Hindi Newsउत्तर प्रदेश न्यूज़अलीगढ़Encroachment and heaps of garbage outside the church

बोले अलीगढ: चर्च के बाहर अतिक्रमण और गंदगी के ढेर

धर्मस्थल वो स्थान होते हैं जहां इंसान दुनिया की हलचल से दूर, आत्मिक शांति पाने आता है। लेकिन जब उस स्थान तक पहुंचने से पहले ही गंदगी, अराजकता और जानवरों के हमलों से दो-चार होना पड़े, तो यह प्रशासनिक लापरवाही ही नहीं। समाज की सामूहिक संवेदनहीनता को भी उजागर करता है।

Sunil Kumar हिन्दुस्तानThu, 17 April 2025 07:22 PM
share Share
Follow Us on
बोले अलीगढ: चर्च के बाहर अतिक्रमण और गंदगी के ढेर

बोले अलीगढ़ अभियान के तहत जब हिन्दुस्तान समाचार पत्र की टीम बन्नादेवी स्थित इंग्रहाम चर्च में श्रद्धालुओं से संवाद किया। फादर ने बताया कि चर्च के बाहर अतिक्रमण, आसपास गंदगी के ढेर, और बंदरों का दिनदहाड़े उत्पात यह सब उस पवित्र स्थान की गरिमा को ठेस पहुंचा रहे हैं। जहां सैकड़ों श्रद्धालु हर रविवार और पर्वों पर प्रार्थना करने आते हैं।

ईस्टर पर्व मसीह समाज के लिए एक पवित्र और उल्लासपूर्ण अवसर होता है। इस दिन इंग्राहम चर्च में भारी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। लेकिन पूजा से पहले उन्हें जो झेलना पड़ता है वह काफी निराशाजनक है। चर्च के फादर जोनाथन लाल बताते हैं कि हमने कई बार नगर निगम को लिखित में सूचना दी है कि चर्च के बाहर अतिक्रमण हटाया जाए। सफाई की नियमित व्यवस्था हो और बंदरों से सुरक्षा का इंतजाम किया जाए। लेकिन सिर्फ आश्वासन ही मिले।

फादर जोनाथन लाल ने बताया कि इंग्राहम चर्च शहर के प्रमुख क्षेत्रों में से एक बन्ना देवी में स्थित है। यहां न सिर्फ स्थानीय मसीही समाज बल्कि अन्य समुदायों के लोग भी शांति और आध्यात्मिक अनुभव के लिए आते हैं। बावजूद इसके, न तो नगर निगम की सफाई टीम यहां नियमित आती है और न ही अतिक्रमण हटाने की कोई स्थायी कार्यवाही की गई है। चर्च के बाहर ठेले, रेहड़ियां और अस्थाई दुकानें लग जाती हैं। जिनसे चर्च परिसर तक पहुंचना तक कठिन हो जाता है। वहीं गंदगी के चलते बीमारी फैलने का भी खतरा बना रहता है। न डस्टबिन लगाए गए हैं, न कूड़ा उठाने की व्यवस्था नियमित है।

बंदरों का आतंक: आस्था पर हमला

चर्च के श्रद्धालु बताते हैं कि यहां बंदरों का झुंड आए दिन उत्पात मचाता है। कोई भोजन लेकर अंदर आए तो बंदर झपट्टा मारकर छीन ले जाते हैं। कई बार वे श्रद्धालुओं पर हमला भी कर चुके हैं। खासकर बच्चों और बुजुर्गों में डर का माहौल है। स्थानीय निवासी बताते हैं कि हम जब भी चर्च आते हैं, तो बैग और प्रसाद की चीजें छिपाकर लानी पड़ती हैं। कई बार डर के मारे महिलाएं बाहर ही रुक जाती हैं। प्रार्थना का स्थान भय का कारण बन गया है।

मसीह समाज की अपील, हमें भी मिले सम्मान

मसीह समाज के लोगों ने कहा कि सरकार हर धर्म के लिए समान सम्मान की बात करती है, लेकिन व्यवहार में कुछ और नजर आता है। चर्च जैसी जगह अगर उपेक्षित रहेगी। तो यह सिर्फ एक धर्मस्थल का नहीं, बल्कि पूरे तंत्र का अपमान है। स्थानीय लोगों ने कहा कि हमारा समुदाय शांतिप्रिय है। हमने कभी सड़क नहीं रोकी, प्रदर्शन नहीं किया, पर अब हालात ऐसे हैं कि प्रशासन को मजबूरन जागना होगा।

अतिक्रमण से परेशान

-चर्च के बाहर सड़क पर ठेले और दुकानें

-मुख्य द्वार तक पैदल पहुंचना भी कठिन

-पर्वों पर आवाजाही में होती है भारी दिक्कत

गंदगी और अव्यवस्था

-कोई नियमित सफाई व्यवस्था नहीं

-कूड़ा सड़कों पर फैला रहता है।

-न डस्टबिन लगाए गए, न कूड़ा गाड़ी समय पर आती।

बंदरों का उत्पात

-श्रद्धालुओं से प्रसाद, थैला छीनना आम बात

-कई बार हमला कर चुके हैं

-बच्चे और बुजुर्ग सबसे ज्यादा डरते हैं

लेटेस्ट   Hindi News ,    बॉलीवुड न्यूज,   बिजनेस न्यूज,   टेक ,   ऑटो,   करियर , और   राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।

अगला लेखऐप पर पढ़ें