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बोले आजमगढ़ : जाम-जर्जर तार और कूड़ों के ब्रेकर में फंसा कारोबार

Azamgarh News - शहर के मातबरगंज रोड पर फुटवियर कारोबारियों की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। सफाई की कमी, ट्रैफिक जाम और ऑनलाइन मार्केटिंग के कारण उनकी बिक्री में कमी आई है। दुकानदारों को अपने वाहनों को पार्क...

Newswrap हिन्दुस्तान, आजमगढ़Tue, 25 Feb 2025 01:30 AM
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बोले आजमगढ़ : जाम-जर्जर तार और कूड़ों के ब्रेकर में फंसा कारोबार

शहर के मुख्य चौक से मातबरगंज रोड पर भीड़ के बीच फुटवियर कारोबारियों का अपना बाजार है। एक निश्चित दूरी में आमने-सामने कई दुकानें हैं। पुराने भवनों के नीचे चमचमाती दुकानें देख लोग अंदाजा लगाने लगते हैं कि यह शहर का पॉश एरिया है। अगले ही पल जगह-जगह कूड़ा देखकर भ्रम टूट जाता है। पास में ही सब्जी मार्केट होने की वजह से सड़क पर दिनभर कूड़ा-कचरा पसरा रहता है। करोबारी एरिया में जाम, बिजली के तारों का जाल और जर्जर पोल आफत बने हैं। इनसे मुक्ति की दरकार है। एक नजर

500000 रुपये से अधिक के फुटवियर की प्रतिदिन जिले में होती है बिक्री। इसमें ऑनलाइन प्लेटफार्म से होने वाली बिक्री भी है शामिल

200 के आसपास फुटवियर दुकानें हैं शहर और सिधारी के विभिन्न इलाकों में। यहां ब्रांडेड के साथ लोकल फुटवियर की होती है बिक्री

50 से ज्यादा फुटवियर दुकानदार मुख्य चौक के समीप करते हैं कारोबार।

शहर के मुख्य चौक के समीप स्थित एक शोरूम में ‘हिन्दुस्तान के साथ बातचीत में फुटवियर कारोबारी सबकत अंसारी ने बताया कि सुबह दस बजे के आसपास दुकान खोलने के समय नगरपालिका के सफाईकर्मी नाली से गंदगी निकालने में जुटे जाते हैं। 10 बजे से पहले सफाई के लिए कहने पर बहानेबाजी करते हैं। उनका तर्क होता है कि यहां सुबह सब्जी लदे हुए वाहन खड़े होने से सफाई नहीं हो पाती। स्थानीय फुटवियर दुकानदारों को देर से सफाई का खामियाजा उठाना पड़ता है। किसी तरह नाली की गंदगी हटती है तो आसपास के लोग सूखा कूड़ा फेकने लगते हैं। अपनी दुकानों की सफाई करने के बाद स्थानीय सब्जी दुकानदार कूड़ा सड़क पर फेंक देते हैं।

जाम की बड़ी वजह हैं ये ठेले

शकील अहमद की उम्र 80 वर्ष है। आजादी के समय से उनकी जूता-चप्पल की दुकान है। बोले, अब दुकानदारी में पहले जैसी स्थिति नहीं रही। कई दुकानें खुल गई हैं, इससे जगह की कमी हो गई है। दुकान के बाहर दिनभर ठेले खड़े रहते हैं। वे किसी की सुनते नहीं। थोड़ा अगल-बगल हटने के लिए कहने पर झगड़ा पर उतारू हो जाते हैं। शहर कोतवाली पुलिस ने शकील को वरिष्ठ नागरिक होने के चलते एक प्रमाणपत्र भी दिया है। बताया गया कि इसे दिखाने के बाद आपको जरूरत के वक्त पुलिस की तत्काल मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि यहां पुलिस भी उनके लिए कुछ नहीं कर पाती।

अपनी बाइक नहीं खड़ी कर पाते

मोहम्मद इसराफिल के मुताबिक इस रोड पर दुकान के बाहर इतनी भीड़ और अतिक्रमण रहता है कि फुटवियर कारोबारी अपने भी वाहन नहीं खड़े कर पाते। चौक इलाके में खरीदारी करने वाले लोग भी दुकानों के बाहर अपने दोपहिया वाहन खड़े कर देते हैं। इस कारण समस्या होती है। तकरीबन यह स्थिति हर दिन की है। भीड़ के चलते अपने ही दोपहिया वाहन में टूट-फूट हो जाती है। बाइक के इंडीकेटर तो आए दिन टूट जाते हैं। कई बार लोगों से बहस भी होती है। लेकिन इस समस्या से निजात नहीं मिल रही है।

