाग सरकारी धन की लूट हर साल कर लेता है। कोई भी अधिकारी हकीकत देखने के लिए गांव में नहीं आ रहा है।

गनपत राव

जब भी नहर में पानी छोड़ा जाता है, हम किसानों की जान सूख जाती है। नहर का यह पानी हमारी खेती में मददगार कम, हमारी फसलों की तबाही का सबब ज्यादा बन रहा है।

शौकत अली

बंधों की पटरी की मरम्मत कभी नहीं कराई जाती है। बंधों में चूहे सुराख कर देते हैं। नहर में पानी आने पर इन सुराख के सहारेे कटान हो जाती है और खेत पानी में डूब जाते हैं।

राकेश चौधरी

पड़िया गांव में एक किमी तक रजवाहा गहरा है, जबकि केशवारा गांव तक यही रजवाहा ऊंचा कर दिया गया है। इस कारण आज तक तेनुआ केशवारा तक नहर का पानी नहीं पहुंचा है।

चंद्रप्रकाश चौधरी

एक समय ऐसा आता है, जब ऊपर से बरसात होती रहती है और नीचे नहरों से पानी ओवरफ्लो होकर हमारी खेती को बर्बाद करने में कोई कसर नहीं छोड़ता है।

मो. तारिक

हमारे पास महज एक बीघा खेत है। नहर के पानी के कारण अधिकांश समय खेत में पानी लगा रहता है। बुआई के लिए पानी कम होने या खेत सूखने का इंतजार करना पड़ता है।

रामतेज चौधरी

हमने एक बीघा खेत में सरसों बोया था, मात्र 80 किलो ही सरसों की पैदावार हुई, जबकि पहले तीन कुंतल सरसों पैदा होती थी। नहर के पानी की वजह से खड़ी फसल गल जा रही है।

अफजाल अहमद

धान की फसल ज्यादा पानी के कारण गल जा रही है तो गेहूं की फसल में असमय पानी भर जाने से फसल बर्बाद हो जा रही है। खेत में दो फुट पानी भर जाता है, जो महीनों भरा रहता है।

विजय बहादुर

सुगिया से निकली सरयू नहर कुसम्ही कुंवर से होकर गुजरती है। कभी-कभार नहर में पानी छोड़ा जाता है। नहर ओवरफ्लो हो जाती है। नहर की मरम्मत भी नहीं होती।

रमाकांत भट्ट

पिछले साल छह बीघे में धान की रोपाई कराई थी, रोपाई के बाद नहर का पानी ओवरफ्लो होकर खेत में भर गया था, जिससे फसल का काफी नुकसान हुआ था।

रत्नेश शर्मा

रौनाकला रजवाहा से निकला माइनर पोखार भिट्टी तक जाता है। इस माइनर में आज तक न तो सफाई हुई है और न ही नियमित रूप से पानी छोड़ा जाता है।

महेश्वर प्रताप सिंह

रौनाकला रजवाहा की खुदाई तो किया गया है, लेकिन इसमें कभी-कभी ही पानी छोड़ा जाता है। हालत यह है कि रजवाहा के पानी से खेतों की सिंचाई नहीं हो पाती है।

जितेंद्र श्रीवास्तव

कप्तानगंज क्षेत्र में नहर की खुदाई तो है लेकिन जब भी उसमें पानी आया तो किसानों को फायदा कम और नुकसान सबसे अधिक हुआ है। नहर कटने से फसलें बर्बाद हो जाती हैं।

राजेंद्र उपाध्याय

क्षेत्र में नहर वरदान की बजाय अभिशाप बन गई है। हर साल कागजों में मरम्मत के नाम पर काफी धन निकाल लिया जाता है। नहर के टेल तक कभी पानी पहुंचा ही नहीं।

दीपचंद्र यादव

बोले जिम्मदार

सरयू नहर में समय-समय पर पानी छोड़ा जाता है। पानी छोड़ने के पूर्व सूचना का भी प्रसारण और रोस्टर जारी किया जाता है। सिंचाई विभाग से निर्धारित मानकों के अनुसार समय पर नहरों की सफाई होती है। इसके लिए टास्क फोर्स की बैठक कराई जाती है। जहां तक नहर कटने का सवाल है तो कटान से बचाव के नहरों की मरम्मत कराई जाती है। यदि उसके बाद भी किन्हीं कारणों से नहर कटती है तो समय से उसको बांधने के साथ मरम्मत कराई जाती है। कटान के कारणों की जांच भी कराई जाती है।

रवीश गुप्ता, डीएम, बस्ती

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