बोले फिरोजाबाद: सोने और चांदी की चमक पर भारी सुरक्षा की लाचारी
Agra News - फिरोजाबाद सराफा कारोबारियों की मानें तो शहर एवं आसपास के इलाकों में करीब 1500 सराफा की दुकानें संचालित हो रही है।
सराफा कारोबारियों की मानें तो शहर एवं आसपास के इलाकों में करीब 1500 सराफा की दुकानें संचालित हो रही है। जहां पर सालभर में करीब 2000 करोड़ का कारोबार हो जाता है। लेकिन सोने चांदी के आभूषणों से दुल्हन के सौंदर्य को निखारने बाले शहर के यह सराफा कारोबारी अनेक समस्याओं से जूझ रहे हैं। जिसमें सराफा कारोबारियो की सुरक्षा बड़ा मुद्दा बनती जा रही है। लेकिन प्रशासन इन्हें सुरक्षा और सुरक्षित कारोबार का पूर्ण भरोसा नहीं दिला पा रहा है। शहर के सराफा कारोबारियों के लिए यह चिंता का विषय बना हुआ है। यह जानकर किसी को भी हैरानी हो सकती है कि शहर की सराफा कारोबारी इस समय अपराधियों और बदमाशों से नहीं, खाकी से ज्यादा खौफ जदा हो रहे हैं। योगी सरकार के सुशासन के दावे और अपराधों के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति के बीच यह कारोबारी खाकी वर्दी से भयभीत हो चले हैं। जबकि खाकी पर ही उनकी सुरक्षा का पूरा जिम्मा है। लेकिन यह खाकी इनको सुरक्षा का एहसास नहीं दिला पा रही। जो कि बड़ा सवाल बना हुआ है। सराफा कारोबारियों की मानें तो खाकी वर्दी वाले ही उनकी परेशानी का सबब बन गए हैं। लेकिन पुलिस प्रशासन के जिम्मेदार अधिकारी उनकी समस्या का निराकरण नहीं कर पा रहे। वह सिर्फ आश्वासन की घुटी पिलाने में लगे हुए हैं।
खाकी से मान प्रतिष्ठा को बचाए रखना हुआ मुश्किल:शहर में इस तरह की कई घटनाएं हो चुकी हैं। सर्राफा कारोबारी को पुलिस से अपनी मान प्रतिष्ठा को बचाए रखना मुश्किल हो गया है। वहीं दूसरी ओर इस तरह की घटनाओं के चलते सराफा बाजार का माहौल खराब हो रहा है। कारोबारी सुरक्षा की भावना के बीच अपना व्यापार करने को व्यस्त हो रहे हैं। जिससे उनमें खाकी के प्रति आक्रोश व्याप्त हो रहा है।
बाहरी जिलों की पुलिस का उत्पीड़न झेल रहे: शहर के सराफा कारोबारी फिरोजाबाद जनपद से बाहर की पुलिस का उत्पीड़न काफी समय से झेल रहे हैं। वहीं स्थानीय पुलिस भी उन्हें सुरक्षा का एहसास नहीं दिला पा रही है। शहर के सराफा कारोबारियों की मानें तो गैर जनपद अथवा गैर प्रांत की पुलिस कभी भी सराफा बाजार में आ जाती है। पुलिस के जवान और अधिकारी सिविल ड्रेस में होते हैं। वहां अचानक किसी भी सराफा कारोबारी को चोरी का माल खरीदने की बात कहकर जबरन उठा लेते हैं। उसे कुछ बताते भी नहीं। बाद में अज्ञात स्थान पर ले जाकर उसे सौदेबाजी करते हैं। अगर बात नहीं बनती तो कारोबारी के साथ मारपीट तक कर दी जाती है। फिर उसको छोड़ दिया जाता है।
