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बोले आगरा: सुबह की सैर में सांसों पर ‘संकट

Agra News - आगरा में हर सुबह लाखों लोग फिटनेस के लिए टहलने निकलते हैं, लेकिन पार्कों की खराब स्थिति, बंदरों और कुत्तों का आतंक, प्रदूषण और शौचालयों की कमी जैसी समस्याओं का सामना कर रहे हैं। प्रशासन से नियमित...

Newswrap हिन्दुस्तान, आगराSat, 15 Feb 2025 12:56 AM
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बोले आगरा: सुबह की सैर में सांसों पर ‘संकट

हर दिन। हजारों लोग। लाखों पद्चाप। फिर ठिठकते कदमताल। सुबह की सैर को निकलने वाले लाखों लोगों की यह रोज की कहानी है। दौड़भाग और शोरशराबे की जिंदगी से दूर रोजाना सुबह टहलने और व्यायाम करने हजारों लोग शहर की सड़कों और पार्कों में जाते हैं। एक-दो घंटे मॉर्निंग वॉकर्स के लिए काफी अहम होते हैं। इन दो घंटों में सुबह टहलने वाले लोगों की मुश्किलें भी हैं। निजात पाने के लिए उम्मीदों के साथ प्रशासन से अपेक्षा है कि सुबह टहलने वाले आम आदमी की परेशानी को अधिकारी जल्द समझेंगे। आगरा। ताज नगरी में हर सुबह एक लाख से अधिक लोग फिटनेस के लिए मॉर्निंग वॉक पर निकलते हैं, लेकिन उनकी समस्याओं पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा। पार्कों की बदहाल स्थिति, बंदरों और आवारा कुत्तों का आतंक, प्रदूषण, रोशनी की कमी और व्यायाम मशीनों की खराब हालत मॉर्निंग वॉकर्स के लिए परेशानी का सबब बन रही है। प्रशासन से कई बार शिकायतें की गईं, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।

फिटनेस को जीवन का हिस्सा मानने वाले लोग सर्दी, गर्मी, बारिश और आंधी-तूफान में भी अपनी दिनचर्या से समझौता नहीं करते। सुबह टहलने वालों में युवा, बच्चे, बुजुर्ग, महिलाएं और पुरुष सभी शामिल हैं। मॉर्निंग वॉकर्स का मानना है कि स्वस्थ शरीर के लिए नियमित व्यायाम जरूरी है, लेकिन प्रशासनिक लापरवाही के कारण वे असुविधाओं का सामना कर रहे हैं।

शहर के प्रमुख पार्कों और सड़कों पर बंदरों और आवारा कुत्तों का आतंक बढ़ता जा रहा है। कई लोगों पर बंदरों ने हमला किया, जबकि कुत्तों के काटने की घटनाएं भी सामने आई हैं। पार्कों में सुरक्षा के इंतजाम नहीं हैं, जिससे मॉर्निंग वॉकर्स खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं।

शहर में बढ़ता प्रदूषण मॉर्निंग वॉकर्स की सेहत पर असर डाल रहा है। ताजी हवा में जहरीले तत्व घुलने से सांस की बीमारियां बढ़ रही हैं। पार्कों में सफाई की कमी, खराब ट्रैक, जर्जर व्यायाम मशीनें और पर्याप्त रोशनी न होना भी प्रमुख समस्याएं हैं। कई पार्कों में सुबह की सैर के लिए टिकट लेना अनिवार्य कर दिया गया है, जिससे लोग नाराज हैं।

क्या चाहते हैं मॉर्निंग वॉकर्स: मॉर्निंग वॉकर्स का कहना है कि प्रशासन पार्कों की मरम्मत कराए, सफाई नियमित हो, व्यायाम मशीनें दुरुस्त की जाएं और रोशनी की पर्याप्त व्यवस्था हो। सुरक्षा बढ़ाई जाए, बंदरों और आवारा कुत्तों की समस्या का स्थायी समाधान किया जाए। प्रदूषण कम करने के लिए हरियाली बढ़ाई जाए, ताकि लोग बिना किसी परेशानी के स्वास्थ्य लाभ ले सकें। प्रशासन को जल्द से जल्द कार्रवाई करनी चाहिए ताकि ताज नगरी के लोग स्वस्थ और सुरक्षित रह सकें।

