बोले बलिया : माहौल-संसाधनों की ख्वाहिश, हम पदकों की कर देंगे बारिश
Azamgarh News - रूढ़िवादी परंपराओं को तोड़कर बेटियां खेल मैदानों पर पहुंच रही हैं। सीमित संसाधनों के बीच वे अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर रही हैं। खिलाड़ियों का कहना है कि बेहतर माहौल और संसाधन मिलें तो वे अधिक पदक जीत...
रूढ़िवादी परंपराओं और बंधनों की बेड़ियां तोड़कर आसमान में ऊंची उड़ान भरने की हसरत लिए बेटियां हर रोज मैदानों पर पहुंच रही हैं। कभी आधी आबादी की खेल गतिविधियां नगर के स्टेडियम तक सीमित थीं, अब गांवों के भी मैदान उनसे गुलजार हैं। सीमित संसाधनों के बीच पसीना बहा रहीं बेटियां प्रदेश और देश में अपनी प्रतिभा का डंका बजा रही हैं। कुछ कर गुजरने के जज्बे से भरी इन बालिका खिलाड़ियों का कहना है, बेहतर माहौल और संसाधन मिलें तो वे पदकों से देश की झोली भर देंगी। जिला मुख्यालय स्थित तहसीली स्कूल के मैदान में ‘हिन्दुस्तान से बातचीत में बालिका खिलाड़ियों का जोश ‘हाई दिखा। आंखों में पदक की चमक थी तो संसाधनों के अभाव का मलाल भी नजर आया। वॉलीबाल खिलाड़ी रंजना यादव, शीतल वर्मा और प्रिया भारती ने कहा कि नरही वॉलीबाल ग्राउंड पर दो दर्जन से अधिक प्रदेश स्तरीय बालिका खिलाड़ी नियमित अभ्यास करती हैं। वहीं बालक खिलाड़ी भी अभ्यास करते हैं। प्रकाश के अभाव में अभ्यास का समय कम मिल पाता है। यदि लाइट लग जाए तो प्रैक्टिस की अवधि बढ़ जाएगी। इससे प्रदर्शन में सुधार दिखेगा।
नरही खेल मैदान पर अभ्यास करने वाली पूजा पाठक ने इसी क्रम में कहा कि संसाधनों की कमी हमारी राह में बड़ी बाधा है। हमारे अभ्यास के लिए वालीबाल और अन्य उपकरणों का व्यय भी हमारे प्रशिक्षक ही वहन करते हैं। बड़े फख्र से उन्होंने उपलब्धियां भी गिनाईं। कहा कि मौजूदा सत्र में 20 से अधिक खिलाड़ियों ने प्रदेश स्तर, जबकि एक ने नेशनल प्रतियोगिता में प्रतिभाग किया। एक का चयन स्पोर्ट्स हॉस्टल में भी हुआ है। ट्रायल अथवा अन्य प्रतियोगिताओं में प्रतिभाग के दौरान रास्ते का खर्च भी प्रशिक्षक ही वहन करते हैं। इससे चुनौतियां अधिक हैं। खेल मैदान पर अभ्यास के लिए यूं तो सभी सुविधाएं हैं लेकिन लाइट की कमी अखरती है। फ्लड लाइट और अन्य आवश्यक संसाधन मिल जाएं तो हम सफलता की नई इबारत लिख सकते हैं।
असमतल मैदान पर डगमगाते हैं पांव
तहसीली स्कूल के मैदान पर अभ्यास करने वाली खो खो खिलाड़ी अंजली और गुड़िया का कहना है कि खेल मैदान के असमतल होने से परेशानी होती है। अभ्यास के दौरान चोट लगना आम बात है। मैदान को बराबर करना जरूरी है। सुविधाएं बढ़ जाएं तो हम अपने सपनों की उड़ान भर लेंगे।
लड़कियों के लिए हो अलग ग्राउंड
आशी श्रीवास्तव ने कहा कि महिला खिलाड़ियों के लिए अलग एक ग्राउंड की जरूरत है। एक ही मैदान में पुरूष-महिला खिलाड़ी के अभ्यास से पर्याप्त समय नहीं मिल पाता। तहसीली स्कूल मैदान पर अभ्यास करने वाली माही पांडेय ने कहा कि ग्राउंड के एक ओर तहसील स्कूल और दूसरी ओर बेसिक शिक्षा अधिकारी का कार्यालय है। स्कूल-दफ्तर बंद होने के बाद, आमतौर पर तीन बजे के आसपास अभ्यास शुरू करते हैं। जल्द ही शाम होने पर अभ्यास बंद करना पड़ता है। कार्यालय बंद होने से यहां वॉशरुम की भी दिक्कत होती है।
तहसीली मैदान दुरूस्त नहीं
गुड़िया यादव ने बताया कि तहसीली स्कूल का ग्राउंड पूरी तरह दुरुस्त नहीं होने से खो-खो का अभ्यास मुश्किल होता है। बारिश में यहां लबालब पानी हो जाता है। इससे कई दिनों तक अभ्यास बाधित होता है। इस खेल के लिए ग्राउंड पर मैट भी जरूरी है।
