बोले आजमगढ़: गुरुद्वारों के रास्ते खराब, लाइटों के लिए भी गुहार
Azamgarh News - शहर में लगभग सौ सिख परिवार हैं जो सामाजिक, सांस्कृतिक, और व्यापारिक गतिविधियों में सक्रिय हैं। वे प्रशासन की खराब सुविधाओं से खफा हैं, खासकर गुरुद्वारों की ओर जाने वाले रास्तों और स्ट्रीट लाइटों की...
शहर में करीब सौ सिख परिवार हैं। सामाजिक-सांस्कृतिक और व्यापारिक गतिविधियों में उनकी भागीदारी सबसे ज्यादा होती है। कहना गलत नहीं होगा कि वे ‘सवा लाख से एक लड़ाऊं, चिड़ियन ते मैं बाज तुड़ाऊं, तबै गुरु गोबिंद सिंह नाम कहाऊं को जीते हैं। प्रशासन के रवैये से वे कुछ खफा-खफा से हैं। कहते हैं कि गुरुद्वारों की ओर जाने वाले रास्ते खराब हैं। प्रकाश व्यवस्था भी स्तरीय नहीं है। समाज का कहना है कि प्रशासन खूब टैक्स ले, मगर जरूरी सुविधाओं के रूप में हमें रिलेक्स भी तो दे। अनंतपुरा स्थित विट्ठल घाट पर ‘हिन्दुस्तान के साथ बातचीत के दौरान सिख समुदाय के लोग शहर के मिजाज से संतुष्ट दिखे। कहा कि यहां की सामाजिक समरसता लोगों को एकदूसरे के करीब लाती है। किसी का पर्व-त्योहार हो, सब मिलजुलकर मनाते हैं। दिक्कत सिर्फ प्रशासन और आला अफसरों की कार्यप्रणाली से है। उनकी टालमटोल की नीति सी छोटी-छोटी समस्याएं ‘नासूर बन जाती हैं। खामियाजा हमलोगों को भुगतना पड़ता है। फिर चाहे गुरुद्वारे की जर्जर सड़क हो या स्ट्रीट लाइट अव्यवस्था-सारी परेशानी हमें ही झेलनी पड़ती है। अवनीत कौर और अमरजीत कौर ने बताया कि शहर में सुंदर, बड़ी संगत और विट्ठल घाट गुरुद्वारे हैं। विट्ठल घाट और सुंदर गुरुद्वारे में गुरुपर्व, प्रकाशोत्सव और बाल दिवस समेत अवसरों पर विशिष्ट कार्यक्रमों का आयोजन होता है। दोनों गुरुद्वारों की ओर जाने वाले रास्ते बेहद खराब हैं। उनकी मरम्मत के लिए हुक्मरानों से कई बार गुहार की। बावजूद इसके कुछ न होने से परेशानी ज्यों की त्यों बनी हुई है। स्ट्रीट लाइटें दुरुस्त नहीं होने से रात-बिरात के कार्यक्रमों में महिलाओं-बच्चों को बहुत परेशानी होती है। उनके भीतर असुरक्षा की भावना रहती है। शहर के बीचोबीच होने के बाद भी सुंदर गुरुद्वारे के रास्ते पर प्रकाश व्यवस्था ठीक नहीं है। विट्ठल गुरुद्वारे के बाहर हाईमास्ट लगा है। इसका प्रकाश सिर्फ गुरुद्वारे को रोशन करता है, रास्ते वाले परेशान होते हैं। गुरुद्वारा आने के लिए तीन रास्ते हैं। कब्रिस्तान मार्ग से आने-जाने में महिलाएं-बच्चे कतराते हैं। बाकी दो रास्ते गड्ढों से भरे पड़े हैं। सड़क भी काफी दूर तक कच्ची है।
मातबरगंज की गली में गंदगी-जानवरों से लोग तंग
मातबरगंज की गली में सुंदर गुरुद्वारा के प्रबंधक हैं संगम अरोड़ा। बताते हैं कि गुरुद्वारे का सुंदर जरूर है लेकिन इलाके में गंदगी से लोगों का बुरा हाल रहता है। बदबू इतनी कि नाक बंद करके गुजरना मुश्किल होता है। रास्तों पर जानवरों का जमावड़ा लगा रहता है। शिकायत करने पर नगरपालिका के सफाईकर्मी एकाध दिन कोरमपूर्ति करते हैं। फिर हालात ज्यों का त्यों। जहां तक सुंदर गुरुद्वारे का सवाल है, इसका महत्व पूरे देश में है। विविध कार्यक्रमों में बड़ी संख्या में ग्रंथी और सिख यहां आते हैं। इतना सबकुछ होने के बाद भी इलाके की दुर्गति से अच्छा संदेश बाहर नहीं जाता है।
विट्ठल घाट जाने वाला रास्ता भी खराब