प्रशासन कब करेगा समाधान: पार्कों की बदहाल स्थिति, बंदरों और आवारा कुत्तों का आतंक, प्रदूषण, खराब ट्रैक, जर्जर व्यायाम मशीनें और रोशनी की कमी से लोग परेशान हैं। मॉर्निंग वॉकर्स का कहना है कि प्रशासन यदि इच्छाशक्ति दिखाए तो समस्याओं का समाधान संभव है। पार्कों की मरम्मत कर सफाई नियमित कराई जाए। ट्रैक और व्यायाम मशीनें दुरुस्त हों। रोशनी की व्यवस्था की जाए। बंदरों और कुत्तों की समस्या का समाधान किया जाए। मॉर्निंग वॉकर्स कई बार प्रशासन से गुहार लगा चुके हैं, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।

हाथ में बेंत लेकर निकलते हैं

बालूगंज चौकी के पास रहने वाले नरेश कुमार शिवहरे 30 साल से विक्टोरिया पार्क घूमने जा रहे हैं। तीन दशकों में तमाम बार सरकार बदली। काफी कुछ बदलाव भी आया। इसके बाद भी नरेश कुमार शिवहरे का डंडा सुबह घूमने के लिए सुरक्षा कवच बना रहा। शिवहरे बताते हैं कि पार्क की सफाई से लेकर सौंदर्यीकरण अच्छा है। इसके बाद भी बंदरों की समस्या सालों से बनी हुई है। इसलिए खुद की सुरक्षा के लिए हाथों में बैंत लेकर चलते हैं। यहां आने वाले काफी बुजुर्ग बंदरों से बचाव के लिए हाथों में छड़ी, लकड़ी लेकर आते हैं। ताजनगरी से 10 साल से विक्टोरिया पार्क घूमने के लिए आने वाले केपी सिंह कहते हैं कि बंदरों की समस्या से प्रशासन को जल्द निजात दिलानी चाहिए। यहां हर आयु वर्ग के लोग सुबह टहलने आते हैं। कहते हैं, पार्क काफी लंबा है। इसकी शुरुआत आगरा किले से होती है। ताजमहल से पहले पार्क का अंतिम छोर है। यहां से रोजाना सैकड़ों की संख्या में देसी-विदेशी सैलानी निकलते हैं।

शौचलयों की नहीं होती सफाई

शहजादी मंडी का कंपनी गार्डन छावनी का दशकों पुराना गार्डन है। यहां का वातावरण सुबह टहलने के लिए आने वाले लोगों को अपनी तरफ हर रोज खींचता है। गार्डन में प्रतिदिन लगभग पांच सौ से ज्यादा लोग टहलने आते हैं। सदर के रहने वाले बिल्लू चौहान कहते हैं कि गार्डन के शौचालय काफी गंदे रहते हैं। बदबू आती है। टहलने वाले लोगों को भी इस कारण दिक्कत होती है। इसलिए शौचालय की कम से कम दिन में चार-पांच बार सफाई जरूर होनी चाहिए। सख्ती होने से समय-समय पर सफाई व्यवस्था दुरुस्त हो जाती है। इसके बाद फिर वही हाल हो जाता है। शहर के दूसरे पार्कों की तरह यहां भी बंदरों की समस्या है। बंदरों के पकड़ने को लेकर कई बार अभियान भी चलाया गया है। इसके बाद भी बंदरों का यहां आना बंद नहीं हो रहा है। चौहान कहते हैं कि गार्डन में सुबह टहलने के लिए छावनी के तमाम इलाकों से लोग हर रोज आते हैं।

