ट्रैक पर फिर अड़े गुर्जर,भरतपुर में ट्रेन रोकी, दिल्ली-मुंबई रूट जाम
राजस्थान के भरतपुर में गुर्जर आंदोलन एक बार फिर सुलग उठा है। भरतपुर के बयाना क्षेत्र के पीलूपुरा में रविवार को हुई महापंचायत के बाद माहौल अचानक गर्मा गया।

राजस्थान के भरतपुर में गुर्जर आंदोलन एक बार फिर सुलग उठा है। भरतपुर के बयाना क्षेत्र के पीलूपुरा में रविवार को हुई महापंचायत के बाद माहौल अचानक गर्मा गया। आरक्षण समेत अन्य मांगों को लेकर शांतिपूर्वक चली महापंचायत के ठीक बाद भीड़ बेकाबू हो गई और देखते ही देखते कोटा-मथुरा पैसेंजर ट्रेन को ट्रैक पर ही रोक दिया गया। यही नहीं, दिल्ली-मुंबई जैसे व्यस्ततम रेलमार्ग को भी जाम कर दिया गया।
ट्रैक महापंचायत स्थल से महज डेढ़ सौ मीटर की दूरी पर है और यहां पहले भी कई बार आंदोलन के दौरान रेल यातायात ठप किया जा चुका है। रविवार को जब महापंचायत खत्म हुई तो लगा कि बात बन गई है, लेकिन कुछ ही देर बाद सैकड़ों की संख्या में लोग रेलवे ट्रैक की ओर बढ़ चले। अचानक कोटा-मथुरा पैसेंजर को बीच रास्ते में रोक दिया गया और पटरियों पर कब्जा कर लिया गया।
रेल प्रशासन और स्थानीय पुलिस के होश उड़ गए। तुरंत मौके पर फोर्स भेजा गया, लेकिन भीड़ पूरी तरह आक्रोश में थी। हालात इतने तनावपूर्ण हो गए कि रेलवे को कई ट्रेनें रोकनी पड़ीं और दिल्ली-मुंबई रूट पूरी तरह ठप हो गया।
सरकार ने भेजा था ड्राफ्ट, लेकिन भरोसा नहीं!
रविवार सुबह महापंचायत शुरू हुई, तो माहौल अपेक्षाकृत शांत था। सरकार ने गुर्जर समाज की मांगों पर एक ड्राफ्ट बनाकर भेजा था, जिसे संघर्ष समिति के अध्यक्ष विजय बैंसला ने मंच से पढ़कर सुनाया। लोगों ने ड्राफ्ट पर सहमति दी और बैंसला ने औपचारिक रूप से महापंचायत खत्म करने की घोषणा कर दी।
लेकिन यहीं से कहानी ने मोड़ लिया। समाज के कई युवाओं ने इसे "महज कागजी आश्वासन" करार दिया और सरकार पर अविश्वास जताते हुए ट्रैक की ओर कूच कर दिया। महज कुछ मिनटों में ही स्थिति बेकाबू हो गई। भीड़ ने ट्रेन रोकी, पटरियों पर बैठ गई और नारेबाजी शुरू हो गई।
गृह राज्य मंत्री बोले- कुछ लोग हमेशा विरोध के मूड में रहते हैं
घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए गृह राज्य मंत्री जवाहर सिंह बेढम ने कहा, “कुछ लोग सरकार के खिलाफ ही रहने की सोच बना चुके हैं। जब सरकार बिना किसी दबाव के बातचीत के लिए तैयार है, तब इस तरह की महापंचायत और ट्रैक जाम की क्या जरूरत है?”
उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में सभी को अपनी बात कहने का हक है, लेकिन रास्ता संवाद का होना चाहिए, धमकी और ब्लैकमेलिंग का नहीं।
ट्रैफिक डायवर्जन, इंटरनेट अलर्ट और अफसर अलर्ट
महापंचायत को लेकर प्रशासन पहले से अलर्ट था। बयाना-हिंडौन स्टेट हाईवे से ट्रैफिक को पीलूपुरा की बजाय कलसाड़ा, करौली और महवा की ओर डायवर्ट कर दिया गया था। भरतपुर की ओर आने-जाने वाले वाहनों के लिए हिंडौन-कलसाड़ा-भुसावर रूट तय किया गया।
पुलिस ने पहले ही इंटरनेट सेवा पर नजर बनाए रखने के निर्देश दिए थे। फिलहाल ट्रैक पर भीड़ को हटाने के प्रयास जारी हैं। अतिरिक्त बल मौके पर तैनात है। रेलवे ट्रैक पर स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है।
क्या फिर दोहराएगा इतिहास?
गुर्जर आंदोलन के नाम से राजस्थान की राजनीति कई बार हिल चुकी है। पीलूपुरा पहले भी खून-खराबे और लंबी रेल जाम की गवाह बन चुका है। अब सवाल ये है कि क्या यह आंदोलन फिर से वही रास्ता पकड़ेगा? या सरकार और समाज के बीच कोई स्थायी समाधान निकल पाएगा?
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