रिंकू सिंह ने बताया कि विट्ठल घाट गुरुद्वारे तक जाने का रास्ता भी बहुत खराब है। इसकी मरम्मत बेहद जरूरी है। पूरा रास्ता उबड़-खाबड़ है। थोड़ा सा भी ध्यान भटकने पर गिरने का डर बना रहता है। इसके अलावा थोड़ी दूरी पर ही पोखरी है। उसे भी अवैध रूप से पाटकर धीरे-धीरे आसपास रहने वाले लोग कब्जा करते जा रहे हैं। पहले इसी पोखरी में आसपास का गंदा और बारिश का पानी जाता था। अब स्थितियां बदल गई हैं। लोगों ने रास्ते में ही अपने घरों का गंदा पानी निकालने के लिए नाली खोद दी है। जिससे आम दिनों में भी सहज रूप से जाना मुश्किल भरा होता है। बारिश के दिनों में तो यहां की स्थिति बदतर हो जाती है। पहले पानी पोखरी में चला जाता था, लेकिन अब चारों तरफ फैल जाता है। जिससे गुरुद्वारा तक आना मुश्किल हो जाता है। मजबूरी में घुटने भर गंदे पानी से होकर गुरुद्वारा तक जाना पड़ता है।
ऐतिहासिक कुएं के परिक्रमा स्थल पर अवैध कब्जा
सतपाल सिंह ने बताया कि विट्ठल घाट के बाहर ऐेतिहासिक कुआं है। कुएं के परिक्रमा स्थल दबंगों ने अवैध कब्जा कर लिया है। कुएं का अस्तित्व ही खत्म करने का प्रयास किया गया। लोगों के विरोध से मामला दब गया। बाद में कुएं को लोहे की बड़ी जाली से घेर दिया गया। कुएं के परिक्रमा स्थल पर अवैध कब्जा बना हुआ है। रास्ते में ही गड्ढे और नाली से दिक्कत होती है। अराजकतत्वों का यहां दिनभर जमावड़ा लगा रहता है। वे जुआ खेलते हैं। नशाखोरी करते हैं जिससे इलाके के लोगों को परेशानी होती है। विरोध करने पर मनबढ़ मारपीट और गाली-गलौज उतारू हो जाते हैं।
गुरुद्वारे की जमीन पर बनें स्कूल और अस्पताल
सरदार प्रदीप सिंह ने बताया कि अन्य अल्पसंख्यक वर्ग के लिए जिले में मदरसे और मिशनरी स्कूल हैं। सिख समुदाय के लोगों के लिए कोई व्यवस्था नहीं है। हमलोगों के पास कम पूंजी है। गुरुद्वारे की जमीन पर विद्यालय या अस्पताली खोलना हमारे लिए आसान नहीं होगा। गुरुद्वारों की जमीन पर स्कूल और अस्पताल बनने से समुदाय के निचले तबके के लोगों को फायदा होगा। सरदार कन्हैया सिंह ने बताया कि गुरुद्वारे की जमीन पर अस्पताल और खेल का मैदान बनना चाहिए। इससे वह भूमाफिया की नजर से बची रहेगी।
प्रशासन की तरफ से नहीं मिलती कोई सुविधा
बेचू सिंह ने बताया कि प्रशासन हमलोगों को कोई सुविधा देता है। सिख और पंजाबी समाज के कुछ परिवारों की आर्थिक स्थिति ठीक है लेकिन कुछ परिवार आज भी ऐसे हैं जिनकी गृहस्थी की गाड़ी किसी तरह खिंच रही है। उनकी माली हालत ऐसी नहीं कि वे बच्चों को बेहतर शिक्षा दिला सकें या जरूरत पड़ने पर परिजनों का अच्छे अस्पताल में इलाज करा सकें। पदमावती कौर ने बताया कि वह बुजुर्ग हैं। उन्हें वृद्धावस्था पेंशन मिलनी चाहिए। उन्हें दिल की बीमारी है। उनका आयुष्मान कार्ड भी नहीं बना। अल्पसंख्यक सिख समुदाय के लोगों को प्रशासन सुविधाएं नहीं देता है।
व्यवसाय बढ़ाने के लिए मदद चाहिए
हिमांशु अरोड़ा ने बताया कि सिख समुदाय के अधिकतर लोग व्यवसाय में लगे हैं। वे छोटी-छोटी यूनिटें भी संचालित करते हैं। इनमें वे खुद के साथ अन्य लोगों को भी रोजगार मुहैया कराते हैं। वे चाहते हैं कि व्यवसाय बढ़ाने के लिए उद्योग विभाग उनकी मदद करे। बैंक लोन आसानी से मिले। हालांकि व्यवसायियों ने अभी तक न तो उद्योग विभाग से संपर्क किया न ही प्रशासन ने उनकी मदद की कोशिश की।
विट्ठल घाट गुरुद्वारे की जमीन में फर्जीवाड़ा का आरोप