गायब हो गया साइक्लिंग ट्रैक

शहर में मॉर्निंग वार्क्स के लिए वॉकिंग ट्रेक नहीं हैं। सन 2016 में अखिल यादव की सरकार में साइकिल ट्रेक बनाया गया था। इस ट्रेक का अब कहीं कोई पता नहीं है। साइकिल ट्रैक पूरी तरह से गायब हो चुका है। माल रोड से फतेहाबाद रोड तक इसका जोरशोर से निर्माण किया गया था। साइकिल की सवारी करने वाले लोगों के लिए सपा सरकार में इस पथ को बनवाया गया था। सेहतमंद बने रहने के लिए सुबह साइक्लिंग के लिए निकलने वाले मॉर्निंग वाकर्स इस पथ पर बड़ी संख्या में चलते थे। सुबह घूमने वाले लोगों का कहना है कि सरकार को शहर में वॉकिंग ट्रेक बनवाने चाहिए। देश के तमाम क्षेत्रों में वॉकिंग ट्रैक की सुविधा है। सड़कों पर सुबह घूमने वाले लोगों को उचित फुटपाथ और वॉकिंग ट्रैक की सुविधा नहीं होने से सड़क दुर्घटना का खतरा बना रहता है।

सुबह जलती रहतीं स्ट्रीट लाइट

देर सुबह तक जलती स्ट्रीट लाइटों का नया मुद्दा सुबह टहलने के लिए निकलने वाले लोगों को दिखाई देता है। इन लोगों का कहना है कि उजाले के बाद भी देर तक स्ट्रीट लाइटें चालू रहती हैं। राज्य कर विभाग से सेवानिवृत्त उप आयुक्त रामवीर सिंह चौहान 20 साल से नियमित रूप से टहलने जाते हैं। रामवीर सिंह हर सुबह लगभग छह बजे मॉर्निंग वॉक के लिए निकलते हैं। घर से निकलते ही राजीव नगर कालोनी की लगभग आधा दर्जन स्ट्रीट लाइट बंद करते हैं। इसके बाद केंद्रीय हिंदी संस्थान मार्ग पर लगे एक पोल की लाइट बंद करते हैं। वो कहते हैं कि उनको पोल के प्वाइंट मालूम हैं। इसलिए स्ट्रीट लाइट खुद बंद कर देते हैं।

खराब पड़ीं मशीनें, कब ठीक होगी इसका पता नहीं

शहर के प्रमुख पार्कों में से एक पालीवाल पार्क में रोजाना सैकड़ों लोग टहलने आते हैं। सुबह चार बजे से पार्क की रौनक शुरू होती है। सूर्योदय होने तक पूरा पार्क मॉर्निंग वाकर्स से भर जाता है। जॉगिंग, रनिंग के बाद लोग एक्सरसाइज के लिए पार्क में व्यायाम भी करते हैं। रावतपाड़ा की खालसा गली के रहने वाले राहुल शर्मा 10 साल से पालीवाल पार्क घूमने आ रहे हैं। राहुल बताते हैं कि एक बार अगर व्यायाम के लिए पार्क में लगा उपकरण खराब हो जाए, तो फिर कब ठीक होगा, इसका पता नहीं। सरकार ने पार्क में व्यायाम के लिए उपकरण लगाए हैं।

पार्कों में शौचालयों की व्यवस्था होनी चाहिए। जिन पार्कों में शौचालय व्यवस्था है, वहां सफाई की व्यवस्था अच्छी नहीं है। सफाई व्यवस्था मजबूत होनी चाहिए।

-सुरेश चौधरी

हमारे पास सुबह घूमने के लिए कोई पार्क नहीं है। दयालबाग की तरफ घूमने निकलते हैं। वहां बारिशों में निकलना मुश्किल हो जाता है। सड़कों पर बड़े गड्ढे हो जाते हैं।

-डा. सतीश अग्रवाल

शहर की कालोनियों के पार्क दुरुस्त किए जाएं। इससे सुबह घूमने के लिए आने वाले लोगों को काफी राहत मिल सकेगी। पार्कों के सौंदर्यीकरण पर भी प्रशासन को जोर देना चाहिए।