निगम नहीं दे रहा है मूलभूत सुविधाओं को: शहर के सराफा बाजार में आवश्यक जन सुविधाओं का अकाल बना हुआ है। नगर निगम द्वारा सदर बाजार और खिड़की के अंदर सराफा बाजार में कहीं पर भी टॉयलेट, शौचालय और पेयजल की सुविधा उपलब्ध नहीं है। सराफा कारोबारियो का कहना है कि वह नगर निगम को हर महीने लाखों रुपये का टैक्स देते हैं। नगर निगम भी लाखों रुपये का हाउस टैक्स और वॉटर टैक्स वसूलता है। लेकिन फिर भी सराफा बाजार में जरूरी सुविधाएं तक उपलब्ध नहीं कराई जा रही है। कारोबारी कहते हैं कि सराफा की दुकानों पर ज्यादातर महिलाएं आभूषणों की खरीदारी करने आती है। जहां पर उन्हें टॉयलेट तक की सुविधा नहीं मिल पाती है। सराफा बाजार में पुरुष टॉयलेट और शौचालय का उपलब्ध नहीं है। लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों का इस और कोई ध्यान नहीं है।
बोले सराफा कारोबारी
बाहरी जिलों की पुलिस द्वारा जो उत्पीड़न किया जा रहा है उससे काफी दिक्कतें महसूस होने लगी हैं। किसी न किसी बात को लेकर सराफा को दुकानों से उठा लिया जाता है और फिर कई बार तो रुपयों तक की डिमांड कर छोड़ने की बात होती है।
-सुनील अग्रवाल
बाहरी पुलिस अगर हमारे प्रतिष्ठानों पर कोई कार्रवाई या पूछताछ करना चाहती है तो उसको स्थानीय पुलिस और पुलिस अधिकारियों को साथ लेना चाहिए। लेकिन ऐसा करने की बजाए हमेशा पुलिस कर्मी सीधे आकर प्रतिष्ठानों पर अभद्रता करते हैं।
-अमित वर्मा
बाहरी राज्यों की पुलिस राजस्थान, मध्य प्रदेश से आकर चोरी के आभूषणों को खरीदने का आरोप लगाती है। इसके बाद किसी चोर द्वारा उनके पास चोरी के आभूषण बेचने की बात कहकर कार्रवाई की तैयारी करती है और भयभीत कर देती है।
-सचिन वर्मा
सरकार यह मानक तय करे कि जो आभूषण बेचने वाला उनके पास आ रहा है वह कैसे पता लगाया जाए कि चोरी का है या जरूरतमंद अपने आभूषण बेचने आ रहा है। अगर ऐसा हो जाए तो उस मानक का हम पालन करेंगे लेकिन ऐसा नहीं है तो कैसे पता चले चोरी का माल है।
-संजय वर्मा
चोरी का माल किसी ने खरीदा हो या नहीं इसको लेकर संबंधित स्थानीय थाने में बैठकर बाहरी राज्यों की पुलिस जांच करे और पूछताछ करे। कोई आपत्ति नहीं लेकिन दुकान पर सीधे सादा वर्दी में आना और मारपीट कर जेल भेजने की धमकी देना गलत है।
-दुर्गेश वर्मा
कई बार सराफा कारोबारियों को बाहरी राज्यों की पुलिस उठाकर सीधे ले गई है। हाल ही में एक सराफा के साथ मारपीट की और तबीयत बिगड़ने पर अस्पताल में छोड़कर भाग गई। दूसरे कारोबारी से रुपयों की डिमांड की। आखिर ये कैसा कानून जिसमें जांच की बजाए अभद्रता होती है।
-दीपक जादौन
फिरोजाबाद की पुलिस को अब यह दायरा तय करना चाहिए कि अगर कोई बाहरी पुलिस किसी सराफ के पास आती है तो स्थानीय पुलिस को साथ ले। बात करे, किसी चोर के कहने पर अभद्रता, जेल भेजने की धमकी और फिर रुपयों देकर छोड़ने के बदले डिमांड गलत है।
-जवाहरलाल वर्मा
सराफा की दुकानों पर महिला पुरुष सोना चांदी खरीदने के लिए आते है तो उनको सबसे ज्यादा दिक्कत इस बात को लेकर होती है कि कहीं भी कोई शौचालय नहीं होता। तब ऐसी स्थिति में महिलाओं के लिए इधर उधर इंतजाम करना पड़ता है और पुरुष खाली जगहों पर चले जाते हैं।
-ललित वर्मा
