कानून के सिपेहसालारों को सुविधाओं की दरकार
Agra News - आगरा की सदर तहसील में अधिवक्ताओं को कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। बारिश में परिसर तालाब में तब्दील हो जाता है, और शौचालय एवं पेयजल जैसी प्राथमिक सुविधाएं भी उपलब्ध नहीं हैं। बार एसोसिएशन के...

आगरा। कानून की कोर्ट में इंसाफ की लड़ाई लड़ने वाले सदर तहसील के अधिवक्ता प्रशासनिक अधिकारियों की अनदेखी से परेशान हैं। बारिश के मौसम में तहसील परिसर तालाब में तब्दील हो जाता है। शौचालय और पेयजल जैसी प्राथमिक जनसुविधाओं के लिए सभी को शुल्क चुकाना पड़ता है। पक्के चैंबर बनवाने के लिए भी अधिवक्ताओं को लंबे समय से संघर्ष कर रहे हैं। संवाद कार्यक्रम में सदर तहसील बार एसोसिएशन के पदाधिकारियों और दस्तावेज लेखकों ने अपनी परेशानियां साझा कीं। बताया कि वह कई बार अपनी मांगों को लेकर डीएम, एसडीएम सदर को ज्ञापन सौंप चुके हैं। इसके बाद भी समस्याओं का समाधान नहीं हो पाया है। समस्याओं का मकड़जाल बढ़ता जा रहा है।
सरकारी मशीनरी की लापरवाही सदर तहसील में आने वाले हजारों फरियादियों पर भारी पड़ रही है। इतना ही नहीं हालातों से सदर तहसील बार एसोसिएशन के पदाधिकारी और दस्तावेज लेखक भी परेशान हैं। बात सुरक्षा की हो या फिर जनसुविधाओं की। तहसील आने-जाने और यहां काम करने वालों को परेशानी उठानी पड़ रही है। अधिवक्ताओं ने आरोप लगाया कि दाखिला खारिज की पत्रावलियों कार्यालय में नहीं रहतीं। राजस्व कोर्ट भी समय से नहीं लगती। इससे पूरा असर वादकारियों पर पड़ता है। लापरवाही किसी और की रहती है। खामियाजा वादकारियों और अधिवक्ताओं को उठाना पड़ता है। पत्रावलियां न होने की वजह से कभी कभी मामला एक पक्षीय हो जाता है। हालातों से अधिवक्ताओं में नाराजगी है। बार एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने कहा कि अगर हालात नहीं बदले तो संगठन से जुड़े सभी सदस्य आंदोलन की राह पर चलने को मजबूर होंगे।
आगरा की सदर तहसील हर लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण हैं। यहां करीब 300 अधिवक्ताओं के चेंबर हैं। करीब 200 दस्तावेज लेखक तहसील से काम करते हैं। 500 करीब मुंशी हैं। अन्य सौ से भी ज्यादा निजी कर्मचारियों की रोटी रोटी भी तहसील से ही चल रही है। कुल मिलाकर प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से हजारों लोग सदर तहसील से जुड़े हैं। सरकार को तहसील से हर दिन लाखों का राजस्व मिलता है। सैकड़ों की संख्या में लोग राजस्व संबंधित कार्य और जमीन का क्रय विक्रय प्रपत्र तैयार कराने के लिए तहसील पहुंचते है। फिर भी सुविधाओं के नाम पर सभी के साथ छलावा किया जा रहा है। वादकारियों के लिए परिसर में बैठने का पर्याप्त इंतजाम नहीं है। महिला शौचालय की मांग भी लंबे समय से पूरी नहीं हुई है। परिसर में बने दोनों पार्कों की हालत खराब है। सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम नहीं हैं। परिसर में अंदर और बाहर अनाधिकृत तरीके से लगी दुकानों पर असमाजिक तत्वों का जमावड़ा रहता है। कुल मिलाकर ये कहना गलत नहीं होगा कि सदर तहसील पर चिराग तले अंधेरा कहावत बिल्कुल सटीक बैठती है।
तहसील में जनसुविधाओं का अभाव
