कांग्रेस अब जिस तरीके से जातीय जनगणना के बहाने पिछडे़ वर्ग को आंदोलित करना चाह रही है, उससे अखिलेश यादव, तेजस्वी यादव और एम के स्टालिन जैसे सहयोगियों के भी कान खडे़ हो सकते हैं…
सिख हिंसा के सभी दोषियों को तत्काल सजा मिलनी चाहिए थी, लेकिन अभी तक बहुत से लोग न्याय की पहुंच से परे हैं। यह इसलिए भी जरूरी है, क्योंकि हमलावर समूह और उसके संगठनकर्ता भारतीय संविधान की उस भावना के भी हत्यारे थे, जो इंसानी हक-हुकूक…
डोनाल्ड ट्रंप के निंदक भी मानते हैं कि उनका बहुत सा बड़बोलापन सिर्फ सुर्खियां बटोरने के लिए होता है। कभी-कभी वह लोगों, राजनेताओं अथवा देशों से ‘बेस्ट डील’ पाने के लिए भी ऐसा करते हैं…
साल 2025 के पहले दिन की कुछ सुर्खियों पर नजर डाल देखिए- न्यू ओर्लियंस में नए साल के जश्न मनाती भीड़ पर एक दहशतगर्द ने ट्रक चढ़ा दिया, जिससे 14 लोग मारे गए और दर्जनों घायल हो गए।
उस दिन हम मुरादाबाद में थे। यहां चक्कर लगाने पर वह सब कुछ मिला, जो उत्तर भारत के अव्यवस्थित शहरों में होता है- धूल, धुआं, गड्ढों से भरी सड़कें, ट्रैफिक जाम और जबरदस्त बेतरतीबी। अगर दृश्य से कुछ नदारद...
सुप्रीम कोर्ट ने कभी केंद्रीय जांच ब्यूरो, यानी सीबीआई पर तंज कसा था कि यह पिंजरे में बंद तोता है। क्या पता था कि कोर्ट द्वारा विभूषित इस ‘पिंजरे’ में आपसी टकराहटों की आवाजें इतनी मुखर हो...
केरल पुलिस के महानिरीक्षक टेलीविजन कैमरों में आंख मिलाते हुए शेखी बघार रहे थे- ‘हमने पर्याप्त पुलिस बल तैनात कर दिया है। हम और हमारे जवान किसी को भी कानून हाथ में लेने की इजाजत नहीं देंगे।...
जो देश हर कुछ महीने के अंतराल में चुनावी जंग से जूझने का अभ्यस्त हो, वहां पांच राज्यों में जारी चुनावी दंगल लोगों के दिल की धड़कनें क्यों अव्यवस्थित कर रहा है? जवाब साफ है। 2019 के आम चुनाव से पहले इन...
कल्पना कीजिए। आपका जहाज हजारों फीट की ऊंचाई पर उड़ रहा है। अचानक आपका दम घुटने लगता है। घबराहट में आप इधर-उधर देखते हैं। सह-यात्रियों की भी हालत खस्ता है। कोई खांस रहा है, किसी को मितली आ रही है, तो...
मोहन भागवत के दिल्ली दौरे ने टेलीविजन बहस को चटपटा बनाने वाले तर्कशास्त्रियों को एक बार फिर मौका दे दिया है। लोग चाहे जो कहें, पर यह सच है कि संघ अब अंधेरे बंद कमरों के विमर्श को सार्वजनिक और...