जर्जर तार बने जी का जंजाल

निसार अहमद, कैलाश प्रजापति और नसीम अहमद ने बताया कि सड़क पर लगे बिजली के ज्यादातर पोल पुराने हो गए हैं। कुछ दिनों पहले एक पोल जर्जर होकर पूरी तरह से झुक गया था। स्थानीय दुकानदारों ने भागदौड़ कर पोल बदलवाया। नया पोल तो लग गया, दूसरे खतरा बने हुए हैं। इन जर्जर पोल पर केबिल का बोझ ज्यादा है। इससे कभी भी हादसा हो सकता है। गर्मी बढ़ने के साथ बिजली के तारों में शॉर्ट सर्किट का खतरा बढ़ जाता है। आसपास से गुजरना मुश्किल होता है। बिजली विभाग को तत्काल सभी तारों को दुरुस्त कराना चाहिए। नया पोल लगवाना चाहिए।

ऑनलाइन मार्केटिंग ने तोड़ दी है कमर

दानियाल खान और सिकरम ने बताया कि ऑनलाइन मार्केटिंग का फुटवियर कारोबार पर भी जबरदस्त असर पड़ा है। 60 फीसदी से ज्यादा दुकानदारी कम हो गई है। यहां की दुकानों पर फुटवियर के दाम की ग्राहक ऑनलाइन प्लेटफार्म से तुलना करने लगते हैं। जबकि दुकानों पर ग्राहकों को बेहतर गुणवत्ता का सामान मिलता है। ऑनलाइन प्लेटफार्म परगुणवत्ता में हेराफेरी ग्राहकों को समझ में नहीं आती। फिर भी दुकानदारी को देखते हुए कम दाम पर सामान बेचने के लिए मजबूर होना पड़ता है। एक ही दुकान पर ब्रांडेड और लोकल फुटवियर रखे जाते हैं। मुख्य चौक पर फुटवियर का शोरूम बनाने के बाद पहले कारोबार काफी अच्छा था, लेकिन अब कर्मचारियों की तनख्वाह देने में भी हालत खराब हो जा रही है। अपने लिए बचत कर पाना टेढ़ी खीर है।

पुलिस ट्रैफिक नियंत्रित नहीं करती

फिरोज अहमद और शिबू ने बताया कि मुख्य चौक में वाहनों का रेला लगा रहता है। पुलिस रहती है, लेकिन ट्रैफिक नियंत्रित करने में सक्रियता नहीं दिखाती। मुख्य चौक के कुछ दूर आगे से जाम शुरू हो जाता है। बाइक के साथ ही साइकिल, रिक्शा और सामान लदे ठेलों की दिनभर भीड़ रहती है। कई बार मनाही होने के बाद भी चार पहिया वाहनों के इस इलाके में आ जाने से दिक्कत हो जाती है। तब जाम में लोगों का हिलना मुश्किल हो जाता है। घंटों वाहन फंसे रहते हैं। फुटवियर कारोबारी इससे सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं। इसके साथ ही वीआईपी गाड़ियां भी जहां-तहां खड़ी कर दी जाती हैं। त्योहारों के समय यहां दिनभर ट्रैफिक रेंगती है।

ट्रांसपोर्ट से माल पहुंचने में परेशानी

मोहम्मद खालिद ने बताया कि यहां के फुटवियर दुकानदारों का ज्यादातर माल आगरा और कानपुर से आता है। ट्रांसपोर्ट से माल उनकी दुकानों तक पहुंचता है। मुख्य चौक के पास के कई दुकानदार फुटकर के साथ थोक कारोबार करते हैं। यहां से माल जनपद के ग्रामीण क्षेत्रों के साथ मऊ जिले में भी भेजा जाता है। जाम के बीच काफी मुश्किल से ठेलों से माल पहुंचता है। पुलिस और जीएसटी विभाग के लोग भी रोककर जांच करते हैं। दुकानों पर भी जांच करते हैं।

दुकानदारों की पीड़ा

अब 80 वर्ष की उम्र हो गई है। बहुत बदलाव हो गया है। दुकानदारी पहले से ज्यादा कठिन हो गई है।

-शकील अहमद

फुटवियर दुकानदार सुबह 10 बजे दुकान खोलने आते हैं तभी सफाईकर्मी नाली से गंदगी निकालने लगते हैं।

-मोहम्मद इसराफिल

सफाईकर्मियों के गंदगी उठा लेने के बाद भी सूखा कूड़ा फेंका जाता है। यह क्रम दिनभर चलता रहता है।