बहाल हो रेल रियायत
माही पांडेय ने कहा कि खेलों को बढ़ावा देने की बात कही जाती है लेकिन खिलाड़ियों की सुविधा का ध्यान नहीं रखा जाता। दूसरे शहरों में खेलने जाने पर किराए का बोझ भारी पड़ता है। गरीब परिवार की खिलाड़ियों को दिक्कत होती है। पहले रेल यात्रा में खिलाड़ियों को 75 फीसदी छूट मिलती थी। कोरोना काल में वह सुविधा बंद हुई तो अब तक बंद है। यात्रा में खिलाड़ियों का कोटा निर्धारित होना चाहिए।
...तो फुटबॉल का हब बन जाए सोनाडीह
फुटबाल में बेल्थरारोड का सोनाडीह और वॉलीबाल में सोहांव ब्लाक का नरही खेल मैदान प्रदेश में बालिका खेलों की बड़ी संभावना के रूप में उभरा है। पिछले कुछ वर्षों में इन दोनों मैदानों से दर्जनों प्रदेश और राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी निकले हैं। सोनाडीह गांव बालिका फुटबाल खिलाड़ियों की बदौलत पूरे प्रदेश में लोकप्रिय हुआ है। प्रिया, आंचल, सलोनी, निगम, नीतू और सरिता ने सब जूनियर से सीनियर नेशनल में उत्तर प्रदेश टीम का प्रतिनिधित्व किया है। इनकी बदौलत आजमगढ़ मंडल ने कई पदक जीते हैं। लेकिन गांव में फुटबाल खिलाड़ियों के लिए संसाधनों का घोर अभाव है। अपने प्रशिक्षकों और खेल संगठनों के निजी प्रयास की बदौलत ये लड़कियां देश-प्रदेश में अपना और जनपद का डंका बजा रही हैं लेकिन उन्हें इस बात का मलाल है कि इनके पास उच्च स्तरीय खेल सुविधाएं नहीं हैं। भारतीय फुटबाल टीम के प्रतिनिधित्व का सपना पालने वाली इन बेटियों का कहना है कि प्रशासन स्तर पर किट आदि दिए गए लेकिन वे नाकाफी हैं।
सरकारी सेवाओं में मिले अधिक अवसर : विनोद सिंह
जनपद को तीन अंतरराष्ट्रीय और दर्जनों राष्ट्रीय खिलाड़ी देने वाले खो खो प्रशिक्षक विनोद कुमार सिंह का मानना है कि बालिका खो खो खिलाड़ियों को सरकारी सेवाओं में अधिक अवसर देने की आवश्यकता है। वहीं, जनपद में खो खो के सबसे प्रमुख प्रशिक्षण स्थल तहसीली स्कूल में संसाधन बढ़ने चाहिए। विद्यालय में खेल के लिए पूरी तरह आदर्श वातावरण है लेकिन खेल सीजन शुरू होने के ठीक पहले मैदान पर पानी लगने से अभ्यास बुरी तरह से बाधित होता है। यदि इस समस्या का समाधान हो जाए तो खो खो से और बेहतर परिणाम मिलेंगे।
बालिका खेल के प्रति नजरिया बदले : प्रीति गुप्ता
खो-खो प्रतिस्पर्धा में अंतरराष्ट्रीय पदक विजेता और रानी लक्ष्मी बाई पुरस्कार विजेता प्रीति गुप्ता ने बताया कि बचपन से ही खेल के हमारा रूझान प्रति रहा। उसी की बदौलत कई उपलब्धियां भी आईं। चुनौतियों का जिक्र करते हुए कहा, अपने कॅरियर के प्रारंभिक दौर में लोगों के ताने सुनने को मिलते थे। उसकी परवाह किए बगैर खेल पर ध्यान दिया। 2016 में इंदौर में आयोजित इंटरनेशनल खो-खो चैंयिनशिप में गोल्ड मेडल हासिल हुआ। 2017 में प्रदेश के सर्वोच्च खेल पुरस्कार रानी लक्ष्मी बाई अवॉर्ड से सम्मानित होने का गौरव मिला। कहा कि बेटियों के खेल के प्रति अभिभावकों के साथ समाज को अपना नजरिया बदलने की जरूरत है। बालिका खिलाड़ियों को सरकारी सेवाओं में अधिक अवसर मिलने पर उनके परिजनों और समाज का भरोसा मजबूत होगा। बालिका खिलाड़ियों के अभ्यास में पर्याप्त संसाधन और सुरक्षित वातावरण प्रमुख विषय है।
सुझाव :
ग्रामीण क्षेत्र की बालिका खिलाड़ियों के लिए सुरक्षित और अत्याधुनिक खेल मैदान की संख्या बढ़ाई जाए। इससे प्रतिभाओं में निखार आएगा।
