महाकुंभ में कई बार जाकर भी जिनका... गिद्ध और सुअर वाले वार पर अखिलेश यादव का पलटवार
महाकुंभ को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव के बीच वार-पलटवार का दौरा अब भी जारी है। सोमवार को सीएम योगी ने गिद्ध और सुअर का उदाहरण देते हुए वार किया तो अखिलेश ने भी तीखा पलटवार किया।
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…महाकुंभ अब समापन की ओर है। दो दिन बाद महाशिवरात्रि पर अंतिम स्नान के साथ ही इसका समापन हो जाएगा। इसके बाद भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव के बीच वार-पलटवार का दौर जारी है। सोमवार को सीएम योगी ने महाकुंभ को लेकर समाजवादी पार्टी और अखिलेश यादव पर एक के बाद एक कई हमले किए। उन्होंने कहा कि महाकुंभ में जिसने जो तलाशा उसे वह नजर आया है। गिद्धों को लाश और सुअरों को गंदगी मिली है। इसी के बाद अखिलेश यादव ने पलटवार करते हुए कहा कि महाकुंभ में कई बार जाकर भी जिनका वैचारिक उद्धार नहीं हुआ, उनके पाप और पतन की सीमा भला कौन नाप सकता है।
अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर महाकुंभ में मची भगदड़ वाले दिन की एक तस्वीर पोस्ट करते हुए लिखा कि महाकुंभ में जिन्होंने अपनों को तलाशा उन्हें न तो अपने उन परिवारवालों का नाम मृतकों की सूची में मिला, जो हमेशा के लिए खो गये और न ही खोया-पाया के रजिस्टर में। कुछ लोगों ने महाकुंभ में राजनीतिक अवसरवाद को तलाशा और उनको आत्मप्रचार का माध्यम मिला लेकिन उन्होंने अपनी नैतिकता, सत्यनिष्ठा और मानवीय संवेदनाओं को खो दिया और वाणी पर संतुलन को भी।
अखिलेश ने कहा कि अशोभनीय कथनों का उच्चारण बताता है कि मानसिकता जब नकारात्मकता के चरम पर होती है तो देश, काल, स्थान की गरिमा का ख़्याल न करते हुए शब्दों के रूप में प्रकट होती है।‘महाकुंभ’ जैसे पावन-पवित्र धार्मिक-आध्यात्मिक पर्व के संबंध में बोलते समय शब्दों का चयन, इस अवसर के मान और प्रतिष्ठा के अनुकूल होना चाहिए। महाकुंभ में कई बार जाकर भी जिनका वैचारिक उद्धार नहीं हुआ, उनके पाप और पतन की सीमा भला कौन नाप सकता है। ऐसे कथनों से जिन सुधीजनों को ठेस पहुँची है, उनसे निवेदन है कि ऐसे लोगों के प्रति सहानुभूति की भावना रखें न कि आक्रोश की। …सन्मति दे भगवान!
इससे पहले सीएम योगी ने विधानसभा में राज्यपाल के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव का जवाब देते हुए कहा कि महाकुंभ में जिसने जो तलाशा उसे वह नजर आया है। गिद्धों को लाश मिली, सुअरों को गंदगी मिली है। संवेदनशील लोगों को रिश्तों की सुंदर तस्वीर मिली, आस्थावानों को पुण्य, सज्जनों को सज्जनता मिली, अमीरों को धंधा मिला, गरीबों को रोजगार मिला। भक्तों को भगवन मिले, श्रद्धालुओं को साफ सुधरी व्यवस्था मिली। जिसकी जैसी नियत थी, जैसी दृष्टि थी, उसको वैसी ही व्यवस्था मिली है।