-सबकत अंसारी

सब्जी-फल बेचने वाले सुबह से फुटवियर दुकानों के सामने डट जाते हैं। ठेला हटाने के लिए कहने पर झगड़ा करते हैं।

- सिकरम

भीड़ के हिसाब से पुलिसकर्मियों की तैनाती नहीं के बराबर है। इसके चलते लोग मनमानी करते रहते हैं।

- निसार अहमद

ऑनलाइन मार्केटिंग का दुकानदारी पर 60 फीसदी से ज्यादा असर पड़ा है। कर्मचारियों को पगार देनी मुश्किल है।

- दानियाल खान

ट्रांसपोर्ट से दुकान तक सामान पहुंचने में कई बाधाओं का सामना करना पड़ता है। कई बार रास्ते में रोकटोक की जाती है।

-मोहम्मद खालिद

पार्किंग न होने से वाहन मनमाने ढंग से खड़े कर दिए जाते हैं। ग्राहकों को दूर वाहन खड़ा कर पैदल आना पड़ता है।

- इरफान अहमद

बिजली के जर्जर पोल और तारों के जाल से खतरे की आशंका रहती है। कई पोल अभी खतरा बने हैं।

-कैलाश प्रजापति

लोग दुकानदारी के लिए मुख्य चौक आते हैं और दुकानों के आगे बाइक खड़ी कर चले जाते हैं। हम अपनी बाइक नहीं खड़ी कर पाते।

- फिरोज अहमद

चार पहिया वाहनों के चलते कई बार जाम लगता है। पुलिसकर्मी मुख्य चौराहे पर ही रहते हैं। त्योहारों में इधर से गुजरना मुश्किल हो जाता है।

- शिबू

दुकानदारों की सुनवाई नगरपालिका में नहीं होती है। पालिका कर्मी कहते हैं कि सुबह सब्जी की दुकानों के चलते सफाई में दिक्कत होती है।

-नसीम अहमद

सुझाव :

सुबह दस बजे तक नाली और सड़कों की सफाई पूरी कर लेनी चाहिए। सभी दुकानदारों को सफाई के प्रति जागरूक किया जाए। नगर पालिका को इसकी पहल करनी चाहिए।

ठेला वालों के लिए वेंडिंग जोन बने। दुकानों के बाहर ठेला लगाने वालों को झगड़ा न करने के लिए पुलिस की तरफ से चेताया जाए।

जाम हटाने के लिए पुलिस की सक्रियता दिखनी चाहिए। भीड़ के समय चार पहिया वाहनों को इस क्षेत्र में खड़ा करने या ले जाने पर प्रतिबंध लगे।

बिजली के तारों को ठीक कराया जाए। जर्जर पोल की जगह नए पोल लगाए जाएं। अच्छी क्वालिटी का केबिल लगाया जाए।

फुटवियर दुकानों पर आने वाले सामान लदे ठेलों को अनावश्यक रूप से न रोका जाए। दुकानों के मुख्य चौक के पास होने से ट्रैफिक पुलिस को सहयोग करना चाहिए।

शिकायतें :

दुकान खोलने के समय गंदगी से सामना होता है। दिन में दस बजे तक सफाई नहीं हो पाती। गंदगी देख मन खिन्न हो जाता है।

फुटवियर दुकानदारों की समस्या दुकानों के बाहर खड़े ठेलों से है। ठेला वाले दुकान खुलने के समय ही आ जाते हैं। किसी की बात नहीं सुनते।

लोग खरीदारी करने के लिए चौक आते हैं। फुटवियर दुकानों के बाहर वाहन खड़ा कर देते हैं। दुकानदार अपने ही वाहन नहीं खड़ा कर पाते।

तारों के जाल से गर्मी में शॉर्ट सर्किट का खतरा और तारों के बोझ से जर्जर पोल के गिरने का डर रहता है। तारों का जाल देखने में भी अच्छा नहीं लगता।

ऑनलाइन प्लेटफार्म पर फुटवियर के दामों से लोग यहां की तुलना करते हैं जबकि दुकानों पर अच्छी गुणवत्ता के फुटवियर बिकते हैं। ऑॅनलाइन की कोई गारंटी नहीं रहती।

बोले जिम्मेदार:

सब्जी कारोबारी सुबह सफाई होने के बाद भी कचरा सड़क पर फेंक देते हैं। इससे दिक्कत होती है। उन्हें समझाया जाएगा। कूड़ा डस्टबिन में ही फेकने के लिए कहा जाएगा। फुटवियर बाजार में सुबह दस बजे से पहले सफाई कराने के लिए भी सफाई निरीक्षक को निर्देशित करेंगे।

विवेक त्रिपाठी, ईओ

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