सदर तहसील में कुछ साल पहले महिला और पुरुष शौचालय का निर्माण कराया गया था। तब सभी को लगा था कि दिक्कत खत्म हो जाएगी। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। साफ-सफाई के अभाव में शौचालय की हालत खराब हो गई है। अब हालत ये है कि लोग शौचालय के अंदर जाना तो दूर। भयंकर दुर्गंध के कारण लोग शौचालय के आसपास से गुजरना भी पसंद नहीं करते। मजबूरी में तहसील आने वाली महिलाओं को शौचालय सुविधा के लिए परिसर से बाहर जाना पड़ता है। शौचालय इस्तेमाल के लिए शुल्क चुकाना पड़ता है।
पुख्ता नहीं हैं सुरक्षा इंतजाम
बार एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने परिसर की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर सवाल उठाए। दो टूक कहा कि परिसर में सुरक्षा का कोई इंतजाम नहीं है। परिसर में हर दिन लाखों का लेन-देन होता है। कई बार परिसर के अंदर और बाहर से टप्पेबाजी, लूट की वारदातें हो चुकी हैं। इसके बाद भी सुरक्षा के नाम पर परिसर में पुलिस कर्मियों की तैनाती नजर नहीं आती। परिसर में कौन आ रहा है। कौन जा रहा है। किसी को जानकारी नहीं रहती। पदाधिकारियों ने बताया कि वह कई बार परिसर में पुलिस चौकी निर्माण के लिए मांग कर चुके हैं। फिर भी कोई सुनवाई नहीं हुई। परिसर की सुरक्षा ताक पर रहती है।
बारिश में बन जाता है तालाब
तहसील परिसर में काम करने वाले अधिवक्ताओं ने बताया कि सर्दी और गर्मी का मौसम तो जैसे तैसे कट ही जाता है। बारिश के मौसम में यहां काम करना मुश्किल हो जाता है। जल निकासी का इंतजाम नहीं होने की वजह से पूरा परिसर बारिश होते ही तालाब में तब्दील हो जाता है। छत पर लगी लोहे प्लास्टिक की टीन से पानी टपकता है। इससे दस्तावेज खराब होने का खतरा बना रहता है। पदाधिकारियों ने बताया कि जलनिकासी की समस्या बेहद जटिल हो चुकी है। जल्दी समाधान नहीं हुआ तो उग्र प्रदर्शन किया जाएगा।
पार्कों का हाल बदहाल
एसोसिएशन पदाधिकारियों ने बताया कि तहसील परिसर में जहां अधिवक्ताओं के चेंबर बने हैं। वहां दो पार्क भी हैं। दोनों पार्कों में हमेशा गंदगी रहती है। पार्कों की देखभाल नहीं होती। बैठने के लिए पार्कों में एक भी बेंच नहीं लगी है। तहसील में फरियादियों के बैठने के लिए पर्याप्त इंतजाम नहीं हैं। पार्क के रख-रखाव के लिए किसी कर्मचारी की तैनाती नहीं है। देखभाल के अभाव में पार्क साल-दर-साल बदहाल होता जा रहा है। अधिवकताओं ने सुझाव दिया कि अगर पार्क की देखभाल के लिए नियमित माली की तैनाती हो जाए तो परिसर की सुंदरता बढ़ जाएगी।
नहीं होती नियमित सफाई
तहसील के अधिवक्ताओं में इस बात को लेकर भी भारी नाराजगी है कि परिसर में अधिकांश स्थान कच्चा है। जगह जगह गंदगी रहती है। साफ-सफाई के लिए नियमित कर्मचारियों की तैनाती नहीं है। इससे अधिवक्ताओं के साथ तहसील आने वाले फरियादियों को भी काफी परेशानी होती है। परिसर में अंदर और बाहर अनाधिकृत तरीके से दुकानें लगा ली गई हैं। इससे आने जाने में भी परेशानी होती है। इन दुकानों पर असमाजिक तत्वों का जमावड़ा रहता है। इससे सुरक्षा पर खतरा रहता है। परिसर में नियमित साफ-सफाई कराए जाने की जरूरत है।
कुत्ते और बंदरों का आतंक
तहसील परिसर में जनसुविधाओं का अभाव तो है ही। आवारा पशु भी सभी के लिए परेशानी बने हुए हैं। पदाधिकारियों ने बताया कि परिसर में कुत्ते और बंदरों का आतंक है। कुत्ते और बंदर कई बार अधिवक्ताओं और वादकारियों पर हमला कर चुके हैं। काट खा चुके हैं। वह कई बार संबंधित विभाग में शिकायत भी कर चुके हैं। इसके बाद भी तहसील परिसर में कभी अभियान चलाकर बंदरों और कुत्तों को नहीं पकड़ा गया है। बंदर तो कई बार जरूरी कागजात तक फाड़ चुके हैं। लोगों का सामान छीनकर ले जाते हैं।
