बोले आगरा: पानी की जर्जर टंकियों से हर समय सांसत में रहती है जान
Agra News - आगरा जिले के कस्बों और गांवों में जर्जर पानी की टंकियों के कारण लोग भय के साए में जी रहे हैं। इटौरा, जारुआ कटरा और टपरा गांवों में टंकियां हर समय गिरने का खतरा बना हुआ है। ग्रामीणों ने अधिकारियों से...

जिले में कस्बों और गांवों में जर्जर पानी की टंकियां लोगों को मुंह चिढ़ा रही हैं। इनसे पानी तो मिल नहीं रहा है। हर समय हादसे की आशंका रहती है। इटौरा , जारुआ कटरा, टपरा गांवों में पानी की टंकिया जर्जर हो चुकी हैं। इन टंकियों से हर दिन मलबा गिर रहा है। हादसे की आशंका रहती है। लोगों ने डर के मारे टंकी के आसपास जाना बंद कर दिया है। आपके अखबार हिन्दुस्तान के बोले आगरा संवाद में ग्रामीणों ने बताया कि जर्जर टंकियों की वजह से हर दिन डर और दहशत का माहौल रहता है। स्थानीय लोगों ने संबंधित अधिकारियों से समस्या के समाधान की गुहार लगाई है। बताया है कि ये टंकिया करीब दो दशक पहले बनवाई गई थीं। अब किसी भी काम की नहीं रह गयी हैं। जर्जर टंकियों को गिराने की मांग की गयी है।
अकोला, बिचपुरी और बरौली अहीर ब्लाक क्षेत्र के गांवों में जर्जर पानी की टंकियों की समस्या अधिक है। बीते साल मथुरा में हुए हादसे से यहां कोई सबक नहीं लिया गया है।
शायद किसी हादसे का इंतजार है। दरअसल ब्लॉक अकोला ,ब्लॉक बिचपुरी और ब्लॉक बरौली अहीर में एक दर्जन से ज्यादा पानी की टंकियां चिन्हित की गई हैं। जिन्हें जर्जर माना गया है। स्थानीय लोगों ने इन टंकियों से हादसे की आशंका जताई है। इसके बाद भी इन पानी की टंकियों को ध्वस्त नहीं किया जा रहा है।
बोले आगरा संवाद के तहत ग्रामीणों ने बताया कि इटौरा, टपरा और जारुआ कटरा गांव में लगीं पानी की टंकियां हर समय हादसे को न्योता दे रही हैं। जनता हादसे के डर से बार बार शिकायत कर रही है। इसके बाद भी जिम्मेदार अधिकारियों के कान पर जू तक नहीं रेंग रही है। हालात ऐसे बन गए हैं कि लोगों ने इन टंकियां के परिसर में जाना बंद कर दिया है। ग्रामीण अपने बच्चों को इन टंकियों के पास जाने से रोकते हैं। उन्हें हादसे की आशंका सताती है। स्थानीय लोगों ने बताया कि वो शिकायत लेकर कई अधिकारियों के पास जा चुके हैं। इसके बाद भी उनकी शिकायत पर कार्रवाई नहीं की गई है। लोगों का कहना है कि किसी भी दिन टंकी अचानक गिर गई तो बड़ा हादसा हो सकता है। लोगों ने कहा कि अधिकारी टंकी को ध्वस्त करा दें तो हम भयमुक्त होकर रह सकेंगे।
ग्राम प्रधान जारुआ कटरा और प्रधान इटौरा भी स्थानीय लोगों के साथ मंडलायुक्त से मुलाकात कर चुके हैं। उन्हें ज्ञापन सौंप चुके हैं। इसके बाद भी समस्या जस की तस बनी हुई है। ग्राम प्रधान इटौरा गौरव चौधरी ने बताया कि पानी की टंकियों के अलावा भी गांव में अन्य कई दिक्कतें हैं।
टंकियां खराब होने से पेयजल किल्लत