हम नगर निगम को हर साल राजस्व देते हैं तो उनको चाहिए कि अपनी चिह्नित जमीन पर शौचालय बनवाए। पिंक टायलेट बनवाए और इससे बाजार में आने वाली महिलाओं को परेशानी नहीं आएगी। कम से कम लोगों को बाजार में सहूलियत तो मिलती नजर आएगी।
-राजेश वर्मा
पानी की टंकी तो किसी बाजार में अब नहीं दिखती है। जो लोग बाजार आते हैं वो या तो अपनी पानी की बोतल लेकर आते हैं या फिर खरीदकर पानी पीते हैं। दुकानदार अपने पास से पानी ग्राहकों को पिला पाता है। हर राहगीर के लिए तो पेयजल टंकी को रखवाना चाहिए।
-सौरभ वर्मा
चोरी का भय भी सराफा बाजार में लगा रहता है। हम स्वयं के खर्चे के कई बार रात के लिए चौकीदार को रखते हैं ताकि चोरी का भय नहीं रहे। पुलिस को भी इस इलाके में गश्त और कुछ पुलिसकर्मियों की तैनाती करनी चाहिए ताकि रात के समय होने वाली घटना न हो जाए।
-राकेश वर्मा
बाजार में पानी की टंकियां तो कुछ दूरी पर ही लगी होनी चाहिए। कई ऐसे पार्कों की जगह छूटी हुई है तो कई जगह सरकारी जमीन पर पानी की टंकी रखने से राहगीरों को पेयजल की किल्लत से नहीं जूझना पड़ेगा। पानी के लिए भी उनको अपना रुपया खर्च करना पड़ जाता है।
-कन्हैयालाल
्रकुछ समय से पुलिस की उत्पीड़न की घटनाओं को लेकर हम जरूरतमंद लोगों का सोना लेना भी बंद कर देते हैं। तब लोगों द्वारा अपनी जरूरत बताकर उनसे हर हाल में सोने के आभूषण बेचने की कही जाती है। ऐसे में खरीदे गए सोने को लेकर उत्पीड़न गलत है।
-वरुण
हाल ही में एसपी सिटी के साथ और स्थानीय थाना पुलिस के साथ बैठक हुई है। इसमें बाहरी पुलिस के उत्पीड़न से मुक्त रखने और थाने पर अगर कोई बात है तो पूछताछ होने पर सहमति बनी है। यह आश्वासन कितना कारगर होता है आने वाला समय ही बताएगा।
-मनोज जौहरी
सराफा कारोबारियों को हाल ही में बाजार में बाहरी पुलिस के उत्पीड़न को लेकर आंदोलन करना पड़ा। बाजार में जाम लगाकर अपना विरोध जताना पड़ा। कारोबारी नहीं चाहते कि वे अपना काम छोड़कर सड़कों पर आएं लेकिन जब अधिकारी नहीं सुनते तो ऐसा कदम उठाना पड़ता है।
-निखिल वर्मा
सोने चांदी का कारोबार आने वाले समय में करना मुश्किल होता जाएगा। कोई भी व्यक्ति चोरी के आभूषण खरीदने का आरोप लगाकर जेल भिजवाने की धमकी दे सकता है। आखिर पुलिस को यह जांच करनी चाहिए कि उसने चोरी के आभूषण क्यों बेचे। उसकी कार्रवाई चोर पर की जाए।
-जितेंद्र वर्मा
सराफा बाजार में महिलाएं अपने नए आभूषण खरीदने और पुराने आभूषण बेचने के लिए आ जाती हैं। तब वे ज्यादा के गहने देकर कम गहने लेकर चली जाती हैं और नकदी ले जाती हैं। ऐसे में कैसे पता चल पाएगा कि महिलाओं के माध्यम से चोरी के आभूषण खपाने की तैयारी की गई है।
-अनुज
सराफा कारोबारी हर समय पुलिस का हर कदम पर साथ देने को तैयार रहता है। ऐसे में सराफा बाजार में बाहरी पुलिस का उत्पीड़न ही रोका जाए। मूलभूत सुविधाओं को नगर निगम द्वारा पूरा करा दिया जाए। इससे सराफा कारोबारियों और आने वाले ग्राहको को लाभ मिलेगा।
-गोपाल वर्मा
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