ये हैं समस्याएं
बारिश में परिसर तालाब में तब्दील हो जाता है।
सदर तहसील में पेयजल का इंतजाम नहीं है।
सदर तहसील परिसर में सही शौचालय नहीं है।
तहसील परिसर में दोनों पार्क का बदहाल हैं।
तहसील परिसर में कुत्ते, बंदरों का आतंक है।
परिसर में नियमित सुरक्षा कर्मी नजर नहीं आते।
ये हैं समाधान
परिसर से जलनिकासी के लिए इंतजाम किया जाए
परिसर में पेयजल के लिए दो आर ओ प्लांट लगे
परिसर में शौचालय का निर्माण जल्दी किया जाए
परिसर में स्थित पार्कों का सौंदर्यीकरण किया जाए
अभियान चलाकर कुत्तों और बंदरों का पकड़ा जाए
परिसर में अस्थाई पुलिस चौकी का निर्माण किया जाए
वर्जन -
सदर तहसील परिसर में जलनिकासी का इंतजाम नहीं हैं। बारिश के मौसम में पूरा परिसर तालाब में तब्दील हो जाता है। बारिश के दिनों में कामकाज ठप्प रहता है। वादकारियों के साथ अधिवक्ताओं को भी परेशानी उठानी पड़ती है।
शंभूनाथ वर्मा - अध्यक्ष - सदर तहसील बार एसोसिएशन
परिसर में बने शौचालय में साफ-सफाई नहीं होती है। या यूं कह लें कि शौचालय के नाम पर केवल दिखावा है। परिसर में कम से कम दो नए शौचालय बनाए जाने की जरूरत है। शौचालय न होने के कारण महिलाओं को परेशानी होती है।
अरविंद कुमार दुबे - सचिव- सदर तहसील बार एसोसिएशन
परिसर में हर दिन हजारों लोगों का आवागमन होता है। इसके बाद भी परिसर में जनसुविधाओं का बड़ा अभाव है। वादकारियों के बैठने के लिए परिसर में कोई इंतजाम नहीं है। मेरी यही मांग है कि परिसर में बैठने के लिए बेंच लगाई जाएं।
विमल तिवारी - तहसील अधिवक्ता
परिसर में अधिवक्ताओं के चेंबरों के आसपास एक भी आर प्लांट नहीं लगा है। पेयजल के लिए काफी परेशानी होती है। वादकारियों को भी पानी खरीदकर पीना पड़ता है। परिसर में दो आर ओ प्लांट लगाए जाने की जरूरत है।
मनोज कुमार - उपाध्यक्ष प्रशासनिक - सदर तहसील बार एसोसिएशन
परिसर की सीवर लाइन काफी समय से बंद पड़ी है। इस वजह से काफी परेशानी उठानी पड़ रही है।
इससे परिसर में दर्गंध आती है। हम लोग संपूर्ण समाधान में भी शिकायत कर चुके हैं। इसके बाद भी कोई सुनवाई नहीं हुई है।
मुकेश कुमार गुप्ता - तहसील अधिवक्ता
निबंधन कार्यालय के पास हर समय गंदगी रहती है। साफ-सफाई का कोई इंतजाम नहीं है। गंदगी और जलभराव की वजह से परिसर में मच्छरों की भरमार है। इससे संक्रामक बीमारियां फैलने का खतरा रहता है। नियमित सफाई की व्यवस्था होनी चाहिए।
दीपेश - तहसील अधिवक्ता
परिसर में कई अधिवक्ताओं के चेंबर टीन शेड से बने हुए हैं। बारिश के मौसम में काफी दिक्कत होती है। मेरी यही मांग है कि सभी अधिवक्ताओं के चेंबर पक्के बनाए जाएं। जिससे बारिश के मौसम में भी काम प्रभावित न हो।
सुनील कुमार - तहसील अधिवक्ता
परिसर में रात के वक्त सुरक्षा कर्मियों की तैनाती नहीं दिखती। इससे निबंधन कार्यालयस और अधिवक्ताओं के चेंबर में रखे दस्तावेजों की सुरक्षा पर खतरा रहता है। परिसर में नियमित सुरक्षा कर्मियों की तैनाती किए जाने की जरूरत है।
सतीश कुमार पचौरी - दस्तावेज लेखक
परिसर के दोनों पार्क देखरेख के अभाव में पूरी तरह बदहाल हो चुके हैं। पार्कों में गंदगी और जलभराव की समस्या रहती है। पार्कों का सौंदर्यीकरण किया जाए। देखरेख के लिए नियमित कर्मचारी की तैनाती होनी चाहिए।
सत्यप्रकाश सिंह धाकरे- तहसील अधिवक्ता