मलपुरा, हिन्दुस्तान संवाद। अकोला ब्लाक के गांव जारुआ कटरा में बनी पानी की टंकी से बड़ी संख्या में गांव जुड़े हुए हैं। प्रमुख रूप से जारुआ कटरा, मुंडेरा, गोपाल पुरा, बाईखेड़ा, खेड़ा भगौर, गामरी साहित कई गांवों में यहां से पानी की सप्लाई होती थी। परंतु 2020 के बाद टंकी पूर्ण तरह बंद हो गई है। पानी की सप्लाई बंद होने से लगभग 40 हजार की आबादी प्रभावित हो गई है। अब इन गांवों में भीषण गर्मी में पानी की समस्या के चलते जनता परेशान है। ग्राम प्रधान दिनेश दुबे ने बताया है कि उन्होंने इस समस्या को शासन प्रशासन के समक्ष कई बार उठाया। लेकिन फिलहाल सुनवाई नहीं हो रही है। सनी चौधरी ने बताया है कि उन्होंने क्षेत्रीय सांसद राजकुमार चाहर एवं जिलाधिकारी आगरा को कई बार टंकी को लेकर ज्ञापन दिए हैं परंतु अभी तक समस्या का समाधान नहीं हुआ है। टंकी को हटाकर पानी की व्यवस्था की जाए ताकि लोगों को किसी प्रकार की परेशानी का सामना न करना पड़े। भीषण गर्मी में लोग पानी के लिए परेशान है।
ग्राम प्रधान गौरव चौधरी ने भी बताया है कि इटौरा की टंकी से लगभग एक दर्जन गांव जुड़े हुए थे। समय गुजरने साथ टंकी ने काम करना बंद कर दिया। टंकी पूरी तरह जर्जर हो गई है। अब हादसे का डर सताने लगा है। जनता के लिए हैंडपंप लगवाए गए थे जो धीरे-धीरे खराब होने लगे हैं। गंगाजल से ही क्षेत्रीय लोगों की प्यास बुझ पाएगी, इसके लिए लगातार प्रयास जारी है।
मथुरा में पानी की टंकी गिरने से बड़ा हादसा हुआ था। जारूआ कटरा , इटौरा, टपरा में तीन स्थानों पर जर्जर टंकियां बनी हुई हैं। अगर टंकियों को समय रहते नहीं गिराया गया तो किसी भी दिन बड़ा हादसा हो सकता है।
-दिनेश दुबे,ग्राम प्रधान
जर्जर टंकियों को गिराने के मामले में लगातार अधिकारियों की लापरवाही देखने को मिल रही है। टंकिया गिरासू हालत में हैं। रोजाना टंकियों से मलबा नीचे गिरता है। समस्या का समाधान न होने से काफी दिक्कत है।
-शिव सिंह पहलवान, ग्रामीण
ब्लॉक बरौली अहीर के ग्वालियर रोड क्षेत्र की कई कॉलोनियों में मूलभूत सुविधाओं का अभाव है। सड़क और पक्की नालियां तक नहीं हैं। मेरी यही मांग है कि इन समस्याओं का स्थायी समाधान किया जाना चाहिए।
-प्रिंस गोयल, ग्रामीण
टंकियों की वजह से पार्क में नहीं जा पाते हैं। हादसा होने का डर लगा रहता है। मेरी मांग है कि समस्या का प्राथमिकता से समाधान किया जाए। टंकियों की समस्या का समाधान होगा तो पार्क में जाना शुरु हो पाएगा।
अजय चौधरी
गांवों में सरकारी मशीनरी की लापरवाही बड़े हादसे का कारण बन सकती है। अकोला क्षेत्र में ही 12 से अधिक पानी की टंकिया जर्जर हो चुकी हैं। लोगों ने डर से टंकी के पास जाना बंद कर दिया है। हादसे का डर रहता है।
-गीतम सिंह भगौर
जर्जर टंकियां के चलते हर समय भय के साए में जीते हैं । लोगों का कहना है कि अगर उनकी समस्याओं का समाधान नहीं किया गया तो वो आंदोलन की राह पर चलने को मजबूर होंगे। टंकियों की वजह से बच्चों को खतरा रहता है।
-सत्येंद्र दुबे
ब्लॉक बिचपुरी के टपरा , ब्लॉक बरौली अहीर के इटौरा, ब्लॉक अकोला जारुआ कटरा में जर्जर पानी की टंकी होने गिरासू हालत में हैं। इनसे हर समय हादसे की आशंका बनी रहती है।
-गुलाब सिंह
अभी तक जर्जर हो चुकी पानी की टंकियां नहीं गिराई गई हैं। मथुरा हादसे के बाद जब सर्वे हुआ था। तब टंकियां जर्जर पाई गई थीं। माना जा रहा है कि ये टंकियां कभी गिर सकती हैं। इसका समाधान होना चाहिए।
-वासुदेव कटारा
जर्जर पानी की टंकियों को लेकर प्रशासन ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। मथुरा में जून 2024 को हुए हादसे के बाद जिले में जर्जर टंकियों को सर्वे कराया गया था। तब कहा गया था कि टंकियों को ध्वस्त किया जाएगा।
-सन्नी चौधरी
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