गुरुप्रीत सिंह राजू ने बताया कि विट्ठल घाट गुरुद्वारे के पास डेढ़ एकड़ जमीन थी। यह बहुत ही ऐतिहासिक गुरुद्वारा है। मान्यता है कि सिखों के पहले गुरु नानकदेव भी यहां रुके थे। पहले यह तमसा नदी के किनारे था। बाद में नदी की धारा बदल गई। जिले में सिखों की संख्या कम होने से कई साल तक इसकी देखभाल नहीं हो सकी। गुरुद्वारे की जमीन हड़पने की कोशिश की गई। सिखों ने आंदोलन भी किया। हाईकोर्ट ने सिखों के पक्ष में फैसला दिया। बावजूद इसके प्रशासनिक अफसर अदालत के आदेश पालन करने में हीलाहवाली करते हैं। वर्ष 2018 में यहां के तत्कालीन डीएम की तरफ से गुरुद्वारे के पक्ष में फैसला आया था। इसके बाद कमिश्नर, राजस्व परिषद और हाईकोर्ट में मामला गया।
मन की बात
गुरुद्वारे के आसपास स्कूल नहीं हैं। बच्चों को शिक्षा ग्रहण करने दूर जाना पड़ता है।
-प्रदीप
बिट्ठल घाट गुरुद्वारा वीरान जगह पर है। अस्पताल नहीं होने से परेशानी होती है।
-कन्हैया सिंह
कई सिखों के पास आयुष्मान कार्ड नहीं है। इलाज में आर्थिक संकट आड़े आता है।
-बेचू सिंह
मातबरगंज स्थित श्री सुंदर गुरुद्वारा की गली में अंधेरा रहता है। सफाई भी नहीं होती है।
-संगम अरोड़ा
बिट्ठल घाट गुरुद्वारा जाने वाला रास्ता ठीक नहीं है। जलनिकासी भी नहीं हो पाती है।
-रिंकू सिंह
गुरुद्वारे के ऐतिहासिक कुएं के परिक्रमा स्थल पर दबंगों ने अवैध कब्जा कर लिया है।
-सतपाल सिंह
रात के समय गुरुद्वारे आने महिलाएं-बच्चे खुद को असुरक्षित महसूस करते हैं।
-अवनीत कौर
सिखों को सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिलता है। अफसर उनसे संपर्क नहीं करते हैं। किया जाता है।
-हिमांशु अरोड़ा
अनंतपुरा मोहल्ले में डेढ़ एकड़ जमीन पर दबंगों का अवैध कब्जा है।
-गुरुप्रीत सिंह उर्फ राजू
जिले में सिखों की संख्या कम है। राजनीति दलों के लोग उनकी कोई सुधि नहीं लेते हैं।
-अमरजीत कौर
विधवा, बुजुर्ग और वृद्धावस्था पेंशन के लाभ से महिलाओं को वंचित होना पड़ता है।
-पद्मावती कौर
सिख मेहनती होते हैं। उन्हें रोजगार के लिए उद्योग विभाग प्रशिक्षण नहीं देता है।
-दीपू सिंह
सुझाव :
गुरुद्वारे में कैंप लगाया जाए। विधवा पेंशन, आयुष्मान कार्ड सहित अन्य सरकारी सुविधाओं का लाभ दिलाया जाए।
गुरुद्वारे की जमीन पर अवैध कब्जा हटाया जाए। इससे सिखों को अधिकारियों के यहां रोजाना भटकना नहीं पड़ेगा।
विट्ठल घाट और मातबरगंज गुरुद्वारे के पास रास्ते में स्ट्रीट लाइट लगवाई जाए। सफाई की व्यवस्था की जाए।
गुरुनानक चबूतरा और कुएं को अवैध कब्जे से मुक्त कराया जाए। इससे परिक्रमा करने वालों को सुविधा होगी।
सिख समुदाय के बच्चों-युवाओं के लिए खेल का मैदान और स्कूल बने। इससे सबको फायदा होगा।
शिकायतें :
सरकार की कल्याणकारी योजनाओं से सिख अछूते रह जाते हैं। कोई अधिकारी भी सुधि नहीं लेता है।
जनप्रतिनिधि चुनाव के समय आते हैं। इसके बाद वे मुंह मोड़ लेते हैं। सुख-दुख साझा करने भी नहीं आते हैं।
गुरुद्वारों की जमीन पर भूमाफिया की नजर रहती है। जमीनों पर अवैध कब्जे करने वालों के खिलाफ प्रशासन कुछ नहीं करता है।
गुरुद्वारों के आसपास अराजकतत्वों का भय बना रहता है। महिलाएं-बच्चे अपने आप को असुरक्षित महसूस करते हैं।
गंभीर बीमारी में इलाज कराने में सरकारी योजना का फायदा नहीं मिलता है। कर्जदार होना पड़ता है।
बोले जिम्मेदार :
गुरुद्वारों के बाहर सफाई होगी, लाइटें लगेंगी
शहर के गुरुद्वारों के बाहर सफाई के बेहतर इंतजाम किए जाएंगे। जर्जर रास्ते ठीक होंगे। बेहतर प्रकाश व्यवस्था का भी प्रयास किया जाएगा। नगरपालिका की टीम सिख समाज से संपर्क कर उनकी प्रमुख समस्याएं दूर कराएगी।
विवेक त्रिपाठी, ईओ
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