परिसर में अंदर और बाहर अनाधिकृत दुकानें लगा ली गई हैं। इससे आवागमन तो प्रभावित होता है। इन दुकानों पर असमाजिक तत्वों का जमावड़ा होने से सुरक्षा को भी खतरा रहता है। अभियान चलाकर अनाधिकृत दुकानों को हटाए जाने की जरूरत है।
लाखन सिंह बघेल - दस्तावेज लेखक
धारा 24 दाखिला खारिज की पत्रावलियां कार्यालय में नहीं रहती हैं। तहसील कर्मचारी जरूरी पत्रावलियों को अपने साथ घर ले जाते हैं। मेरी मांग है कि पत्रावलियां कार्यालय में रहनी चाहिए। बाहर ले जाने वालों पर कार्रवाई होनी चाहिए।
सतेंद्र कुमार अग्रवाल - तहसील अधिवक्ता
राजस्व कोर्ट समय पर नहीं लगती है। सुनवाई के दौरान पत्रावलियां भी कार्यालय में नहीं मिलती है। इससे अधिवक्ताओं और वादकारियों को परेशानी उठानी पड़ती है। अधिकारियों को संज्ञान लेकर इस व्यवस्था को सही करना चाहिए।
विजय शर्मा- तहसील अधिवक्ता
निबंधन कार्यालय में अक्सर बाहरी व्यक्तियों का प्रवेश रहता है। इससे सरकारी कार्य की गोपनियता भंग होती है। कार्य की सुचिता पर भी सवाल उठते हैं। निबंधन कार्यालय में बाहरी व्यक्तियों के प्रवेश पर पूरी तरह रोक लगनी चाहिए।
रामकृष्ण दत्त उपाध्याय- तहसील अधिवक्ता
बार एसोसिएशन के पदाधिकारी लंबित मांगों को लेकर जिलाधिकारी के अलावा एसडीएम सदर को कई बार ज्ञापन सौंप चुके हैं। अधिकारी मांगों पर सुनवाई नहीं कर रहे। अधिवक्ता अपनी मांगों को लेकर किसी भी आंदोलन कर सकते हैं।
आशू यादव - दस्तावेज लेखक
परिसर में अधिकांश स्थानों पर फुटपाथ कच्चे पड़े हैं। इस वजह से काफी दिक्कत होती है। सड़क उबड़ खाबड़ हो चुकी है। इस वजह से आने जाने में काफी परेशानी होती है। परिसर में फुटपाथ निर्माण किए जाने की जरूरत है।
महेश सारस्वत- तहसील अधिवक्ता
परिसर में महिलाओं के लिए जनसुविधाएं नदारद हैं। तहसील आने पर महिलाओं को परेशान होना पड़ता है। महिलाओं के लिए परिसर में जरूरी सुविधाएं स्थापित किए जाने की जरूरत है। शौचालय बनने से बड़ी दिक्कत खत्म हो जाएगी।
निशांत चतुर्वेदी- तहसील अधिवक्ता
परिसर में अग्निकांड से निपटने के पर्याप्त इंतजाम नहीं हैं। अगर किसी कारणवश परिसर में आग लग जाए तो उससे तुरंत निपटने के लिए कोई संसाधन नहीं हैं। परिसर में फायर सेफ्टी का इंतजाम किए जाने की भी जरूरत है।
राम कुमार शर्मा - तहसील अधिवक्ता
परिसर में दिव्यांगों का आना जाना भी होता है। उनके लिए भी परिसर में अलग से कोई सुविधा नहीं है। दिव्यांगों को उबड़ खाबड़ मार्ग से होकर जाना पड़ता है। इससे उन्हें काफी असुविधा होती है। दिव्यांगों के लिए भी अतिरिक्त इंतजाम किए जाने चाहिए।
विष्णु गौड़- तहसील अधिवक्ता
तहसील परिसर में जिलाधिकारी को समय समय पर औचक निरीक्षण करना चाहिए। इससे तहसील में चल रही गतिविधियों की सही जानकारी मिल पाएगी। अनियमित्ताओं पर अंकुश लगा पाएगा। अधिवक्ताओं और वादकारियों को राहत मिलेगी।
दिव्यांश पांडेय - तहसील अधिवक्ता
परिसर में साफ-सफाई का अभाव रहता है। कभी कोई कर्मचारी सफाई करने नहीं आता। सुबह से शाम तक परिसर में जहां देखो बदहाली और गंदगी नजर आती है। परिसर में साफ-सफाई की व्यवस्था सही किए जाने की जरूरत है।
अमित जैन - तहसील अधिवक्ता
परिसर में पार्किंग तो है लेकिन जगह बेहद कम है। इस वजह से परिसर में जगह जगह वाहन खड़े करने पड़ते हैं। इससे वाहनों का आवागमन प्रभावित होता है। अक्सर जाम लग जाता है। परिसर में पार्किंग के लिए पुख्ता इंतजाम होना चाहिए।
इंद्रपाल सिंह - तहसील अधिवक्ता
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