नरही के वॉलीबाल खेल मैदान पर लाइट की व्यवस्था की जाए। इससे खिलाड़ियों को अभ्यास के लिए अधिक समय मिलेगा और बेहतर प्रैक्टिस हो सकेगी।
तहसीली स्कूल पर खो खो ग्राउंड का उच्चीकरण और समतलीकरण होना जरूरी है। इससे जलजमाव नहीं होगा, खेल बाधित नहीं होंगे।
सोनाडीह की महिला फुटबॉल खिलाड़ियों के लिए सुविधाओं से युक्त खेल मैदान की व्यवस्था होनी चाहिए। इससे बेटियां और बेहतर प्रदर्शन कर पाएंगी।
कोविड काल से बंद रेल यात्रा में रियायत बहाल होनी चाहिए। इससे आर्थिक बाधा नहीं आएगी। सरकारी सेवाओं में रोजगार के अधिक अवसर दिए जाएं।
शिकायतें:
ग्रामीण क्षेत्र की बालिका खिलाड़ियों के लिए सुरक्षित और सुविधाजनक खेल मैदान का अभाव है। जरूरी संसाधन भी नहीं हैं।
दर्जनों प्रदेश स्तरीय वॉलीबाल खिलाड़ी तैयार करने वाले नरही खेल मैदान के वॉलीबाल कोर्ट पर लाइट नहीं है। इससे अभ्यास का कम समय मिल पाता है।
जनपद को तीन महिला अंतरराष्ट्रीय खो खो खिलाड़ी देने वाले तहसीली स्कूल का मैदान असमतल है। जल जमाव से अभ्यास प्रभावित होता है। प्रकाश की भी व्यवस्था नहीं है ।
महिला फुटबाल में जनपद को प्रदेश भर में ख्याति दिलाने वाले सोनाडीह में सीमित संसाधन हैं। शासन-प्रशासन से अपेक्षित सहयोग नहीं मिल रहा।
रेल यात्रा में खिलाड़ियों को मिलने वाली छूट बंद होने से आर्थिक बोझ बढ़ जाता है। पुरुष की तुलना में महिला खिलाड़ियों के लिए स्पोर्ट्स कोटा की नियुक्तियां कम आती हैं।
सुनें हमारी बात :
बरसात में तहसीली स्कूल के परिसर में पानी लगने से अभ्यास बुरी तरह प्रभावित हो जाता है। मैदान का उच्चीकरण हो।
-आशी श्रीवास्तव
स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स (तहसीली स्कूल) का मैदान असमतल है। बेहतर अभ्यास के लिए इसे समतल करने की जरूरत है।
-गुड़िया यादव
तहसीली स्कूल मैदान में लड़के-लड़कियों के अभ्यास के लिए अलग-अलग मैदान नहीं हैं। लाइटें भी नहीं हैं।
-माही पांडेय
स्टेडियम में बालिकाओं के शौचालय और चेंजिंग रूम को जल्द से जल्द चालू करने की आवश्यकता है।
-अंजली
ज्यादातर विद्यालय खेलों के प्रति गंभीर नहीं हैं। वहां नियमित खेल और शारीरिक शिक्षा की गतिविधियां आवश्यक हैं।
-प्रशंसा
नरही खेल मैदान के कोर्ट पर फ्लड लाइट लग जाए तो हमें अभ्यास के लिए अधिक समय मिलेगा।
-चांदनी
बालिकाओं के लिए खेल कोटा में अलग व्यवस्था होनी चाहिए। सरकारी सेवाओं में उन्हें अधिक अवसर मिले।
-सोनम
ट्रेन यात्रा में कंसेशन न मिलने से हमें आर्थिक परेशानी होती है। उसे फिर से शुरू करने की आवश्यकता है।
-प्रिया भारती
हमें जरूरी संसाधन और सरकारी सहायता मिल जाए तो अभ्यास और प्रदर्शन में अधिक निखार आएगा।
-प्रियांशु
एक तरफ सरकार खिलाड़ियों को बढ़ावा देने के लिए खेल प्रतियोगिताएं करा रही है, वहीं रेल यात्रा में छूट बंद कर दी गई।
-प्रियम यादव
विद्यालयीय खेलों के चार माह बाद भी हमारा पूरा आर्थिक भुगतान नहीं हुआ है। ऐसे में प्रतिभाग करना कठिन होता है।
-रंजना यादव
नरही स्थित वॉलीबॉल खेल मैदान पर लाइट के अभाव में अभ्यास की कम अवधि मिल पाती है। लाइट लग जाय तो अभ्यास अवधि बढ़ेगी।
-ऋषिका यादव
विद्यालय पर हमारे अभ्यास का खर्च प्रशिक्षक वहन करते हैं। यदि सरकारी स्तर पर इसका इंतजाम हो जाय तो हमें काफी सहूलियत होगी।
-अदिति खरवार
सुरक्षा के उचित इंतजाम हों तो अन्य अभिभावक भी बच्चियों को खेलकूद के क्षेत्र में भेज सकते हैं। वैसे काफी अभिभावक जागरूक हुए हैं।
-दिव्या खरवार
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