-संजय शर्मा

डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय के बाहर पालीवाल पार्क पर लगने वाली सब्जी लगाने वालों के ठेलों को दूसरे स्थान पर लगाया जाए। बंदरों ने काफी परेशान कर रखा है।

-रजनी शर्मा

हमारे कमला नगर के पार्क को सुंदर बनाए रखने में सभी का योगदान रहता है। पालीवाल पार्क की तरह अगर हमारे पार्क में भी व्यायाम की मशीनें लग जाएं, तो मॉर्निंग वॉकर्स को बड़ी सुविधा मिल जाएगी।

-भाविका

कंपनी गार्डन में बंदरों का आतंक है। यहां घूमने के लिए आने वाले सभी लोग बंदरों से परेशान हैं। इस कारण काफी परेशानी होती है। कई बुजुर्ग इनसे बचने के लिए हाथों में डंडा लेकर आते हैं।

- पीडी शर्मा

विक्टोरिया पार्क में लगने वाला शुल्क हटाया जाए। जब शहर के दूसरे बड़े पार्कों में शुल्क नहीं है, तो फिर इस पार्क को भी किसी भी शुल्क से मुक्त किया जाए। यहां कोई शुल्क नहीं लगना चाहिए।

- शिशांत अग्रवाल

कालोनियों में बने पार्कों की हालत सुधरनी चाहिए। शहर के तमाम पार्कों के पाथ खराब हैं। इन्हें ठीक कराया जाए। पार्कों से गायब हो चुकीं रैलिंग लगवाई जाएं। पार्कों का सौंदर्यीकरण होना चाहिए।

- मेघा चतुर्वेदी

शहर के सभी पार्कों में शौचालयों की कमी है। हजारों की संख्या में महिलाएं और पुरुष टहलने निकलते हैं। कहीं भी शौचालय की व्यवस्था नहीं है। जहां है, वहां की स्थिति ठीक नहीं है।

-दिवाकर दत्त सारस्वत

पालीवाल पार्क में बंदरों की संख्या काफी तेजी से बढ़ रही है। मैंने कई बार वहां से रास्ता भी बदला। अब मैंने घर की छत पर एक्सरसाइज करना शुरू कर दिया।

-नैना

हर रोज शहर के पार्कों में महिलाएं भी बड़ी संख्या में टहलने आती हैं। मैं अपनी बेटी के साथ घूमने आता हूं। सभी पार्कों में हेल्पलाइन नंबर जरूर लगाना चाहिए।

-पूनम अग्रवाल

आवास विकास कालोनी के कई पार्कों की हालत घूमने लायक नहीं है। यहां सुबह से सभी आयु वर्गों के लोग घूमने आते हैं। इन सभी पार्कों की मरम्मत होनी चाहिए।

-करन गर्ग

शहर के तमाम पार्कों में बंदरों की समस्या काफी बड़ी है। पालीवाल पार्क में भी बंदरों का काफी आतंक रहता है। इनकी समस्या से छुटकारा दिलाया जाए।

-राकेश बघेल

मुझे अगर स्ट्रीट लाइट जली दिखती है, तो मैं बंद कर देता हूं। पूरे शहर के लिए यह आसान हो सकता है। बिजली विभाग को चाहिए कि जिन पोल पर स्विच प्वांट है, प्लीज स्विच ऑफ लाइट लिख दे।

- प्रथम शर्मा

मॉर्निंग वाकर्स के लिए बंदर बड़ी समस्या हैं। पहले मैं पालीवाल पार्क घूमने जाता था। बंदरों के कारण बंद कर दिया। अब कालोनी के पार्क में सुबह टहलने जाता हूं।

-किशोर बुद्धरानी

मेरी कोशिश रहती है कि हर दिन सुबह पार्क में टहलने निकलूं। नियमित नहीं रह पाता हूं। मेरा मानना है कि ऐसे पार्कों को चिह्नित किया जाए जिनकी हालत खराब है।

-ऋतिक अग्रवाल

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